< 詩篇 17 >
1 【無辜者的懇禱】上主,請靜聽我的伸訴,俯聽我的呼號,請傾聽我出自絕虛偽唇舌的祈禱。
ऐ ख़ुदावन्द, हक़ को सुन, मेरी फ़रियाद पर तवज्जुह कर। मेरी दुआ पर, जो दिखावे के होंटों से निकलती है कान लगा।
2 願我的案件在你面前判決,願你的眼睛細察何為清白!
मेरा फ़ैसला तेरे सामने से ज़ाहिर हो! तेरी आँखें रास्ती को देखें!
3 任你考驗我的心靈,夜間來視察我,以火鍛鍊我,你總找不到我的邪惡。因我的口總未像人一樣犯了罪過。
तूने मेरे दिल को आज़मा लिया है, तूने रात को मेरी निगरानी की; तूने मुझे परखा और कुछ खोट न पाया, मैंने ठान लिया है कि मेरा मुँह ख़ता न करे।
इंसानी कामों में तेरे लबों के कलाम की मदद से मैं ज़ालिमों की राहों से बाज़ रहा हूँ।
5 我的雙腳緊隨了你的腳印,我的腳步決不致蹣跚不定。
मेरे कदम तेरे रास्तों पर क़ाईम रहे हैं, मेरे पाँव फिसले नहीं।
6 天主,我向你呼號,請你回答我,求你側耳聽我,俯聽我的祈禱。
ऐ ख़ुदा, मैंने तुझ से दुआ की है क्यूँकि तू मुझे जवाब देगा। मेरी तरफ़ कान झुका और मेरी 'अर्ज़ सुन ले।
7 請你彰現你奇妙的慈愛,將投奔到你身右邊的人,從敵人的危害中救出來。
तू जो अपने दहने हाथ से अपने भरोसा करने वालों को उनके मुखालिफ़ों से बचाता है, अपनी'अजीब शफ़क़त दिखा।
8 求你護衛我有如眼中的瞳仁,在你雙翼的庇護下叫我藏身,
मुझे आँख की पुतली की तरह महफूज़ रख; मुझे अपने परों के साये में छिपा ले,
उन शरीरों से जो मुझ पर ज़ुल्म करते हैं, मेरे जानी दुश्मनों से जो मुझे घेरे हुए हैं।
10 他們關閉了鐵石的心腸,口中語言盡是誇大狂妄,
उन्होंने अपने दिलों को सख़्त किया है; वह अपने मुँह से बड़ा बोल बोलते हैं।
11 他們的腳步現已把我緊逼,瞪著眼務要將我推倒在地。
उन्होंने कदम कदम पर हम को घेरा है; वह ताक लगाए हैं कि हम को ज़मीन पर पटक दें।
12 他們好似急於掠食的猛獅,他們又如伏在暗處的壯獅。
वह उस बबर की तरह है जो फाड़ने पर लालची हो, वह जैसे जवान बबर है जो पोशीदा जगहों में दुबका हुआ है।
13 上主,起來迎擊制服我的仇讎,上主揮動利劍救我脫離惡徒。
उठ, ऐ ख़ुदावन्द! उसका सामना कर, उसे पटक दे! अपनी तलवार से मेरी जान को शरीर से बचा ले।
14 上主,求你親手將他們治死,殺死他們,使他們離開此世,滅絕他們,使他們不再呼吸。求你使義人享用你的財富,使他們的子女也心滿意足,再把剩餘的給自己的子女。
अपने हाथ से ऐ ख़ुदावन्द! मुझे लोगों से बचा। या'नी दुनिया के लोगों से, जिनका बख़रा इसी ज़िन्दगी में है, और जिनका पेट तू अपने ज़ख़ीरे से भरता है। उनकी औलाद भी हस्ब — ए — मुराद है; वह अपना बाक़ी माल अपने बच्चों के लिए छोड़ जाते हैं
15 我因我的正義能享見你的聖顏,我醒來得能盡情欣賞你的慈面
लेकिन मैं तो सदाक़त में तेरा दीदार हासिल करूँगा; मैं जब जागूँगा तो तेरी शबाहत से सेर हूँगा।