< 詩篇 126 >
जब ख़ुदावन्द सिय्यून के गुलामों को वापस लाया, तो हम ख़्वाब देखने वालों की तरह थे।
2 那時我們滿口喜氣盈盈,我們雙脣其樂融融。那時外邦異民讚歎不已:上主向他們行了何等奇事!
उस वक़्त हमारे मुँह में हँसी, और हमारी ज़बान पर रागनी थी; तब क़ौमों में यह चर्चा होने लगा, “ख़ुदावन्द ने इनके लिए बड़े बड़े काम किए हैं।”
ख़ुदावन्द ने हमारे लिए बड़े बड़े काम किए हैं, और हम ख़ुश हैं!
4 上主,求您轉變我們的命運!就像乃革布有流水的澆淋。
ऐ ख़ुदावन्द! दखिन की नदियों की तरह, हमारे गुलामों को वापस ला।
जो आँसुओं के साथ बोते हैं, वह खु़शी के साथ काटेंगे।
6 他們邊行邊哭,出去播種耕耘,他們載欣載奔,回來背著禾捆。
जो रोता हुआ बीज बोने जाता है, वह अपने पूले लिए हुए ख़ुश लौटेगा।