< 2 Korintským 13 >

1 Toto potřetí jdu k vám. V ústech dvou neb tří svědků staneť každé slovo.
तुम्हारे पास मैं तीसरी बार आ रहा हूं. “हर एक बात की पुष्टि के लिए दो या तीन गवाहों की ज़रूरत होती है.”
2 Předpovědělť jsem, a předpovídám podruhé jako přítomný, a nyní nepřítomný píši těm, kteříž prvé hřešili, i jiným všechněm, že přijdu-liť opět znovu, neodpustím,
वहां अपने दूसरी बार ठहरने के अवसर पर मैंने तुमसे कहा था और अब वहां अनुपस्थित होने पर भी वहां आने से पहले मैं उन सबसे यह कह रहा हूं: जिन्होंने अतीत में पाप किया है तथा बाकी लोगों से भी, यदि मैं फिर आऊंगा तो किसी पर दया न करूंगा
3 Poněvadž usilujete zkusiti toho, kterýž skrze mne mluví, Krista, kterýžto k vám není nemocný, ale mocný jest v vás.
क्योंकि तुम यह सबूत चाहते हो कि जो मेरे द्वारा बातें करते हैं, वह मसीह हैं और वह तुम्हारे प्रति निर्बल नहीं परंतु तुम्हारे मध्य सामर्थ्यी हैं.
4 Nebo ačkoli ukřižován jest jako nemocný, ale živ jest z moci Boží. A tak i my mdlí jsme s ním, ale živi budeme s ním, z moci Boží na vás.
वास्तव में वह दुर्बलता की अवस्था में ही क्रूसित किए गए, फिर भी वह परमेश्वर के सामर्थ्य में जीवित हैं. निःसंदेह हम उनमें कमजोर हैं, फिर भी हम तुम्हारे लिए परमेश्वर के सक्रिय सामर्थ्य के कारण उनके साथ जीवित रहेंगे.
5 Sami sebe zkušujte, jste-li u víře; sami sebe ohledujte. Čili sami sebe neznáte, že Ježíš Kristus jest v vás? Leč jste snad zavrženi.
स्वयं को परखो कि तुम विश्वास में हो या नहीं. अपने आपको जांचो! क्या तुम्हें यह अहसास नहीं होता कि मसीह येशु तुममें हैं? यदि नहीं तो तुम कसौटी पर खरे नहीं उतरे.
6 Ale naději mám, že poznáte, žeť my nejsme zavrženi.
मुझे भरोसा है कि तुम यह जान जाओगे कि हम कसौटी पर खोटे नहीं उतरे.
7 Modlímť se pak Bohu, abyste nic zlého nečinili, ne proto, abychom my se dokonalí ukázali, ale abyste vy to, což jest dobrého, činili, my pak jako zavrženi abychom byli.
हम परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि तुमसे कोई गलती न हो. इसलिये नहीं कि हम भले दिखाई दें, परंतु इसलिये कि तुम वही करो, जो उचित है, फिर हम भले ही खोटे दिखाई दें.
8 Neboť nic nemůžeme proti pravdě, ale k pravdě.
सच्चाई के विरोध में हम कुछ भी नहीं कर सकते. हम सच के पक्षधर ही रह सकते हैं.
9 Radujeme se zajisté, že ač jsme mdlí, ale vy jste silní, a za toť se i modlíme, abyste vy byli dokonalí.
हम अपने कमजोर होने तथा तुम्हारे समर्थ होने पर आनंदित होते हैं और यह प्रार्थना भी करते हैं कि तुम सिद्ध बन जाओ.
10 Protož toto nepřítomný jsa, píši, abych přítomen jsa, nemusil býti přísný, podlé moci, kterouž mi dal Pán k vzdělání, a ne k zkáze.
इस कारण दूर होते हुए भी मैं तुम्हें यह सब लिख रहा हूं कि वहां उपस्थिति होने पर मुझे प्रभु द्वारा दिए गए अधिकार का प्रयोग कठोर भाव में न करना पढ़े. इस अधिकार का उद्देश्य है उन्‍नत करना, न कि नाश करना.
11 Naposledy, bratří, mějtež se dobře, dokonalí buďte, potěšujte se, jednostejně smyslte, pokoj mějte, a Bůh lásky a pokoje budeť s vámi.
अंत में, प्रिय भाई बहनो, आनंदित रहो, अपना स्वभाव साफ़ रखो, एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहो, एक मत रहो, शांति बनाए रखो और प्रेम और शांति के परमेश्वर तुम्हारे साथ होंगे.
12 Pozdravtež jedni druhých políbením svatým.
पवित्र चुंबन से एक दूसरे को नमस्कार करो.
13 Pozdravují vás všickni svatí.
सभी पवित्र लोग जो यहां हैं, उनकी ओर से नमस्कार.
14 Milost Pána Jezukrista, a láska Boží, a účastenství Ducha svatého se všechněmi vámi. Amen.
प्रभु येशु मसीह का अनुग्रह, और परमेश्वर का प्रेम, और पवित्र आत्मा की सहभागिता तुम सभी के साथ बनी रहे.

< 2 Korintským 13 >