< Hebrews 10 >
1 For the law having a shadow of the good things that are coming, not the same substance of the events, with the same sacrifices that are offered continually each year, they are never able to fully perfect those who are approaching.
व्यवस्था केवल आनेवाली उत्तम वस्तुओं की छाया मात्र है, न ही उनका असली रूप; इसलिये वर्ष-प्रतिवर्ष, निरंतर रूप से बलिदान के द्वारा यह आराधकों को सिद्ध कभी नहीं बना सकता.
2 Otherwise would they not have ceased being offered, because of those who worship, once having been cleansed, to have no further conscience of sins?
नहीं तो बलियों का भेंट किया जाना समाप्त न हो जाता? क्योंकि एक बार शुद्ध हो जाने के बाद आराधकों में पाप का अहसास ही न रह जाता
3 But in them is a reminder of sins each year.
वस्तुतः इन बलियों के द्वारा वर्ष-प्रतिवर्ष पाप को याद किया जाता है,
4 For it is impossible for the blood of bulls and goats to take away sins.
क्योंकि यह असंभव है कि बैलों और बकरों का बलि-लहू पापों को हर लें.
5 Therefore when he comes into the world, he says, Sacrifice and offering thou did not desire, but thou prepared for me a body.
इसलिये, जब वह संसार में आए, उन्होंने कहा: “बलि और भेंट की आपने इच्छा नहीं की, परंतु एक शरीर आपने मेरे लिए तैयार किया है;
6 In whole burnt offerings, and for sin thou were not pleased.
आप हवन बलि और पाप के लिए भेंट की गई बलियों से संतुष्ट नहीं हुए.
7 Then I said, Lo, I come (in the volume of a book it is written about me) to do thy will, O God,
तब मैंने कहा, ‘प्रभु परमेश्वर, मैं आ गया हूं कि आपकी इच्छा पूरी करूं. पवित्र शास्त्र में यह मेरा ही वर्णन है.’”
8 saying above, Sacrifice and offering and whole burnt offerings and for sin thou did not desire, nor were thou pleased with things that are offered according to the law.
उपरोक्त कथन के बाद उन्होंने पहले कहा: बलि तथा भेंटें, हवन-बलियों तथा पापबलियों की आपने इच्छा नहीं की और न आप उनसे संतुष्ट हुए. ये व्यवस्था के अनुसार ही भेंट किए जाते हैं.
9 Then he said, Lo, I come to do thy will, O God. He takes away the first, so that he may establish the second.
तब उन्होंने कहा, “लीजिए, मैं आ गया हूं कि आपकी इच्छा पूरी करूं.” इस प्रकार वह पहले को अस्वीकार कर द्वितीय को नियुक्त करते हैं.
10 By which will we are sanctified through the one time offering of the body of Jesus Christ.
इसी इच्छा के प्रभाव से, हम मसीह येशु की देह-बलि के द्वारा उनके लिए अनंत काल के लिए पाप से अलग कर दिए गए.
11 And indeed every priest stands daily serving and offering the same sacrifices often, which can never take away sins.
हर एक पुरोहित एक ही प्रकार की बलि दिन-प्रतिदिन भेंट किया करता है, जो पाप को हर ही नहीं सकती.
12 But this man, having offered one sacrifice on behalf of sins forever, sat down at the right hand of God,
किंतु जब मसीह येशु पापों के लिए एक ही बार सदा-सर्वदा के लिए मात्र एक बलि भेंट कर चुके, वह परमेश्वर के दायें पक्ष में बैठ गए,
13 waiting henceforth until his enemies are placed a footstool of his feet.
तब वहां वह उस समय की प्रतीक्षा करने लगे कि कब उनके शत्रु उनके अधीन बना दिए जाएंगे
14 For by one offering he has fully perfected forever those being sanctified.
क्योंकि एक ही बलि के द्वारा उन्होंने उन्हें सर्वदा के लिए सिद्ध बना दिया, जो उनके लिए अलग किए गए हैं.
15 And the Holy Spirit also testifies to us, after indeed foretelling,
पवित्र आत्मा भी, जब वह यह कह चुके, यह गवाही देते हैं:
16 This is the covenant that I will ordain with them after those days, says the Lord, giving my laws on their hearts, and on their minds I will write them,
“मैं उनके साथ यह वाचा बांधूंगा यह प्रभु का कथन है उन दिनों के बाद मैं अपना नियम उनके हृदय में लिखूंगा और उनके मस्तिष्क पर अंकित कर दूंगा.”
17 and, Their sins and their lawlessness I will, no, not further remember.
वह आगे कहते हैं: “उनके पाप और उनके अधर्म के कामों को मैं इसके बाद याद न रखूंगा.”
18 Now where there is remission of these, there is no more offering for sin.
जहां इन विषयों के लिए पाप की क्षमा है, वहां पाप के लिए किसी भी बलि की ज़रूरत नहीं रह जाती.
19 Having therefore, brothers, boldness for entrance into the holy things by the blood of Jesus,
प्रिय भाई बहनो, इसलिये कि मसीह येशु के लहू के द्वारा हमें परम पवित्र स्थान में जाने के लिए साहस प्राप्त हुआ है,
20 which he inaugurated for us, a new and living way through the curtain, that is, his flesh,
एक नए तथा जीवित मार्ग से, जिसे उन्होंने उस पर्दे, अर्थात् अपने शरीर, में से हमारे लिए खोल दिया है,
21 and a great priest over the house of God,
और, परमेश्वर के परिवार में हमारे लिए एक सबसे उत्तम पुरोहित निर्धारित हैं,
22 let us approach with a true heart in full assurance of faith, our hearts sprinkled from an evil conscience, and our body washed in pure water.
हम अपने अशुद्ध विवेक से शुद्ध होने के लिए अपने हृदय को सींच कर, निर्मल जल से अपने शरीर को शुद्ध कर, विश्वास के पूरे आश्वासन के साथ, निष्कपट हृदय से परमेश्वर की उपस्थिति में प्रवेश करें.
23 Let us hold firm the affirmation of the hope unwavering, for he who promised is faithful.
अब हम बिना किसी शक के अपनी उस आशा में अटल रहें, जिसे हमने स्वीकार किया है क्योंकि जिन्होंने प्रतिज्ञा की है, वह विश्वासयोग्य हैं.
24 And let us examine each other for provocation of love and good works.
हम यह भी विशेष ध्यान रखें कि हम आपस में प्रेम और भले कामों में एक दूसरे को किस प्रकार प्रेरित करें
25 Not forsaking the assembling together of ourselves, as is the habit of some, but exhorting, and so much the more as long as ye see the day approaching.
तथा हम आराधना सभाओं में लगातार इकट्ठा होने में सुस्त न हो जाएं, जैसे कि कुछ हो ही चुके हैं. एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहो और इस विषय में और भी अधिक नियमित हो जाओ, जैसा कि तुम देख ही रहे हो कि वह दिन पास आता जा रहा है.
26 For when we sin willfully after taking the knowledge of the truth, there remains no more a sacrifice for sins,
यदि सत्य ज्ञान की प्राप्ति के बाद भी हम जानबूझकर पाप करते जाएं तो पाप के लिए कोई भी बलि बाकी नहीं रह जाती;
27 but a certain fearful expectation of judgment and of fire, a fervor that is going to devour the opposition.
सिवाय न्याय-दंड की भयावह प्रतीक्षा तथा क्रोध की आग के, जो सभी विरोधियों को भस्म कर देगी.
28 Any man who has disregarded the law of Moses dies without mercies from two or three witnesses.
जो कोई मोशेह की व्यवस्था की अवहेलना करता है, उसे दो या तीन प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के आधार पर, बिना किसी कृपा के, मृत्यु दंड दे दिया जाता है.
29 By how much worse punishment do ye think he will deserve who has trampled the Son of God, and who considered profane the blood of the covenant by which he was sanctified, and who treated the Spirit of grace contemptuously?
उस व्यक्ति के दंड की कठोरता के विषय में विचार करो, जिसने परमेश्वर के पुत्र को अपने पैरों से रौंदा तथा वाचा के लहू को अशुद्ध किया, जिसके द्वारा वह स्वयं पवित्र किया गया था तथा जिसने अनुग्रह के आत्मा का अपमान किया?
30 For we know him who said, Vengeance is for me, I will repay, says the Lord. And again, The Lord will judge his people.
हम तो उन्हें जानते हैं, जिन्होंने यह धीरज दिया, “बदला मैं लूंगा; यह ज़िम्मेदारी मेरी ही है” तब यह भी, “प्रभु ही अपनी प्रजा का न्याय करेंगे.”
31 It is a fearful thing to fall into the hands of the living God.
भयानक होती है जीवित परमेश्वर के हाथों में पड़ने की स्थिति.
32 But remember the former days, in which, after being enlightened, ye endured a great contest of sufferings,
उन प्रारंभिक दिनों की स्थिति को याद करो जब ज्ञान प्राप्त करने के बाद तुम कष्टों की स्थिति में संघर्ष करते रहे
33 partly made a spectacle, both by reviling and afflictions, and partly having become companions of those so treated.
कुछ तो सार्वजनिक रूप से उपहास पात्र बनाए जाकर निंदा तथा कष्टों के द्वारा और कुछ इसी प्रकार के व्यवहार को सह रहे अन्य विश्वासियों का साथ देने के कारण.
34 For ye were both compassionate about my bonds, and ye accepted with joy the plundering of your possessions, knowing yourselves to have a superior and an enduring existence in the heavens.
तुमने उन पर सहानुभूति व्यक्त की, जो बंदी बनाए गए थे तथा तुमने संपत्ति के छीन जाने को भी इसलिये सहर्ष स्वीकार कर लिया कि तुम्हें यह मालूम था कि निश्चित ही उत्तम और स्थायी है तुम्हारी संपदा.
35 Therefore do not throw off your boldness, which has great recompense of reward.
इसलिये अपने दृढ़ विश्वास से दूर न हो जाओ जिसका प्रतिफल बड़ा है.
36 For ye have need of perseverance, so that, having done the will of God, ye may receive the promise.
इस समय ज़रूरत है धीरज की कि जब तुम परमेश्वर की इच्छा पूरी कर चुको, तुम्हें वह प्राप्त हो जाए जिसकी प्रतिज्ञा की गई थी.
37 For yet a very little while, he who is coming will come, and will not delay.
क्योंकि जल्द ही वह, “जो आनेवाला है, आ जाएगा वह देर नहीं करेगा.”
38 But the righteous man will live from faith, and if he should withdraw, my soul is not pleased with him.
किंतु, “जीवित वही रहेगा, जिसने अपने विश्वास के द्वारा धार्मिकता प्राप्त की है. किंतु यदि वह भयभीत हो पीछे हट जाए तो उसमें मेरी प्रसन्नता न रह जाएगी.”
39 But we are not of retreat for destruction, but of faith for the preservation of the soul.
हम उनमें से नहीं हैं, जो पीछे हटकर नाश हो जाते हैं परंतु हम उनमें से हैं, जिनमें वह आत्मा का रक्षक विश्वास छिपा है.