< ⲚⲒⳈⲈⲂⲢⲈⲞⲤ 11 >

1 ⲁ̅ ⲧⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲇⲉ ⲡⲧⲁϫⲣⲟ ⲧⲉ ⲛⲛⲉⲧⲉⲛϩⲉⲗⲡⲓⲍⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲁⲩⲱ ⲡⲟⲩⲱⲛϩ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲛⲉϩⲃⲏⲩⲉ ⲉⲧⲉⲛⲧⲛⲛⲁⲩ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲁⲛ
और विश्वास उन तत्वों का निश्चय है, हमने जिनकी आशा की है, तथा उन तत्वों का प्रमाण है, जिन्हें हमने देखा नहीं है.
2 ⲃ̅ ⲛⲧⲁⲩⲣⲙⲛⲧⲣⲉ ⲅⲁⲣ ϩⲁ ⲛⲉⲡⲣⲉⲥⲃⲩⲧⲉⲣⲟⲥ ϩⲛ ⲧⲁⲓ
इसी के द्वारा प्राचीनों ने परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्‍त की.
3 ⲅ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲉⲛⲛⲟⲓ ϫⲉ ⲛⲧⲁⲩⲥⲟⲃⲧⲉ ⲛⲛⲁⲓⲱⲛ ϩⲙ ⲡϣⲁϫⲉ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ϫⲉ ⲡⲉⲧⲛⲛⲁⲩ ⲉⲣⲟϥ ⲛⲧⲁϥϣⲱⲡⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ ⲡⲉⲧⲉⲛϥϣⲟⲟⲡ ⲁⲛ (aiōn g165)
यह विश्वास ही है, जिसके द्वारा हमने यह जाना है कि परमेश्वर की आज्ञा मात्र से सारी सृष्टि अस्तित्व में आ गई. वह सब, जो दिखता है उसकी उत्पत्ति देखी हुई वस्तुओं से नहीं हुई. (aiōn g165)
4 ⲇ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲁⲁⲃⲉⲗ ⲧⲁⲗⲉϩⲟⲩⲉ ⲑⲩⲥⲓⲁ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲡⲁⲣⲁ ⲕⲁⲉⲓⲛ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲁⲩⲱ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓ ⲧⲟⲟⲧⲥ ⲛⲧⲁⲩⲣⲙⲛⲧⲣⲉ ϩⲁⲣⲟϥ ϫⲉ ⲟⲩⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥ ⲡⲉ ⲉⲣⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲣⲙⲛⲧⲣⲉ ⲛⲁϥ ⲉϫⲛ ⲛⲉϥⲇⲱⲣⲟⲛ ⲁⲩⲱ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓ ⲧⲟⲟⲧⲥ ⲛⲧⲉⲣⲉϥⲙⲟⲩ ⲉⲧⲓ ⲟⲛ ϥϣⲁϫⲉ
यह विश्वास ही था, जिसके द्वारा हाबिल ने परमेश्वर को काइन की तुलना में बेहतर बलि भेंट की, जिसके कारण स्वयं परमेश्वर ने प्रशंसा के साथ हाबिल को धर्मी घोषित किया. परमेश्वर ने हाबिल की भेंट की प्रशंसा की. यद्यपि उनकी मृत्यु हो चुकी है, उनका यही विश्वास आज भी हमारे लिए गवाही है.
5 ⲉ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲉⲛⲱⲭ ⲁⲩⲡⲟⲟⲛⲉϥ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲧⲙⲧⲣⲉϥⲛⲁⲩ ⲉⲡⲙⲟⲩ ⲁⲩⲱ ⲙⲡⲟⲩϩⲉ ⲉⲣⲟϥ ϫⲉ ⲁⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲡⲟⲟⲛⲉϥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲁⲑⲏ ⲅⲁⲣ ⲉⲙⲡⲁⲧⲟⲩⲡⲟⲟⲛⲉϥ ⲉⲃⲟⲗ ⲁⲩⲣⲙⲛⲧⲣⲉ ϩⲁⲣⲟϥ ϫⲉ ⲁϥⲣⲁⲛⲁϥ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ
यह विश्वास ही था कि हनोख उठा लिए गए कि वह मृत्यु का अनुभव न करें: “उन्हें फिर देखा न गया, स्वयं परमेश्वर ने ही उन्हें अपने साथ ले लिया था.” उन्हें उठाए जाने के पहले उनकी प्रशंसा की गई थी कि उन्होंने परमेश्वर को प्रसन्‍न किया था.
6 ⲋ̅ ⲁϫⲛ ⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲇⲉ ⲟⲩⲁⲧϭⲟⲙ ⲡⲉ ⲉⲣⲁⲛⲁϥ ϣϣⲉ ⲅⲁⲣ ⲉⲡⲉⲧⲛⲁϯ ⲡⲉϥⲟⲩⲟⲓ ⲉⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲡⲓⲥⲧⲉⲩⲉ ϫⲉ ϥϣⲟⲟⲡ ⲁⲩⲱ ϫⲉ ϥⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲛⲧⲁⲓⲃⲉⲕⲉ ⲛⲛⲉⲧϣⲓⲛⲉ ⲛⲥⲱϥ
विश्वास की कमी में परमेश्वर को प्रसन्‍न करना असंभव है क्योंकि परमेश्वर के पास आनेवाले व्यक्ति के लिए यह ज़रूरी है कि वह यह विश्वास करे कि परमेश्वर हैं और यह भी कि वह उन्हें प्रतिफल देते हैं, जो उनकी खोज करते हैं.
7 ⲍ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲉⲁⲩⲧⲟⲩⲛⲟⲩⲉⲓⲁⲧϥ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲛⲱϩⲉ ⲉⲧⲃⲉ ⲛⲉⲧϥⲛⲁⲩ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲁⲛ ⲛⲧⲉⲣⲉϥⲣ ϩⲟⲧⲉ ⲁϥⲧⲁⲙⲓⲟ ⲛⲟⲩϭⲓⲃⲱⲧⲟⲥ ⲉⲡⲉⲩϫⲁⲓ ⲙⲡⲉϥⲏⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲟⲟⲧⲥ ⲁϥⲧϭⲁⲓⲉ ⲡⲕⲟⲥⲙⲟⲥ ⲁⲩⲱ ⲁϥϣⲱⲡⲉ ⲛⲕⲗⲏⲣⲟⲛⲟⲙⲟⲥ ⲛⲧⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥⲩⲛⲏ ⲕⲁⲧⲁ ⲧⲡⲓⲥⲧⲓⲥ
यह विश्वास ही था कि अब तक अनदेखी वस्तुओं के विषय में नोहा को परमेश्वर से चेतावनी प्राप्‍त हुई और नोहा ने अत्यंत भक्ति में अपने परिवार की सुरक्षा के लिए एक विशाल जलयान का निर्माण किया तथा विश्वास के द्वारा संसार को धिक्कारा और मीरास में उस धार्मिकता को प्राप्‍त किया, जो विश्वास से प्राप्‍त होती है.
8 ⲏ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲉⲁⲩⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲁⲃⲣⲁϩⲁⲙ ⲁϥⲥⲱⲧⲙ ⲉⲉⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲡⲙⲁ ⲉⲧϥⲛⲁϫⲓⲧϥ ⲉⲩⲕⲗⲏ ⲣⲟⲛⲟⲙⲓⲁ ⲁϥⲉⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲛϥⲥⲟⲟⲩⲛ ⲁⲛ ϫⲉ ⲉϥⲙⲟⲟϣⲉ ⲉⲧⲱⲛ
यह विश्वास ही था, जिसके द्वारा अब्राहाम ने परमेश्वर के बुलाने पर घर-परिवार का त्याग कर एक अन्य देश को चले जाने के लिए उनकी आज्ञा का पालन किया—वह देश, जो परमेश्वर उन्हें मीरास में देने पर थे. वह यह जाने बिना ही चल पड़े कि वह कहां जा रहे थे.
9 ⲑ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲁϥⲟⲩⲱϩ ϩⲙ ⲡⲕⲁϩ ⲙⲡⲉⲣⲏⲧ ϩⲱⲥ ϣⲙⲙⲟ ⲉⲁϥⲟⲩⲱϩ ϩⲛ ϩⲉⲛϩⲃⲱ ⲙⲛ ⲓⲥⲁⲁⲕ ⲁⲩⲱ ⲓⲁⲕⲱⲃ ⲛϣⲃⲣⲕⲗⲏⲣⲟⲛⲟⲙⲟⲥ ⲙⲡⲓⲉⲣⲏⲧ ⲛⲟⲩⲱⲧ
वह विश्वास के द्वारा ही उस प्रतिज्ञा किए हुए देश में वैसे रहे, जैसे विदेश में एक अजनबी रहता है. विदेश में एक अजनबी की तरह उन्होंने यित्सहाक और याकोब के साथ तंबुओं में निवास किया, जो उसी प्रतिज्ञा के साथ वारिस थे.
10 ⲓ̅ ⲛⲉϥϭⲱϣⲧ ⲅⲁⲣ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲏⲧⲥ ⲛⲧⲡⲟⲗⲓⲥ ⲉⲧⲉⲩⲛⲧⲥ ⲥⲛⲧⲉ ⲙⲙⲁⲩ ⲧⲁⲓ ⲉⲡⲉⲥⲧⲉⲭⲛⲓⲧⲏⲥ ⲙⲛ ⲡⲉⲥⲇⲏⲙⲓⲟⲩⲣⲅⲟⲥ ⲡⲉ ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ
उनकी दृष्टि उस स्थायी नगर की ओर थी, जिसके रचनेवाले और बनानेवाले परमेश्वर हैं.
11 ⲓ̅ⲁ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ϩⲱⲱⲥ ⲥⲁⲣⲣⲁ ⲧⲁϭⲣⲏⲛ ⲁⲥϫⲓ ⲛⲟⲩϭⲟⲙ ⲉⲩⲕⲁⲧⲁⲃⲟⲗⲏ ⲛⲥⲡⲉⲣⲙⲁ ⲡⲁⲣⲁ ⲡⲟⲩⲟⲉⲓϣ ⲛⲧⲉⲥϭⲟⲧ ⲉⲃⲟⲗ ϫⲉ ⲁⲥⲧⲁⲛϩⲉⲧ ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲉⲣⲏⲧ
यह विश्वास ही था कि साराह ने भी गर्भधारण की क्षमता प्राप्‍त की हालांकि उनकी अवस्था इस योग्य नहीं रह गई थी. उन्होंने विश्वास किया कि परमेश्वर, जिन्होंने इसकी प्रतिज्ञा की थी, विश्वासयोग्य हैं.
12 ⲓ̅ⲃ̅ ⲉⲧⲃⲉ ⲡⲁⲓ ⲉⲁⲩϫⲡⲟⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ ⲟⲩⲁ ⲉⲁ ⲡⲉϥⲥⲱⲙⲁ ⲣⲡⲕⲉⲕⲁϭⲟⲙ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲑⲉ ⲛⲛⲥⲓⲟⲩ ⲛⲧⲡⲉ ϩⲛ ⲧⲉⲩⲁϣⲏ ⲁⲩⲱ ⲛⲑⲉ ⲙⲡϣⲟ ⲉⲧϩⲁⲧⲙ ⲡⲉⲥⲡⲟⲧⲟⲩ ⲛⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ ⲉⲧⲉⲙⲛⲧϥ ⲏⲡⲉ
इस कारण उस व्यक्ति के द्वारा, जो मरे हुए से थे, इतने वंशज पैदा हुए, जितने आकाश में तारे तथा समुद्र के किनारे पर रेत के कण हैं.
13 ⲓ̅ⲅ̅ ⲕⲁⲧⲁ ⲧⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲁⲩⲙⲟⲩ ⲛϭⲓ ⲛⲁⲓ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲙⲡⲟⲩϫⲓ ⲛⲛⲉⲣⲏⲧ ⲁⲗⲗⲁ ⲁⲩⲛⲁⲩ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲙⲡⲟⲩⲉ ⲁⲩⲁⲥⲡⲁⲍⲉ ⲁⲩⲱ ⲁⲩϩⲟⲙⲟⲗⲟⲅⲉⲓ ϫⲉ ⲁⲛϩⲉⲛϣⲙⲙⲟ ⲁⲩⲱ ⲁⲛϩⲉⲛⲣⲙⲛϭⲟⲓⲗⲉ ϩⲓϫⲙ ⲡⲕⲁϩ
विश्वास की स्थिति में ही इन सब की मृत्यु हुई, यद्यपि उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्‍त नहीं हुई थी, परंतु उन्होंने उन तत्वों को दूर से पहचानकर इस अहसास के साथ उनका स्वागत किया कि वे स्वयं पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं.
14 ⲓ̅ⲇ̅ ⲛⲉⲧϫⲱ ⲅⲁⲣ ⲛⲛⲁⲓ ⲛⲧⲉⲉⲓϩⲉ ⲉⲩⲟⲩⲱⲛϩ ⲙⲙⲟⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ ϫⲉ ⲉⲩϣⲓⲛⲉ ⲛⲥⲁ ⲟⲩⲡⲟⲗⲓⲥ
इस प्रकार के भावों को प्रकट करने के द्वारा वे यह साफ़ कर देते हैं कि वे अपने ही देश की खोज में हैं.
15 ⲓ̅ⲉ̅ ⲛⲛⲉⲩⲣⲡⲙⲉⲉⲩⲉ ⲇⲉ ⲛⲧⲉⲛⲧⲁⲩⲉⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲛϩⲏⲧⲥ ⲛⲉⲁⲩⲣⲧⲉ ⲡⲉ ⲛⲕⲟⲧⲟⲩ ⲉⲣⲟⲥ
वस्तुतः यदि वे उस देश को याद कर रहे थे, जिससे वे निकल आए थे, तब उनके सामने वहां लौट जाने का सुअवसर भी होता
16 ⲓ̅ⲋ̅ ⲧⲉⲛⲟⲩ ⲇⲉ ⲉⲩⲟⲩⲉϣ ⲧⲉⲧⲥⲟⲧⲡ ⲉⲧⲉⲧⲁⲧⲡⲉ ⲧⲉ ⲉⲧⲃⲉ ⲡⲁⲓ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ϯϣⲓⲡⲉ ⲛⲁⲩ ⲁⲛ ⲉⲧⲣⲉⲩⲉⲡⲓⲕⲁⲗⲉⲓ ⲙⲙⲟϥ ⲛⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉϫⲱⲟⲩ ⲁϥⲥⲟⲃⲧⲉ ⲅⲁⲣ ⲛⲁⲩ ⲛⲟⲩⲡⲟⲗⲓⲥ
किंतु सच्चाई यह है कि उन्हें एक बेहतर देश की इच्छा थी, जो स्वर्गीय है. इसलिये उन लोगों द्वारा परमेश्वर कहलाए जाने में परमेश्वर को किसी प्रकार की लज्जा नहीं है क्योंकि परमेश्वर ही ने उनके लिए एक नगर का निर्माण किया है.
17 ⲓ̅ⲍ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲁⲃⲣⲁϩⲁⲙ ⲁϥⲧⲁⲗⲉ ⲓⲥⲁⲁⲕ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲉⲩⲡⲉⲓⲣⲁⲍⲉ ⲙⲙⲟϥ ⲁⲩⲱ ⲁϥⲧⲁⲗⲉ ⲡⲉϥϣⲏⲣⲉ ⲛⲟⲩⲱⲧ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲛϭⲓ ⲡⲉⲛⲧⲁϥϣⲱⲡ ⲉⲣⲟϥ ⲛⲛⲉⲣⲏⲧ
यह विश्वास ही था कि अब्राहाम ने, जब उन्हें परखा गया, यित्सहाक को बलि के लिए भेंट कर दिया. जिन्होंने प्रतिज्ञाओं को प्राप्‍त किया था, वह अपने एकलौते पुत्र को भेंट कर रहे थे,
18 ⲓ̅ⲏ̅ ⲡⲁⲓ ⲉⲛⲧⲁⲩϣⲁϫⲉ ⲛⲙⲙⲁϥ ϫⲉ ϩⲛ ⲓⲥⲁⲁⲕ ⲉⲩⲛⲁⲙⲟⲩⲧⲉ ⲛⲁⲕ ⲉⲩⲥⲡⲉⲣⲙⲁ
यह वही थे, जिनसे कहा गया था, “तुम्हारे वंशज यित्सहाक के माध्यम से नामित होंगे.”
19 ⲓ̅ⲑ̅ ⲉⲁϥⲙⲟⲕⲙⲉⲕ ϫⲉ ⲟⲩⲛϣϭⲟⲙ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲧⲟⲩⲛⲟⲥϥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ ⲛⲉⲧⲙⲟⲟⲩⲧ ⲉⲧⲃⲉ ⲡⲁⲓ ⲟⲛ ⲁϥϫⲓⲧϥ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ
अब्राहाम यह समझ चुके थे कि परमेश्वर में मरे हुओं को जीवित करने का सामर्थ्य है. एक प्रकार से उन्होंने भी यित्सहाक को मरे हुओं में से जीवित प्राप्‍त किया.
20 ⲕ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲉⲧⲃⲉ ⲛⲉⲧⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲁⲓⲥⲁⲁⲕ ⲥⲙⲟⲩ ⲉⲓⲁⲕⲱⲃ ⲙⲛ ⲏⲥⲁⲩ
यह विश्वास ही था कि यित्सहाक ने याकोब तथा एसाव को उनके आनेवाले जीवन के लिए आशीर्वाद दिया.
21 ⲕ̅ⲁ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲓⲁⲕⲱⲃ ⲉϥⲛⲁⲙⲟⲩ ⲁϥⲥⲙⲟⲩ ⲉⲡⲟⲩⲁ ⲡⲟⲩⲁ ⲛⲛϣⲏⲣⲉ ⲛⲓⲱⲥⲏⲫ ⲁⲩⲱ ⲁϥⲟⲩⲱϣⲧ ⲛϩⲧⲏϥ ⲙⲡⲉϥϭⲉⲣⲱⲃ
यह विश्वास ही था कि याकोब ने अपने मरते समय योसेफ़ के दोनों पुत्रों को अपनी लाठी का सहारा ले आशीर्वाद दिया और आराधना की.
22 ⲕ̅ⲃ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲓⲱⲥⲏⲫ ⲉϥⲛⲁⲙⲟⲩ ⲁϥⲣⲡⲙⲉⲉⲩⲉ ⲉⲧⲃⲉ ⲡⲉⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲛϣⲏⲣⲉ ⲙⲡⲓⲥⲣⲁⲏⲗ ⲁⲩⲱ ⲁϥϩⲱⲛ ⲉⲧⲃⲉ ⲛⲉϥⲕⲉⲉⲥ
यह विश्वास ही था कि योसेफ़ ने अपनी मृत्यु के समय इस्राएलियों के निर्गमन जाने का वर्णन किया तथा अपनी अस्थियों के विषय में आज्ञा दीं.
23 ⲕ̅ⲅ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲛⲧⲉⲣⲟⲩϫⲡⲟ ⲙⲙⲱⲩⲥⲏⲥ ⲁⲩϩⲟⲡϥ ⲛϣⲟⲙⲛⲧ ⲛⲉⲃⲟⲧ ϩⲓⲧⲛ ⲛⲉϥⲉⲓⲟⲧⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϫⲉ ⲁⲩⲛⲁⲩ ⲉⲡϣⲏⲣⲉ ϣⲏⲙ ⲉⲛⲉⲥⲱϥ ⲙⲡⲟⲩⲣ ϩⲟⲧⲉ ϩⲏⲧϥ ⲙⲡⲇⲓⲁⲧⲁⲅⲙⲁ ⲙⲡⲣⲣⲟ
यह विश्वास ही था कि जब मोशेह का जन्म हुआ, उनके माता-पिता ने उन्हें तीन माह तक छिपाए रखा. उन्होंने देखा कि शिशु सुंदर है इसलिये वे राज आज्ञा से भयभीत न हुए.
24 ⲕ̅ⲇ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲛⲧⲉⲣⲉⲙⲱⲩⲥⲏⲥ ⲣⲛⲟϭ ⲙⲡϥⲟⲩⲱϣ ⲉⲧⲣⲉⲩⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲣⲟϥ ϫⲉ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲛⲧϣⲉⲉⲣⲉ ⲙⲫⲁⲣⲁⲱ
यह विश्वास ही था कि मोशेह ने बड़े होने पर फ़रोह की पुत्री की संतान कहलाना अस्वीकार कर दिया.
25 ⲕ̅ⲉ̅ ⲉⲁϥⲥⲱⲧⲡ ⲛⲁϥ ⲛϩⲟⲩⲟ ⲉϣⲡϩⲓⲥⲉ ⲙⲛ ⲡⲗⲁⲟⲥ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉϩⲟⲩⲉϫⲓ ⲛⲧⲁⲡⲟⲗⲁⲩⲥⲓⲥ ⲙⲡⲛⲟⲃⲉ ⲡⲣⲟⲥⲟⲩⲟⲩⲟⲉⲓϣ
और पाप के क्षण-भर के सुखों के आनंद की बजाय परमेश्वर की प्रजा के साथ दुःख सहना सही समझा.
26 ⲕ̅ⲋ̅ ⲉⲁϥⲉⲡ ⲡⲛⲟϭⲛⲉϭ ⲙⲡⲉⲭⲥ ϫⲉ ⲟⲩϩⲟⲩⲉ ⲙⲛⲧⲣⲙⲙⲁⲟ ⲡⲉ ⲉϩⲟⲩⲉⲛⲁϩⲱⲱⲣ ⲛⲕⲏ ⲙⲉ ⲛⲉϥϭⲱϣⲧ ⲅⲁⲣ ⲡⲉ ⲉⲡⲧⲟⲩⲉⲓⲟ ⲛⲁϥ ⲙⲡⲉϥⲃⲉⲕⲉ
उनकी दृष्टि में मसीह के लिए सही गई निंदा मिस्र देश के भंडारों से कहीं अधिक कीमती थी क्योंकि उनकी आंखें उस ईनाम पर स्थिर थी.
27 ⲕ̅ⲍ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲙⲱⲩⲥⲏⲥ ⲁϥⲕⲁ ⲕⲏⲙⲉ ⲛⲥⲱϥ ⲙⲡϥⲣ ϩⲟⲧⲉ ϩⲏⲧϥ ⲙⲡϭⲱⲛⲧ ⲙⲡⲣⲣⲟ ⲡⲉⲧⲉⲙⲉⲩⲛⲁⲩ ⲅⲁⲣ ⲉⲣⲟϥ ⲛⲉϥϭⲉⲉⲧ ⲉⲣⲟϥ ⲡⲉ ϩⲱⲥ ⲉϥⲛⲁⲩ ⲉⲣⲟϥ
यह विश्वास ही था कि मोशेह मिस्र देश को छोड़कर चले गए. उन्हें फ़रोह के क्रोध का कोई भय न था. वह आगे ही बढ़ते चले गए मानो वह उन्हें देख रहे थे, जो अनदेखे हैं.
28 ⲕ̅ⲏ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲁϥⲣⲡⲡⲁⲥⲭⲁ ⲙⲛ ⲡⲡⲱⲛ ⲉⲃⲟⲗ ⲙⲡⲉⲥⲛⲟϥ ϫⲉ ⲛⲛⲉ ⲡⲉⲧⲧⲁⲕⲟ ⲛⲛϣⲣⲡⲙⲙⲓⲥⲉ ϫⲱϩ ⲉⲣⲟⲟⲩ
यह विश्वास ही था कि मोशेह ने इस्राएलियों को फ़सह उत्सव मनाने तथा बलि-लहू छिड़कने की आज्ञा दी कि वह, जो पहलौठे पुत्रों का नाश कर रहा था, उनमें से किसी को स्पर्श न करे.
29 ⲕ̅ⲑ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲁⲩϫⲓⲟⲟⲣ ⲛⲧⲉⲣⲩⲑⲣⲁ ⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ ⲛⲑⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲛ ⲟⲩⲕⲁϩ ⲉϥϣⲟⲩⲱⲟⲩ ⲧⲁⲓ ⲉⲛⲧⲁⲩϫⲟⲛⲧⲟⲩ ⲙⲙⲟⲥ ⲛϭⲓ ⲛⲣⲙⲛⲕⲏⲙⲉ ⲁⲩⲱⲙⲥ
यह विश्वास ही था कि उन्होंने लाल सागर ऐसे पार कर लिया, मानो वे सूखी भूमि पर चल रहे हों किंतु जब मिस्रवासियों ने वही करना चाहा तो डूब मरे.
30 ⲗ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲛⲥⲟⲃⲧ ⲛϩⲓⲉⲣⲓⲭⲱ ⲁⲩϩⲉ ⲛⲧⲉⲣⲟⲩⲕⲱⲧⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲛⲥⲁϣϥ ⲛϩⲟⲟⲩ
यह विश्वास ही था जिसके द्वारा येरीख़ो नगर की दीवार उनके सात दिन तक परिक्रमा करने पर गिर पड़ी.
31 ⲗ̅ⲁ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ϩⲣⲁⲁⲃ ⲧⲡⲟⲣⲛⲏ ⲙⲡⲥϩⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲙⲛ ⲛⲉⲛⲧⲁⲩⲣⲁⲧⲛⲁϩⲧⲉ ⲉⲁⲥϣⲱⲡ ⲉⲣⲟⲥ ⲛⲛϫⲱⲣ ϩⲛ ⲟⲩⲉⲓⲣⲏⲛⲏ
यह विश्वास ही था कि नगरवधू राहाब ने गुप्‍तचरों का स्वागत मैत्री भाव में किया तथा आज्ञा न माननेवालों के साथ नाश नहीं हुई.
32 ⲗ̅ⲃ̅ ⲉⲓⲛⲁϫⲉⲟⲩ ⲟⲛ ⲡⲉⲟⲩⲟⲉⲓϣ ⲅⲁⲣ ⲛⲁⲕⲁⲁⲧ ⲉⲉⲓϣⲁϫⲉ ⲉⲧⲃⲉ ⲅⲉⲇⲉⲱⲛ ⲃⲁⲣⲁⲕ ⲥⲁⲙⲯⲱⲛ ⲓⲉⲫⲑⲁⲉ ⲇⲁⲩⲉⲓⲇ ⲙⲛ ⲥⲁⲙⲟⲩⲏⲗ ⲙⲛ ⲡⲕⲉⲥⲉⲉⲡⲉ ⲙⲡⲣⲟⲫⲏⲧⲏⲥ
मैं और क्या कहूं? समय की कमी मुझे आज्ञा नहीं देती कि मैं गिदौन, बाराक, शिमशोन, यिफ्ताह, दावीद, शमुएल तथा भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं,
33 ⲗ̅ⲅ̅ ⲛⲁⲓ ⲉⲛⲧⲁⲩϫⲣⲟ ⲉⲛⲓⲙⲛⲧⲉⲣⲱⲟⲩ ϩⲓⲧⲛ ⲧⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲁⲩⲣϩⲱⲃ ⲉⲧⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥⲩⲛⲏ ⲁⲩⲙⲁⲧⲉ ⲛⲛⲉⲣⲏⲧ ⲁⲩⲧⲱⲙ ⲛⲧⲧⲁⲡⲣⲟ ⲛⲙⲙⲟⲩⲓ
जो विश्वास से राज्यों पर विजयी हुए, जिन्होंने धार्मिकता में राज्य किया, जिन्हें प्रतिज्ञाओं का फल प्राप्‍त हुआ, जिन्होंने सिंहों के मुंह बांध दिए,
34 ⲗ̅ⲇ̅ ⲁⲩⲱϣⲙ ⲛⲧϭⲟⲙ ⲛⲧⲥⲁⲧⲉ ⲁⲩⲣⲃⲟⲗ ⲉⲧⲧⲁⲡⲣⲟ ⲛⲧⲥⲏϥⲉ ⲁⲩϭⲙϭⲟⲙ ϩⲛ ⲧⲙⲛⲧϭⲱⲃ ⲁⲩϣⲱⲡⲉ ⲉⲩϫⲟⲟⲣ ϩⲙ ⲡⲡⲟⲗⲉⲙⲟⲥ ⲁⲩϭⲱⲧⲡ ⲛⲙⲡⲁⲣⲉⲙⲃⲟⲗⲏ ⲛϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ
आग की लपटों को ठंडा कर दिया, तलवार की धार से बच निकले; जिन्हें निर्बल से बलवंत बना दिया गया; युद्ध में वीर साबित हुए; जिन्होंने विदेशी सेनाओं को खदेड़ दिया.
35 ⲗ̅ⲉ̅ ⲁϩⲉⲛⲥϩⲓⲙⲉ ϫⲓ ⲛⲛⲉⲩⲣⲉϥⲙⲟⲟⲩⲧ ⲁⲩⲧⲟⲩⲛⲟⲥⲟⲩ ⲛⲁⲩ ϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲇⲉ ⲁⲩϩⲁⲧⲟⲩ ⲙⲡⲟⲩϣⲱⲡ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲙⲡⲥⲱⲧⲉ ⲙⲡⲉⲩⲥⲱⲙⲁ ϫⲉ ⲉⲩⲉϫⲓ ⲛⲧⲁⲛⲁⲥⲧⲁⲥⲓⲥ ⲉⲧⲥⲟⲧⲡ
दोबारा जी उठने के द्वारा स्त्रियों को उनके मृतक दोबारा जीवित प्राप्‍त हो गए. कुछ अन्य थे, जिन्हें ताड़नाएं दी गईं और उन्होंने छुटकारा अस्वीकार कर दिया कि वे बेहतर पुनरुत्थान प्राप्‍त कर सकें.
36 ⲗ̅ⲋ̅ ϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲇⲉ ⲁⲩϫⲟⲛⲧⲟⲩ ϩⲛ ϩⲉⲛⲥⲱⲃⲉ ⲙⲙⲟⲟⲩ ⲙⲛ ϩⲉⲛⲙⲁⲥⲧⲓⲅⲝ ⲉⲧⲉⲓ ⲇⲉ ϩⲛ ϩⲉⲛⲙⲣⲣⲉ ⲙⲛ ⲡⲉϣⲧⲉⲕⲟ
कुछ अन्य थे, जिनकी परख उपहास, कोड़ों, बेड़ियों में जकड़े जाने और बंदीगृह में डाले जाने के द्वारा हुई.
37 ⲗ̅ⲍ̅ ⲁⲩⲟⲩⲁⲥⲧⲟⲩ ⲁⲩϩⲓⲱⲛⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲁⲩⲙⲟⲩ ϩⲛ ⲟⲩϩⲱⲧⲃ ⲛⲥⲏϥⲉ ⲁⲩⲙⲟⲟϣⲉ ϩⲛ ϩⲉⲛⲃⲁⲗⲟⲧ ⲙⲛ ϩⲉⲛϣⲁⲁⲣ ⲛⲃⲁⲁⲙⲡⲉ ⲉⲩⲣϭⲣⲱϩ ⲉⲩⲑⲗⲓⲃⲉ ⲉⲩⲙⲟⲕϩ
उनका पथराव किया गया, उन्हें चीर डाला गया, लालच दिया गया, तलवार से उनका वध किया गया, भेड़ों व बकरियों की खाल में मढ़ दिया गया, वे अभाव की स्थिति में थे, उन्हें यातनाएं दी गईं तथा उनसे दुर्व्यवहार किया गया.
38 ⲗ̅ⲏ̅ ⲛⲁⲓ ⲉⲧⲉⲙ ⲡⲕⲟⲥⲙⲟⲥ ⲙⲡϣⲁ ⲙⲙⲟⲟⲩ ⲁⲛ ⲉⲩⲥⲟⲣⲙ ϩⲓ ⲛϫⲁⲓⲉ ⲙⲛ ⲛⲧⲟⲟⲩ ⲙⲛ ⲛⲉⲓⲁ ⲙⲛ ⲛⲉϣⲕⲟⲗ ⲙⲡⲕⲁϩ
उनके लिए संसार सही स्थान साबित न हुआ. वे बंजर भूमि में, पर्वतों पर, गुफाओं में तथा भूमि के गड्ढों में भटकते-छिपते रहे.
39 ⲗ̅ⲑ̅ ⲁⲩⲱ ⲉⲁⲩⲣⲙⲛⲧⲣⲉ ϩⲁⲣⲟⲟⲩ ⲧⲏⲣⲟⲩ ϩⲓⲧⲛ ⲧⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲙⲡⲟⲩϫⲓ ⲛⲛⲉⲣⲏⲧ
ये सभी गवाहों ने अपने विश्वास के द्वारा परमेश्वर का अनुग्रह प्राप्‍त किया, किंतु इन्होंने वह प्राप्‍त नहीं किया जिसकी इनसे प्रतिज्ञा की गई थी;
40 ⲙ̅ ⲉⲣⲉ ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ϭⲱϣⲧ ⲉⲩϩⲱⲃ ⲉϥⲥⲟⲧⲡ ⲉⲧⲃⲏⲏⲧⲛ ϫⲉ ⲛⲛⲉⲩϫⲱⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲁϫⲛⲧⲛ
क्योंकि उनके लिए परमेश्वर के द्वारा कुछ बेहतर ही निर्धारित था कि हमारे साथ जुड़े बिना उन्हें सिद्धता प्राप्‍त न हो.

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