< 詩篇 142 >
मैं अपनी ही आवाज़ बुलंद करके ख़ुदावन्द से फ़रियाद करता हूँ मै अपनी ही आवाज़ से ख़ुदावन्द से मिन्नत करता हूँ।
मैं उसके सामने फ़रियाद करता हूँ, मैं अपना दुख उसके सामने बयान करता हूँ।
3 當我精神愁苦的時候,惟有您知悉我的路途。在我行走的道路途中;他們給我設下陷阱。
जब मुझ में मेरी जान निढाल थी, तू मेरी राह से वाक़िफ़ था! जिस राह पर मैं चलता हूँ उसमे उन्होंने मेरे लिए फंदा लगाया है।
4 我向右觀察細看,沒有一個熟悉我的人!沒有一人我可投奔,沒有一人為我操心。
दहनी तरफ़ निगाह कर और देख, मुझे कोई नहीं पहचानता। मेरे लिए कहीं पनाह न रही, किसी को मेरी जान की फ़िक्र नहीं।
5 上主,我今呼號說:你是我的避難所,在這活人的地方,你就是我的福爵。
ऐ ख़ुदावन्द, मैंने तुझ से फ़रियाद की; मैंने कहा, तू मेरी पनाह है, और ज़िन्दों की ज़मीन में मेरा बख़रा।
6 求您傾聽我的哀號,因我十分可憐無靠,求您救我脫離迫害我的人,因他們是比我強悍的人。
मेरी फ़रियाद पर तवज्जुह कर, क्यूँकि मैं बहुत पस्त हो गया हूँ! मेरे सताने वालों से मुझे रिहाई बख़्श, क्यूँकि वह मुझ से ताक़तवर हैं।
7 求您引領我出離監牢,好讓我讚美您的名號。義人前呼後擁歡迎我,因為您大量恩待了我。
मेरी जान को कै़द से निकाल, ताकि तेरे नाम का शुक्र करूँ सादिक़ मेरे गिर्द जमा होंगे क्यूँकि तू मुझ पर एहसान करेगा।