< 詩篇 26 >

1 上主求你替我主持正義,因我行動無辜,我曾毫不猶豫地全心依賴了上主。
ऐ ख़ुदावन्द, मेरा इन्साफ़ कर, क्यूँकि मैं रास्ती से चलता रहा हूँ, और मैंने ख़ुदावन्द पर बे लग़ज़िश भरोसा किया है।
2 上主,你儘管對我試驗,對我查考,你儘管對我的五內和心臟探討;
ऐ ख़ुदावन्द, मुझे जाँच और आज़मा; मेरे दिल — ओ — दिमाग़ को परख।
3 原來你的受常擺在我眼前,我常遵照你的真理行走盤桓。
क्यूँकि तेरी शफ़क़त मेरी आँखों के सामने है, और मैं तेरी सच्चाई की राह पर चलता रहा हूँ।
4 我決不與虛偽的人同坐,也決不與欺詐的人合作;
मैं बेहूदा लोगों के साथ नहीं बैठा, मैं रियाकारों के साथ कहीं नहीं जाऊँगा।
5 我常痛恨敗類的集會,我也決不與惡人同席。
बदकिरदारों की जमा'अत से मुझे नफ़रत है, मैं शरीरों के साथ नहीं बैठूँगा।
6 上主我要洗手表明無罪,我要走在你的祭壇周圍,
मैं बेगुनाही में अपने हाथ धोऊँगा, और ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरे मज़बह का तवाफ़ करूँगा;
7 為能高聲向你稱揚讚頌,傳述你的一切奇妙化工。
ताकि शुक्रगुज़ारी की आवाज़ बुलन्द करूँ, और तेरे सब 'अजीब कामों को बयान करूँ।
8 上主,我喜愛你所住的殿堂,就是你那榮耀寄居的地方。
ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरी सकूनतगाह, और तेरे जलाल के ख़ेमे को 'अज़ीज़ रखता हूँ।
9 求你不要把我的靈魂和罪人們一起收去;求你不要把我的生命與流血者一起剷除。
मेरी जान को गुनहगारों के साथ, और मेरी ज़िन्दगी को ख़ूनी आदमियों के साथ न मिला।
10 因為他們的手中盡是罪污,他們的右手滿是賄賂;
जिनके हाथों में शरारत है, और जिनका दहना हाथ रिश्वतों से भरा है।
11 我卻一向行動無辜,求你救我,求你憐恤。
लेकिन मैं तो रास्ती से चलता रहूँगा। मुझे छुड़ा ले और मुझ पर रहम कर।
12 我的腳站立於平坦大路,在集會中我要讚頌上主。
मेरा पाँव हमवार जगह पर क़ाईम है। मैं जमा'अतों में ख़ुदावन्द को मुबारक कहूँगा।

< 詩篇 26 >