< Olcueih 31 >
1 Manghai Lemuel kah olka olrhuh. He nen ni amah khaw a manu loh a toel.
१लमूएल राजा के प्रभावशाली वचन, जो उसकी माता ने उसे सिखाए।
2 Ka ca me tlam lae? Ka bungko lamkah ka capa me tlam lae? Ka olcaeng dong lamkah ka capa me tlam lae?
२हे मेरे पुत्र, हे मेरे निज पुत्र! हे मेरी मन्नतों के पुत्र!
3 Na thadueng te huta pum dongah pae tarha boeh, na longpuei te manghai rhoek aka khoe ham ni te.
३अपना बल स्त्रियों को न देना, न अपना जीवन उनके वश कर देना जो राजाओं का पौरूष खा जाती हैं।
4 Manghai Lemuel ham bueng moenih. Manghai rhoek loh misurtui a ok ham moenih. Boeica rhoek long khaw yu a tuep ham moenih.
४हे लमूएल, राजाओं को दाखमधु पीना शोभा नहीं देता, और मदिरा चाहना, रईसों को नहीं फबता;
5 A ok tih a taem te a hnilh atah, phacip phabaem ca boeih kah dumlai te talh ve.
५ऐसा न हो कि वे पीकर व्यवस्था को भूल जाएँ और किसी दुःखी के हक़ को मारें।
6 Yu te aka milh taengah, misur te a hinglu aka khahing taengah pae uh.
६मदिरा उसको पिलाओ जो मरने पर है, और दाखमधु उदास मनवालों को ही देना;
7 O saeh lamtah a khodaeng te hnilh saeh. A thakthaenah khaw koep poek boel saeh.
७जिससे वे पीकर अपनी दरिद्रता को भूल जाएँ और अपने कठिन श्रम फिर स्मरण न करें।
8 Olmueh ham khaw, cadah cadum ca boeih kah dumlai ham khaw na ka te ong pah.
८गूँगे के लिये अपना मुँह खोल, और सब अनाथों का न्याय उचित रीति से किया कर।
9 Na ka te ong lamtah duengnah neh laitloek pah. Mangdaeng neh khodaeng te khaw tang sak lah.
९अपना मुँह खोल और धर्म से न्याय कर, और दीन दरिद्रों का न्याय कर।
10 Tatthai nu he unim aka hmu? Lungvang lakah a phu khaw kuel.
१०भली पत्नी कौन पा सकता है? क्योंकि उसका मूल्य मूँगों से भी बहुत अधिक है।
11 A boei kah lungbuei khaw anih dongah pangtung tih, kutbuem khaw vaitah pawh.
११उसके पति के मन में उसके प्रति विश्वास है, और उसे लाभ की घटी नहीं होती।
12 A boei te hnothen neh a thuung tih, a hing tue khuiah boethae om pawh.
१२वह अपने जीवन के सारे दिनों में उससे बुरा नहीं, वरन् भला ही व्यवहार करती है।
13 Tumul neh hlamik a tlap tih a kut naep la a saii.
१३वह ऊन और सन ढूँढ़ ढूँढ़कर, अपने हाथों से प्रसन्नता के साथ काम करती है।
14 thimpom sangpho bangla om tih, amah caak khaw khohla bangsang lamkah hang khuen.
१४वह व्यापार के जहाजों के समान अपनी भोजनवस्तुएँ दूर से मँगवाती है।
15 Khoyin ah thoo tih a imkhui ham maeh, a tanu rhoek ham hma a taeng pah.
१५वह रात ही को उठ बैठती है, और अपने घराने को भोजन खिलाती है और अपनी दासियों को अलग-अलग काम देती है।
16 Khohmuen te a mangtaeng tih, amah kutci neh a lai. Misur khaw a tue rhoe la a tue coeng.
१६वह किसी खेत के विषय में सोच विचार करती है और उसे मोल ले लेती है; और अपने परिश्रम के फल से दाख की बारी लगाती है।
17 A cinghen te sarhi neh a yen tih, a bantha khaw a huel.
१७वह अपनी कमर को बल के फेंटे से कसती है, और अपनी बाहों को दृढ़ बनाती है।
18 A thenpom kah a then te a ten tih, khoyin, khoyin ah a hmaithoi khaw thi tlaih pawh.
१८वह परख लेती है कि मेरा व्यापार लाभदायक है। रात को उसका दिया नहीं बुझता।
19 Cunghmui te a kut a yueng thil tih, a kutbom neh tahcap a cap.
१९वह अटेरन में हाथ लगाती है, और चरखा पकड़ती है।
20 A kutpha loh mangdaeng a koihlawm tih, a kut te khodaeng hamla a yueng pah.
२०वह दीन के लिये मुट्ठी खोलती है, और दरिद्र को सम्भालने के लिए हाथ बढ़ाती है।
21 A imkhui boeih loh pueinak a lingdik neh a om dongah, vuel tue ah khaw, a imkhui ham rhih voel pawh.
२१वह अपने घराने के लिये हिम से नहीं डरती, क्योंकि उसके घर के सब लोग लाल कपड़े पहनते हैं।
22 Hniphaih te amah ham a tah tih, a hnitang neh daidi pueinak khaw om.
२२वह तकिये बना लेती है; उसके वस्त्र सूक्ष्म सन और बैंगनी रंग के होते हैं।
23 A boei te vongka ah a ming uh tih, khohmuen kah a ham rhoek taengah a ngol sak.
२३जब उसका पति सभा में देश के पुरनियों के संग बैठता है, तब उसका सम्मान होता है।
24 Hni a tah te a yoih tih, lamko te Kanaan taengah a thak.
२४वह सन के वस्त्र बनाकर बेचती है; और व्यापारी को कमरबन्द देती है।
25 Sarhi neh rhuepomnah te a pueinak nah tih, hmailong khohnin ah cupcup nuei.
२५वह बल और प्रताप का पहरावा पहने रहती है, और आनेवाले काल के विषय पर हँसती है।
26 A ka te cueihnah neh a ang tih, a lai dongah sitlohnah olkhueng om.
२६वह बुद्धि की बात बोलती है, और उसके वचन कृपा की शिक्षा के अनुसार होते हैं।
27 A imkhui ah rhoilaeng khaw a pai tih, thangak buh khaw ca pawh.
२७वह अपने घराने के चाल चलन को ध्यान से देखती है, और अपनी रोटी बिना परिश्रम नहीं खाती।
28 A ca rhoek loh a thoh hang neh anih te a uem uh tih, a boei long khaw anih te a thangthen bal.
२८उसके पुत्र उठ उठकर उसको धन्य कहते हैं, उनका पति भी उठकर उसकी ऐसी प्रशंसा करता है:
29 Huta rhoek loh tatthai la muep a saii uh. Tedae nang long tah amih te a sola boeih na poe coeng.
२९“बहुत सी स्त्रियों ने अच्छे-अच्छे काम तो किए हैं परन्तु तू उन सभी में श्रेष्ठ है।”
30 Mikdaithen khaw a honghi ni. Sakthen nu khaw a honghi la om. BOEIPA a rhih dongah ni anih te a thangthen.
३०शोभा तो झूठी और सुन्दरता व्यर्थ है, परन्तु जो स्त्री यहोवा का भय मानती है, उसकी प्रशंसा की जाएगी।
31 A kutci te amah taengah pae uh. A bibi dongah amah te vongka ah thangthen uh saeh.
३१उसके हाथों के परिश्रम का फल उसे दो, और उसके कार्यों से सभा में उसकी प्रशंसा होगी।