< নহিমিয়ের বই 9 >
1 সেই একই মাসের চব্বিশ দিনের দিন ইস্রায়েলীরা একত্র হয়ে উপবাস করল, চট পরল এবং মাথায় ধুলো দিল।
फिर इसी महीने की चौबीसवीं तारीख़ को बनी — इस्राईल रोज़ा रखकर और टाट ओढ़कर और मिट्टी अपने सिर पर डालकर इकट्ठे हुए।
2 ইস্রায়েলী সন্তানেরা অন্যান্য জাতির সমস্ত লোকদের কাছ থেকে নিজেদের আলাদা করল। তারা দাঁড়িয়ে নিজেদের পাপ ও তাদের পূর্বপুরুষদের অন্যায় স্বীকার করল।
और इस्राईल की नसल के लोग सब परदेसियों से अलग हो गए, और खड़े होकर अपने गुनाहों और अपने बाप — दादा की ख़ताओं का इक़रार किया।
3 তারা নিজ নিজ জায়গায় দাঁড়িয়ে তিন ঘণ্টা তাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর বিধানপুস্তক পড়ল, এবং আরও তিন ঘণ্টা নিজেদের পাপস্বীকার ও ঈশ্বর সদাপ্রভুর উপাসনা করল।
और उन्होंने अपनी अपनी जगह पर खड़े होकर एक पहर तक ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की किताब पढ़ी; और दूसरे पहर में, इक़रार करके ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा को सिज्दा करते रहे।
4 যেশূয়, বানি, কদ্মীয়েল, শবনিয়, বুন্নি, শেরেবিয়, বানি ও কনানী লেবীয়দের মাচায় দাঁড়িয়েছিলেন, তারা উচ্চস্বরে তাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুকে ডাকলেন।
तब क़दमीएल, यशू'अ, और बानी, और सबनियाह, बुन्नी और सरीबियाह, और बानी, और कना'नी ने लावियों की सीढ़ियों पर खड़े होकर बलन्द आवाज़ से ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से फ़रियाद की।
5 আর লেবীয়দের মধ্যে যেশূয়, কদ্মীয়েল, বানি, হশ্বনিয়, শেরেবিয়, হোদিয়, শবনিয় ও পথাহিয় বললেন, “ওঠো, তোমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর প্রশংসা করো, যিনি অনাদিকাল থেকে অনন্তকাল পর্যন্ত আছেন।” “তোমার প্রতাপান্বিত নাম ধন্য হোক, আমাদের দেওয়া সমস্ত ধন্যবাদ ও প্রশংসার চেয়েও তুমি মহান হও।
फिर यशू'अ, और क़दमिएल और बानी और हसबनियाह और सरीबियाह और हूदियाह, और सबनियाह, और फ़तहियाह लावियों ने कहा, खड़े हो जाओ, और कहो, ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा इब्तिदा से हमेशा तक मुबारक है; तेरा जलाली नाम मुबारक हो, जो सब हम्द — ओ — ता'रीफ़ से बाला है।
6 কেবল তুমিই সদাপ্রভু। তুমিই আকাশমণ্ডল, সর্বোচ্চ আকাশমণ্ডল, তার সমস্ত তারকারাশি, পৃথিবী ও তার উপরের সবকিছু, সমুদ্র ও তার মধ্যে স্থিত সমস্ত কিছু তৈরি করেছ। তুমিই সকলের প্রাণ দিয়েছ এবং স্বর্গের বাহিনী তোমার উপাসনা করে।
तू ही अकेला ख़ुदावन्द है; तूने आसमान और आसमानों के आसमान को और उनके सारे लश्कर को, और ज़मीन को और जो कुछ उसपर है, और समन्दरों को और जो कुछ उनमें है बनाया और तू उन सभों का परवरदिगार है; और आसमान का लश्कर तुझे सिज्दा करता है।
7 “তুমিই সদাপ্রভু ঈশ্বর, তুমি অব্রামকে মনোনীত করে কলদীয় দেশের ঊর থেকে বের করে নিয়ে এসেছিলে আর তার নাম অব্রাহাম রেখেছিলে।
तू वह ख़ुदावन्द ख़ुदा है जिसने इब्रहाम को चुन लिया, और उसे कसदियों के ऊर से निकाल लाया, और उसका नाम अब्रहाम रख्खा;
8 তুমি তার অন্তর বিশ্বস্ত দেখে কনানীয়, হিত্তীয়, ইমোরীয়, পরিষীয়, যিবূষীয় ও গির্গাশীয়ের দেশ তার বংশকে দেবার জন্য, তার সঙ্গে নিয়ম স্থাপন করেছিলে। তুমি ধর্মময় বলে তোমার প্রতিজ্ঞা তুমি রক্ষা করেছিলে।
तूने उसका दिल अपने सामने वफ़ादार पाया, और कना'नियों हित्तियों और अमोरियों फ़रिज़्ज़ियों और यबूसियों और जिरजासियों का मुल्क देने का 'अहद उससे बाँधा ताकि उसे उसकी नसल को दे; और तूने अपने सुख़न पूरे किए क्यूँकि तू सादिक़ है।
9 “মিশর দেশে আমাদের পূর্বপুরুষদের কষ্টভোগ তুমি দেখেছিলে; লোহিত সাগরের তীরে তাদের কান্না শুনেছিলে।
और तूने मिस्र में हमारे बाप — दादा की मुसीबत पर नज़र की, और बहर — ए — कु़लजु़म के किनारे उनकी फ़रियाद सुनी।
10 ফরৌণ, তার সমস্ত কর্মচারী ও তার দেশের সমস্ত লোকদের বিরুদ্ধে তুমি বিভিন্ন চিহ্ন ও আশ্চর্য কাজ দেখিয়েছিলে, কেননা তুমি জানতে মিশরীয়েরা তাদের বিরুদ্ধে গর্ব করত। তুমি নিজের নাম প্রতিষ্ঠা করেছিলে, যা আজও আছে।
और फ़िर'औन और उसके सब नौकरों, और उसके मुल्क की सब र'इयत पर निशान और 'अजायब कर दिखाए; क्यूँकि तू जानता था कि वह ग़ुरूर के साथ उनसे पेश आए। इसलिए तेरा बड़ा नाम हुआ, जैसा आज है।
11 তুমি তাদের সামনে সাগরকে দু-ভাগ করেছিলে, যাতে তারা শুকনো জমির উপর দিয়ে পার হয়েছিল, কিন্তু প্রবল জলে যেমন পাথর ফেলা হয়, যারা তাদের তাড়া করে আসছিল তুমি তাদের তেমনি করে অগাধ জলে ফেলেছিলে।
और तूने उनके आगे समन्दर को दो हिस्से किया, ऐसा कि वह समन्दर के बीच सूखी ज़मीन पर होकर चले; और तूने उनका पीछा करनेवालों को गहराओ में डाला, जैसा पत्थर समन्दर में फेंका जाता है।
12 তুমি দিনে মেঘস্তম্ভ ও রাত্রে অগ্নিস্তম্ভ দ্বারা তাদের গন্তব্য পথে আলো দিয়ে তাদের চালাতে।
और तूने दिन को बादल के सुतून में होकर उनकी रहनुमाई की और रात को आग के सुतून में, ताकि जिस रास्ते उनको चलना था उसमें उनको रोशनी मिले।
13 “তুমি সীনয় পর্বতের উপর নেমে এসেছিলে; স্বর্গ থেকে তাদের সঙ্গে কথা বলেছিলে। তুমি তাদের ন্যায্য নির্দেশ, বিধি ও বিধান দিয়েছিলে।
और तू कोह-ए-सीना पर उतर आया, और तूने आसमान पर से उनके साथ बातें कीं, और रास्त अहकाम और सच्चे क़ानून और अच्छे आईन — ओ — फ़रमान उनको दिए,
14 তোমার পবিত্র বিশ্রামবার সম্বন্ধে তুমি তাদের জানিয়েছিলে এবং তোমার দাস মোশির মাধ্যমে তাদের আজ্ঞা, বিধি ও বিধান দিয়েছিলে।
और उनको अपने पाक सबत से वाक़िफ़ किया, और अपने बन्दे मूसा के ज़रिए' उनको अहकाम और आईन और शरी'अत दी।
15 খিদে মিটাবার জন্য তুমি স্বর্গ থেকে তাদের খাবার আর পিপাসা মিটাবার জন্য পাথর থেকে জল বের করে দিয়েছিলে। যে দেশ তাদের দেবার জন্য তুমি উন্নমিত হাতে শপথ করেছিলে সেখানে গিয়ে তা অধিকার করার জন্য তুমি তাদের আদেশ দিয়েছিল।
और तूने उनकी भूक मिटाने को आसमान पर से रोटी दी, और उनकी प्यास बुझाने को चट्टान में से उनके लिए पानी निकाला, और उनको फ़रमाया कि वह जाकर उस मुल्क पर क़ब्ज़ा करें जिसको उनको देने की तूने क़सम खाई थी।
16 “তবুও আমাদের পূর্বপুরুষদের ব্যবহার ছিল অহংকারপূর্ণ ও একগুঁয়ে, তারা তোমার আজ্ঞার বাধ্য হয়নি।
लेकिन उन्होंने और हमारे बाप — दादा ने ग़ुरूर किया, और बाग़ी बने और तेरे हुक्मों को न माना;
17 তারা শুনতে অস্বীকার করেছিল, আর তুমি তাদের মধ্যে যেসব আশ্চর্য কাজ করেছিলে তাও তারা মনে রাখেনি। তারা একগুঁয়েমি করে আবার দাসত্বে ফিরে যাবার জন্য বিদ্রোহভাবে একজন নেতাকে নিযুক্ত করেছিল। কিন্তু তুমি ক্ষমাবান ঈশ্বর, কৃপাময় ও স্নেহশীল, ক্রোধে ধীর ও দয়াতে মহান, তাই তাদের তুমি ত্যাগ করোনি,
और फ़रमाँबरदारी से इन्कार किया, और तेरे 'अजायब को जो तूने उनके बीच किए याद न रख्खा; बल्कि बाग़ी बने और अपनी बग़ावत में अपने लिए एक सरदार मुक़र्रर किया, ताकि अपनी ग़ुलामी की तरफ़ लौट जाएँ। लेकिन तू वह ख़ुदा है जो रहीम — ओ — करीम मु'आफ़ करने को तैयार, और क़हर करने में धीमा, और शफ़क़त में ग़नी है, इसलिए तूने उनको छोड़ न दिया।
18 এমনকি, তারা নিজেদের জন্য ছাঁচে ফেলে একটি বাছুরের মূর্তি তৈরি করে বলেছিল, ‘এই তোমাদের ঈশ্বর, মিশর থেকে যিনি তোমাদের বের করে এনেছেন,’ অথবা তারা যখন তোমাকে ভীষণ অপমান করেছিল।
लेकिन जब उन्होंने अपने लिए ढाला हुआ बछड़ा बनाकर कहा, 'ये तेरा ख़ुदा है, जो तुझे मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाया, और यूँ ग़ुस्सा दिलाने के बड़े बड़े काम किए;
19 “তোমার প্রচুর করুণায় তুমি তাদের প্রান্তরে পরিত্যাগ করোনি। দিনে তাদের পথ দেখাবার জন্য মেঘস্তম্ভ, এবং রাত্রে তাদের চলার পথে আলো দেবার জন্য অগ্নিস্তম্ভ তাদের উপর থেকে সরিয়ে নাওনি।
तो भी तूने अपनी गूँनागूँ रहमतों से उनको वीराने में छोड़ न दिया; दिन को बादल का सुतून उनके ऊपर से दूर न हुआ, ताकि रास्ते में उनकी रहनुमाई करे, और न रात को आग का सुतून दूर हुआ, ताकि वह उनको रोशनी और वह रास्ता दिखाए जिससे उनको चलना था।
20 তুমি তাদের শিক্ষা দেবার জন্য তোমার মঙ্গলময় আত্মা দান করেছিলে। তাদের খাওয়ার জন্য যে মান্না দিয়েছিলে তা বন্ধ করোনি, আর তুমি তাদের পিপাসা মিটাবার জন্য জল দিয়েছিলে।
और तूने अपनी नेक रूह भी उनकी तरबियत के लिए बख़्शी, और मन को उनके मुँह से न रोका, और उनको प्यास को बुझाने को पानी दिया।
21 চল্লিশ বছর পর্যন্ত প্রান্তরে তাদের প্রতিপালন করেছিলে, তাদের অভাব হয়নি, তাদের কাপড় পুরানো হয়নি এমনকি তাদের পা-ও ফোলেনি।
चालीस बरस तक तू वीराने में उनकी परवरिश करता रहा; वह किसी चीज़ के मुहताज न हुए, न तो उनके कपड़े पुराने हुए और न उनके पाँव सूजे।
22 “পরে তুমি অনেক রাজ্য ও জাতি তাদের হাতে দিয়েছিলে, এমনকি, তাদের সমস্ত জায়গাও তাদের মধ্যে ভাগ করে দিয়েছিলে। তারা হিষ্বোনের রাজা সীহোনের দেশ ও বাশন-রাজ ওগের দেশ অধিকার করেছিল।
इसके सिवा तूने उनको ममलुकतें और उम्मतें बख़्शीं, जिनको तूने उनके हिस्सों के मुताबिक़ उनको बाँट दिया; चुनाँचे वह सीहोन के मुल्क, और शाह — ए — हस्बोन के मुल्क, और बसन के बादशाह 'ओज के मुल्क पर क़ाबिज़ हुए।
23 আকাশের তারার মতন তুমি তাদের অসংখ্য সন্তান দিয়েছিলে, এবং সেই দেশে তাদের নিয়ে এসেছিলে, যে দেশের বিষয় তুমি তাদের পিতৃপুরুষদের কাছে বলেছিলে, যে তাতে ঢুকে অধিকার করবে।
तूने उनकी औलाद को बढ़ाकर आसमान के सितारों की तरह कर दिया, और उनको उस मुल्क में लाया जिसके बारे में तूने उनके बाप — दादा से कहा था कि वह जाकर उसपर क़ब्ज़ा करें।
24 তাদের সন্তানেরা সেই দেশে গিয়ে তা অধিকার করে নিয়েছিল। সেই দেশে বসবাসকারী কনানীয়দের তুমি তাদের সামনে ছোটো করেছিলে, তুমি কানানীয়দের, তাদের রাজাদের ও দেশের অন্যান্য জাতিদের তাদের হাতে তুলে দিয়েছিলে যাতে তারা তাদের উপর যা খুশি তাই করতে পারে।
तब उनकी औलाद ने आकर इस मुल्क पर क़ब्ज़ा किया, और तूने उनके आगे इस मुल्क के बाशिन्दों या'नी कना'नियों को मग़लूब किया, और उनको उनके बादशाहों और इस मुल्क के लोगों के साथ उनके हाथ में कर दिया कि जैसा चाहें वैसा उनसे करें।
25 তারা প্রাচীরে ঘেরা অনেক নগর ও উর্বর জমি অধিকার করেছিল, তারা সব রকম ভালো ভালো জিনিসে ভরা বাড়িঘর ও আগেই খোঁড়া হয়েছে এমন অনেক কুয়ো, দ্রাক্ষাক্ষেত্র, জলপাইয়ের বাগান এবং অনেক ফলের গাছ অধিকার করেছিল। তারা খেয়ে তৃপ্ত ও পুষ্ট হয়েছিল, এবং তোমার দেওয়া প্রচুর মঙ্গল ভোগ করেছিল।
तब उन्होंने फ़सीलदार शहरों और ज़रख़ेज़ मुल्क को ले लिया, और वह सब तरह के अच्छे माल से भरे हुए घरों और खोदे हुए कुँवों, और बहुत से अंगूरिस्तानों और ज़ैतून के बाग़ों और फलदार दरख़्तों के मालिक हुए; फिर वह खा कर सेर हुए और मोटे ताज़े हो गए, और तेरे बड़े एहसान से बहुत हज़ उठाया।
26 “তবুও তারা অবাধ্য হয়ে তোমার বিরুদ্ধে বিদ্রোহ করেছিল; তোমার বিধান তারা ত্যাগ করেছিল। তোমার যে ভাববাদীরা তোমার প্রতি তাদের ফিরাবার জন্য সাক্ষ্য দিতেন, তাদের হত্যা করেছিল, তারা ভয়ানক অসন্তোষের কাজ করেছিল।
तो भी वह ना — फ़रमान होकर तुझ से बाग़ी हुए, और उन्होंने तेरी शरी'अत को पीठ पीछे फेंका, और तेरे नबियों को जो उनके ख़िलाफ़ गवाही देते थे ताकि उनको तेरी तरफ़ फिरा लायें क़त्ल किया और उन्होंने ग़ुस्सा दिलाने के बड़े — बड़े काम किए।
27 সেইজন্য তুমি তাদের শত্রুদের হাতে তুলে দিয়েছিলে, যারা তাদের উপর অত্যাচার করেছিল। কিন্তু কষ্টের সময় তারা তোমার কাছে কাঁদত। তুমি স্বর্গ থেকে সেই কান্না শুনেছিলে এবং তোমার প্রচুর করুণায় তাদের উদ্ধারকারীদের পাঠিয়ে দিয়েছিলে, যারা শত্রুদের হাত থেকে তাদের উদ্ধার করেছিল।
इसलिए तूने उनको उनके दुश्मनों के हाथ में कर दिया, जिन्होंने उनको सताया; और अपने दुख के वक़्त में जब उन्होंने तुझ से फ़रियाद की, तो तूने आसमान पर से सुन लिया और अपनी गूँनागूँ रहमतों के मुताबिक़ उनको छुड़ाने वाले दिए जिन्होंने उनको उनके दुश्मनों के हाथ से छुड़ाया।
28 “কিন্তু যেই তারা বিশ্রাম পেত অমনি আবার তারা তোমার চোখে যা মন্দ তাই করত। এরপর তুমি শত্রুদের হাতে তাদের ছেড়ে দিয়েছিলে যাতে শত্রুরা তাদের উপর কর্তৃত্ব করে। কিন্তু আবার যখন তারা তোমার কাছে কাঁদত তখন স্বর্গ থেকে তা শুনে তোমার করুণায় তুমি বারে বারে তাদের উদ্ধার করতে।
लेकिन जब उनको आराम मिला तो उन्होंने फिर तेरे आगे बदकारी की, इसलिए तूने उनको उनके दुश्मनों के क़ब्ज़े में छोड़ दिया इसलिए वह उन पर मुसल्लत रहे; तो भी जब वह रुजू' लाए और तुझ से फ़रियाद की, तो तूने आसमान पर से सुन लिया और अपनी रहमतों के मुताबिक़ उनको बार — बार छुड़ाया;
29 “তোমার বিধানের দিকে ফিরে আসবার জন্য তুমি তাদের সতর্ক করেছিলে, কিন্তু তারা অহংকারে পূর্ণ ছিল, ও তোমার আজ্ঞা অমান্য করেছিল। তোমার যেসব নির্দেশ পালন করলে মানুষ বাঁচে তার বিরুদ্ধে তারা পাপ করেছিল। তারা একগুঁয়ে হয়ে এবং ঘাড় শক্ত করে তোমার কথা শুনতে চায়নি।
और तूने उनके ख़िलाफ़ गवाही दी, ताकि अपनी शरी'अत की तरफ़ उनको फेर लाए। लेकिन उन्होंने ग़ुरूर किया और तेरे फ़रमान न माने, बल्कि तेरे अहकाम के बरख़िलाफ़ गुनाह किया जिनको अगर कोई माने, तो उनकी वजह से जीता रहेगा, और अपने कन्धे को हटाकर बाग़ी बन गए और न सुना।
30 কিন্তু তবুও অনেক বছর ধরে তুমি তাদের উপর ধৈর্য ধরেছিলে। তোমার ভাববাদীদের মাধ্যমে তোমার আত্মার দ্বারা তুমি তাদের সতর্ক করেছিলে। অথচ তাতে তারা কান দেয়নি, সেইজন্য প্রতিবেশী অন্য জাতির লোকদের হাতে তুমি তাদের তুলে দিয়েছিলে।
तो भी तू बहुत बरसों तक उनकी बर्दाश्त करता रहा, और अपनी रूह से अपने नबियों के ज़रिए' उनके ख़िलाफ़ गवाही देता रहा; तो भी उन्होंने कान न लगाया, इसलिए तूने उनको और मुल्को के लोगों के हाथ में कर दिया।
31 কিন্তু তোমার প্রচুর করুণার জন্য তুমি তাদের নিঃশেষ অথবা ত্যাগ করোনি, কারণ তুমি কৃপাময় ও স্নেহশীল ঈশ্বর।
बावजूद इसके तूने अपनी गूँनागूँ रहमतों के ज़रिए' उनको नाबूद न कर दिया और न उनको छोड़ा, क्यूँकि तू रहीम — ओ — करीम ख़ुदा है।
32 “অতএব, হে আমাদের ঈশ্বর, তুমি মহান, শক্তিশালী ও ভয়ংকর ঈশ্বর, তুমি তোমার ভালোবাসার বিধান রক্ষা করে থাকো। আসিরিয়ার রাজাদের সময় থেকে শুরু করে আজ পর্যন্ত এই যে সকল ক্লেশ আমাদের উপর এবং আমাদের রাজাদের, কর্মকর্তাদের, যাজকদের, ভাববাদীদের, পিতৃপুরুষদের ও তোমার সকল প্রজাদের উপর যে ক্লেশ ঘটেছে তা তোমার চোখে যেন সামান্য মনে না হয়।
“इसलिए अब, ऐ हमारे ख़ुदा, बुज़ुर्ग, और क़ादिर — ओ — मुहीब ख़ुदा जो 'अहद — ओ — रहमत को क़ाईम रखता है। वह दुख जो हम पर और हमारे बादशाहों पर, और हमारे सरदारों और हमारे काहिनों पर, और हमारे नबियों और हमारे बाप — दादा पर, और तेरे सब लोगों पर असूर के बादशाहों के ज़माने से आज तक पड़ा है, इसलिए तेरे सामने हल्का न मा'लूम हो;
33 আমাদের প্রতি যা কিছু ঘটেছে, তুমি ন্যায়পরায়ণ থেকে বিশ্বস্তভাবে কাজ করেছ, কিন্তু আমরা অন্যায় করেছি।
तो भी जो कुछ हम पर आया है उस सब में तू 'आदिल है क्यूँकि तू सच्चाई से पेश आया, लेकिन हम ने शरारत की।
34 আমাদের রাজারা, আমাদের কর্মকর্তারা, আমাদের যাজকেরা এবং আমাদের পিতৃপুরুষেরা তোমার বিধান পালন করেননি; তারা তোমার আজ্ঞায় অথবা সতর্কবাণীতে মনোযোগ দেয়নি।
और हमारे बादशाहों और सरदारों और हमारे काहिनों और बाप — दादा ने न तो तेरी शरी'अत पर 'अमल किया और न तेरे अहकाम और शहादतों को माना, जिनसे तू उनके ख़िलाफ़ गवाही देता रहा।
35 আর তাদের রাজত্বকালে তোমার দেওয়া বড়ো ও উর্বর দেশে প্রচুর মঙ্গল ভোগ করেছিল, তবুও তারা তোমার সেবা করেনি কিংবা তাদের মন্দ পথ থেকে ফেরেনি।
क्यूँकि उन्होंने अपनी ममलुकत में, और तेरे बड़े एहसान के वक़्त जो तूने उन पर किया, और इस वसी' और ज़रख़ेज़ मुल्क में जो तूने उनके हवाले कर दिया, तेरी इबादत न की और न वह अपनी बदकारियों से बाज़ आए।
36 “কিন্তু দেখো, আজ আমরা দাস, ফলে যে দেশ তুমি আমাদের পিতৃপুরুষদের দিয়েছিলে যেন তারা তার ফল ও ভালো জিনিস খেতে পারে, আমরা সেখানেই দাস হয়ে রয়েছি।
देख, आज हम ग़ुलाम हैं, बल्कि उसी मुल्क में जो तूने हमारे बाप — दादा को दिया कि उसका फल और पैदावार खाएँ; इसलिए देख, हम उसी में ग़ुलाम हैं।
37 আমাদের পাপের জন্য যে রাজাদের তুমি আমাদের উপর রাজত্ব করতে দিয়েছ দেশের প্রচুর ফসল তাদের কাছেই যায়। তারা তাদের খুশি মতোই আমাদের শরীরের উপরে ও আমাদের পশুপালের উপরে কর্তৃত্ব করেন। আমরা মহা সংকটের মধ্যে রয়েছি।
वह अपनी कसीर पैदावार उन बादशाहों को देता है, जिनको तूने हमारे गुनाहों की वजह से हम पर मुसल्लत किया है; वह हमारे जिस्मों और हमारी मवाशी पर भी जैसा चाहते हैं इख़्तियार रखते हैं, और हम सख़्त मुसीबत में हैं।”
38 “এসব কারণে আমরা এখন নিজেদের মধ্যে লিখিতভাবে চুক্তি করছি আর তার উপর আমাদের কর্মকর্তারা, আমাদের লেবীয়রা এবং আমাদের যাজকেরা তাদের সিলমোহর দিচ্ছেন।”
“इन सब बातों की वजह से हम सच्चा 'अहद करते और लिख भी देते हैं, और हमारे हाकिम, और हमारे लावी, और हमारे काहिन उसपर मुहर करते हैं।”