< ᎣᏍᏛ ᎧᏃᎮᏛ ᎹᎦ ᎤᏬᏪᎳᏅᎯ 7 >

1 ᏕᎬᏩᎳᏫᏦᎴᏃ ᎠᏂᏆᎵᏏ, ᎠᎴ ᎩᎶ ᎢᏳᎾᏍᎩ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ, ᏥᎷᏏᎵᎻ ᏅᏓᏳᏂᎶᏒᎯ.
तब फरीसी और कुछ शास्त्री जो यरूशलेम से आए थे, उसके पास इकट्ठे हुए,
2 ᏚᏂᎪᎲᏃ ᎢᎦᏛ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᎦᏚ ᎠᏂᎩᏍᎬ ᏗᎦᏓᎭ ᏧᏃᏰᏂ ᎬᏗ, ( ᎾᏍᎩ ᏂᏚᎾᏑᎴᎲᎾ ᎦᏛᎦ, ) ᎤᏂᏐᏅᏤᎴᎢ.
और उन्होंने उसके कई चेलों को अशुद्ध अर्थात् बिना हाथ धोए रोटी खाते देखा।
3 ᎠᏂᏆᎵᏏᏰᏃ, ᎠᎴ ᎾᏂᎥᏉ ᎠᏂᏧᏏ, ᎢᏳᏃ ᎣᏍᏛ ᏂᏚᎾᏑᎴᎲᎾ ᏱᎩ, ᎥᏝ ᏱᎾᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎪᎢ, ᏓᏂᎧᎿᎭᏩᏕᎪ ᏄᏂᏪᏒ ᎡᏘ ᎤᎾᏕᏅᎯ.
(क्योंकि फरीसी और सब यहूदी, प्राचीन परम्परा का पालन करते हैं और जब तक भली भाँति हाथ नहीं धो लेते तब तक नहीं खाते;
4 ᎠᎴ ᎦᏃᏙᏗᏱ ᏛᏂᎶᎯ, ᎢᏳᏃ ᏂᏚᎾᏑᎴᎲᎾ ᏱᎩ, ᎥᏝ ᏴᎬᎾᎵᏍᏓᏴᎲᎦ. ᎠᎴ ᎤᏣᏔ ᏄᏓᎴ ᎪᎱᏍᏗ ᏧᏂᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᏄᏅᏁᎸ, ᎾᏍᎩ ᏧᎵᏍᏈᏗ ᏗᎫᎯᎶᎥᎢ ᎠᎴ ᏗᏖᎵᏙ, ᎠᎴ ᎥᏣᏱᏗᎪᏢᏔᏅᎯ ᏗᏖᎵᏙ, ᎠᎴ ᏗᏂᏢᏗᏱ.
और बाजार से आकर, जब तक स्नान नहीं कर लेते, तब तक नहीं खाते; और बहुत सी अन्य बातें हैं, जो उनके पास मानने के लिये पहुँचाई गई हैं, जैसे कटोरों, और लोटों, और तांबे के बरतनों को धोना-माँजना।)
5 ᎿᎭᏉᏃ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᎠᎴ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ ᎢᎬᏩᏛᏛᏁ ᎯᎠ ᏂᎬᏩᏪᏎᎴᎢ; ᎦᏙᏃ ᎨᏣᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᎥᏝ ᏱᏓᏂᎧᎿᎭᏩᏕᎦ ᎡᏘ ᎤᎾᏕᏅᎯ ᎤᏂᏁᏨᎢ, ᎾᏍᎩ ᏂᏚᎾᏑᎴᎲᎾᏉ ᏣᎾᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎦ?
इसलिए उन फरीसियों और शास्त्रियों ने उससे पूछा, “तेरे चेले क्यों पूर्वजों की परम्पराओं पर नहीं चलते, और बिना हाथ धोए रोटी खाते हैं?”
6 ᏚᏁᏤᎸᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎢᏌᏯ ᏰᎵᏉ ᏄᏪᏒ ᎤᏙᎴᎰᏒ ᏂᎯ ᎢᏣᏠᎾᏍᏗ ᎢᏥᏁᎢᏍᏗᏍᎬᎢ, ᎯᎠ ᏥᏂᎬᏅ ᏥᎪᏪᎳ, ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏴᏫ ᎬᎩᎸᏉᏗᎭ ᏚᏂᎭᏁᎦᎸ ᏓᏅᏗᎭ, ᏧᏂᎾᏫᏍᎩᏂ ᎢᏅᎯᏳ ᏂᏚᏅᎿᎭᏕᎦ ᎠᏴ ᎾᏆᏛᏅᎢ.
उसने उनसे कहा, “यशायाह ने तुम कपटियों के विषय में बहुत ठीक भविष्यद्वाणी की; जैसा लिखा है: ‘ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उनका मन मुझसे दूर रहता है।
7 ᎠᏎᏃ, ᎠᏎᏉᏉ ᎬᎩᎸᏉᏗᎭ ᏥᏓᎾᏕᏲᎲᏍᎦ ᏓᎾᏕᏲᎲᏍᎬ ᏴᏫᏉ ᎤᏂᏁᏨᎯ.
और ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्यों की आज्ञाओं को धर्मोपदेश करके सिखाते हैं।’
8 ᎢᏴᏛᏰᏃ ᏂᏨᏁ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏁᏨᎯ, ᏴᏫ ᎤᏂᏁᏨ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᏂᏨᏁᎭ, ᎾᏍᎩ ᏗᏖᎵᏙ ᎠᎴ ᏧᎵᏍᏈᏗ ᏗᎫᎯᎶᎥᎢ; ᎠᎴ ᎤᏣᏔ ᏄᏓᎴᎭ ᎾᏍᎩᏯ ᎤᏠᏱ ᏕᏥᎸᏫᏍᏓᏁᎰᎢ.
क्योंकि तुम परमेश्वर की आज्ञा को टालकर मनुष्यों की रीतियों को मानते हो।”
9 ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎣᏏᏉ ᏂᏣᏛᏁᎭ ᏥᏥᏲᎢᏎᎭ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏁᏨ, ᎾᏍᎩ ᎢᏣᏤᎵ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᎢᏥᏍᏆᏂᎪᏙᏗᏱ.
और उसने उनसे कहा, “तुम अपनी परम्पराओं को मानने के लिये परमेश्वर की आज्ञा कैसी अच्छी तरह टाल देते हो!
10 ᎼᏏᏰᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎯᎸᏉᏕᏍᏗ ᏣᏙᏓ ᎠᎴ ᏣᏥ; ᎠᎴ, ᎩᎶ ᎠᏍᎩ ᏅᏗᏍᎨᏍᏗ ᎤᏙᏓ ᎠᎴ ᎤᏥ, ᎠᏎ ᎤᏲᎱᎯᏍᏗ ᎨᏎᏍᏗ.
१०क्योंकि मूसा ने कहा है, ‘अपने पिता और अपनी माता का आदर कर;’ और ‘जो कोई पिता या माता को बुरा कहे, वह अवश्य मार डाला जाए।’
11 ᏂᎯᏍᎩᏂ ᎯᎠ ᏂᏥᏪᎭ, ᎢᏳᏃ ᎩᎶ ᎯᎠ ᏂᎦᏪᏎᎮᏍᏗ ᎤᏙᏓ ᎠᎴ ᎤᏥ, ᎪᏆᏂ, ( ᎾᏍᎩ ᎦᏛᎬ, ᎠᏆᎵᏍᎪᎸᏔᏅᎯ, ) ᏂᎦᎥ ᎨᏣᎵᏍᏕᎸᏙᏗ ᎨᏒ ᎠᏴ ᎬᏍᏕᎵᏍᎬᎢ; [ ᎾᏍᎩ ᎤᏚᏓᎴᏛ ᎨᏎᏍᏗ.]
११परन्तु तुम कहते हो कि यदि कोई अपने पिता या माता से कहे, ‘जो कुछ तुझे मुझसे लाभ पहुँच सकता था, वहकुरबान अर्थात् संकल्प हो चुका।’
12 ᎠᎴ ᎥᏝ ᎿᎭᏉ ᎤᏁᎳᎩ ᎪᎱᏍᏗ ᏫᏓᏛᏂᏏ ᎤᏙᏓ ᎠᎴ ᎤᏥ ᏰᏤᎵᏎᎰᎢ;
१२“तो तुम उसको उसके पिता या उसकी माता की कुछ सेवा करने नहीं देते।
13 ᎾᏍᎩ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵ ᎧᏃᎮᏛ ᎠᏎᏉ ᏂᏨᏁᎰ ᎢᏨᏗᏍᎪ ᏂᎯ ᎢᏥᏁᏨᎢ; ᎠᎴ ᎤᏣᏘ ᎢᏳᏓᎴᎩ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗᏓᏂ ᏂᏣᏛᏁᎰᎢ.
१३इस प्रकार तुम अपनी परम्पराओं से, जिन्हें तुम ने ठहराया है, परमेश्वर का वचन टाल देते हो; और ऐसे-ऐसे बहुत से काम करते हो।”
14 ᏂᎦᏛᏃ ᏴᏫ ᏫᏚᏯᏅᎲ, ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᏍᎩᏯᏛᏓᏍᏓᏏ ᏂᏥᎥᎢ, ᎠᎴ ᎢᏦᎵᎩ;
१४और उसने लोगों को अपने पास बुलाकर उनसे कहा, “तुम सब मेरी सुनो, और समझो।
15 ᎥᏝᏃ ᎪᎱᏍᏗ ᏴᏫᎯ ᏙᏱᏗᏢ ᎡᎯ, ᎤᏴᎭ, ᎾᏍᎩ ᎦᏓᎭ ᏱᏄᏩᏁᎰᎢ; ᎾᏍᎩᏂ ᏅᏓᏳᏄᎪᏨᎯ, ᎾᏍᎩ ᎦᏓᎭ ᏄᏩᏁᎰ ᏴᏫ.
१५ऐसी तो कोई वस्तु नहीं जो मनुष्य में बाहर से समाकर उसे अशुद्ध करे; परन्तु जो वस्तुएँ मनुष्य के भीतर से निकलती हैं, वे ही उसे अशुद्ध करती हैं।
16 ᎩᎶ ᏕᎦᎵᎷᎨᏍᏗ ᎤᏛᎪᏗᏱ, ᎾᏍᎩ ᏩᏛᎬᎦ.
१६यदि किसी के सुनने के कान हों तो सुन ले।”
17 ᎦᎵᏦᏕᏃ ᏭᏴᎸ ᏚᏓᏅᎡᎸ ᏴᏫ, ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᎬᏩᏛᏛᏁ ᏓᏟᎶᏍᏛ ᎤᎬᏩᎵ.
१७जब वह भीड़ के पास से घर में गया, तो उसके चेलों ने इस दृष्टान्त के विषय में उससे पूछा।
18 ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎾᏍᏉᏍᎪ ᏂᎯ ᎾᏍᎩ ᎢᎦᎢ ᏂᏦᎵᎬᎾ ᎢᎩ? ᏝᏍᎪ ᏱᏥᎪᏩᏘᎭ, ᎾᏍᎩ ᎪᎱᏍᏗ ᏙᏱᏗᏢ ᎡᎯ ᎾᏍᎩ ᏳᏴᎯᎭ ᏴᏫ ᎦᏓᎭ ᎢᎬᏩᏁᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎨᏒᎢ;
१८उसने उनसे कहा, “क्या तुम भी ऐसे नासमझ हो? क्या तुम नहीं समझते, कि जो वस्तु बाहर से मनुष्य के भीतर जाती है, वह उसे अशुद्ध नहीं कर सकती?
19 ᎾᏍᎩ ᎤᎾᏫᏱ ᏫᎾᏴᎯᎲᎾ ᎨᏒ ᎢᏳᏍᏗ, ᎤᏍᏉᎵᏱᏉᏍᎩᏂ, ᎠᎴ ᏫᎦᎶᎯᏍᏗᏍᎬᏉ, ᎾᏍᎩᏃ ᎦᏅᎦᎵᏍᎬ ᏂᎦᎥ ᎠᎵᏍᏓᏴᏗ?
१९क्योंकि वह उसके मन में नहीं, परन्तु पेट में जाती है, और शौच में निकल जाती है?” यह कहकर उसने सब भोजनवस्तुओं को शुद्ध ठहराया।
20 ᎯᎠᏃ ᏄᏪᏎᎢ, ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏴᏫᎯ ᎤᏄᎪᏨᎯ ᎾᏍᎩ ᎦᏓᎭ ᏄᏩᏁᎰ ᏴᏫ.
२०फिर उसने कहा, “जो मनुष्य में से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है।
21 ᎭᏫᏂᏰᏃ ᏅᏓᏳᏓᎴᏅᎯ, ᏴᏫ ᎤᎾᏫᏱ, ᏗᏓᎴᎲᏍᎦ ᎤᏲ ᎠᏓᏅᏖᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᏓᏲᏁᏗ ᎨᏒᎢ, ᎤᏕᎵᏛ ᏗᏂᏏᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᏓᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ,
२१क्योंकि भीतर से, अर्थात् मनुष्य के मन से, बुरे-बुरे विचार, व्यभिचार, चोरी, हत्या, परस्त्रीगमन,
22 ᎦᏃᏍᎩᏛ ᎨᏒᎢ, ᏧᎬᏩᎶᏗ ᎠᎬᎥᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎤᏲ ᎢᏯᏛᏁᏗ ᎨᏒᎢ, ᎦᎶᏄᎮᏛ ᎨᏒᎢ, ᎠᎵᏐᏢᎢᏍᏙᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᏛᏳᎨᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᏓᏐᏢᎢᏍᏙᏗᏱ, ᎠᏢᏉᏙᏗᏱ, ᎠᎵᏍᎦᎿᎭᏫᏍᏗ ᎨᏒᎢ.
२२लोभ, दुष्टता, छल, लुचपन, कुदृष्टि, निन्दा, अभिमान, और मूर्खता निकलती हैं।
23 ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏂᎦᏛ ᎤᏲᎢ ᎭᏫᏂ ᏗᏓᎴᎲᏍᎪᎢ, ᎠᎴ ᎦᏓᎭ ᏄᏩᏁᎰ ᏴᏫ.
२३ये सब बुरी बातें भीतर ही से निकलती हैं और मनुष्य को अशुद्ध करती हैं।”
24 ᎾᎿᎭᏃ ᏚᎴᏅ, ᏔᏯ ᎠᎴ ᏌᏙᏂ ᎠᏍᏛ ᏭᎷᏤᎢ, ᎠᎴ ᎠᏓᏁᎸ ᏭᏴᎸ, ᎥᏝ ᏳᏚᎵᏍᎨ ᎩᎶ ᎤᏙᎴᎰᎯᏍᏗᏱ; ᎠᏎᏃ ᎥᏝ ᎬᏩᏗᏍᎦᎶᏗ ᏱᎨᏎᎢ.
२४फिर वह वहाँ से उठकर सोर और सीदोन के देशों में आया; और एक घर में गया, और चाहता था, कि कोई न जाने; परन्तु वह छिप न सका।
25 ᎩᎶᏰᏃ ᎢᏳᏍᏗ ᎠᎨᏴ ᎾᏍᎩ ᎤᏪᏥ ᎠᏛᏄᏣ ᎦᏓᎭ ᎠᏓᏅᏙ ᎤᏯᎢ, ᎤᏛᎦᏅ ᎠᏥᏃᎮᏍᎬᎢ, ᎤᎷᏤ ᎠᎴ ᏚᎳᏍᎬ ᎤᏓᏅᏁᎢ:
२५और तुरन्त एक स्त्री जिसकी छोटी बेटी में अशुद्ध आत्मा थी, उसकी चर्चा सुनकर आई, और उसके पाँवों पर गिरी।
26 ( ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎠᎨᏴ ᎠᎪᎢ ᎨᏎᎢ, ᎠᏌᎶᏈᏂᏏ ᎨᏎᎢ; ) ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎤᏍᏗᏰᏔᏁ ᎾᏍᎩ ᎤᏪᏥ ᎠᏛᏄᏣ ᎠᏍᎩᎾ ᎤᏄᎪᏫᏎᏗᏱ.
२६यह यूनानी और सुरूफ‍िनीकी जाति की थी; और उसने उससे विनती की, कि मेरी बेटी में से दुष्टात्मा निकाल दे।
27 ᎠᏎᏃ ᏥᏌ ᎯᎠ ᏂᎤᏪᏎᎴᎢ, ᎢᎬᏱ ᏗᏂᏲᎵ ᏫᏓᏃᎸᎯ; ᎥᏝᏰᏃ ᎣᏏᏳ ᏱᎩ, ᏗᏂᏲᎵ ᏧᎾᏤᎵ ᎦᏚ ᏗᎩᎡᏗᏱ, ᎠᎴ ᎩᎵ ᏫᏓᏗᏁᏗᏱ.
२७उसने उससे कहा, “पहले लड़कों को तृप्त होने दे, क्योंकि लड़कों की रोटी लेकर कुत्तों के आगे डालना उचित नहीं है।”
28 ᎾᏍᎩᏃ ᎤᏁᏤ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᎤᏙᎯᏳᎯ, ᏣᎬᏫᏳᎯ; ᎠᏎᏃ ᎩᎵ ᎦᏍᎩᎸ ᎭᏫᏂᏗᏢ ᏗᏂᏲᎵ ᎤᏂᏅᎪᎠᎯᏎᎸᎯ ᎦᏚ ᎠᎾᎵᏍᏓᏴᏗᏍᎪᎢ.
२८उसने उसको उत्तर दिया; “सच है प्रभु; फिर भी कुत्ते भी तो मेज के नीचे बालकों की रोटी के चूर चार खा लेते हैं।”
29 ᎯᎠᏃ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏥᏂᏫ ᏫᏂᎦᎵᏍᏙᏓ, ᏥᎮᎾ; ᎠᏍᎩᎾ ᏤᏥᏱ ᎠᏯᎥ ᎤᏄᎪᎩ.
२९उसने उससे कहा, “इस बात के कारण चली जा; दुष्टात्मा तेरी बेटी में से निकल गई है।”
30 ᎾᏍᎩᏃ ᏧᏪᏅᏒ ᏫᎤᎷᏨ, ᎤᏙᎴᎰᏎ ᎠᏍᎩᎾ ᎤᏄᎪᏨᎢ, ᎤᏪᏥᏃ ᎠᏤᏍᏙᎩᎯ ᎦᏅᎬᎢ.
३०और उसने अपने घर आकर देखा कि लड़की खाट पर पड़ी है, और दुष्टात्मा निकल गई है।
31 ᎠᎴ ᏔᎵᏁ ᏔᏯ ᎠᎴ ᏌᏙᏂ ᎠᏍᏛ ᎤᏂᎩᏒ ᎨᎵᎵ ᎥᏓᎸ ᏭᎷᏤᎢ, ᎠᏰᎵ ᎤᎶᏎ ᎠᏍᎪᎯ-ᏗᎦᏚᎩᏱ ᏍᎦᏚᎩ ᎨᏒᎢ.
३१फिर वह सोर और सीदोन के देशों से निकलकर दिकापुलिस देश से होता हुआ गलील की झील पर पहुँचा।
32 ᎢᎬᏩᏘᏃᎮᎴᏃ ᎩᎶ ᏧᎵᎡᎾ, ᎠᎴ ᎦᏂᎳ ᎦᏬᏂᏍᎩ; ᎠᎴ ᎢᎬᏩᏍᏗᏰᏔᏁ ᎾᏍᎩ ᎤᏏᏔᏗᏍᏗᏱ.
३२और लोगों ने एक बहरे को जो हक्ला भी था, उसके पास लाकर उससे विनती की, कि अपना हाथ उस पर रखे।
33 ᎢᏴᏛᏃ ᏭᏘᏅᏍᏔᏅ ᎤᏓᏰᎵᎸ ᎤᏂᏣᏘ ᎠᏁᏙᎲᎢ, ᏕᎦᏰᏌᏛ ᏗᎦᎴᏂ ᏚᏐᎾᏕᎢ, ᎠᎴ ᏚᎵᏥᏍᏇᎢ, ᎠᎴ ᎦᏃᎪ ᎤᏒᏂᎴᎢ;
३३तब वह उसको भीड़ से अलग ले गया, और अपनी उँगलियाँ उसके कानों में डाली, और थूककर उसकी जीभ को छुआ।
34 ᎦᎸᎳᏗᏃ ᏫᏚᎧᎿᎭᏅ ᎤᎵᏰᏔᏁᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᎡᏇᏓ, ᎾᏍᎩ ᎦᏛᎬ ᎭᎵᏍᏚᎢ.
३४और स्वर्ग की ओर देखकर आह भरी, और उससे कहा, “इप्फत्तह!” अर्थात् “खुल जा!”
35 ᎩᎳᏉᏃ ᎢᏴᏛ ᏗᎦᎴᏂ ᏚᎵᏍᏚᎢᏎᎢ, ᎠᎴ ᎦᏃᎪ ᎤᎸᏍᏓᏁᎸᎯ ᏚᎵᎧᏁᏴᎮ, ᎠᎴ ᎣᏍᏛ ᎤᏬᏂᏎᎢ.
३५और उसके कान खुल गए, और उसकी जीभ की गाँठ भी खुल गई, और वह साफ-साफ बोलने लगा।
36 ᏚᏅᏍᏓᏕᎴᏃ ᎩᎶ ᎤᏂᏃᏁᏗᏱ; ᎠᏎᏃ ᏕᎦᏅᏍᏓᏗᏏ ᎤᏟᏉ ᎢᎦᎢ ᏓᏂᏰᎵᎯᏍᏗᏍᎨᎢ;
३६तब उसने उन्हें चेतावनी दी कि किसी से न कहना; परन्तु जितना उसने उन्हें चिताया उतना ही वे और प्रचार करने लगे।
37 ᎠᎴ ᎤᎶᏒᏍᏔᏅᎯ ᎤᏂᏍᏆᏂᎪᏎᎢ, ᎯᎠ ᎾᏂᏪᏍᎨᎢ, ᏂᎦᏛ ᎣᏏᏳ ᏕᎤᎸᏫᏍᏓᏏ; ᎤᎾᏛᎪᏗᏱ ᏂᏕᎬᏁ ᏧᏂᎵᎡᎾ, ᏧᏅᎨᏫᏃ ᎤᏂᏬᏂᎯᏍᏗᏱ.
३७और वे बहुत ही आश्चर्य में होकर कहने लगे, “उसने जो कुछ किया सब अच्छा किया है; वह बहरों को सुनने की, और गूँगों को बोलने की शक्ति देता है।”

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