< 传道书 1 >
दावीद के पुत्र, येरूशलेम में राजा, दार्शनिक के वचन:
2 传道者说:虚空的虚空, 虚空的虚空,凡事都是虚空。
“बेकार ही बेकार!” दार्शनिक का कहना है. “बेकार ही बेकार! बेकार है सब कुछ.”
3 人一切的劳碌, 就是他在日光之下的劳碌,有什么益处呢?
सूरज के नीचे मनुष्य द्वारा किए गए कामों से उसे क्या मिलता है?
एक पीढ़ी खत्म होती है और दूसरी आती है, मगर पृथ्वी हमेशा बनी रहती है.
सूरज उगता है, सूरज डूबता है, और बिना देर किए अपने निकलने की जगह पर पहुंच दोबारा उगता है.
6 风往南刮,又向北转, 不住地旋转,而且返回转行原道。
दक्षिण की ओर बहती हुई हवा उत्तर दिशा में मुड़कर निरंतर घूमते हुए अपने घेरे में लौट आती है.
7 江河都往海里流,海却不满; 江河从何处流,仍归还何处。
हालांकि सारी नदियां सागर में मिल जाती हैं, मगर इससे सागर भर नहीं जाता. नदियां दोबारा उसी जगह पर बहने लगती हैं, जहां वे बह रही थीं.
8 万事令人厌烦, 人不能说尽。 眼看,看不饱; 耳听,听不足。
इतना थकाने वाला है सभी कुछ, कि मनुष्य के लिए इसका वर्णन संभव नहीं. आंखें देखने से तृप्त नहीं होतीं, और न कान सुनने से संतुष्ट.
9 已有的事后必再有; 已行的事后必再行。 日光之下并无新事。
जो हो चुका है, वही है जो दोबारा होगा, और जो किया जा चुका है, वही है जो दोबारा किया जाएगा; इसलिये धरती पर नया कुछ भी नहीं.
10 岂有一件事人能指着说这是新的? 哪知,在我们以前的世代早已有了。
क्या कुछ ऐसा है जिसके बारे में कोई यह कह सके, “इसे देखो! यह है नया?” यह तो हमसे पहले के युगों से होता आ रहा है.
11 已过的世代,无人记念; 将来的世代,后来的人也不记念。
कुछ याद नहीं कि पहले क्या हुआ, और न यह कि जो होनेवाला है. और न ही उनके लिए कोई याद बची रह जाएगी जो उनके भी बाद आनेवाले हैं.
मैं, दार्शनिक, येरूशलेम में इस्राएल का राजा रहा हूं.
13 我专心用智慧寻求、查究天下所做的一切事,乃知 神叫世人所经练的是极重的劳苦。
धरती पर जो सारे काम किए जाते हैं, मैंने बुद्धि द्वारा उन सभी कामों के जांचने और अध्ययन करने में अपना मन लगाया. यह बड़े दुःख का काम है, जिसे परमेश्वर ने मनुष्य के लिए इसलिये ठहराया है कि वह इसमें उलझा रहे!
14 我见日光之下所做的一切事,都是虚空,都是捕风。
मैंने इन सभी कामों को जो इस धरती पर किए जाते हैं, देखा है, और मैंने यही पाया कि यह बेकार और हवा से झगड़ना है.
जो टेढ़ा है, उसे सीधा नहीं किया जा सकता; और जो है ही नहीं, उसकी गिनती कैसे हो सकती है.
16 我心里议论说:我得了大智慧,胜过我以前在耶路撒冷的众人,而且我心中多经历智慧和知识的事。
“मैं सोच रहा था, येरूशलेम में मुझसे पहले जितने भी राजा हुए हैं, मैंने उन सबसे ज्यादा बुद्धि पाई है तथा उन्नति की है; मैंने बुद्धि और ज्ञान के धन का अनुभव किया है.”
17 我又专心察明智慧、狂妄,和愚昧,乃知这也是捕风。
मैंने अपना हृदय बुद्धि को और बावलेपन और मूर्खता को जानने में लगाया, किंतु मुझे अहसास हुआ कि यह भी हवा से झगड़ना ही है.
18 因为多有智慧,就多有愁烦; 加增知识的,就加增忧伤。
क्योंकि ज्यादा बुद्धि में बहुत दुःख होता है; ज्ञान बढ़ाने से दर्द भी बढ़ता है.