< Psalmen 101 >

1 Een psalm van David. Van vroomheid en recht wil ik zingen, U loven, o Jahweh!
दावीद की रचना. एक स्तोत्र. मेरे गीत का विषय है आपका करुणा-प्रेम तथा आपका न्याय; याहवेह, मैं आपका स्तवन करूंगा.
2 Op de wandel der vromen gaan dichten: Ach, mocht hij mijn deel zijn! Rein van hart wil ik leven Binnen mijn huis;
निष्कलंक जीवन मेरा लक्ष्य है, आप कब मेरे पास आएंगे? अपने आवास में मेरा आचरण निष्कलंक रहेगा.
3 Voor mijn ogen niets dulden Wat slecht is. Uitspatting haat ik, En neem er geen deel aan;
मैं किसी भी अनुचित वस्तु की ओर दृष्टि न उठाऊंगा. मुझे घृणा है भ्रष्टाचारी पुरुषों के आचार-व्यवहार से; मैं उनसे कोई संबंध नहीं रखूंगा.
4 Een bedorven hart blijft verre van mij, En van kwaad wil ik niets weten.
कुटिल हृदय मुझसे दूर रहेगा; बुराई से मेरा कोई संबंध न होगा.
5 Wie heimelijk zijn naaste belastert, Doe ik verstommen; De hoogmoedige blik en het trotse hart Kan ik niet uitstaan.
जो कोई गुप्‍त में अपने पड़ोसी की निंदा करता है, मैं उसे नष्ट कर दूंगा; जिस किसी की आंखें अहंकार से चढ़ी हुई हैं तथा जिसका हृदय घमंडी है, वह मेरे लिए असह्य होगा.
6 Mijn ogen zijn gericht op de getrouwen in het land, Om ze bij mij te doen wonen; En wie een onberispelijk leven leidt, Mag mij dienen.
पृथ्वी पर मेरी दृष्टि उन्हीं पर रहेगी जो विश्वासयोग्य हैं, कि वे मेरे साथ निवास कर सकें; मेरा सेवक वही होगा, जिसका आचरण निष्कलंक है.
7 Maar niemand blijft in mijn huis, Die zich schuldig maakt aan bedrog; En wie leugens spreekt, Houdt geen stand voor mijn ogen.
किसी भी झूठों का निवास मेरे आवास में न होगा, कोई भी झूठ बोलने वाला, मेरी उपस्थिति में ठहर न सकेगा.
8 Iedere morgen delg ik Alle boosdoeners uit in den lande; En drijf uit Jahweh’s stad Alle misdadigers weg.
प्रति प्रभात मैं अपने राज्य के समस्त दुर्जनों को नष्ट करूंगा; याहवेह के नगर में से मैं हर एक दुष्ट को मिटा दूंगा.

< Psalmen 101 >