< 诗篇 120 >
1 上行(或作登阶,下同)之诗。 我在急难中求告耶和华, 他就应允我。
मैंने मुसीबत में ख़ुदावन्द से फ़रियाद की, और उसने मुझे जवाब दिया।
2 耶和华啊,求你救我脱离说谎的嘴唇和诡诈的舌头!
झूटे होंटों और दग़ाबाज़ ज़बान से, ऐ ख़ुदावन्द, मेरी जान को छुड़ा।
3 诡诈的舌头啊,要给你什么呢? 要拿什么加给你呢?
ऐ दग़ाबाज़ ज़बान, तुझे क्या दिया जाए? और तुझ से और क्या किया जाए?
ज़बरदस्त के तेज़ तीर, झाऊ के अंगारों के साथ।
मुझ पर अफ़सोस कि मैं मसक में बसता, और क़ीदार के ख़ैमों में रहता हूँ।
सुलह के दुश्मन के साथ रहते हुए, मुझे बड़ी मुद्दत हो गई।
मैं तो सुलह दोस्त हूँ। लेकिन जब बोलता हूँ तो वह जंग पर आमादा हो जाते हैं।