< ᏉᎳ ᏧᏬᏪᎳᏅᎯ ᏔᎵᏁ ᏗᎹᏗ ᏧᏬᏪᎳᏁᎸᎯ 2 >
1 ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᏂᎯ ᎠᏇᏥ ᏣᎵᏂᎪᎯᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎬᏩᎦᏘᏯ ᎤᏓᏙᎵᏍᏗ ᎨᏒ ᎾᏍᎩ ᏥᏌ ᎦᎶᏁᏛ ᏅᏓᏳᎵᏍᎪᎸᏔᏅᎯ.
१इसलिए हे मेरे पुत्र, तू उस अनुग्रह से जो मसीह यीशु में है, बलवन्त हो जा।
2 ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏍᏆᏛᎦᏁᎸᎯ ᏥᎩ ᎤᏂᏣᏘ ᎠᏂᎦᏔᎲᎢ, ᎾᏍᎩ ᏕᎭᎨᏅᏗᏍᎨᏍᏗ ᎠᏃᏍᏛ ᎠᏂᏍᎦᏯ ᎾᏍᎩ ᏰᎵ ᏗᎬᏩᏁᏲᏗ ᎨᏒ ᎾᏍᏉ Ꮎ ᏭᏅᎫᏛᎢ.
२और जो बातें तूने बहुत गवाहों के सामने मुझसे सुनी हैं, उन्हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे; जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों।
3 ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᏂᎯ ᎲᏂᏗᏳ ᎨᏎᏍᏗ ᎯᎩᎵᏲᎬᎢ, ᎾᏍᎩᏯ ᎣᏍᏛ ᎠᏯᏫᏍᎩ ᏥᏌ ᎦᎶᏁᏛ ᎤᏤᎵᎦ.
३मसीह यीशु के अच्छे योद्धा के समान मेरे साथ दुःख उठा।
4 ᎩᎶ ᏓᎿᎭᏩ ᏤᎪᎢ ᎥᏝ ᎬᏅ ᎤᎵᏍᏕᎸᏙᏗ ᏕᎤᎸᏫᏍᏓᏁᎲ ᏯᏚᏓᎸᏗᏍᎪᎢ, ᎤᏚᎵᏍᎪ ᎠᏍᎦᏰᎬᏍᏓ ᎣᏍᏛ ᎤᏰᎸᏗ ᏧᎸᏫᏍᏓᏁᏗᏱ.
४जब कोई योद्धा लड़ाई पर जाता है, तो इसलिए कि अपने वरिष्ठ अधिकारी को प्रसन्न करे, अपने आपको संसार के कामों में नहीं फँसाता
5 ᎢᏳ ᎠᎴ ᎩᎶ ᎤᏓᏎᎪᎩᏍᏗᏱ ᏣᏟᏂᎬᏁᎰᎢ, ᎥᏝ ᏯᏥᏍᏚᎸᏍᎪᎢ ᎬᏂ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᏂᎬᏅ ᎢᏳᏛᏁᎸᎯ ᏥᎨᏐᎢ.
५फिर अखाड़े में लड़नेवाला यदि विधि के अनुसार न लड़े तो मुकुट नहीं पाता।
6 ᏗᎦᎶᎩᏍᎩ ᏥᏚᎸᏫᏍᏓᏁᎰᎢ ᎢᎬᏱ ᎤᏪᎳᏗᏍᏙᏗ ᎨᏐ ᎤᎾᏄᎪᏫᏒᎯ.
६जो किसान परिश्रम करता है, फल का अंश पहले उसे मिलना चाहिए।
7 ᎭᏓᏅᏓᏛᎵ ᎯᎠ ᏥᏂᏥᏪᎭ; ᎤᎬᏫᏳᎯᏃ ᏫᏣᎲᏏ ᏣᎦᏙᎥᎯᏍᏗᏱ ᏂᎦᎥ ᏧᏓᎴᏅᏛ.
७जो मैं कहता हूँ, उस पर ध्यान दे और प्रभु तुझे सब बातों की समझ देगा।
8 ᏣᏅᏖᏍᏗ ᏥᏌ ᎦᎶᏁᏛ, ᏕᏫ ᎤᏪᏥ, ᎤᏲᎱᏒ ᏚᎴᎯᏌᏅᎢ, ᎾᏍᎩᏯ ᏂᎦᏪᏍᎬ ᎣᏍᏛ ᎧᏃᎮᏛ ᎠᏆᏤᎵᎦ,
८यीशु मसीह को स्मरण रख, जो दाऊद के वंश से हुआ, और मरे हुओं में से जी उठा; और यह मेरे सुसमाचार के अनुसार है।
9 ᎾᏍᎩ ᎾᎿᎭᏥᏥᎩᎵᏲᎦ ᎥᏆᎸᏍᏗᏱ ᎢᏴᏛ, ᎤᏲ ᏧᎸᏫᏍᏓᏁᎯ ᎾᏍᎩᏯᎢ; ᎤᏁᎳᏅᎯᏍᎩᏂ ᎤᏤᎵᎦ ᎧᏃᎮᏛ ᎥᏝ ᎦᎸᎸᎯ ᏱᎩ.
९जिसके लिये मैं कुकर्मी के समान दुःख उठाता हूँ, यहाँ तक कि कैद भी हूँ; परन्तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं।
10 ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎤᏁᎳᎩ ᎨᎵᎭ ᏂᎦᏛ ᏧᏓᎴᏅᏛ ᎾᏆᎵᏍᏓᏁᎵᏙᎲᎢ ᎨᎦᏑᏰᏛ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ, ᎠᎴ ᎤᏂᏩᏛᏗᏱ ᎠᎵᏍᏕᎸᏙᏗ ᎾᏍᎩ ᏥᏌ ᎦᎶᏁᏛ ᏅᏓᏳᎵᏍᎪᎸᏔᏅᎯ, ᎠᎴ ᎠᎵᏍᏆᏗᏍᎩ ᏂᎨᏒᎾ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎨᏒᎢ. (aiōnios )
१०इस कारण मैं चुने हुए लोगों के लिये सब कुछ सहता हूँ, कि वे भी उस उद्धार को जो मसीह यीशु में हैं अनन्त महिमा के साथ पाएँ। (aiōnios )
11 ᎤᏙᎯᏳᎯᏯ ᎢᎦᏪᏛ, ᎢᏳᏰᏃ ᎢᏧᎳᎭ ᏗᎩᏲᎱᏒᎯ ᎨᏎᏍᏗ, ᎠᏎ ᎾᏍᏉ ᎢᏧᎳᎭ ᏕᏛᏁᏍᏗ;
११यह बात सच है, कि यदि हम उसके साथ मर गए हैं तो उसके साथ जीएँगे भी।
12 ᎢᏳᏃ ᏕᏛᏂᎡᏍᏗ ᎠᏎ ᎾᏍᎩ ᎢᏧᎳᎭ ᎢᎩᎬᏫᏳᏌᏕᎨᏍᏗ; ᎢᏳᏃ ᎢᏒᏓᏓᏱᎸᎭ ᎾᏍᏉ ᎠᏎ ᏓᎦᏓᏱᎵ.
१२यदि हम धीरज से सहते रहेंगे, तो उसके साथ राज्य भी करेंगे; यदि हम उसका इन्कार करेंगे तो वह भी हमारा इन्कार करेगा।
13 ᎢᏳᏃ ᏁᏙᎢᏳᏅᎾ ᎢᎨᏎᏍᏗ ᎠᏎ ᏅᏩᏍᏗᏉ ᎦᎪᎯᏳᏗ ᎨᏒᎢ; ᎥᏝ ᎤᏩᏒ ᏴᎬᏓᏓᏱᎦ.
१३यदि हम विश्वासघाती भी हों तो भी वह विश्वासयोग्य बना रहता है, क्योंकि वह आप अपना इन्कार नहीं कर सकता।
14 ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏕᎭᏅᏓᏗᏍᏗᏍᎨᏍᏗ, ᎤᎵᏂᎩᏛᏯ ᏕᎯᏁᏤᎮᏍᏗ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎠᎦᏔᎲᎢ, ᎤᎾᏗᏒᏍᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ ᎨᏒ ᏓᏂᏬᏂᏍᎬᎢ, ᎪᎱᏍᏗ ᎬᏙᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᏥᎩ, ᏓᏂᎦᏔᎲᏍᎬᏉᏍᎩᏂ ᎬᏩᎾᏛᏓᏍᏓᏁᎯ.
१४इन बातों की सुधि उन्हें दिला, और प्रभु के सामने चिता दे, कि शब्दों पर तर्क-वितर्क न किया करें, जिनसे कुछ लाभ नहीं होता; वरन् सुननेवाले बिगड़ जाते हैं।
15 ᎭᏟᏂᎬᏁᎮᏍᏗ ᎬᏂᎨᏒ ᎢᏨᏁᏗᏱ ᎣᏏᏳ ᏣᏰᎸᏒ ᎤᏁᎳᏅᎯ, ᏗᏣᎸᏫᏍᏓᏁᎯ ᎨᏎᏍᏗ ᎨᏣᏕᎰᎯᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎨᏒᎢ, ᎣᏍᏛ ᏘᏯᏙᎮᎯ ᎦᏰᎪᎩ ᏂᎨᏒᎾ ᎧᏃᎮᏛ.
१५अपने आपको परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करनेवाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्जित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो।
16 ᎢᏴᏛᏍᎩᏂ ᏅᏁᎮᏍᏗ ᎦᏪᏢᏗ ᎨᏒ ᎠᎴ ᏄᎵᏌᎶᏛᎾ ᎦᏬᏂᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎾᏍᎩᏰᏃ ᎠᏂᏁᏉᏍᎨᏍᏗ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏗᏁᎶᏙᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎨᏒᎢ,
१६पर अशुद्ध बकवाद से बचा रह; क्योंकि ऐसे लोग और भी अभक्ति में बढ़ते जाएँगे।
17 ᎠᎴ ᎠᏂᏬᏂᏍᎬ ᎠᏓᏰᏍᎨᏍᏗ ᎾᏍᎩᏯ ᎤᎪᏏᏛ ᏣᏓᏰᏍᎪᎢ; ᎾᏍᎩ ᏄᎾᏍᏗ ᎭᎻᏂᏯ ᎠᎴ ᏆᎵᏓ,
१७और उनका वचन सड़े-घाव की तरह फैलता जाएगा: हुमिनयुस और फिलेतुस उन्हीं में से हैं,
18 ᎾᏍᎩ ᏚᏳᎪᏛ ᎨᏒ ᎤᎾᏞᏒ, ᎯᎠ ᏥᎾᏂᏪᎠ, ᎠᏲᎱᏒ ᏗᎴᎯᏐᏗ ᎨᏒ ᎦᏳᎳ ᎤᎶ ᏐᏅ; ᎠᎴ ᏓᏂᎷᏆᏗᏁᎭ ᎢᎦᏛ ᎤᏃᎯᏳᏒᎢ.
१८जो यह कहकर कि पुनरुत्थान हो चुका है सत्य से भटक गए हैं, और कितनों के विश्वास को उलट-पुलट कर देते हैं।
19 ᎠᏎᏍᎩᏂᏃᏅ ᎦᎫᏍᏛᏗ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎦ ᎤᎵᏂᎩᏗᏳ ᏂᎬᏅ; ᎯᎠᏰᏃ ᏂᎬᏅ ᎪᏪᎸᎢ, ᎤᎬᏫᏳᎯ ᏓᎦᏔᎭ ᎾᏍᎩ ᏧᏤᎵᎦ; ᎠᎴ ᎯᎠ, ᎩᎶ ᎧᏁᎢᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎦᎶᏁᏛ ᏚᏙᎥ ᎾᏍᎩ ᎠᏓᏅᎡᎮᏍᏗ ᎠᏍᎦᏂ.
१९तो भी परमेश्वर की पक्की नींव बनी रहती है, और उस पर यह छाप लगी है: “प्रभु अपनों को पहचानता है,” और “जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे।”
20 ᎠᏎᏃ ᎡᏆ ᏣᏓᏁᎶ ᎾᎿᎭᏓᎰ ᏗᏖᎵᏙ ᎥᏝ ᎠᏕᎸᏉ ᏓᎶᏂᎨ ᎠᎴ ᎠᏕᎸᎤᏁᎬ ᎤᏩᏒ ᏗᎪᏢᏔᏅᎯ ᏱᎨᏐᎢ, ᎾᏍᏉᏍᎩᏂ ᎠᏓ ᎠᎴ ᎦᏓ ᏗᎪᏢᏔᏅᎯ; ᎠᎴ ᎢᎦᏛ ᏗᎦᎸᏉᏗ ᎢᎦᏛᏃ ᏗᎦᎸᏉᏗ ᏂᎨᏒᎾ.
२०बड़े घर में न केवल सोने-चाँदी ही के, पर काठ और मिट्टी के बर्तन भी होते हैं; कोई-कोई आदर, और कोई-कोई अनादर के लिये।
21 ᎢᏳᏃ ᎩᎶ ᎤᏓᏅᎦᎸᏛ ᏱᎩ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎨᏒᎢ, ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎠᏖᎵᏙ ᎦᎸᏉᏗ ᎨᏎᏍᏗ, ᎦᎸᏉᏔᏅᎯ, ᎠᎴ ᏱᏍᏛ ᎢᎬᏁᎸᎯ ᎪᎱᏍᏗ ᎤᏩᏙᏗᏱ ᎦᏁᎳ; ᎠᎴ ᎠᏛᏅᎢᏍᏔᏅᎯ ᎾᎦᎥ ᎣᏍᏛ ᏗᎦᎸᏫᏍᏓᏁᏗ ᎨᏒ ᎤᎬᏩᎵ.
२१यदि कोई अपने आपको इनसे शुद्ध करेगा, तो वह आदर का पात्र, और पवित्र ठहरेगा; और स्वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा।
22 ᎠᎴ ᏕᎭᏓᏅᎡᎮᏍᏗ ᎩᎳ ᏗᎾᏛᏍᎩ ᎤᎾᏚᎸᏅᏗ ᎨᏒᎢ; ᎯᏍᏓᏩᏕᎨᏍᏗᏃ ᏚᏳᎪᏛ ᎨᏒ, ᎠᎴ ᎪᎯᏳᏗ ᎨᏒ, ᎠᎴ ᎠᏓᎨᏳᏗ ᎨᏒ, ᎠᎴ ᏅᏩᏙᎯᏯᏛ ᎨᏒᎢ, ᎢᏣᎵᎪᏎᏍᏗ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎠᎾᏓᏙᎵᏍᏓᏁᎯ ᎤᎾᏫ ᎦᏓᎭ ᏂᎨᏒᎾ ᎠᏅᏗᏍᎩ.
२२जवानी की अभिलाषाओं से भाग; और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उनके साथ धार्मिकता, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर।
23 ᏕᎭᏓᏅᎡᎮᏍᏗᏍᎩᏂ ᏄᎵᏌᎶᏛᎾ ᎠᎴ ᏅᎦᏔᎲᎾ ᏚᏬᏂᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎯᎦᏔᎭᏰᏃ ᏗᏘᏲᏍᏗ ᎨᏒ ᏩᎵᏰᎢᎶᎯᎲᎢ.
२३पर मूर्खता, और अविद्या के विवादों से अलग रह; क्योंकि तू जानता है, कि इनसे झगड़े होते हैं।
24 ᎤᎬᏫᏳᎯᏰᏃ ᎤᏅᏏᏓᏍᏗ ᎥᏝ ᏧᏘᏲᏍᏗ ᏱᎩ, ᏧᎨᏳᎯᏍᎩᏂ ᏱᎩ ᎾᏂᎥᎢ, ᏗᎬᏩᏕᏲᏗ ᏱᎩ, ᎬᏂᏗᏳ ᏱᎩ,
२४और प्रभु के दास को झगड़ालू नहीं होना चाहिए, पर सब के साथ कोमल और शिक्षा में निपुण, और सहनशील हो।
25 ᎤᏓᏅᏘ ᎬᏗᏍᎬ ᏱᎩ ᏕᎨᏲᎲᏍᎬ ᎬᏩᏡᏗᏍᎩ; ᎤᏚᎩ ᏳᏩᎭ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏧᏁᏗᏱ ᏧᏂᏁᏟᏴᏍᏗᏱ ᏚᎾᏓᏅᏛᎢ, ᎠᎴ ᏧᎾᏓᏂᎸᎢᏍᏗᏱ ᎤᏙᎯᏳᎯ ᎨᏒᎢ;
२५और विरोधियों को नम्रता से समझाए, क्या जाने परमेश्वर उन्हें मन फिराव का मन दे, कि वे भी सत्य को पहचानें।
26 ᎠᎴ ᎤᎾᏓᏅᏘᏐᏗᏱ ᎤᏅᏒ ᎤᎾᏚᏓᎴᏍᏗᏱ ᎠᏍᎩᎾ ᎤᏌᏛᎢ, ᎾᏍᎩ ᎫᏴᎩᏅᎯ ᏥᎩ ᎤᏩᏒᏉ ᎠᏓᏅᏖᏍᎬ ᎢᏧᏩᏁᎸᎯ.
२६और इसके द्वारा शैतान की इच्छा पूरी करने के लिये सचेत होकर शैतान के फंदे से छूट जाएँ।