< 詩篇 121 >
मैं अपनी आँखें पहाड़ों की तरफ उठाऊगा; मेरी मदद कहाँ से आएगी?
मेरी मदद ख़ुदावन्द से है, जिसने आसमान और ज़मीन को बनाया।
वह तेरे पाँव को फिसलने न देगा; तेरा मुहाफ़िज़ ऊँघने का नहीं।
देख! इस्राईल का मुहाफ़िज़, न ऊँघेगा, न सोएगा।
ख़ुदावन्द तेरा मुहाफ़िज़ है; ख़ुदावन्द तेरे दहने हाथ पर तेरा सायबान है।
न आफ़ताब दिन को तुझे नुक़सान पहुँचाएगा, न माहताब रात को।
ख़ुदावन्द हर बला से तुझे महफूज़ रख्खेगा, वह तेरी जान को महफूज़ रख्खेगा।
8 上主保護您出外,保護您回來,從現在起一直到永遠。
ख़ुदावन्द तेरी आमद — ओ — रफ़्त में, अब से हमेशा तक तेरी हिफ़ाज़त करेगा।