< 詩篇 121 >
1 上行之詩。 我要向山舉目; 我的幫助從何而來?
१यात्रा का गीत मैं अपनी आँखें पर्वतों की ओर उठाऊँगा। मुझे सहायता कहाँ से मिलेगी?
२मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।
३वह तेरे पाँव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊँघेगा।
४सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊँघेगा और न सोएगा।
५यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है।
६न तो दिन को धूप से, और न रात को चाँदनी से तेरी कुछ हानि होगी।
7 耶和華要保護你,免受一切的災害; 他要保護你的性命。
७यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा।
८यहोवा तेरे आने-जाने में तेरी रक्षा अब से लेकर सदा तक करता रहेगा।