< 詩篇 25 >

1 【靠上主的祈禱】上主,我向你把我的心舉起,
ऐ ख़ुदावन्द! मैं अपनी जान तेरी तरफ़ उठाता हूँ।
2 我的天主,我全心要倚靠你。求你不要使我蒙受羞恥,不要容許我的仇人歡喜。
ऐ मेरे ख़ुदा, मैंने तुझ पर भरोसा किया है, मुझे शर्मिन्दा न होने दे: मेरे दुश्मन मुझ पर ख़ुशी न मनाएँ।
3 凡期望你的人絕不會蒙羞,唯冒昧失信人才會受辱。
बल्कि जो तेरे मुन्तज़िर हैं उनमें से कोई शर्मिन्दा न होगा; लेकिन जो नाहक़ बेवफ़ाई करते हैं वही शर्मिन्दा होंगे।
4 上主,求你使我認識你的法度,並求你教訓我履行你的道路。
ऐ ख़ुदावन्द, अपनी राहें मुझे दिखा; अपने रास्ते मुझे बता दे।
5 還求你教訓我;引我進入真理之路,我終日仰望你,因你是救我的天主。
मुझे अपनी सच्चाई पर चला और ता'लीम दे, क्यूँकि तू मेरा नजात देने वाला ख़ुदा है; मैं दिन भर तेरा ही मुन्तज़िर रहता हूँ।
6 上主,求你憶及的仁慈和恩愛,因為它們由亙古以來就常存在。
ऐ ख़ुदावन्द, अपनी रहमतों और शफ़क़तों को याद फ़रमा; क्यूँकि वह शुरू' से हैं।
7 我青春的罪愆和過犯,求你要追念;上主,求你紀念我,照你的仁慈和良善。
मेरी जवानी की ख़ताओं और मेरे गुनाहों को याद न कर; ऐ ख़ुदावन्द, अपनी नेकी की ख़ातिर अपनी शफ़क़त के मुताबिक मुझे याद फ़रमा।
8 因為上主仁慈又正直,常領迷途者歸回正路,
ख़ुदावन्द नेक और रास्त है; इसलिए वह गुनहगारों को राह — ए — हक़ की ता'लीम देगा।
9 引導謙卑者遵守正義,教善良者走入正途。
वह हलीमों को इन्साफ़ की हिदायत करेगा, हाँ, वह हलीमों को अपनी राह बताएगा।
10 對待持守上主的盟約和誡命的人,上主的一切行徑常是慈愛和忠誠。
जो ख़ुदावन्द के 'अहद और उसकी शहादतों को मानते हैं, उनके लिए उसकी सब राहें शफ़क़त और सच्चाई हैं।
11 上主,為了你聖名的緣故,求你赦免我重大的愆尤。
ऐ ख़ुदावन्द, अपने नाम की ख़ातिर मेरी बदकारी मु'आफ़ कर दे क्यूँकि वह बड़ी है।
12 不論是誰,只要他敬愛上主,上主必指示他應選的道路,
वह कौन है जो ख़ुदावन्द से डरता है? ख़ुदावन्द उसको उसी राह की ता'लीम देगा जो उसे पसंद है।
13 他的心靈必要安享幸福,他的後裔必能承繼領土。
उसकी जान राहत में रहेगी, और उसकी नसल ज़मीन की वारिस होगी।
14 上主親近敬愛自己的人民,也使他們認識自己的誓盟。
ख़ुदावन्द के राज़ को वही जानते हैं जो उससे डरते हैं, और वह अपना 'अहद उनको बताएगा।
15 我的眼睛不斷地向上主瞻仰,因為祂使我的雙腳脫離羅網。
मेरी आँखें हमेशा ख़ुदावन्द की तरफ़ लगी रहती हैं, क्यूँकि वही मेरा पाँव दाम से छुड़ाएगा।
16 求你回顧,求你憐憫,因為我是孤苦伶仃。
मेरी तरफ़ मुतवज्जिह हो और मुझ पर रहम कर, क्यूँकि मैं बेकस और मुसीबत ज़दा हूँ।
17 求你減輕我心的苦難,救我脫離我的憂患;
मेरे दिल के दुख बढ़ गए, तू मुझे मेरी तकलीफ़ों से रिहाई दे।
18 垂視我的勞苦和可憐,赦免我犯的一切罪愆。
तू मेरी मुसीबत और जॉफ़िशानी को देख, और मेरे सब गुनाह मु'आफ़ फ़रमा।
19 請看我的仇敵如何眾多,他們都兇狠地痛恨著我。
मेरे दुश्मनों को देख क्यूँकि वह बहुत हैं और उनको मुझ से सख़्त 'अदावत है।
20 求你保謢我的生命,向我施救,別叫我因投奔你而蒙受羞辱。
मेरी जान की हिफ़ाज़त कर, और मुझे छुड़ा; मुझे शर्मिन्दा न होने दे, क्यूँकि मेरा भरोसा तुझ ही पर है।
21 願清白和正直護衛我!上主,因我唯有仰望你。
दियानतदारी और रास्तबाज़ी मुझे सलामत रख्खें, क्यूँकि मुझे तेरी ही आस है।
22 天主,求你拯救以色列,使他脫離一切的禍災
ऐ ख़ुदा, इस्राईल को उसके सब दुखों से छुड़ा ले।

< 詩篇 25 >