< Deuteronomy 25 >

1 If there be a controversy between men, and they come to judgment, and they judge them, then they shall justify the righteous, and condemn the iniquitous.
“यदि मनुष्यों के बीच कोई झगड़ा हो, और वे न्याय करवाने के लिये न्यायियों के पास जाएँ, और वे उनका न्याय करें, तो निर्दोष को निर्दोष और दोषी को दोषी ठहराएँ।
2 And it shall be, if the iniquitous man is deserving to be beaten, that the judge shall cause him to lie down, and to be beaten before his face, according to his iniquity, by number.
और यदि दोषी मार खाने के योग्य ठहरे, तो न्यायी उसको गिरवाकर अपने सामने जैसा उसका दोष हो उसके अनुसार कोड़े गिनकर लगवाए।
3 He may give him forty stripes. He shall not exceed, lest, if he should exceed, and beat him above these with many stripes, then thy brother should seem debased to thee.
वह उसे चालीस कोड़े तक लगवा सकता है, इससे अधिक नहीं लगवा सकता; ऐसा न हो कि इससे अधिक बहुत मार खिलवाने से तेरा भाई तेरी दृष्टि में तुच्छ ठहरे।
4 Thou shall not muzzle the ox when he treads out the grain.
“दाँवते समय चलते हुए बैल का मुँह न बाँधना।
5 If brothers dwell together, and one of them dies, and has no son, the wife of the dead man shall not be married outside to a stranger. Her husband's brother shall go in to her, and take her to him to wife, and perform the duty of a husband's brother to her.
“जब कई भाई संग रहते हों, और उनमें से एक निपुत्र मर जाए, तो उसकी स्त्री का ब्याह परगोत्री से न किया जाए; उसके पति का भाई उसके पास जाकर उसे अपनी पत्नी कर ले, और उससे पति के भाई का धर्म पालन करे।
6 And it shall be, that the firstborn who she bears shall succeed in the name of his brother who is dead, that his name be not blotted out of Israel.
और जो पहला बेटा उस स्त्री से उत्पन्न हो वह उस मरे हुए भाई के नाम का ठहरे, जिससे कि उसका नाम इस्राएल में से मिट न जाए।
7 And if the man does not want to take his brother's wife, then his brother's wife shall go up to the gate to the elders, and say, My husband's brother refuses to raise up to his brother a name in Israel. He will not perform the duty of a husband's brother to me.
यदि उस स्त्री के पति के भाई को उससे विवाह करना न भाए, तो वह स्त्री नगर के फाटक पर वृद्ध लोगों के पास जाकर कहे, ‘मेरे पति के भाई ने अपने भाई का नाम इस्राएल में बनाए रखने से मना कर दिया है, और मुझसे पति के भाई का धर्म पालन करना नहीं चाहता।’
8 Then the elders of his city shall call him, and speak to him. And if he stands, and says, I do not want to take her,
तब उस नगर के वृद्ध लोग उस पुरुष को बुलवाकर उसको समझाएँ; और यदि वह अपनी बात पर अड़ा रहे, और कहे, ‘मुझे इससे विवाह करना नहीं भावता,’
9 then his brother's wife shall come to him in the presence of the elders, and loose his shoe from off his foot, and spit in his face. And she shall answer and say, So shall it be done to the man who does not build up his brother's house.
तो उसके भाई की पत्नी उन वृद्ध लोगों के सामने उसके पास जाकर उसके पाँव से जूती उतारे, और उसके मुँह पर थूक दे; और कहे, ‘जो पुरुष अपने भाई के वंश को चलाना न चाहे उससे इसी प्रकार व्यवहार किया जाएगा।’
10 And his name shall be called in Israel, The house of him who has his shoe loosed.
१०तब इस्राएल में उस पुरुष का यह नाम पड़ेगा, अर्थात् जूती उतारे हुए पुरुष का घराना।
11 When men strive together one with another, and the wife of the one draws near to deliver her husband out of the hand of him who smites him, and puts forth her hand, and takes him by the privates,
११“यदि दो पुरुष आपस में मारपीट करते हों, और उनमें से एक की पत्नी अपने पति को मारनेवाले के हाथ से छुड़ाने के लिये पास जाए, और अपना हाथ बढ़ाकर उसके गुप्त अंग को पकड़े,
12 then thou shall cut off her hand. Thine eye shall have no pity.
१२तो उस स्त्री का हाथ काट डालना; उस पर तरस न खाना।
13 Thou shall not have in thy bag diverse weights, a great and a small.
१३“अपनी थैली में भाँति-भाँति के अर्थात् घटती-बढ़ती बटखरे न रखना।
14 Thou shall not have in thy house diverse measures, a great and a small.
१४अपने घर में भाँति-भाँति के, अर्थात् घटती-बढ़ती नपुए न रखना।
15 A perfect and just weight thou shall have, a perfect and just measure thou shall have, that thy days may be long in the land which Jehovah thy God gives thee.
१५तेरे बटखरे और नपुए पूरे-पूरे और धर्म के हों; इसलिए कि जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उसमें तेरी आयु बहुत हो।
16 For all who do such things, even all who do unrighteously, are an abomination to Jehovah thy God.
१६क्योंकि ऐसे कामों में जितने कुटिलता करते हैं वे सब तेरे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में घृणित हैं।
17 Remember what Amalek did to thee by the way as ye came forth out of Egypt,
१७“स्मरण रख कि जब तू मिस्र से निकलकर आ रहा था तब अमालेक ने तुझ से मार्ग में क्या किया,
18 how he met thee by the way, and smote the hindmost of thee, all who were feeble behind thee, when thou were faint and weary, and he feared not God.
१८अर्थात् उनको परमेश्वर का भय न था; इस कारण उसने जब तू मार्ग में थका-माँदा था, तब तुझ पर चढ़ाई करके जितने निर्बल होने के कारण सबसे पीछे थे उन सभी को मारा।
19 Therefore it shall be, when Jehovah thy God has given thee rest from all thine enemies round about, in the land which Jehovah thy God gives thee for an inheritance to possess it, that thou shall blot out the remembrance of Amalek from under heaven. Thou shall not forget.
१९इसलिए जब तेरा परमेश्वर यहोवा उस देश में, जो वह तेरा भाग करके तेरे अधिकार में कर देता है, तुझे चारों ओर के सब शत्रुओं से विश्राम दे, तब अमालेक का नाम धरती पर से मिटा डालना; और तुम इस बात को न भूलना।

< Deuteronomy 25 >