< ᎣᏍᏛ ᎧᏃᎮᏛ ᎹᎦ ᎤᏬᏪᎳᏅᎯ 14 >

1 ᏔᎵᏃ ᏫᏄᏒᎸ ᎧᏃᎯᏴᎩ ᏗᎵᏍᏓᏴᏗᏱ ᎠᎴ ᎾᎪᏔᏅᎾ ᎦᏚ ᎠᎩᏍᏗᏱ ᎤᏍᏆᎸᏗ ᎨᏎᎢ, ᏄᏂᎬᏫᏒᏃ ᎠᏥᎸᎠᏁᎶᎯ ᎠᎴ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ ᎤᏂᏲᎴ ᎢᏳᎾᏛᏁᏗᏱ ᎦᎶᏄᎮᏛ ᎤᏅᏙᏗᏱ ᎤᏂᏂᏴᏗᏱ, ᎠᎴ ᎤᏂᎯᏍᏗᏱ.
दो दिन के बाद फसह और अख़मीरी रोटी का पर्व होनेवाला था। और प्रधान याजक और शास्त्री इस बात की खोज में थे कि उसे कैसे छल से पकड़कर मार डालें।
2 ᎠᏎᏃ ᎥᏞᏍᏗ ᏗᎵᏍᏓᏴᏗᏱ ᎢᏳ ᎢᎦ ᎨᏒᎢ, ᏯᎾᎵᏕᎸᎲᎦᏰᏃ ᏴᏫ, ᎤᎾᏛᏁᎢ.
परन्तु कहते थे, “पर्व के दिन नहीं, कहीं ऐसा न हो कि लोगों में दंगा मचे।”
3 ᏇᏗᏂᏱᏃ ᎡᏙᎮᎢ, ᎠᎠᏩᏂ ᎠᏓᏰᏍᎩ ᎤᏢᏨᎯ ᎦᏁᎸᎢ, ᎦᏅᎨᏃ ᎠᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎨᎢ, ᎠᎨᏴ ᎤᎷᏤ ᎠᏰᎮ ᎫᎫ ᏅᏯ ᎤᏁᎬ ᎪᏢᏔᏅᎯ ᎠᏟᏍᏕ ᎠᏠᏁᏗ ᎾᏓ ᏧᏙᎢᏛ, ᎤᏣᏘ ᏧᎬᏩᎶᏗ; ᎠᎴ ᎤᎶᏒ ᎫᎫ, ᎠᎴ ᎤᎶᏁᏔᏁ ᎠᏍᎪᎵ.
जब वह बैतनिय्याह में शमौन कोढ़ी के घर भोजन करने बैठा हुआ था तब एक स्त्री संगमरमर के पात्र में जटामासी का बहुमूल्य शुद्ध इत्र लेकर आई; और पात्र तोड़कर इत्र को उसके सिर पर उण्डेला।
4 ᎩᎶᏃ ᎤᎾᏓᏑᏰ ᎤᏅᏳᏤ ᏙᏧᎾᏓᏅᏛᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ, ᎦᏙᏃ ᎯᎠ ᎠᏤᏬᎩ ᎠᏠᏁᏗ?
परन्तु कुछ लोग अपने मन में झुँझलाकर कहने लगे, “इस इत्र का क्यों सत्यानाश किया गया?
5 ᏳᏂᎾᏗᏅᏎᏰᏃ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᎠᏠᏁᏗ ᏦᎢᏧᏈ ᎠᏂᎩᏏ ᏧᎾᎬᏩᎶᏗ ᎤᎶᏒᏍᏗ ᏱᏚᎵᎬᏩᎳᏁᎢ, ᎠᎴ ᎤᏲ ᎢᏳᎾᏛᎿᎭᏕᎩ ᏗᎬᏁᏗ ᏱᎨᏎᎢ. ᎠᎴ ᎬᏩᎪᏁᎶᎯᏎᎴᎢ.
क्योंकि यह इत्र तो तीन सौ दीनार से अधिक मूल्य में बेचकर गरीबों को बाँटा जा सकता था।” और वे उसको झिड़कने लगे।
6 ᏥᏌᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎤᏁᎳᎩ; ᎦᏙᏃ ᎢᎡᏣᏕᏯᏙᏗᎭ? ᎣᏏᏳ ᏕᎤᎸᏫᏍᏓᏏ ᏥᎾᏋᎦ.
यीशु ने कहा, “उसे छोड़ दो; उसे क्यों सताते हो? उसने तो मेरे साथ भलाई की है।
7 ᎤᏲᏰᏃ ᎢᏳᎾᏛᎿᎭᏕᎩ ᏂᎪᎯᎸ ᎨᏤᎳᏗᏙᎭ, ᎠᎴ ᎢᏳᏉ ᎢᏤᎵᏍᎬᎢ ᎣᏍᏛ ᏱᏂᏕᏣᏛᏂᏏ; ᎠᏴᏍᎩᏂ ᎥᏝ ᏂᎪᎯᎸ ᏱᏨᏰᎳᏗᏙᎭ.
गरीब तुम्हारे साथ सदा रहते हैं और तुम जब चाहो तब उनसे भलाई कर सकते हो; पर मैं तुम्हारे साथ सदा न रहूँगा।
8 ᏂᎦᎥ ᎢᎬᏩᏛᏁᏗ ᎨᏒ ᎾᏛᎦ; ᎢᎬᏱ ᎦᏰᎯ ᎦᎷᎩ ᎤᎶᏁᏗᏱ ᏥᏰᎴ ᎥᎩᏂᏐᏗᏱ ᎤᎬᏩᎵ.
जो कुछ वह कर सकी, उसने किया; उसने मेरे गाड़े जाने की तैयारी में पहले से मेरी देह पर इत्र मला है।
9 ᎤᏙᎯᏳᎯᏯ ᎯᎠ ᏂᏨᏪᏎᎭ, ᎢᎸᎯᏢ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎣᏍᏛ ᎧᏃᎮᏛ ᎠᎵᏥᏙᏗ ᏂᎦᎵᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎡᎶᎯ ᏂᎬᎾᏛᎢ, ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏥᎾᏛᎦ ᎾᏍᏉ ᎤᏂᏃᎮᏗ ᎨᏎᏍᏗ ᎾᏍᎩ ᎠᎦᏅᏓᏗᏍᏙᏗ.
मैं तुम से सच कहता हूँ, कि सारे जगत में जहाँ कहीं सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, वहाँ उसके इस काम की चर्चा भी उसके स्मरण में की जाएगी।”
10 ᏧᏓᏏᏃ ᎢᏯᎦᎳᏗ, ᎠᏏᏴᏫ ᎾᏍᎩ ᏔᎳᏚ ᎢᏯᏂᏛ ᎨᏒᎢ, ᎤᏪᏅᏎ ᏄᏂᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎠᏁᎶᎯ ᏗᏂᏅᎢ, ᎾᏍᎩ ᏧᏲᎯᏎᏗᏱ.
१०तब यहूदा इस्करियोती जो बारह में से एक था, प्रधान याजकों के पास गया, कि उसे उनके हाथ पकड़वा दे।
11 ᎤᎾᏛᎦᏅᏃ ᎣᏏᏳ ᎤᏂᏰᎸᏁᎢ, ᎠᎴ ᎤᏂᏚᎢᏍᏓᏁᎴ ᎠᏕᎸ ᏧᏂᏁᏗᏱ. ᎤᏲᎴᏃ ᎣᏍᏛ ᎤᏜᏓᏅᏓᏕᏗᏱ ᏧᏲᎯᏎᏗᏱ.
११वे यह सुनकर आनन्दित हुए, और उसको रुपये देना स्वीकार किया, और यह अवसर ढूँढ़ने लगा कि उसे किसी प्रकार पकड़वा दे।
12 ᎢᎬᏱᏱᏃ ᎢᎦ ᎾᎪᏔᏅᎾ ᎦᏚ ᎠᎩᏍᏗᏱ, ᎾᎯᏳ ᎤᏂᎸ ᎧᏃᎯᏰᎩ ᏗᎵᏍᏓᏴᏗᏱ, ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᎯᎠ ᏂᎬᏩᏪᏎᎴᎢ, ᎭᏢ ᏣᏚᎵ ᏬᎦᏛᏅᎢᏍᏙᏗᏱ, ᎧᏃᎯᏰᎩ ᏣᎵᏍᏓᏴᏗᏱ?
१२अख़मीरी रोटी के पर्व के पहले दिन, जिसमें वे फसह का बलिदान करते थे, उसके चेलों ने उससे पूछा, “तू कहाँ चाहता है, कि हम जाकर तेरे लिये फसह खाने की तैयारी करें?”
13 ᏚᏅᏎᏃ ᎠᏂᏔᎵ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᏗᎦᏚᎲ ᎢᏍᏕᎾ, ᏙᏓᏣᏠᏏᏃ ᎠᏍᎦᏯ ᎠᏰᎮᏍᏗ ᎠᏖᎵᏙ ᎠᎹ ᎠᏟᏍᏕᏍᏗ; ᎡᏍᏗᏍᏓᏩᏕᏒᎭ.
१३उसने अपने चेलों में से दो को यह कहकर भेजा, “नगर में जाओ, और एक मनुष्य जल का घड़ा उठाए हुए तुम्हें मिलेगा, उसके पीछे हो लेना।
14 ᎢᎸᎯᏢᏃ ᏩᏴᎸᎭ, ᎯᎠ ᏁᏍᏗᏪᏎᎸᎭ ᎠᏍᎦᏯ ᎦᏁᎳ, ᏗᏕᏲᎲᏍᎩ ᎯᎠ ᏂᎦᏪᎭ, ᎭᏢ ᎠᏁᏙᎯ ᎤᏂᏴᏍᏗᏱ, ᎾᎿᎭᎧᏃᎯᏰᎩ ᎢᏧᎳᎭ ᎣᎦᎵᏍᏓᏴᏗᏱ ᎬᎩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ.
१४और वह जिस घर में जाए उस घर के स्वामी से कहना: ‘गुरु कहता है, कि मेरी पाहुनशाला जिसमें मैं अपने चेलों के साथ फसह खाऊँ कहाँ है?’
15 ᏓᏍᏓᏎᎮᎵᏃ ᎤᏛᏅ ᎦᎸᎳᏗ ᎧᏅᏑᎸᎢ, ᎦᏳᎳ ᎬᎿᎭᎢ, ᎠᎴ ᎠᏛᏅᎢᏍᏔᏅᎯ; ᎾᎿᎭᏍᎩᏯᏛᏅᎢᏍᏓᏁᎸᎭ.
१५वह तुम्हें एक सजी-सजाई, और तैयार की हुई बड़ी अटारी दिखा देगा, वहाँ हमारे लिये तैयारी करो।”
16 ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯᏃ ᎤᏁᏅᏎ ᎠᎴ ᏗᎦᏚᎲ ᏭᏂᎷᏤᎢ, ᎠᎴ ᏭᏂᏩᏛᎮ ᎾᏍᎩᏯ ᏂᏚᏪᏎᎸᎢ; ᎤᎾᏛᏅᎢᏍᏔᏁᏃ ᎧᏃᎯᏰᎩ ᏗᎵᏍᏓᏴᏗᏱ.
१६तब चेले निकलकर नगर में आए और जैसा उसने उनसे कहा था, वैसा ही पाया, और फसह तैयार किया।
17 ᎤᏒᏃ ᏄᎵᏍᏔᏅ ᎤᎷᏤ ᏓᏖᏁᎮ ᏔᎳᏚ ᎢᏯᏂᏛ.
१७जब साँझ हुई, तो वह बारहों के साथ आया।
18 ᎾᏍᎩᏃ ᎠᏂᏅᏜᏓᎡᎢ ᎠᎴ ᎠᎾᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎨᎢ, ᏥᏌ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎤᏙᎯᏳᎯᏯ ᎯᎠ ᏂᏨᏪᏎᎭ, ᎠᏏᏴᏫ ᎯᎠ ᏥᏂᏣᏛᏅ ᎢᏧᎳᎭ ᏦᏍᏓᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎦ, ᏛᏆᏡᏔᏂ.
१८और जब वे बैठे भोजन कर रहे थे, तो यीशु ने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि तुम में से एक, जो मेरे साथ भोजन कर रहा है, मुझे पकड़वाएगा।”
19 ᎤᎾᎴᏅᎮᏃ ᎤᏲ ᎤᏂᏰᎸᏁᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᎬᏩᏪᏎᎴᎢ, ᏌᏉ ᎬᏪᏒᏛ, ᏥᎪ ᎠᏴ? ᏅᏩᏓᎴᏃ, ᏥᎪ ᎠᏴ? ᎠᏗᏍᎨᎢ.
१९उन पर उदासी छा गई और वे एक-एक करके उससे कहने लगे, “क्या वह मैं हूँ?”
20 ᎤᏁᏨᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎠᏏᏴᏫ ᏔᎳᏚ ᎢᏥᏛ ᎨᏒ ᎾᏍᎩ ᎢᏧᎳᎭ ᎠᏖᎵᏙᎩᎯ ᏦᏍᏓᏑᏩᏍᎦ.
२०उसने उनसे कहा, “वह बारहों में से एक है, जो मेरे साथ थाली में हाथ डालता है।
21 ᏴᏫ ᎤᏪᏥ ᎤᏙᎯᏳᎯ ᎤᏪᏅᏍᏗ ᎾᏍᎩᏯ ᏂᎬᏅ ᎪᏪᎸ ᎠᏥᏃᎮᏍᎬᎢ; ᎠᏎᏃ ᎤᏲᎢᏳ ᎢᏳᎵᏍᏓᏁᏗ ᎾᏍᎩ ᎠᏍᎦᏯ ᏴᏫ ᎤᏪᏥ ᎠᏡᏗᏍᎩ! ᎣᏏᏳ ᏱᎨᏎ ᎢᏳᏃ ᎾᏍᎩ ᎠᏍᎦᏯ ᏄᏕᏅᎾᏉ ᏱᎨᏎᎢ.
२१क्योंकि मनुष्य का पुत्र तो, जैसा उसके विषय में लिखा है, जाता ही है; परन्तु उस मनुष्य पर हाय जिसके द्वारा मनुष्य का पुत्र पकड़वाया जाता है! यदि उस मनुष्य का जन्म ही न होता तो उसके लिये भला होता।”
22 ᎠᎾᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎬᏃ ᏥᏌ ᎦᏚ ᎤᎩᏒ, ᎠᎴ ᎤᎵᎮᎵᏨ, ᎤᎬᎭᎷᏰᎢ, ᎠᎴ ᏚᏁᎴᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎢᏥᎩ, ᎢᏥᎦ; ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎠᏴ ᏥᏰᎸᎢ.
२२और जब वे खा ही रहे थे तो उसने रोटी ली, और आशीष माँगकर तोड़ी, और उन्हें दी, और कहा, “लो, यह मेरी देह है।”
23 ᎠᎴ ᎤᎵᏍᏈᏗ ᎤᎩᏒ, ᎠᎴ ᎤᎵᎮᎵᏨ, ᎾᏍᎩ ᏚᏁᎴᎢ; ᏂᎦᏛᏃ ᎾᏍᎩ ᎤᎾᏗᏔᎮᎢ.
२३फिर उसने कटोरा लेकर धन्यवाद किया, और उन्हें दिया; और उन सब ने उसमें से पीया।
24 ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎠᏴ ᎠᎩᎩᎬ ᎢᏨ ᎧᏃᎮᏛ ᏓᏠᎯᏍᏛᎢ, ᎾᏍᎩ ᎤᏂᏣᏘ ᏥᎨᎦᏤᏪᎸ.
२४और उसने उनसे कहा, “यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये बहाया जाता है।
25 ᎤᏙᎯᏳᎯᏯ ᎯᎠ ᏂᏨᏪᏎᎭ, ᎥᏝ ᎿᎭᏉ ᎢᎸᎯᏳ ᏴᎦᎦᏗᏔ ᏖᎸᎳᏗ ᎤᎾᏄᎪᏫᏒᎯ, ᎬᏂ ᎾᎯᏳ ᎢᎦ ᎢᏤ ᎦᏗᏔᎲᎭ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎪᎯ.
२५मैं तुम से सच कहता हूँ, कि दाख का रस उस दिन तक फिर कभी न पीऊँगा, जब तक परमेश्वर के राज्य में नया न पीऊँ।”
26 ᏚᏂᏃᎩᏒᏃ, ᎤᏂᏄᎪᏤ ᎣᎵᏩᏲ ᎣᏓᎸ ᏭᏂᎶᏎᎢ.
२६फिर वे भजन गाकर बाहर जैतून के पहाड़ पर गए।
27 ᏥᏌᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᏂᏥᎥ ᏂᎯ ᏙᏓᏦᏕᎵ ᎪᎯ ᏒᏃᏱ ᏥᎩ, ᎠᏴ ᎨᏒ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨᏍᏗ; ᎯᎠᏰᏃ ᏂᎬᏅᎢᎪᏪᎳ, ᎠᏫ ᏗᎦᏘᏯ ᏓᏥᏴᏂᎵ, ᎤᏂᏃᏕᎾᏃ ᏛᎾᏗᎦᎴᏲᏥ.
२७तब यीशु ने उनसे कहा, “तुम सब ठोकर खाओगे, क्योंकि लिखा है: ‘मैं चरवाहे को मारूँगा, और भेड़ें तितर-बितर हो जाएँगी।’
28 ᎠᏎᏃ ᎿᎭᏉ ᏗᏆᎴᏅᎯ ᎨᏎᏍᏗ, ᎢᎬᏱ ᏓᏨᏰᏅᎡᎵ ᎨᎵᎵ ᎢᏴᏛ.
२८“परन्तु मैं अपने जी उठने के बाद तुम से पहले गलील को जाऊँगा।”
29 ᎠᏎᏃ ᏈᏓ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᎾᏍᏉ ᏂᎦᏛ ᏱᏚᏃᏕᏍᏔᏅ, ᎠᏴ ᎠᏎ ᎥᏝ.
२९पतरस ने उससे कहा, “यदि सब ठोकर खाएँ तो खाएँ, पर मैं ठोकर नहीं खाऊँगा।”
30 ᏥᏌᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᎤᏙᎯᏳᎯᏯ ᎯᎠ ᏂᎬᏪᏎᎭ, ᎾᏍᎩ ᎪᎯ ᎢᎦ, ᎠᎴ ᎪᎯᏉ ᏒᏃᏱ, ᎠᏏ ᏔᎵᏁ ᎾᏂᏴᎬᎾ ᏣᏔᎦ, ᏦᎢ ᏅᏓᏍᏆᏓᏱᎵ.
३०यीशु ने उससे कहा, “मैं तुझ से सच कहता हूँ, कि आज ही इसी रात को मुर्गे के दो बार बाँग देने से पहले, तू तीन बार मुझसे मुकर जाएगा।”
31 ᎠᏎᏃ ᎤᏟ ᎤᎵᏂᎩᏛ ᎤᏁᏤ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎢᏳᏃ ᎾᏍᏉ ᎢᏧᎳᎭ ᏗᎩᏂᏲᎱᎯᏍᏗ ᏱᎩ, ᎠᏎ ᎥᏝ ᏴᎦᎬᏯᏓᏱᎦ. ᎾᏍᎩᏯ ᎾᏍᏉ ᏄᏂᏪᏎ ᏂᎦᏛ.
३१पर उसने और भी जोर देकर कहा, “यदि मुझे तेरे साथ मरना भी पड़े फिर भी तेरा इन्कार कभी न करूँगा।” इसी प्रकार और सब ने भी कहा।
32 ᎨᏎᎻᏂᏃ ᏚᏙᎥ ᎤᏂᎷᏤᎢ; ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ, ᎠᏂ ᎢᏥᏁᏍᏗ, ᏫᎦᏓᏙᎵᏍᏗᏍᎬ ᎢᎪᎯᏛ.
३२फिर वे गतसमनी नामक एक जगह में आए; और उसने अपने चेलों से कहा, “यहाँ बैठे रहो, जब तक मैं प्रार्थना करूँ।”
33 ᏚᏖᏅᏎᏃ ᏈᏓ ᎠᎴ ᏥᎻ ᎠᎴ ᏣᏂ, ᎠᎴ ᎤᎴᏅᎮ ᎤᏣᏘ ᎤᏕᏯᏔᏁᎴᎢ, ᎠᎴ ᎤᏣᏘ ᎡᎯᏍᏗ ᎤᏓᏅᏓᏕᎢ;
३३और वह पतरस और याकूब और यूहन्ना को अपने साथ ले गया; और बहुत ही अधीर और व्याकुल होने लगा,
34 ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎠᏆᏓᏅᏙ ᎤᏣᏘ ᎤᏕᏯᏔᏁᎭ ᎠᏲᎱᎯᏍᏗ ᎾᏍᎩᏯᎢ; ᎠᏂ ᎢᏥᏁᏍᏗ, ᎠᎴ ᎢᏥᏯᏫᏍᎨᏍᏗ.
३४और उनसे कहा, “मेरा मन बहुत उदास है, यहाँ तक कि मैं मरने पर हूँ: तुम यहाँ ठहरो और जागते रहो।”
35 ᎤᏍᏗᎩᏛᏃ ᎢᏴᏛ ᎢᎤᏪᏅ, ᎡᎳᏗ ᎤᏓᏅᏁᎢ, ᎠᎴ ᎤᏓᏙᎵᏍᏔᏁ, ᎤᏔᏲᎴᎢ, ᎾᏍᎩ ᏰᎵ ᎢᎬᏩᎵᏍᏙᏗ ᏱᎩ, ᎾᎯᏳ ᎨᏒ ᎤᎶᎯᏎᏗᏱᏉ.
३५और वह थोड़ा आगे बढ़ा, और भूमि पर गिरकर प्रार्थना करने लगा, कि यदि हो सके तो यह समय मुझ पर से टल जाए।
36 ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎠᏆ, ᎡᏙᏓ, ᏂᎯ, ᎨᏒ ᏰᎵᎦᏯᏉ ᎢᎨᏣᏛᏁᏗ ᏂᎦᎥᎢ; ᏍᎩᎲᏏᏉ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎤᎵᏍᏈᏗ; ᎥᏝᏍᎩᏂᏃᏅ ᎠᏴ ᎠᏆᏚᎵᏍᎬᎢ, ᏂᎯᏍᎩᏂ ᏣᏚᎵᏍᎬᎢ.
३६और कहा, “हे अब्बा, हे पिता, तुझ से सब कुछ हो सकता है; इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले: फिर भी जैसा मैं चाहता हूँ वैसा नहीं, पर जो तू चाहता है वही हो।”
37 ᎢᎤᎷᏤᏃ ᎠᎴ ᏚᏩᏛᎮ ᎠᏂᎵᎾᎡᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᏈᏓ, ᏌᏩᏂ, ᎯᎵᎭᏉᏧ? ᏝᏍᎪ ᏑᏟᎶᏛᏉ ᎢᎪᎯᏛ ᎾᏍᏉ ᎨᏣᏯᏫᏍᏗ ᏱᎨᏎᎢ?
३७फिर वह आया और उन्हें सोते पाकर पतरस से कहा, “हे शमौन, तू सो रहा है? क्या तू एक घंटे भी न जाग सका?
38 ᎢᏥᏯᏫᏍᎨᏍᏗ ᎠᎴ ᎢᏣᏓᏙᎵᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎾᏍᎩ ᏞᏍᏗ ᎤᏓᎴᎾᏍᏗᏱ ᏫᏥᎾᏄᎪᏨᎩ; ᎠᏓᏅᏙ ᎤᏙᎯᏳᎯ ᎤᏛᏅᎢᏍᏗ, ᎤᏇᏓᎸᏍᎩᏂ ᎠᏩᎾᎦᎳᎯᏳ.
३८जागते और प्रार्थना करते रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो। आत्मा तो तैयार है, पर शरीर दुर्बल है।”
39 ᏔᎵᏁᏃ ᎢᏴᏛ ᏭᎶᏒ, ᎤᏓᏙᎵᏍᏔᏁᎢ, ᏄᏪᏒ ᎾᏍᎩᏯ ᏫᏄᏪᏎᎢ.
३९और वह फिर चला गया, और वही बात कहकर प्रार्थना की।
40 ᏗᎤᎷᏨᏃ ᏚᏩᏛᎮ ᏔᎵᏁ ᎠᏂᎵᎾᎡᎢ, ᏗᏂᎦᏙᎵᏰᏃ ᏗᎦᎨᏗᏳ ᎨᏎᎢ, ᎥᏝ ᎠᎴ ᏱᏂᎦᏔᎮ ᎢᏳᏂᏪᏍᏗᏱ ᎤᏂᏁᏤᏗᏱ.
४०और फिर आकर उन्हें सोते पाया, क्योंकि उनकी आँखें नींद से भरी थीं; और नहीं जानते थे कि उसे क्या उत्तर दें।
41 ᏦᎢᏁᏃ ᏫᏚᎷᏤᎴᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎨᏥᎵᏁᏍᏗᏉ ᎿᎭᏉ, ᎠᎴ ᎢᏣᏣᏪᏐᎸᏍᏓ; ᎿᎭᏉ ᎦᎶᏐᎾ-ᎿᎭᏉ ᎠᏍᏆᎸ ᎾᎯᏳ ᎨᏒᎢ; ᎬᏂᏳᏉ ᏴᏫ ᎤᏪᏥ ᎠᏂᏍᎦᎾ ᏕᎨᏥᏲᎯᏏ.
४१फिर तीसरी बार आकर उनसे कहा, “अब सोते रहो और विश्राम करो, बस, घड़ी आ पहुँची; देखो मनुष्य का पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है।
42 ᏗᏣᎴᎲᎦ, ᎢᏕᎾ; ᎬᏂᏳᏉ ᎠᏆᏡᏗᏍᎩ ᎡᏍᎦᏂᏳ ᏓᏯᎢ.
४२उठो, चलें! देखो, मेरा पकड़वानेवाला निकट आ पहुँचा है!”
43 ᎩᎳᏉᏃ ᎢᏴᏛ ᎠᏏᏉ ᎦᏪᏂᏍᎨᎢ, ᏧᎾᎸᎪᏤ, ᏧᏓᏏ, ᎠᏏᏴᏫ ᏔᎳᏚ ᎢᏯᏂᏛ ᎨᏒ, ᏓᏘᏁᎮ ᎤᏂᏣᏘ, ᎠᏰᎳᏍᏗ-ᏗᎦᏅᎯᏛ ᎠᎴ ᎠᏓ ᏗᏂᏁᎯ, ᏅᏓᎬᏩᏂᏅᏏᏛ ᏄᏂᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎠᏁᎶᎯ, ᎠᎴ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ, ᎠᎴ ᏗᏂᎳᏫᎩ.
४३वह यह कह ही रहा था, कि यहूदा जो बारहों में से था, अपने साथ प्रधान याजकों और शास्त्रियों और प्राचीनों की ओर से एक बड़ी भीड़ तलवारें और लाठियाँ लिए हुए तुरन्त आ पहुँची।
44 ᎤᏡᏗᏍᎩᏃ ᎬᏂᎨᏒ ᎢᏧᏩᏁᎸᎯ ᎨᏎ ᎤᎾᏙᎴᎰᎯᏍᏙᏗ, ᎯᎠ ᎢᏳᏪᏒᎯ ᎨᏎᎢ, ᎩᎶ ᏥᏯᏚᏣᎳᏅᎭ, ᎾᏍᎩ ᎨᏎᏍᏗ, ᏒᏥᏂᏴᎲᎭ, ᎡᏣᏘᎾᏫᏛᎲᎭ ᎬᏩᏚᏓᎴᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᏁᏨᏁᏍᏗ.
४४और उसके पकड़वानेवाले ने उन्हें यह पता दिया था, कि जिसको मैं चूमूं वही है, उसे पकड़कर सावधानी से ले जाना।
45 ᎤᎷᏨᏉᏃ ᎩᎳᏉ ᎢᏴᏛ ᏭᎷᏤᎴᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᏗᏍᏇᏲᎲᏍᎩ, ᏗᏍᏇᏲᎲᏍᎩ; ᎠᎴ ᎤᏚᏣᎳᏁᎢ.
४५और वह आया, और तुरन्त उसके पास जाकर कहा, “हे रब्बी!” और उसको बहुत चूमा।
46 ᏕᎬᏩᏏᏔᏕᏃ, ᎠᎴ ᎬᏩᏂᏴᎮᎢ.
४६तब उन्होंने उस पर हाथ डालकर उसे पकड़ लिया।
47 ᎠᏏᏴᏫᏃ ᎾᎥ ᎠᏂᏙᎿᎭᎢ, ᎠᏰᎳᏍᏗ-ᎦᏅᎯᏛ ᎤᎸᎮᎢ, ᎠᎴ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ ᎤᏅᏏᏓᏍᏗ ᎤᎷᏰ ᎠᎴ ᎤᎵᏍᏕᏍᏔᏁᎢ.
४७उनमें से जो पास खड़े थे, एक ने तलवार खींचकर महायाजक के दास पर चलाई, और उसका कान उड़ा दिया।
48 ᏥᏌᏃ ᎤᏁᏨ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᏥᎪ ᎦᏃᏍᎩᏍᎩ ᏨᏤᏥᏂᏴᎯᏐ ᎾᏍᎩᏯ ᎢᏥᎷᎩ, ᏗᏥᏁᎯ ᎠᏰᎳᏍᏗ-ᏗᎦᏅᎯᏛ ᎠᎴ ᎠᏓ ᎠᏴ ᏍᎩᏂᏴᎰᎦ?
४८यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम डाकू जानकर मुझे पकड़ने के लिये तलवारें और लाठियाँ लेकर निकले हो?
49 ᏂᏚᎩᏨᏂᏒ ᎢᏨᏰᎳᏗᏙᎲᎩ ᎤᏛᏅ-ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ, ᏕᎦᏕᏲᎲᏍᎬᎩ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᏱᏍᎩᏂᏴᎮᎢ; ᎤᏙᎯᏳᏗᏍᎩᏂᏃᏅ ᏂᎬᏅ ᎪᏪᎸᎢ.
४९मैं तो हर दिन मन्दिर में तुम्हारे साथ रहकर उपदेश दिया करता था, और तब तुम ने मुझे न पकड़ा: परन्तु यह इसलिए हुआ है कि पवित्रशास्त्र की बातें पूरी हों।”
50 ᏂᎦᏗᏳᏃ ᎬᏩᏕᏦᏁᎢ, ᎠᎴ ᎤᎾᎵᏎᎢ.
५०इस पर सब चेले उसे छोड़कर भाग गए।
51 ᎩᎶᏃ ᎢᏳᏍᏗ ᎠᏫᏅ ᎤᏍᏓᏩᏛᏎᎢ, ᏙᎴᏛ ᎠᏄᏬ ᎤᏓᏇᏅᏕ ᎤᏰᎸᎭ ᎨᏒᎢ; ᎠᏂᏫᏅᏃ ᎬᏩᏂᏴᎮᎢ.
५१और एक जवान अपनी नंगी देह पर चादर ओढ़े हुए उसके पीछे हो लिया; और लोगों ने उसे पकड़ा।
52 ᏙᎴᏛᏃ ᎠᏄᏬ ᎤᏂᏰᎢ, ᎠᎴ ᎤᏰᎸᎭ ᏚᎵᏘᎡᎴᎢ.
५२पर वह चादर छोड़कर नंगा भाग गया।
53 ᏥᏌᏃ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ ᏧᏬᎸ ᏭᎾᏘᏅᏍᏔᏁᎢ; ᎾᏍᎩᏃ ᏕᎬᏩᎳᏫᎡ ᏂᎦᏛ ᏄᏂᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸᎠᏁᎶᎯ, ᎠᎴ ᏗᏂᎳᏫᎩ, ᎠᎴ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ.
५३फिर वे यीशु को महायाजक के पास ले गए; और सब प्रधान याजक और पुरनिए और शास्त्री उसके यहाँ इकट्ठे हो गए।
54 ᏈᏓᏃ Ꭸ ᎢᏴᏛ ᎤᏍᏓᏩᏗᏎᎢ, ᎾᏍᎩ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ ᏗᎦᏁᎸ ᏭᏴᎴᎢ, ᎤᏬᎴᏃ ᎨᏥᏅᏏᏓᏍᏗ ᎠᏂᏅᎢ, ᎠᎴ ᎪᏛ ᎤᎦᎾᏬᏍᎨᎢ.
५४पतरस दूर ही दूर से उसके पीछे-पीछे महायाजक के आँगन के भीतर तक गया, और प्यादों के साथ बैठकर आग तापने लगा।
55 ᏄᏂᎬᏫᏳᏒᏃ ᎠᏥᎸ-ᎠᏁᎶᎯ ᎠᎴ ᏂᎦᏛ ᏓᏂᎳᏫᎥ ᎤᏂᏲᎮ ᎤᏂᏃᎮᎸᎯ ᏥᏌ ᎤᏡᏗᏍᎩ, ᎾᏍᎩ ᎤᏂᎯᏍᏗᏱ, ᎤᎾᏠᏤᏃ.
५५प्रधान याजक और सारी महासभा यीशु को मार डालने के लिये उसके विरोध में गवाही की खोज में थे, पर न मिली।
56 ᎤᏂᏣᏖᏰᏃ ᎦᏰᎪᎩ ᎠᏂᏃᎮᏍᎩ ᎬᏩᏡᏗᏍᎨᎢ, ᎠᏎᏃ ᎠᏂᏃᎮᏍᎬ ᎥᏝ ᎤᏠᏱ ᏱᎨᏎᎢ.
५६क्योंकि बहुत से उसके विरोध में झूठी गवाही दे रहे थे, पर उनकी गवाही एक सी न थी।
57 ᏚᎾᎴᏁᏃ ᎩᎶ ᎢᏳᎾᏍᏗ ᎠᎴ ᎦᏰᎪᎩ ᎤᏂᏃᎮᎴ ᎬᏩᏡᏗᏍᎬᎢ, ᎯᎠ ᎾᏂᏪᏍᎨᎢ;
५७तब कितनों ने उठकर उस पर यह झूठी गवाही दी,
58 ᎣᎦᏛᎦᏅᎩ ᎯᎠ ᏂᎧᏪᏍᎬᎩ, ᏓᏥᏲᏍᏔᏂ ᎯᎠ ᎤᏛᏅ-ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ, ᎾᏍᎩ ᏗᎪᏱ ᏗᎬᏔᏅᎯ ᎪᏢᏅᎯ, ᏦᎢᏉᏃ ᏧᏒᎯᏛ ᏛᏥᏱᎵᏙᎵ ᏛᎦᏁᏍᎨᎯ ᏅᏩᏓᎴ ᏗᎪᏱ ᏗᎬᏔᏅᎯ ᏂᎨᏒᎾ.
५८“हमने इसे यह कहते सुना है ‘मैं इस हाथ के बनाए हुए मन्दिर को ढा दूँगा, और तीन दिन में दूसरा बनाऊँगा, जो हाथ से न बना हो।’”
59 ᎠᏎᏃ ᎾᏍᏉ ᎾᏍᎩ ᎤᏂᏃᎮᎸᎯ ᎥᏝ ᎤᏠᏱ ᏱᎨᏎᎢ.
५९इस पर भी उनकी गवाही एक सी न निकली।
60 ᏄᎬᏫᏳᏒᏃ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ ᎠᏰᎵ ᎤᎴᏅ, ᎤᏛᏛᏁ ᏥᏌ, ᎯᎠ ᏁᏪᏎᎢ, ᏝᏍᎪ ᎪᎱᏍᏗ ᏯᏗᎭ? ᎦᏙ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏣᏂᏃᎮᎭ ᎨᏣᏡᏗᏍᎬᎢ?
६०तब महायाजक ने बीच में खड़े होकर यीशु से पूछा; “तू कोई उत्तर नहीं देता? ये लोग तेरे विरोध में क्या गवाही देते हैं?”
61 ᎠᏎᏃ ᎡᎳᏪᏉ ᎤᏩᏎᎢ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᎪᎱᏍᏗ ᏳᏛᏁ ᏨᏁᏤᎢ. ᏄᎬᏫᏳᏒᏃ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ ᏔᎵᏁ ᎤᏛᏛᏁ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᏂᎯᏍᎪ ᎦᎶᏁᏛ, ᎠᏥᎸᏉᏗ ᎤᏪᏥ?
६१परन्तु वह मौन साधे रहा, और कुछ उत्तर न दिया। महायाजक ने उससे फिर पूछा, “क्या तू उस परमधन्य का पुत्र मसीह है?”
62 ᏥᏌᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎠᏴ ᎾᏍᎩ; ᎠᎴ ᏓᏰᏥᎪᎢ ᏴᏫ ᎤᏪᏥ ᎤᏬᎴᏍᏗ ᎠᎦᏘᏏ ᎢᏗᏢ ᎤᎵᏂᎩᏛ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᏣᎢᏎᏍᏗ ᎤᎶᎩᎸ ᎦᎸᎶᎢ.
६२यीशु ने कहा, “हाँ मैं हूँ: और तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान की दाहिनी ओर बैठे, और आकाश के बादलों के साथ आते देखोगे।”
63 ᏄᎬᏫᏳᏒᏃ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ ᏚᏄᏩᎥ ᏚᏪᏣᎦᎸᎮᎢ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎦᏙᏃ ᎠᏏ ᏱᏗᎦᏚᎵ ᎠᏂᏃᎮᏍᎩ?
६३तब महायाजक ने अपने वस्त्र फाड़कर कहा, “अब हमें गवाहों का क्या प्रयोजन है?
64 ᎢᏣᏛᎬᎦ ᎠᏐᏢᎢᏍᏗᏍᎬᎢ; ᎦᏙ ᎢᏤᎵᎭ? ᏂᎦᏛᏃ ᏕᎬᏭᎪᏓᏁᎴ ᏰᎵᏉ ᎬᏩᏲᎱᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ.
६४तुम ने यह निन्दा सुनी। तुम्हारी क्या राय है?” उन सब ने कहा यह मृत्युदण्ड के योग्य है।
65 ᎢᎦᏛᏃ ᎤᎾᎴᏅᎮ ᏕᎬᏩᎵᏥᏍᏆᏍᎨᎢ, ᎠᎴ ᎤᎧᏛ ᎬᏭᏢᏁᎮᎢ, ᎠᎴ ᎠᏍᏈᏅ ᏕᎬᏩᏂᏗᏍᎨᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᎬᏩᏪᏎᎮᎢ, ᎭᏙᎴᎰᎯ; ᎠᎴ ᎨᏥᏅᏏᏓᏍᏗ ᏕᎬᏩᏂᎮᎢ.
६५तब कोई तो उस पर थूकने, और कोई उसका मुँह ढाँपने और उसे घूँसे मारने, और उससे कहने लगे, “भविष्यद्वाणी कर!” और पहरेदारों ने उसे पकड़कर थप्पड़ मारे।
66 ᏈᏓᏃ ᎡᎳᏗᏢ ᎾᎿᎭᎠᏓᏁᎸ ᎡᏙᎮᎢ, ᎤᎷᏤ ᎠᏏᏴᏫ ᎠᎨᏴ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ ᎤᏅᏏᏓᏍᏗ.
६६जब पतरस नीचे आँगन में था, तो महायाजक की दासियों में से एक वहाँ आई।
67 ᎾᏍᎩᏃ ᎤᎪᎲ ᏈᏓ ᎤᎦᎾᏬᏍᎬᎢ, ᏚᎧᎿᎭᏁᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᏂᎯ ᎾᏍᏉ ᏥᏍᏕᏙᎲᎩ ᏥᏌ ᎾᏎᎵᏗ ᎡᎯ.
६७और पतरस को आग तापते देखकर उस पर टकटकी लगाकर देखा और कहने लगी, “तू भी तो उस नासरी यीशु के साथ था।”
68 ᎠᏎᏃ ᎤᏓᏱᎴᎢ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎥᏝ ᏱᏥᎦᏔᎭ, ᎥᏝ ᎠᎴ ᏱᎪᎵᎦ ᏂᏪᏍᎬᎢ. ᎤᏄᎪᏤᏃ ᏙᏱᏗᏢ ᏩᏲᏓᏝᎲ ᏭᎶᏎᎢ; ᏣᏔᎦᏃ ᎤᏴᎵᏎᎢ.
६८वह मुकर गया, और कहा, “मैं तो नहीं जानता और नहीं समझता कि तू क्या कह रही है।” फिर वह बाहर डेवढ़ी में गया; और मुर्गे ने बाँग दी।
69 ᎠᏛᏃ ᏔᎵᏁ ᎤᎪᎮᎢ, ᎠᎴ ᎤᎴᏅᎮ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴ ᎾᎥ ᎠᏂᏙᎾᎢ, ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎾᎿᎭᎨᎳ.
६९वह दासी उसे देखकर उनसे जो पास खड़े थे, फिर कहने लगी, कि “यह उनमें से एक है।”
70 ᏔᎵᏁᏃ ᎤᏓᏱᎴᎢ. ᏂᎪᎯᎸᎾᏃ ᎣᏂ ᎾᏍᎩ ᎾᎥ ᎠᏂᏙᎾᎢ ᏔᎵᏁ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎴ ᏈᏓ, ᎤᏙᎯᏳᎯ ᏂᎯ ᎾᎿᎭᎮᎳ; ᎨᎵᎵᏰᏃ ᎮᎯ, ᎠᎴ ᎪᏬᏂᏍᎬ ᎤᏠᏱ ᎢᎩ.
७०परन्तु वह फिर मुकर गया। और थोड़ी देर बाद उन्होंने जो पास खड़े थे फिर पतरस से कहा, “निश्चय तू उनमें से एक है; क्योंकि तू गलीली भी है।”
71 ᎠᏎᏃ ᎤᎴᏅᎮ ᎤᏍᎩᏅᏕ ᎠᎴ ᎤᏎᎵᏔᏁ ᎯᎠ ᏁᏪᏎᎢ, ᎥᏝ ᏱᏥᎦᏔᎭ Ꮎ ᎠᏍᎦᏯ ᎾᏍᎩ ᏤᏥᏃᎮᎭ.
७१तब वह स्वयं को कोसने और शपथ खाने लगा, “मैं उस मनुष्य को, जिसकी तुम चर्चा करते हो, नहीं जानता।”
72 ᏔᎵᏁᏃ ᎤᏴᎵᏎ ᏣᏔᎦ. ᏈᏓᏃ ᎤᏅᏓᏕ ᏥᏌ ᏄᏪᏒᎢ, ᎯᎠ ᏥᏄᏪᏎᎴᎢ, ᎠᏏ ᏣᏔᎦ ᏔᎵ ᏄᏴᎳᏒᎾ ᎨᏎᏍᏗ, ᏦᎢ ᏅᏓᏍᏆᏓᏱᎵ. ᎾᏍᎩᏃ ᎤᏓᏅᏖᎸ ᏚᏠᏱᎴᎢ.
७२तब तुरन्त दूसरी बार मुर्गे ने बाँग दी पतरस को यह बात जो यीशु ने उससे कही थी याद आई, “मुर्गे के दो बार बाँग देने से पहले तू तीन बार मेरा इन्कार करेगा।” वह इस बात को सोचकर फूट फूटकर रोने लगा।

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