< Ezechiel 19 >
1 Ty pak vydej se v naříkání nad knížaty Izraelskými.
१“इस्राएल के प्रधानों के विषय तू यह विलापगीत सुना:
2 A rci: Co byla matka tvá? Lvice mezi lvy odpočívající, a u prostřed dravých lvů vychovávala lvíčátka svá.
२तेरी माता एक कैसी सिंहनी थी! वह सिंहों के बीच बैठा करती और अपने बच्चों को जवान सिंहों के बीच पालती पोसती थी।
3 A když odchovala jedno z lvíčat svých, udělal se z něho dravý lev, tak že naučiv se bráti loupeže, žrával lidi.
३अपने बच्चों में से उसने एक को पाला और वह जवान सिंह हो गया, और अहेर पकड़ना सीख गया; उसने मनुष्यों को भी फाड़ खाया।
4 To když uslyšeli národové, v jámě jejich polapen jest, a doveden v řetězích do země Egyptské.
४जाति-जाति के लोगों ने उसकी चर्चा सुनी, और उसे अपने खोदे हुए गड्ढे में फँसाया; और उसके नकेल डालकर उसे मिस्र देश में ले गए।
5 To viduc lvice, že očekávaná zhynula jí naděje její, vzavši jedno z lvíčat svých, učinila z něho silného lva;
५जब उसकी माँ ने देखा कि वह धीरज धरे रही तो भी उसकी आशा टूट गई, तब अपने एक और बच्चे को लेकर उसे जवान सिंह कर दिया।
6 Kterýž ustavičně chodě mezi lvy, udělal se dravým lvem, a naučiv se bráti loupeže, žrával lidi.
६तब वह जवान सिंह होकर सिंहों के बीच चलने फिरने लगा, और वह भी अहेर पकड़ना सीख गया; और मनुष्यों को भी फाड़ खाया।
7 Pobořil i pusté paláce jejich, a města jejich v poušť uvedl, tak že spustla země, i což v ní bylo, od hlasu řvání jeho.
७उसने उनके भवनों को बिगाड़ा, और उनके नगरों को उजाड़ा वरन् उसके गरजने के डर के मारे देश और जो कुछ उसमें था सब उजड़ गया।
8 I polékli na něj národové z okolních krajin, a rozestřeli na něj tenata svá, a do jámy jejich lapen jest.
८तब चारों ओर के जाति-जाति के लोग अपने-अपने प्रान्त से उसके विरुद्ध निकल आए, और उसके लिये जाल लगाया; और वह उनके खोदे हुए गड्ढे में फँस गया।
9 I dali jej do klece v řetězích, a dopravili ho k králi Babylonskému, a uvedli jej do vězení nejtěžšího, aby nebyl slýchán hlas jeho více po horách Izraelských.
९तब वे उसके नकेल डालकर और कठघरे में बन्द करके बाबेल के राजा के पास ले गए, और गढ़ में बन्द किया, कि उसका बोल इस्राएल के पहाड़ी देश में फिर सुनाई न दे।
10 Matka tvá v čas pokoje tvého jako vinný kmen při vodách štípený; plodistvý a rozkladitý byl pro hojnost vod.
१०“तेरी माता जिससे तू उत्पन्न हुआ, वह तट पर लगी हुई दाखलता के समान थी, और गहरे जल के कारण फलों और शाखाओं से भरी हुई थी।
11 A měl pruty mocné k berlám panovníků, zrůst pak jeho vyvýšil se nad prostředek hustého větvoví, tak že patrný byl pro svou vysokost a pro množství ratolestí svých.
११प्रभुता करनेवालों के राजदण्डों के लिये उसमें मोटी-मोटी टहनियाँ थीं; और उसकी ऊँचाई इतनी हुई कि वह बादलों के बीच तक पहुँची; और अपनी बहुत सी डालियों समेत बहुत ही लम्बी दिखाई पड़ी।
12 Ale vytržen jsa v prchlivosti, na zemi povržen jest, a vítr východní usušil ovoce jeho; vylomily se a uschly ratolesti silné jeho, oheň sežral je.
१२तो भी वह जलजलाहट के साथ उखाड़कर भूमि पर गिराई गई, और उसके फल पुरवाई हवा के लगने से सूख गए; और उसकी मोटी टहनियाँ टूटकर सूख गई; और वे आग से भस्म हो गई।
13 A nyní štípen jest na poušti, v zemi vyprahlé a žíznivé.
१३अब वह जंगल में, वरन् निर्जल देश में लगाई गई है।
14 Nadto vyšed oheň z prutu ratolestí jeho, sežral ovoce jeho, tak že není na něm prutu mocného k berle panovníka. Toť jest naříkání, a budeť v naříkání.
१४उसकी शाखाओं की टहनियों में से आग निकली, जिससे उसके फल भस्म हो गए, और प्रभुता करने के योग्य राजदण्ड के लिये उसमें अब कोई मोटी टहनी न रही।” यही विलापगीत है, और यह विलापगीत बना रहेगा।