< ⲚⲒⳈⲈⲂⲢⲈⲞⲤ 10 >

1 ⲁ̅ ⲡⲛⲟⲙⲟⲥ ⲅⲁⲣ ⲉⲩⲛⲧⲁϥ ⲙⲙⲁⲩ ⲛⲑⲁⲓⲃⲉⲥ ⲛⲛⲁⲅⲁⲑⲟⲛ ⲉⲧⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲛⲑⲓⲕⲱⲛ ⲁⲛ ⲛⲛⲉϩⲃⲏⲩⲉ ϩⲛ ⲛⲓⲑⲩⲥⲓⲁ ⲛⲟⲩⲱⲧ ⲉⲧⲟⲩⲧⲁⲗⲟ ⲙⲙⲟⲟⲩ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲛϩⲁϩ ⲛⲥⲟⲡ ⲧⲉⲣⲟⲙⲡⲉ ⲉⲙⲛϣ ϭⲟⲙ ⲉⲛⲉϩ ⲉϫⲱⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲛⲉⲧⲛⲁϯⲡⲉⲩⲟⲩⲓ ⲉⲣⲟⲟⲩ
मूसा की शरी'अत आने वाली अच्छी और असली चीज़ों की सिर्फ़ नक़ली सूरत और साया है। यह उन चीज़ों की असली शक्ल नहीं है। इस लिए यह उन्हें कभी भी कामिल नहीं कर सकती जो साल — ब — साल और बार बार ख़ुदा के हुज़ूर आ कर वही क़ुर्बानियाँ पेश करते रहते हैं।
2 ⲃ̅ ⲉⲙⲙⲟⲛ ⲛⲉⲩⲛⲁⲗⲟ ⲁⲛ ⲡⲉ ⲉⲩⲧⲁⲗⲟ ⲙⲙⲟⲟⲩ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϭⲉ ϫⲉ ⲙⲛ ⲗⲁⲁⲩ ⲛⲥⲩⲛⲓⲇⲏⲥⲓⲥ ⲛⲛⲟⲃⲉ ϩⲛ ⲛⲉⲧϣⲙϣⲉ ⲉⲁⲩⲧⲃⲃⲟ ⲛⲟⲩⲥⲟⲡ
अगर वह कामिल कर सकती तो क़ुर्बानियाँ पेश करने की ज़रूरत न रहती। क्यूँकि इस सूरत में इबादत करने से एक बार सदा के लिए पाक — साफ़ हो जाते और उन्हें गुनाहगार होने का शऊर न रहता।
3 ⲅ̅ ⲁⲗⲗⲁ ⲟⲩⲛⲣⲡⲙⲉⲉⲩⲉ ⲛϩⲏⲧⲟⲩ ⲛⲛⲟⲃⲉ ⲧⲉⲣⲟⲙⲡⲉ
लेकिन इस के बजाए यह क़ुर्बानियाँ साल — ब — साल लोगों को उन के गुनाहों की याद दिलाती हैं।
4 ⲇ̅ ⲟⲩⲁⲧϭⲟⲙ ⲅⲁⲣ ⲡⲉ ⲉⲧⲣⲉ ⲥⲛⲟϥ ⲛϭⲓⲉ ϩⲓ ⲙⲁⲥⲉ ⲕⲁ ⲛⲟⲃⲉ ⲉⲃⲟⲗ
क्यूँकि मुम्किन ही नहीं कि बैल — बकरों का ख़ून गुनाहों को दूर करे।
5 ⲉ̅ ⲉⲧⲃⲉ ⲡⲁⲓ ⲉϥⲛⲏⲩ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲡⲕⲟⲥⲙⲟⲥ ϣⲁϥϫⲟⲟⲥ ϫⲉ ⲟⲩⲑⲩⲥⲓⲁ ⲙⲛ ⲟⲩⲡⲣⲟⲥⲫⲟⲣⲁ ⲙⲡⲕⲟⲩⲁϣⲟⲩ ⲟⲩⲥⲱⲙⲁ ⲇⲉ ⲁⲕⲥⲃⲧⲱⲧϥ ⲛⲁⲓ
इस लिए मसीह दुनिया में आते वक़्त ख़ुदा से कहता है, कि तूने“क़ुर्बानी और नज़र को पसन्द ना किया बल्कि मेरे लिए एक बदन तैयार किया।
6 ⲋ̅ ⲟⲩϭⲗⲓⲗ ⲙⲛ ⲛⲉϣⲁⲩⲧⲁⲁⲩ ϩⲁ ⲛⲟⲃⲉ ⲙⲡⲕⲣϩⲛⲁⲕ ⲛϩⲏⲧⲟⲩ
राख होने वाली क़ुर्बानियाँ और गुनाह की क़ुर्बानियों से तू ख़ुश न हुआ।”
7 ⲍ̅ ⲧⲟⲧⲉ ⲁⲓϫⲟⲟⲥ ϫⲉ ⲉⲓⲥ ϩⲏⲏⲧⲉ ϯⲛⲏⲩ ϥⲥⲏϩ ϩⲛ ⲟⲩⲕⲉⲫⲁⲗⲓⲥ ⲛϫⲱⲱⲙⲉ ⲉⲧⲃⲏⲏⲧ ⲉⲧⲣⲁⲉⲓⲣⲉ ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲙⲡⲉⲕⲟⲩⲱϣ
फिर मैं बोल उठा, ऐ ख़ुदा, मैं हाज़िर हूँ ताकि तेरी मर्ज़ी पूरी करूँ।
8 ⲏ̅ ⲛⲧⲡⲉ ⲇⲉ ϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲟⲩⲑⲩⲥⲓⲁ ⲙⲛ ⲟⲩⲡⲣⲟⲥⲫⲟⲣⲁ ⲙⲛ ϩⲉⲛϭⲗⲓⲗ ⲙⲛ ⲛⲉϣⲁⲩⲧⲁⲁⲩ ϩⲁ ⲛⲟⲃⲉ ⲙⲡⲕⲟⲩⲁϣⲟⲩ ⲟⲩⲇⲉ ⲙⲡⲕⲣϩⲛⲁⲕ ⲛϩⲏⲧⲟⲩ ⲛⲁⲓ ⲉϣⲁⲩⲧⲁⲗⲟⲟⲩ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲕⲁⲧⲁ ⲡⲛⲟⲙⲟⲥ
पहले मसीह कहता है, “न तू क़ुर्बानियाँ, नज़रें, राख होने वाली क़ुर्बानियाँ या गुनाह की क़ुर्बानियाँ चाहता था, न उन्हें पसन्द करता था।” अगरचे शरी'अत इन्हें पेश करने का मुतालबा करती है।
9 ⲑ̅ ⲧⲟⲧⲉ ⲁϥϫⲟⲟⲥ ϫⲉ ⲉⲓⲥ ϩⲏⲏⲧⲉ ϯⲛⲏⲩ ⲉⲧⲣⲁⲉⲓⲣⲉ ⲙⲡⲉⲕⲟⲩⲱϣ ϣⲁϥϥⲓ ⲙⲡϣⲟⲣⲡ ϫⲉ ⲉϥⲉⲧⲁϩⲉ ⲡⲙⲉϩⲥⲛⲁⲩ ⲉⲣⲁⲧϥ
फिर वह फ़रमाता है, “मैं हाज़िर हूँ ताकि तेरी मर्ज़ी पूरी करूँ।” यूँ वह पहला निज़ाम ख़त्म करके उस की जगह दूसरा निज़ाम क़ाईम करता है।
10 ⲓ̅ ϩⲙ ⲡⲉⲓⲟⲩⲱϣ ⲉⲛⲧⲃⲃⲏⲩ ⲛϩⲏⲧϥ ϩⲓⲧⲛ ⲧⲉⲡⲣⲟⲥⲫⲟⲣⲁ ⲙⲡⲥⲱⲙⲁ ⲛⲓⲏⲥ ⲡⲉⲭⲥ ⲛⲟⲩⲥⲟⲡ
और उस की मर्ज़ी पूरी हो जाने से हमें ईसा मसीह के बदन के वसीले से ख़ास — ओ — मुक़द्दस किया गया है। क्यूँकि उसे एक ही बार सदा के लिए हमारे लिए क़ुर्बान किया गया।
11 ⲓ̅ⲁ̅ ⲁⲣⲭⲓⲉⲣⲉⲩⲥ ⲙⲉⲛ ⲛⲓⲙ ⲁϩⲉⲣⲁⲧϥ ⲙⲙⲏⲛⲉ ⲉϥϣⲙϣⲉ ⲉⲧⲁⲗⲟ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲛⲛⲓⲑⲩⲥⲓⲁ ⲛⲟⲩⲱⲧ ⲛϩⲁϩ ⲛⲥⲟⲡ ⲛⲁⲓ ⲉⲙⲛϭⲟⲙ ⲙⲙⲟⲟⲩ ⲉⲛⲉϩ ⲉⲕⲁ ⲛⲟⲃⲉ ⲉⲃⲟⲗ
हर इमाम रोज़ — ब — रोज़ मक़्दिस में खड़ा अपनी ख़िदमत के फ़राइज़ अदा करता है। रोज़ाना और बार बार वह वही क़ुर्बानियाँ पेश करता रहता है जो कभी भी गुनाहों को दूर नहीं कर सकतीं।
12 ⲓ̅ⲃ̅ ⲡⲁⲓ ⲇⲉ ⲁϥⲧⲁⲗⲟϥ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲛⲟⲩⲑⲩⲥⲓⲁ ⲛⲟⲩⲱⲧ ϩⲁⲛⲟⲃⲉ ⲁϥϩⲙⲟⲟⲥ ϣⲁ ⲉⲛⲉϩ ⲛⲥⲁⲟⲩⲛⲁⲙ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ
लेकिन मसीह ने गुनाहों को दूर करने के लिए एक ही क़ुर्बानी पेश की, एक ऐसी क़ुर्बानी जिस का असर सदा के लिए रहेगा। फिर वह ख़ुदा के दहने हाथ बैठ गया।
13 ⲓ̅ⲅ̅ ⲉϥϭⲱϣⲧ ⲉⲃⲟⲗ ϣⲁⲛⲧⲟⲩⲕⲱ ⲛⲛⲉϥϫⲁϫⲉ ϩⲁ ⲡⲉⲥⲏⲧ ⲛⲛⲉϥⲟⲩⲉⲣⲏⲧⲉ
वहीं वह अब इन्तिज़ार करता है जब तक ख़ुदा उस के दुश्मनों को उस के पाँओ की चौकी न बना दे।
14 ⲓ̅ⲇ̅ ϩⲛ ⲟⲩⲡⲣⲟⲥⲫⲟⲣⲁ ⲅⲁⲣ ⲛⲟⲩⲱⲧ ⲁϥϫⲱⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲛⲉⲧⲛⲁⲧⲃⲃⲟ ϣⲁ ⲉⲛⲉϩ
यूँ उस ने एक ही क़ुर्बानी से उन्हें सदा के लिए कामिल बना दिया है जिन्हें पाक किया जा रहा है।
15 ⲓ̅ⲉ̅ ϥⲣⲙⲛⲧⲣⲉ ⲇⲉ ⲛⲁⲛ ⲛϭⲓ ⲡⲉⲡⲛⲁ ⲉⲧⲟⲩⲁⲁⲃ ⲙⲛⲛⲥⲁ ⲧⲣⲉϥϫⲟⲟⲥ ⲅⲁⲣ
रूह — उल — क़ुद्दूस भी हमें इस के बारे में गवाही देता है। पहले वह कहता है,
16 ⲓ̅ⲋ̅ ϫⲉ ⲧⲁⲓ ⲧⲉ ⲧⲇⲓⲁⲑⲏⲕⲏ ⲉϯⲛⲁⲥⲙⲛⲧⲥ ⲛⲙⲙⲁⲩ ⲙⲛⲛⲥⲁ ⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲉⲧⲙⲙⲁⲩ ⲡⲉϫⲉ ⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲉⲓⲉϯⲛⲁⲛⲟⲙⲟⲥ ⲉϫⲛ ⲛⲉⲩϩⲏⲧ ⲧⲁⲥϩⲁⲓⲥⲟⲩ ⲉϫⲛ ⲛⲉⲩⲙⲉⲉⲩⲉ
“ख़ुदा फ़रमाता है कि, जो 'अहद मैं उन दिनों के बाद उनसे बाँधूंगा वो ये है कि मैं अपने क़ानून उन के दिलों पर लिखूँगा और उनके ज़हन में डालूँगा।”
17 ⲓ̅ⲍ̅ ⲙⲛⲛⲥⲱⲥ ϣⲁϥϫⲟⲟⲥ ϫⲉ ⲛⲉⲩⲛⲟⲃⲉ ⲙⲛ ⲛⲉⲩⲁⲛⲟⲙⲓⲁ ⲛⲛⲁⲣⲡⲉⲩⲙⲉⲉⲩⲉ ϭⲉ
फिर वह कहता है, “उस वक़्त से मैं उन के गुनाहों और बुराइयों को याद नहीं करूँगा।”
18 ⲓ̅ⲏ̅ ϩⲟⲡⲟⲩ ⲇⲉ ⲕⲱ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲛⲁⲓ ⲉⲓⲉ ⲙⲛⲧⲁⲗⲟ ϭⲉ ⲉϩⲣⲁⲓ ϩⲁ ⲛⲟⲃⲉ
और जहाँ इन गुनाहों की मुआफ़ी हुई है वहाँ गुनाहों को दूर करने की क़ुर्बानियों की ज़रूरत ही नहीं रही।
19 ⲓ̅ⲑ̅ ⲉⲩⲛⲧⲁⲛ ϭⲉ ⲙⲙⲁⲩ ⲛⲁⲥⲛⲏⲩ ⲛⲟⲩⲡⲁⲣϩⲏⲥⲓⲁ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲙⲡⲉⲧⲟⲩⲁⲁⲃ ϩⲙ ⲡⲉⲥⲛⲟϥ ⲛⲓⲏⲥ
चुनाँचे भाइयों, अब हम ईसा के ख़ून के वसीले से पूरे यक़ीन के साथ पाकतरीन कमरे में दाख़िल हो सकते हैं।
20 ⲕ̅ ⲧⲉϩⲓⲏ ⲉⲛⲧⲁϥⲕⲉϩⲕⲱϩⲥ ⲛⲁⲛ ⲛⲃⲣⲣⲉ ⲉⲧⲟⲛϩ ϩⲓⲧⲙ ⲡⲕⲁⲧⲁⲡⲉⲧⲁⲥⲙⲁ ⲉⲧⲉ ⲡⲁⲓ ⲡⲉ ⲧⲉϥⲥⲁⲣⲝ
अपने बदन की क़ुर्बानी से ईसा ने उस कमरे के पर्दे में से गुज़रने का एक नया और ज़िन्दगीबख़्श रास्ता खोल दिया।
21 ⲕ̅ⲁ̅ ⲁⲩⲱ ⲟⲩⲛⲟϭ ⲛⲟⲩⲏⲏⲃ ⲉϫⲙ ⲡⲏⲉⲓ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ
हमारा एक अज़ीम इमाम — ए — आज़म है जो ख़ुदा के घर पर मुक़र्रर है।
22 ⲕ̅ⲃ̅ ⲙⲁⲣⲛϯⲡⲉⲛⲟⲩⲟⲓ ϩⲛ ⲟⲩϩⲏⲧ ⲙⲙⲉ ϩⲛ ⲟⲩⲧⲱⲧ ⲛϩⲏⲧ ⲙⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲉⲣⲉⲛⲉⲛϩⲏⲧ ϭⲉϣϭⲱϣ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ ⲟⲩⲥⲩⲛⲓⲇⲏⲥⲓⲥ ⲙⲡⲟⲛⲏⲣⲟⲛ ⲉⲣⲉⲡⲉⲛⲥⲱⲙⲁ ϫⲟⲕⲙ ϩⲛ ⲟⲩⲙⲟⲟⲩ ⲉϥⲟⲩⲁⲁⲃ
इस लिए आएँ, हम ख़ुलूसदिली और ईमान के पूरे यक़ीन के साथ ख़ुदा के हुज़ूर आएँ। क्यूँकि हमारे दिलों पर मसीह का ख़ून छिड़का गया है ताकि हमारे मुजरिम दिल साफ़ हो जाएँ। और, हमारे बदनों को पाक — साफ़ पानी से धोया गया है।
23 ⲕ̅ⲅ̅ ⲛⲧⲛⲁⲙⲁϩⲧⲉ ⲛⲑⲟⲙⲟⲗⲟⲅⲓⲁ ⲛⲑⲉⲗⲡⲓⲥ ⲁϫⲛⲣⲓⲕⲉ ⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲟⲥ ⲅⲁⲣ ⲡⲉ ⲡⲉⲛⲧⲁϥⲉⲣⲏⲧ
आएँ, हम मज़बूती से उस उम्मीद को थामे रखें जिस का इक़रार हम करते हैं। हम लड़खड़ा न जाएँ, क्यूँकि जिस ने इस उम्मीद का वादा किया है वह वफ़ादार है।
24 ⲕ̅ⲇ̅ ⲛⲧⲛϭⲱϣⲧ ⲛⲥⲁ ⲛⲉⲛⲉⲣⲏⲩ ⲉⲩⲡⲁⲣⲟⲝⲩⲥⲙⲟⲥ ⲛⲁⲅⲁⲡⲏ ⲙⲛ ϩⲉⲛϩⲃⲏⲩⲉ ⲉⲛⲁⲛⲟⲩⲟⲩ
और आएँ, हम इस पर ध्यान दें कि हम एक दूसरे को किस तरह मुहब्बत दिखाने और नेक काम करने पर उभार सकें।
25 ⲕ̅ⲉ̅ ⲉⲙⲡⲛⲕⲱ ⲛⲥⲱⲛ ⲛⲧⲉⲛⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲏ ⲛⲑⲉ ⲉⲡⲥⲱⲛⲧ ⲛϩⲟⲓⲛⲉ ⲡⲉ ⲁⲗⲗⲁ ⲉⲧⲉⲧⲛⲡⲁⲣⲁⲕⲁⲗⲉⲓ ⲁⲩⲱ ⲛⲧⲉⲉⲓϩⲉ ⲛϩⲟⲩⲟ ⲛⲑⲉ ⲉⲧⲉⲧⲛⲛⲁⲩ ⲉⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲉϥϩⲱⲛ ⲉϩⲟⲩⲛ
हम एकसाथ जमा होने से बाज़ न आएँ, जिस तरह कुछ की आदत बन गई है। इस के बजाए हम एक दूसरे की हौसला अफ़्ज़ाई करें, ख़ासकर यह बात मद्द — ए — नज़र रख कर कि ख़ुदावन्द के दिन के आने तक।
26 ⲕ̅ⲋ̅ ⲉⲛⲣⲛⲟⲃⲉ ⲅⲁⲣ ⲛⲧⲉⲛϭⲟⲙ ⲙⲛⲛⲥⲁ ⲧⲣⲉⲛϫⲓ ⲙⲡⲥⲟⲟⲩⲛ ⲛⲧⲙⲉ ⲙⲛ ⲑⲩⲥⲓⲁ ϭⲉ ⲛⲁϣⲱϫⲡ ϩⲁ ⲛⲟⲃⲉ
ख़बरदार! अगर हम सच्चाई जान लेने के बाद भी जान — बूझ कर गुनाह करते रहें तो मसीह की क़ुर्बानी इन गुनाहों को दूर नहीं कर सकेगी।
27 ⲕ̅ⲍ̅ ⲟⲩϩⲟⲧⲉ ⲇⲉ ⲡⲉ ⲉϭⲱϣⲧ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲏⲧⲥ ⲛⲧⲉⲕⲣⲓⲥⲓⲥ ⲙⲛ ⲡⲕⲱϩⲧ ⲛⲧⲥⲁⲧⲉ ⲉⲧⲛⲁⲟⲩⲱⲙ ⲛⲛϫⲁϫⲉ
फिर सिर्फ़ ख़ुदा की अदालत की हौलनाक उम्मीद बाक़ी रहेगी, उस भड़कती हुई आग की जो ख़ुदा के मुख़ालिफ़ों को ख़त्म कर डालेगी।
28 ⲕ̅ⲏ̅ ⲉⲣϣⲁⲛ ⲟⲩⲁ ⲁⲑⲉⲧⲉⲓ ⲙⲡⲛⲟⲙⲟⲥ ⲙⲙⲱⲩⲥⲏⲥ ⲛⲟⲩⲉϣ ⲙⲙⲛⲧϣⲛϩⲧⲏϥ ϩⲓⲙⲛⲧⲣⲉ ⲥⲛⲁⲩ ⲏ ϣⲟⲙⲛⲧ ϣⲁϥⲙⲟⲩ
जो मूसा की शरी'अत रद्द करता है उस पर रहम नहीं किया जा सकता बल्कि अगर दो या इस से ज़्यादा लोग इस जुर्म की गवाही दें तो उसे सज़ा — ए — मौत दी जाए।
29 ⲕ̅ⲑ̅ ⲉⲓⲉ ⲧⲉⲧⲛϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ϥⲛⲁⲙⲡϣⲁ ⲛⲛⲁⲟⲩⲏⲣ ⲛⲧⲓⲙⲱⲣⲓⲁ ⲛϭⲓ ⲡⲉⲧⲛⲁⲥⲉϣϥ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲁϥⲉⲡ ⲡⲥⲛⲟϥ ⲛⲧⲇⲓⲁⲑⲏⲕⲏ ϫⲉ ϥϫⲁϩⲙ ⲡⲁⲓ ⲉⲛⲧⲁⲩⲧⲃⲃⲟϥ ⲛϩⲏⲧϥ ⲉⲁϥⲥⲱϣ ⲙⲡⲉⲡⲛⲁ ⲛⲧⲉⲭⲁⲣⲓⲥ
तो फिर क्या ख़याल है, वह कितनी सख़्त सज़ा के लायक़ होगा जिस ने ख़ुदा के फ़र्ज़न्द को पाँओ तले रौंदा? जिस ने अह्द का वह ख़ून हक़ीर जाना जिस से उसे ख़ास — ओ — मुक़द्दस किया गया था? और जिस ने फ़ज़ल के रूह की बेइज़्ज़ती की?
30 ⲗ̅ ⲧⲛⲥⲟⲟⲩⲛ ⲅⲁⲣ ⲙⲡⲉⲛⲧⲁϥϫⲟⲟⲥ ϫⲉ ⲛⲟⲩϫⲉ ⲉⲣⲟⲓ ⲙⲡⲉⲕⲃⲁ ⲁⲩⲱ ⲁⲛⲟⲕ ϯⲛⲁⲧⲱⲱⲃⲉ ⲁⲩⲱ ⲟⲛ ϫⲉ ⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲛⲁⲕⲣⲓⲛⲉ ⲙⲡⲉϥⲗⲁⲟⲥ
क्यूँकि हम उसे जानते हैं जिस ने फ़रमाया, “इन्तिक़ाम लेना मेरा ही काम है, मैं ही बदला लूँगा।” उस ने यह भी कहा, “ख़ुदा अपनी क़ौम का इन्साफ़ करेगा।”
31 ⲗ̅ⲁ̅ ⲟⲩϩⲟⲧⲉ ⲇⲉ ⲡⲉ ϩⲉ ⲉϩⲣⲁⲓ ⲉⲛϭⲓϫ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲧⲟⲛϩ
यह एक हौलनाक बात है अगर ज़िन्दा ख़ुदा हमें सज़ा देने के लिए पकड़े।
32 ⲗ̅ⲃ̅ ⲁⲣⲓⲡⲙⲉⲉⲩⲉ ⲇⲉ ⲛⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲛϣⲟⲣⲡ ⲉⲛⲧⲁⲧⲉⲧⲛϫⲓ ⲟⲩⲟⲉⲓⲛ ⲛϩⲏⲧⲟⲩ ⲉⲁⲧⲉⲧⲛϩⲩⲡⲟⲙⲓⲛⲉ ϩⲛ ⲟⲩⲛⲟϭ ⲛⲁⲑⲗⲏⲥⲓⲥ ⲙⲙⲛⲧⲣⲉϥϣⲡϩⲓⲥⲉ
ईमान के पहले दिन याद करें जब ख़ुदा ने आप को रौशन कर दिया था। उस वक़्त के सख़्त मुक़ाबिले में आप को कई तरह का दुःख सहना पड़ा, लेकिन आप साबितक़दम रहे।
33 ⲗ̅ⲅ̅ ⲡⲁⲓ ⲙⲉⲛ ⲛⲉⲩⲥⲱⲃⲉ ⲛⲥⲱⲧⲛ ϩⲛ ϩⲉⲛⲛⲟϭⲛⲉϭ ⲙⲛ ϩⲉⲛⲑⲗⲓⲯⲓⲥ ⲡⲉⲓⲕⲉ ⲇⲉ ⲟⲛ ⲉⲁⲧⲉⲧⲛⲣⲕⲟⲓⲛⲱⲛⲟⲥ ⲛⲛⲉⲧϣⲟⲟⲡ ϩⲓ ⲛⲁⲓ
कभी कभी आप की बेइज़्ज़ती और अवाम के सामने ही ईज़ा रसानी होती थी, कभी कभी आप उन के साथी थे जिन से ऐसा सुलूक हो रहा था।
34 ⲗ̅ⲇ̅ ⲕⲁⲓⲅⲁⲣ ⲁⲧⲉⲧⲛϣⲡϩⲓⲥⲉ ⲙⲛ ⲛⲉⲧⲙⲏⲣ ⲁⲩⲱ ⲡⲧⲱⲣⲡ ⲛⲛⲉⲧⲛϩⲩⲡⲁⲣⲭⲟⲛⲧⲁ ⲁⲧⲉⲧⲛϣⲟⲡϥ ⲉⲣⲱⲧⲛ ϩⲛ ⲟⲩⲣⲁϣⲉ ⲉⲧⲉⲧⲛⲉⲓⲙⲉ ϫⲉ ⲟⲩⲛⲧⲏⲧⲛ ⲙⲙⲁⲩ ⲛⲟⲩⲙⲛⲧⲣⲙⲙⲁⲟ ⲉⲥⲥⲟⲧⲡ ⲉⲥⲙⲏⲛ ⲉⲃⲟⲗ
जिन्हें जेल में डाला गया आप उन के दुःख में शरीक हुए और जब आप का माल — ओ — ज़ेवर लूटा गया तो आप ने यह बात ख़ुशी से बर्दाश्त की। क्यूँकि आप जानते थे कि वह माल हम से नहीं छीन लिया गया जो पहले की तरह कहीं बेहतर है और हर सूरत में क़ाईम रहेगा।
35 ⲗ̅ⲉ̅ ⲙⲡⲣⲛⲟⲩϫⲉ ϭⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲛⲧⲉⲧⲛⲡⲁⲣϩⲏⲥⲓⲁ ⲧⲁⲓ ⲉⲧⲉⲟⲩⲛⲧⲥ ⲟⲩⲛⲟϭ ⲛⲧⲟⲩⲉⲓⲟ ⲛⲃⲉⲕⲉ
चुनाँचे अपने इस भरोसे को हाथ से जाने न दें क्यूँकि इस का बड़ा अज्र मिलेगा।
36 ⲗ̅ⲋ̅ ⲉⲧⲉⲧⲛⲣⲭⲣⲓⲁ ⲅⲁⲣ ⲛⲟⲩϩⲩⲡⲟⲙⲟⲛⲏ ϫⲉⲕⲁⲥ ⲉⲁⲧⲉⲧⲛⲣⲡⲟⲩⲱϣ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲛⲧⲉⲧⲛϫⲓ ⲙⲡⲉⲣⲏⲧ
लेकिन इस के लिए आप को साबित क़दमी की ज़रूरत है ताकि आप ख़ुदा की मर्ज़ी पूरी कर सकें और यूँ आप को वह कुछ मिल जाए जिस का वादा उस ने किया है।
37 ⲗ̅ⲍ̅ ⲉⲧⲉⲓ ⲅⲁⲣ ⲕⲉⲕⲟⲩⲓ ⲡⲉ ϩⲟⲥⲟⲛ ϩⲟⲥⲟⲛ ⲡⲉⲧⲛⲏⲩ ⲛⲏⲩ ⲛϥⲛⲁⲱⲥⲕ ⲁⲛ
और कलाम में लिखा है “अब बहुत ही थोड़ा वक़्त बाक़ी है कि आने वाला आएगा और देर न करेगा।
38 ⲗ̅ⲏ̅ ⲡⲁⲇⲓⲕⲁⲓⲟⲥ ⲇⲉ ⲉϥⲛⲁⲱⲛϩ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ ⲧⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲉϣⲱⲡⲉ ⲉϥϣⲁⲛϩⲱⲡ ⲛϩⲛⲉ ⲧⲁⲯⲩⲭⲏ ⲁⲛ ⲛϩⲏⲧϥ
लेकिन मेरा रास्तबाज़ ईमान ही से जीता रहेगा, और अगर वो हटेगा तो मेरा दिल उससे ख़ुश न होगा।”
39 ⲗ̅ⲑ̅ ⲁⲛⲟⲛ ⲇⲉ ⲛⲉⲛⲏⲡ ⲁⲛ ⲉⲡϩⲱⲡ ⲉⲡⲧⲁⲕⲟ ⲁⲗⲗⲁ ⲉⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲉⲩⲟⲩϫⲁⲓ ⲛⲧⲉⲛⲯⲩⲭⲏ
लेकिन हम उन में से नहीं हैं जो पीछे हट कर तबाह हो जाएँगे बल्कि हम उन में से हैं जो ईमान रख कर नजात पाते हैं।

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