< 2 John 1 >
1 The elder to the chosen lady and her children, whom I love in truth, and not only I, but also all those who know the truth,
प्राचीन की ओर से, चुनी हुई महिला और उसकी संतान को, जिनसे मुझे वास्तव में प्रेम है—न केवल मुझे परंतु उन सबको भी जिन्होंने सच को जान लिया है.
2 because of the truth that abides in us, and will be with us into the age. (aiōn )
यह उस सच के लिए है, जिसका हमारे भीतर वास है तथा जो हमेशा हमारे साथ रहेगा. (aiōn )
3 Grace, mercy, peace will be with us from God the Father, and from the Lord Jesus Christ, the Son of the Father, in truth and love.
परमेश्वर पिता और मसीह येशु की ओर से, जो पिता के पुत्र हैं, अनुग्रह, कृपा और शांति हमारे साथ सच तथा प्रेम में बनी रहेगी.
4 I rejoice exceedingly that I have found of thy children walking in truth, just as we received commandment from the Father.
इसे देखना मेरे लिए बहुत ही खुशी का विषय है कि सच्चाई में तुम्हारी संतानों में अनेक चलते हैं. यह ठीक वैसा ही है जैसा हमारे लिए पिता की आज्ञा है.
5 And now I beseech thee, lady, not as writing a new commandment to thee, but what we had from the beginning, that we would love each other.
हे स्त्री, मेरी तुमसे विनती है: हममें आपस में प्रेम हो. यह मैं तुम्हें किसी नई आज्ञा के रूप में नहीं लिख रहा हूं परंतु यह वही आज्ञा है, जो हमें प्रारंभ ही से दी गई है.
6 And this is love, that we should walk according to his commandments. This is the commandment, just as ye heard from the beginning, that ye should walk in it.
प्रेम यही है कि हम उनकी आज्ञा के अनुसार स्वभाव करें. यह वही आज्ञा है, जो तुमने प्रारंभ से सुनी है, ज़रूरी है कि तुम उसका पालन करो.
7 Because many deceivers have gone forth into the world, those not acknowledging Jesus Christ coming in flesh. This is the deceiver and the antichrist.
संसार में अनेक धूर्त निकल पड़े हैं, जो मसीह येशु के शरीर धारण करने को नकारते हैं. ऐसा व्यक्ति धूर्त है और मसीह विरोधी भी.
8 Watch yourselves, so that we may not lose what we have wrought, but may receive a full reward.
अपने प्रति सावधान रहो, कहीं तुम हमारी उपलब्धियों को खो न बैठो, परंतु तुम्हें सारे पुरस्कार प्राप्त हों.
9 Every man transgressing, and not abiding in the doctrine of the Christ, does not have God. The man abiding in the doctrine of the Christ, this man has both the Father and the Son.
हर एक, जो भटक कर दूर निकल जाता है और मसीह की शिक्षा में स्थिर नहीं रहता, उसमें परमेश्वर नहीं; तथा जो शिक्षा में स्थिर रहता है, उसने पिता तथा पुत्र दोनों ही को प्राप्त कर लिया है.
10 If any man comes to you, and does not bring this doctrine, do not receive him into a house, and do not speak to him to rejoice.
यदि कोई तुम्हारे पास आकर यह शिक्षा नहीं देता, तुम न तो उसका अतिथि-सत्कार करो, न ही उसको नमस्कार करो;
11 For he who speaks to him to rejoice, partakes of his evil works.
क्योंकि जो उसको नमस्कार करता है, वह उसकी बुराई में भागीदार हो जाता है.
12 Having many things, I did not want to write to you by paper and ink, but I hope to come to you, and to speak mouth to mouth, so that our joy may be filled.
हालांकि लिखने योग्य अनेक विषय हैं किंतु मैं स्याही व लेखन-पत्रक इस्तेमाल नहीं करना चाहता; परंतु मेरी आशा है कि मैं तुम्हारे पास आऊंगा तथा आमने-सामने तुमसे बातचीत करूंगा कि हमारा आनंद पूरा हो जाए.
13 The children of thy chosen sister salute thee. Truly.
तुम्हारी चुनी हुई बहन की संतान तुम्हें नमस्कार करती है.