< Salme 127 >
1 Dersom Herren ikke bygger Huset, da arbejde de forgæves, som bygge derpaa; dersom Herren ikke bevarer Staden, da vaager Vægteren forgæves.
अगर ख़ुदावन्द ही घर न बनाए, तो बनाने वालों की मेहनत' बेकार है। अगर ख़ुदावन्द ही शहर की हिफ़ाज़त न करे, तो निगहबान का जागना 'बेकार है।
2 Det er forgæves, at I staa aarle op, sidde længe, æde Brød med Bekymring; thi sligt giver han sin Ven i Søvne.
तुम्हारे लिए सवेरे उठना और देर में आराम करना, और मशक़्क़त की रोटी खाना 'बेकार है; क्यूँकि वह अपने महबूब को तो नींद ही में दे देता है।
3 Se, Børn ere en Arv fra Herren, Livsens Frugt er en Løn.
देखो, औलाद ख़ुदावन्द की तरफ़ से मीरास है, और पेट का फल उसी की तरफ़ से अज्र है,
4 Som Pile i den vældiges Haand, saa ere Ungdoms Sønner.
जवानी के फ़र्ज़न्द ऐसे हैं, जैसे ज़बरदस्त के हाथ में तीर।
5 Lyksalig den Mand, som har fyldt sit Kogger med dem; de skulle ikke beskæmmes, naar de tale med Fjender i Porten.
ख़ुश नसीब है वह आदमी जिसका तरकश उनसे भरा है। जब वह अपने दुश्मनों से फाटक पर बातें करेंगे तो शर्मिन्दा न होंगे।