< Matthæus 21 >
1 Og da de nærmede sig Jerusalem og kom til Bethfage ved Oliebjerget, da udsendte Jesus to Disciple og sagde til dem:
जब वे येरूशलेम नगर के पास पहुंचे और ज़ैतून पर्वत पर बैथफ़गे नामक स्थान पर आए, येशु ने दो चेलों को इस आज्ञा के साथ आगे भेजा,
2 „Gaar hen i den Landsby, som ligger lige for eder; og straks skulle I finde en Aseninde bunden og et Føl hos hende; løser dem og fører dem til mig!
“सामने गांव में जाओ. वहां पहुंचते ही तुम्हें एक गधी बंधी हुई दिखाई देगी. उसके साथ उसका बच्चा भी होगा. उन्हें खोलकर मेरे पास ले आओ.
3 Og dersom nogen siger noget til eder, da siger, at Herren har Brug for dem, saa skal han straks sende dem.‟
यदि कोई तुमसे इस विषय में प्रश्न करे तो तुम उसे यह उत्तर देना, ‘प्रभु को इनकी ज़रूरत है.’ वह व्यक्ति तुम्हें आज्ञा दे देगा.”
4 Men dette er sket, for at det skulde opfyldes, der er talt ved Profeten, som siger:
यह घटना भविष्यवक्ता द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति थी:
5 „Siger til Zions Datter: Se, din Konge kommer til dig, sagtmodig og ridende paa et Asen og paa et Trældyrs Føl.‟
ज़ियोन की बेटी को यह सूचना दो: तुम्हारे पास तुम्हारा राजा आ रहा है; वह नम्र है और वह गधे पर बैठा हुआ है, हां, गधे के बच्चे पर, बोझ ढोनेवाले के बच्चे पर.
6 Men Disciplene gik hen og gjorde, som Jesus befalede dem;
शिष्यों ने येशु की आज्ञा का पूरी तरह पालन किया
7 og de hentede Aseninden og Føllet og lagde deres Klæder paa dem, og han satte sig derpaa.
और वे गधी और उसके बच्चे को ले आए, उन पर अपने बाहरी कपड़े बिछा दिए और येशु उन कपड़ो पर बैठ गए.
8 Men de fleste af Folkeskaren bredte deres Klæder paa Vejen, andre huggede Grene af Træerne og strøede dem paa Vejen.
भीड़ में से अधिकांश ने मार्ग पर अपने बाहरी कपड़े बिछा दिए. कुछ अन्यों ने पेड़ों की टहनियां काटकर मार्ग पर बिछा दीं.
9 Men Skarerne, som gik foran ham og fulgte efter, raabte og sagde: „Hosanna Davids Søn! velsignet være den, som kommer, i Herrens Navn! Hosanna i det højeste!‟
येशु के आगे-आगे जाती हुई तथा पीछे-पीछे आती हुई भीड़ ये नारे लगा रही थी “दावीद के पुत्र की होशान्ना!” “धन्य है, वह जो प्रभु के नाम में आ रहे हैं.” “सबसे ऊंचे स्थान में होशान्ना!”
10 Og da han drog ind i Jerusalem, kom hele Staden i Bevægelse og sagde: „Hvem er denne?‟
जब येशु ने येरूशलेम नगर में प्रवेश किया, पूरे नगर में हलचल मच गई. उनके आश्चर्य का विषय था: “कौन है यह?”
11 Men Skarerne sagde: „Det er Profeten Jesus fra Nazareth i Galilæa.‟
भीड़ उन्हें उत्तर दे रही थी, “यही तो हैं वह भविष्यद्वक्ता—गलील के नाज़रेथ के येशु.”
12 Og Jesus gik ind i Guds Helligdom og uddrev alle dem, som solgte og købte i Helligdommen, og han væltede Vekselerernes Borde og Duekræmmernes Stole.
येशु ने मंदिर में प्रवेश किया और उन सभी को मंदिर से बाहर निकाल दिया, जो वहां लेनदेन कर रहे थे. साथ ही येशु ने साहूकारों की चौकियां उलट दीं और कबूतर बेचने वालों के आसनों को पलट दिया.
13 Og han siger til dem: „Der er skrevet: Mit Hus skal kaldes et Bedehus; men I gøre det til en Røverkule.‟
येशु ने उन्हें फटकारते हुए कहा, “पवित्र शास्त्र का लेख है: मेरा मंदिर प्रार्थना का घर कहलाएगा किंतु तुम इसे डाकुओं की खोह बना रहे हो.”
14 Og der kom blinde og lamme til ham i Helligdommen, og han helbredte dem.
मंदिर में ही, येशु के पास अंधे और लंगड़े आए और येशु ने उन्हें स्वस्थ किया.
15 Men da Ypperstepræsterne og de skriftkloge saa de Undergerninger, som han gjorde, og Børnene, som raabte i Helligdommen og sagde: „Hosanna Davids Søn!‟ bleve de vrede og sagde til ham:
जब प्रधान पुरोहितों तथा शास्त्रियों ने देखा कि येशु ने अद्भुत काम किए हैं और बच्चे मंदिर में, “दावीद की संतान की होशान्ना” के नारे लगा रहे हैं, तो वे अत्यंत गुस्सा हुए.
16 „Hører du, hvad disse sige?‟ Men Jesus siger til dem: „Ja! have I aldrig læst: Af umyndiges og diendes Mund har du beredt dig Lovsang?‟
और येशु से बोले, “तुम सुन रहे हो न, ये बच्चे क्या नारे लगा रहे हैं?” येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “हां, क्या आपने पवित्र शास्त्र में कभी नहीं पढ़ा, बालकों और दूध पीते शिशुओं के मुख से आपने अपने लिए अपार स्तुति का प्रबंध किया है?”
17 Og han forlod dem og gik uden for Staden til Bethania og overnattede der.
येशु उन्हें छोड़कर नगर के बाहर चले गए तथा आराम के लिए बैथनियाह नामक गांव में ठहर गए.
18 Men da han om Morgenen igen gik ind til Staden, blev han hungrig.
भोर को जब वह नगर में लौटकर आ रहे थे, उन्हें भूख लगी.
19 Og han saa et Figentræ ved Vejen og gik hen til det, og han fandt intet derpaa uden Blade alene. Og han siger til det: „Aldrig i Evighed skal der vokse Frugt mere paa dig!‟ Og Figentræet visnede straks. (aiōn )
मार्ग के किनारे एक अंजीर का पेड़ देखकर वह उसके पास गए किंतु उन्हें उसमें पत्तियों के अलावा कुछ नहीं मिला. इस पर येशु ने उस पेड़ को शाप दिया, “अब से तुझमें कभी कोई फल नहीं लगेगा.” तुरंत ही वह पेड़ मुरझा गया. (aiōn )
20 Og da Disciplene saa det, forundrede de sig og sagde: „Hvorledes kunde Figentræet straks visne?‟
यह देख शिष्य हैरान रह गए. उन्होंने प्रश्न किया, “अंजीर का यह पेड़ तुरंत ही कैसे मुरझा गया?”
21 Men Jesus svarede og sagde til dem: „Sandelig, siger jeg eder, dersom I have Tro og ikke tvivle, da skulle I ikke alene kunne gøre det med Figentræet, men dersom I endog sige til dette Bjerg: Løft dig op og kast dig i Havet, da skal det ske.
येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम इस सच्चाई को समझ लो: यदि तुम्हें विश्वास हो—संदेह तनिक भी न हो—तो तुम न केवल वह करोगे, जो इस अंजीर के पेड़ के साथ किया गया परंतु तुम यदि इस पर्वत को भी आज्ञा दोगे, ‘उखड़ जा और समुद्र में जा गिर!’ तो यह भी हो जाएगा.
22 Og alt, hvad I begære i Bønnen troende, det skulle I faa.‟
प्रार्थना में विश्वास से तुम जो भी विनती करोगे, तुम उसे प्राप्त करोगे.”
23 Og da han kom ind i Helligdommen, kom Ypperstepræsterne og Folkets Ældste hen til ham, medens han lærte, og de sagde: „Af hvad Magt gør du disse Ting, og hvem har givet dig denne Magt?‟
येशु ने मंदिर में प्रवेश किया और जब वह वहां शिक्षा दे ही रहे थे, प्रधान पुरोहित और पुरनिए उनके पास आए और उनसे पूछा, “किस अधिकार से तुम ये सब कर रहे हो? कौन है वह, जिसने तुम्हें इसका अधिकार दिया है?”
24 Men Jesus svarede og sagde til dem: „Ogsaa jeg vil spørge eder om een Ting, og dersom I sige mig det, vil ogsaa jeg sige eder, af hvad Magt jeg gør disse Ting.
येशु ने इसके उत्तर में कहा, “मैं भी आपसे एक प्रश्न करूंगा. यदि आप मुझे उसका उत्तर देंगे तो मैं भी आपके इस प्रश्न का उत्तर दूंगा कि मैं किस अधिकार से यह सब करता हूं:
25 Johannes's Daab, hvorfra var den? Fra Himmelen eller fra Mennesker?‟ Men de tænkte ved sig selv og sagde: „Sige vi: Fra Himmelen, da vil han sige til os: Hvorfor troede I ham da ikke?
योहन का बपतिस्मा किसकी ओर से था—स्वर्ग की ओर से या मनुष्यों की ओर से?” इस पर वे आपस में विचार-विमर्श करने लगे, “यदि हम कहते हैं, ‘स्वर्ग की ओर से,’ तो वह हमसे कहेगा, ‘तब आपने योहन में विश्वास क्यों नहीं किया?’
26 Men sige vi: Fra Mennesker, frygte vi for Mængden; thi de holde alle Johannes for en Profet.‟
किंतु यदि हम कहते हैं, ‘मनुष्यों की ओर से,’ तब हमें भीड़ से भय है; क्योंकि सभी योहन को भविष्यवक्ता मानते हैं.”
27 Og de svarede Jesus og sagde: „Det vide vi ikke.‟ Da sagde ogsaa han til dem: „Saa siger ikke heller jeg eder, af hvad Magt jeg gør disse Ting.
उन्होंने आकर येशु से कहा, “आपके प्रश्न का उत्तर हमें मालूम नहीं.” येशु ने भी उन्हें उत्तर दिया, “मैं भी आपको नहीं बताऊंगा कि मैं किस अधिकार से ये सब करता हूं.
28 Men hvad tykkes eder? En Mand havde to Børn; og han gik til den første og sagde: Barn! gaa hen, arbejd i Dag i min Vingaard!
“इस विषय में क्या विचार है आपका? एक व्यक्ति के दो पुत्र थे. उसने बड़े पुत्र से कहा, ‘हे पुत्र, आज जाकर दाख की बारी का काम देख लेना.’
29 Men han svarede og sagde: Nej, jeg vil ikke; men bagefter fortrød han det og gik derhen.
“उसने उत्तर दिया, ‘नहीं जाऊंगा.’ परंतु कुछ समय के बाद उसे पछतावा हुआ और वह दाख की बारी चला गया.
30 Og han gik til den anden og sagde ligesaa. Men han svarede og sagde: Ja, Herre! og gik ikke derhen.
“पिता दूसरे पुत्र के पास गया और उससे भी यही कहा. उसने उत्तर दिया, ‘जी हां, अवश्य.’ किंतु वह गया नहीं.
31 Hvem af de to gjorde Faderens Villie?‟ De sige: „Den første.‟ Jesus siger til dem: „Sandelig siger jeg eder, at Toldere og Skøger gaa forud for eder ind i Guds Rige.
“यह बताइए कि किस पुत्र ने अपने पिता की इच्छा पूरी की?” उन्होंने उत्तर दिया: “बड़े पुत्र ने.” येशु ने उनसे कहा, “सच यह है कि समाज से निकाले लोग तथा वेश्याएं आप लोगों से पहले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर जाएंगे.
32 Thi Johannes kom til eder paa Retfærdigheds Vej, og I troede ham ikke, men Toldere og Skøger troede ham; men endskønt I saa det, fortrøde I det alligevel ikke bagefter, saa I troede ham.
बपतिस्मा देनेवाले योहन आपको धर्म का मार्ग दिखाते हुए आए, किंतु आप लोगों ने उनका विश्वास ही न किया. किंतु समाज के बहिष्कृतों और वेश्याओं ने उनका विश्वास किया. यह सब देखने पर भी आपने उनमें विश्वास के लिए पश्चाताप न किया.
33 Hører en anden Lignelse: Der var en Husbonde, som plantede en Vingaard og satte et Gærde omkring den og gravede en Perse i den og byggede et Taarn; og han lejede den ud til Vingaardsmænd og drog udenlands.
“एक और दृष्टांत सुनिए: एक गृहस्वामी था, जिसने एक दाख की बारी लगायी, चारदीवारी खड़ी की, रसकुंड बनाया तथा मचान भी. इसके बाद वह दाख की बारी किसानों को पट्टे पर देकर यात्रा पर चला गया.
34 Men da Frugttiden nærmede sig, sendte han sine Tjenere til Vingaardsmændene for at faa dens Frugter.
जब उपज तैयार होने का समय आया, तब उसने किसानों के पास अपने दास भेजे कि वे उनसे उपज का पहले से तय किया हुआ भाग इकट्ठा करें.
35 Og Vingaardsmændene grebe hans Tjenere, og en sloge de, en dræbte de, og en stenede de.
“किसानों ने उसके दासों को पकड़ा, उनमें से एक की पिटाई की, एक की हत्या तथा एक का पथराव.
36 Atter sendte han andre Tjenere hen, flere end de første; og de gjorde ligesaa med dem.
अब गृहस्वामी ने पहले से अधिक संख्या में दास भेजे. इन दासों के साथ भी किसानों ने वही सब किया.
37 Men til sidst sendte han sin Søn til dem og sagde: De ville undse sig for min Søn.
इस पर यह सोचकर कि वे मेरे पुत्र का तो सम्मान करेंगे, उस गृहस्वामी ने अपने पुत्र को किसानों के पास भेजा.
38 Men da Vingaardsmændene saa Sønnen, sagde de til hverandre: Det er Arvingen; kommer, lader os slaa ham ihjel og faa hans Arv!
“किंतु जब किसानों ने पुत्र को देखा तो आपस में विचार किया, ‘सुनो! यह तो वारिस है, चलो, इसकी हत्या कर दें और पूरी संपत्ति हड़प लें.’
39 Og de grebe ham og kastede ham ud af Vingaarden og sloge ham ihjel.
इसलिये उन्होंने पुत्र को पकड़ा, उसे बारी के बाहर ले गए और उसकी हत्या कर दी.
40 Naar da Vingaardens Herre kommer, hvad vil han saa gøre med disse Vingaardsmænd?‟
“इसलिये यह बताइए, जब दाख की बारी का स्वामी वहां आएगा, इन किसानों का क्या करेगा?”
41 De sige til ham: „Ilde vil han ødelægge de onde og leje sin Vingaard ud til andre Vingaardsmænd, som ville give ham Frugterne i deres Tid.‟
उन्होंने उत्तर दिया, “वह उन दुष्टों का सर्वनाश कर देगा तथा दाख की बारी ऐसे किसानों को पट्टे पर दे देगा, जो उसे सही समय पर उपज का भाग देंगे.”
42 Jesus siger til dem: „Have I aldrig læst i Skrifterne: Den Sten, som Bygningsmændene forkastede, den er bleven til en Hovedhjørnesten; fra Herren er dette kommet, og det er underligt for vore Øjne.
येशु ने उनसे कहा, “क्या आपने पवित्र शास्त्र में कभी नहीं पढ़ा: “‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने अनुपयोगी घोषित कर दिया था, वही कोने का मुख्य पत्थर बन गया. यह प्रभु की ओर से हुआ और यह हमारी दृष्टि में अनूठा है’?
43 Derfor siger jeg eder, at Guds Rige skal tages fra eder og gives til et Folk, som bærer dets Frugter.
“इसलिये मैं आप सब पर यह सत्य प्रकाशित कर रहा हूं: परमेश्वर का राज्य आपसे छीन लिया जाएगा तथा उस राष्ट्र को सौंप दिया जाएगा, जो उपयुक्त फल लाएगा.
44 Og den, som falder paa denne Sten, skal slaa sig sønder; men hvem den falder paa, ham skal den knuse.‟
वह, जो इस पत्थर पर गिरेगा, टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा किंतु जिस किसी पर यह पत्थर गिरेगा उसे कुचलकर चूर्ण बना देगा.”
45 Og da Ypperstepræsterne og Farisæerne hørte hans Lignelser, forstode de, at han talte om dem.
प्रधान पुरोहित और फ़रीसी यह दृष्टांत सुनकर यह समझ गए कि प्रभु येशु ने उन पर ही यह दृष्टांत कहा है.
46 Og de søgte at gribe ham, men frygtede for Skarerne; thi de holdt ham for en Profet.
इसलिये उन्होंने येशु को पकड़ने की कोशिश तो की, किंतु उन्हें भीड़ का भय था, क्योंकि लोग येशु को भविष्यवक्ता मानते थे.