< ପ୍ରକାସିତ୍‌ 5 >

1 ମୁୟ୍‌ଁ ସିଙ୍ଗାସଣେ ବଃସ୍‌ଲା ଲକାର୍‌ ବୁଜ୍‌ଣି ଆତେ ଗଟେକ୍‌ ହଃର୍ନା ପୁସ୍ତକ୍‌ ଦଃକ୍‌ଲେ, ସେରି ଦୁୟ୍‌ ବାଟ୍ୟା ଲେକା ଅୟ୍‌ଲାର୍‌ ଆର୍‌ ସାତ୍‌ ଗଟ୍‌ ମୁଦ୍ରା ମାରା ଅୟ୍‌ଆଚେ ।
और जो सिंहासन पर बैठा था, मैंने उसके दाहिने हाथ में एक पुस्तक देखी, जो भीतर और बाहर लिखी हुई थी, और वह सात मुहर लगाकर बन्द की गई थी।
2 ଆର୍‌ ମୁୟ୍‌ଁ ଗଟେକ୍‌ ବଃଡେ ସଃକାତାର୍‌ ଦୁତ୍‌ ଦଃକ୍‌ଲେ, ସେ ବଃଡ୍ ଟଣ୍ଡେ ପର୍ଚାର୍‌ କଃରି କଃଉତି ରିଲା, “କେ ଇ ମୁଦ୍ରା ସଃବୁ ବାଙ୍ଗାୟ୍‌ ପୁସ୍ତକ୍‌ ଇଟାଉଁକ୍‌ ଜୟ୍‌ଗ୍‌?”
फिर मैंने एक बलवन्त स्वर्गदूत को देखा जो ऊँचे शब्द से यह प्रचार करता था “इस पुस्तक के खोलने और उसकी मुहरें तोड़ने के योग्य कौन है?”
3 ମଃତର୍‌ ସଃର୍ଗ୍‌, ହୁର୍ତିବିଏ ଆର୍‌ ହଃତାଳେ କେ ସେ ପୁସ୍ତକ୍‌ ଇଟାଉଁକ୍‌ କି ସେରି ଦଃକୁକ୍‌ ଜୟ୍‌ଗ୍‌ ନୟ୍‌ଲାୟ୍‌ ।
और न स्वर्ग में, न पृथ्वी पर, न पृथ्वी के नीचे कोई उस पुस्तक को खोलने या उस पर दृष्टि डालने के योग्य निकला।
4 ସେ ପୁସ୍ତକ୍‌ ଇଟାଉଁକ୍‌ କି ସେରି ଦଃକୁକ୍‌ ଜୟ୍‌ଗ୍‌ କେ ନଃମିଳ୍‌ଲାକ୍‌ ମୁୟ୍‌ଁ ବେସି କାନ୍ଦ୍‌ଲେ ।
तब मैं फूट फूटकर रोने लगा, क्योंकि उस पुस्तक के खोलने, या उस पर दृष्टि करने के योग्य कोई न मिला।
5 ସେତାକ୍‌ ପାରାଚିନ୍‌ମଃନାର୍‌ ବିତ୍ରେହୁଣି ଗଟେକ୍‌ ଲକ୍‌ ମକ୍‌ କୟ୍‌ଲା, “କାନ୍ଦ୍‌ ନାୟ୍‌, ଦଃକ୍‌, ଜେ ଜିଉଦା ବଃଉଁସେ ଜଃଲମ୍‌ ସିମାବାଗ୍ ଆର୍‌ ଦାଉଦାର୍‌ ମୁଳ୍‌, ସେ ପୁସ୍ତକାର୍‌ ସାତ୍‌ଗଟ୍‌ ମୁଦ୍ରା ବାଙ୍ଗି, ସେରି ଇଟାଉଁକ୍‌ ଜିଣି ଆଚେ ।”
इस पर उन प्राचीनों में से एक ने मुझसे कहा, “मत रो; देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह, जो दाऊद का मूल है, उस पुस्तक को खोलने और उसकी सातों मुहरें तोड़ने के लिये जयवन्त हुआ है।”
6 ସଃଡେବଃଳ୍‌ ମୁୟ୍‌ଁ ଦଃକ୍‌ଲେ, ସିଙ୍ଗାସଣ୍, ଚାରିଜଃତୁ ଆର୍‌ ପାରାଚିନ୍‌ମଃନାର୍‌ ମଃଜାୟ୍‌ ଗଟେକ୍‌ ମେଣ୍ଡା ହିଲା ଟିଆ ଅୟ୍‌ଆଚେ, ସେ ମଃରି ଉଟ୍‌ଲା ହର୍‌ ଡିସ୍ତିରିଲା, ତାର୍‌ ସାତ୍‌ଗଟ୍‌ ସିଙ୍ଗ୍ ଆର୍‌ ସାତ୍‌ଗଟ୍‌ ଆକି; ସେ ସଃବୁ ଆକି ସଃବୁ ହୁର୍ତିୟେ ହଃଟାୟ୍‌ଲା ଇସ୍ୱରାର୍‌ ସାତ୍‌ଗଟ୍‌ ଆତ୍ମା ।
तब मैंने उस सिंहासन और चारों प्राणियों और उन प्राचीनों के बीच में, मानो एक वध किया हुआ मेम्ना खड़ा देखा; उसके सात सींग और सात आँखें थीं; ये परमेश्वर की सातों आत्माएँ हैं, जो सारी पृथ्वी पर भेजी गई हैं।
7 ସେ ମେଣ୍ଡାହିଲା ଆସି ସିଙ୍ଗାସଣେ ବଃସିରିଲା ଲକାର୍‌ କାତା ଆତେ ହୁଣି ସେ ପୁସ୍ତକ୍‌ ନିଲା ।
उसने आकर उसके दाहिने हाथ से जो सिंहासन पर बैठा था, वह पुस्तक ले ली,
8 ସେ ପୁସ୍ତକ୍‌କେ ନିଲା ଦାହ୍ରେ ସେ ଚାରିଜିବ୍‌ ଆର୍‌ ଚବିସ୍‌ ପାରାଚିନ୍ ମେଣ୍ଡା ହିଲାର୍‌ ମୁୟେ ମୁଣ୍ଡିଆ ମାର୍‌ଲାୟ୍‌; ସେମଃନାର୍‌ ସଃବ୍‌କାର୍‌ ଆତେ ବିଣା ଆର୍‌ ଦଃର୍ମିମଃନାର୍‌ ପାର୍ତ୍‌ନା ହର୍‌ ଦୁହ୍‌ଣି ତଃୟ୍‌ ହୁର୍ନ୍‌ ଅୟ୍‌ଲା ସନାର୍‌ କପା ରିଲି ।
जब उसने पुस्तक ले ली, तो वे चारों प्राणी और चौबीसों प्राचीन उस मेम्ने के सामने गिर पड़े; और हर एक के हाथ में वीणा और धूप से भरे हुए सोने के कटोरे थे, ये तो पवित्र लोगों की प्रार्थनाएँ हैं।
9 ସେମଃନ୍ ଗଟେକ୍‌ ନଃଉଆଁ ଗିତ୍‌ କୟ୍‌କଃରି କୟ୍‌ଲାୟ୍‌, “ତୁୟ୍‌ ସେ ପୁସ୍ତକ୍‌ ନେଉଁକ୍‌ ଆର୍‌ ସେତିର୍‌ ମୁଦ୍ରା ସଃବୁ ବାଙ୍ଗୁକ୍‌ ଜୟ୍‌ଗ୍‌, କାୟ୍‌ତାକ୍‌ବଃଲେକ୍‌ ତୁୟ୍‌ ମଃରି ରିଲିସ୍‌, ଆରେକ୍‌ ଅଃହ୍‌ଣାର୍‌ ବଃନି ତଃୟ୍‌ ସଃବୁ କୁଟୁମ୍‌, ବିନ୍‌ବିନ୍‌ ବାସାର୍‌ ଲକ୍‌, ବିନ୍‌ବିନ୍‌ ବଃଉଁସ୍‌ ଆର୍‌ ଜାତି ବିତ୍ରେ ଇସ୍ୱରାର୍‌ ଗିନେ ଲକ୍‌ମଃନ୍‌କେ ଗେନି ଆଚ୍‌ସି ।
और वे यह नया गीत गाने लगे, “तू इस पुस्तक के लेने, और उसकी मुहरें खोलने के योग्य है; क्योंकि तूने वध होकर अपने लहू से हर एक कुल, और भाषा, और लोग, और जाति में से परमेश्वर के लिये लोगों को मोल लिया है।
10 ଆରେକ୍‌ ସେମଃନ୍‌କେ ଅଃମିମଃନାର୍‌ ଇସ୍ୱରାର୍‌ ଗିନେ ରଃଜାର୍‌ ବଃଉଁସ୍‌ ଆର୍‌ ଜାଜକ୍‌ କଃରି ଆଚ୍‌ସି; ଆର୍‌ ସେମଃନ୍ ହୁର୍ତି ଉହ୍ରେ ରାଜ୍‌ କଃର୍ତି ।”
१०“और उन्हें हमारे परमेश्वर के लिये एक राज्य और याजक बनाया; और वे पृथ्वी पर राज्य करते हैं।”
11 ତାର୍‌ହଃଚେ ମୁୟ୍‌ଁ ଦଃକ୍‌ଲେ, ଆରେକ୍‌ ସିଙ୍ଗାସଣ୍, ଜିବ୍‌ଜଃତୁ ଆର୍‌ ପାରାଚିନ୍‌ମଃନାର୍‌ ଚାରିବାଟ୍ୟା ଗାଦାଗାଦା ଦୁତ୍‌ମଃନାର୍‌ ଟଣ୍ଡ୍ ସୁଣ୍‌ଲେ; ସେମଃନ୍ ଅଃଜାର୍‌ ଅଃଜାର୍‌ ଆର୍‌ ଲାକ୍‌ ଲାକ୍‌ ରିଲାୟ୍‌ ।
११जब मैंने देखा, तो उस सिंहासन और उन प्राणियों और उन प्राचीनों के चारों ओर बहुत से स्वर्गदूतों का शब्द सुना, जिनकी गिनती लाखों और करोड़ों की थी।
12 ସେମଃନ୍ ବଃଡ୍ ଟଣ୍ଡେ କଃଉତି ରିଲାୟ୍‌, “ସଃକାତ୍‌, ଦଃନ୍, ଗ୍ୟାନ୍, ସଃକ୍ତି, ମାନ୍‌ତି, ଜଃଜ୍‌ମାନ୍ ଆର୍‌ ଗୁଣ୍‌ଗିତ୍‌ ହାଉଁକ୍‌ ମଃରିରିଲା ମେଣ୍ଡା ହିଲା ହଃକା ଜୟ୍‌ଗ୍‌ ।”
१२और वे ऊँचे शब्द से कहते थे, “वध किया हुआ मेम्ना ही सामर्थ्य, और धन, और ज्ञान, और शक्ति, और आदर, और महिमा, और स्तुति के योग्य है।”
13 ଆର୍‌ ମୁୟ୍‌ଁ ସଃର୍ଗ୍‌, ହୁର୍ତି, ହଃତାଳ୍‌ ଆର୍‌ ସଃମ୍‌ନ୍ଦେ ରିଲା ସଃବୁ ଉବୁଜ୍‌ଲା ଜଃତୁ, ହେଁ, ସେତି ରିଲା ସଃବୁ ଇରି କଃଉତାର୍‌ ସୁଣ୍‌ଲେ, “ଗୁଣ୍‌ଗିତ୍‌, ମାନ୍‌ତି, ଜଃଜ୍‌ମାନ୍ ଆର୍‌ ରାଜ୍‌ କଃର୍ତାର୍‌ ଜୁଗେଜୁଗେ ସିଙ୍ଗାସଣେ ବଃସିରିଲା ଲକାର୍‌ ଆର୍‌ ମେଣ୍ଡାହିଲାର୍‌ ଅଃଉଅ ।” (aiōn g165)
१३फिर मैंने स्वर्ग में, और पृथ्वी पर, और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र की सब रची हुई वस्तुओं को, और सब कुछ को जो उनमें हैं, यह कहते सुना, “जो सिंहासन पर बैठा है, उसकी, और मेम्ने की स्तुति, और आदर, और महिमा, और राज्य, युगानुयुग रहे।” (aiōn g165)
14 ସେତାକ୍‌ ଚାରି ଜିବ୍‌ଜଃତୁ କୟ୍‌ଲାୟ୍‌, “ଆମେନ୍‌ ।” ଆରେକ୍‌ ପାରାଚିନ୍‌ମଃନ୍ ମୁଣ୍ଡିଆ ମାରି ଜୁଆର୍‌ କଃଲାୟ୍‌ ।
१४और चारों प्राणियों ने आमीन कहा, और प्राचीनों ने गिरकर दण्डवत् किया।

< ପ୍ରକାସିତ୍‌ 5 >