< লুক 8 >
1 এরপর যীশু ঈশ্বরের রাজ্যের সুসমাচার ঘোষণা করতে করতে বিভিন্ন গ্রাম ও নগর পরিক্রমা করতে লাগলেন। সেই বারোজন প্রেরিতশিষ্যও তাঁর সঙ্গে ছিলেন।
इसके बाद शीघ्र ही प्रभु येशु परमेश्वर के राज्य की घोषणा तथा प्रचार करते हुए नगर-नगर और गांव-गांव फिरने लगे. बारहों शिष्य उनके साथ साथ थे.
2 মন্দ-আত্মা ও বিভিন্ন রোগ থেকে সুস্থতা লাভ করেছিলেন, এমন আরও কয়েকজন মহিলা তাদের সহযাত্রী হয়েছিলেন। তারা হলেন সেই মরিয়ম (মাগ্দালাবাসী নামে আখ্যাত), যার মধ্যে থেকে যীশু সাতটি ভূত তাড়িয়ে ছিলেন,
इनके अतिरिक्त कुछ वे स्त्रियां भी उनके साथ यात्रा कर रही थी, जिन्हें रोगों और दुष्टात्माओं से छुटकारा दिलाया गया था: मगदालावासी मरियम, जिसमें से सात दुष्टात्मा निकाले गए थे,
3 হেরোদের গৃহস্থালীর প্রধান ব্যবস্থাপক কূষের স্ত্রী যোহান্না, শোশন্না এবং আরও অনেকে। এই মহিলারা আপন আপন সম্পত্তি থেকে তাঁদের পরিচর্যা করতেন।
हेरोदेस के भंडारी कूज़ा की पत्नी योहान्ना, सूज़न्ना तथा अन्य स्त्रियां. ये वे स्त्रियां थी, जो अपनी संपत्ति से इनकी सहायता कर रही थी.
4 যখন অনেক লোক সমবেত হচ্ছিল এবং বিভিন্ন নগর থেকে লোকেরা যীশুর কাছে আসছিল, তিনি তাদের এই রূপক কাহিনিটি বললেন:
जब नगर-नगर से बड़ी भीड़ इकट्ठा हो रही थी और लोग प्रभु येशु के पास आ रहे थे, प्रभु येशु ने उन्हें इस दृष्टांत के द्वारा शिक्षा दी.
5 “একজন কৃষক তার বীজবপন করতে গেল। সে যখন বীজ ছড়াচ্ছিল, কিছু বীজ পথের ধারে পড়ল; সেগুলি পায়ের তলায় মাড়িয়ে গেল, আর পাখিরা এসে তা খেয়ে ফেলল।
“एक किसान बीज बोने के लिए निकला. बीज बोने में कुछ बीज तो मार्ग के किनारे गिरे, पैरों के नीचे कुचले गए तथा आकाश के पक्षियों ने उन्हें चुग लिया.
6 কতগুলি বীজ পড়ল পাথুরে জমিতে। সেগুলির অঙ্কুরোদ্গম হল, কিন্তু রস না থাকায় চারাগুলি শুকিয়ে গেল।
कुछ पथरीली भूमि पर जा पड़े, वे अंकुरित तो हुए परंतु नमी न होने के कारण मुरझा गए.
7 কিছু বীজ পড়ল কাঁটাঝোপের মধ্যে। কাঁটাঝোপ চারাগাছের সঙ্গেই বেড়ে উঠে তাদের ঢেকে ফেলল।
कुछ बीज कंटीली झाड़ियों में जा पड़े और झाड़ियों ने उनके साथ बड़े होते हुए उन्हें दबा दिया.
8 আবার কিছু বীজ পড়ল উৎকৃষ্ট জমিতে, সেখানে গাছগুলি বেড়ে উঠে যা বপন করা হয়েছিল, তার শতগুণ ফসল উৎপন্ন করল।” একথা বলার পর তিনি উচ্চকণ্ঠে বললেন, “যার শোনবার কান আছে, সে শুনুক।”
कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरे, बड़े हुए और फल लाए—जितना बोया गया था उससे सौ गुणा.” जब प्रभु येशु यह दृष्टांत सुना चुके तो उन्होंने ऊंचे शब्द में कहा, “जिसके सुनने के कान हों वह सुन ले.”
9 তাঁর শিষ্যেরা তাঁকে এই রূপকের অর্থ জিজ্ঞাসা করলেন।
उनके शिष्यों ने उनसे प्रश्न किया, “इस दृष्टांत का अर्थ क्या है?”
10 তিনি বললেন, “ঈশ্বরের রাজ্যের নিগূঢ়তত্ত্ব তোমাদেরই কাছে ব্যক্ত হয়েছে, কিন্তু অন্যদের কাছে আমি রূপকের আশ্রয়ে কথা বলি যেন, “‘দেখেও তারা দেখতে না পায়, আর শুনেও তারা বুঝতে না পায়।’
प्रभु येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम्हें तो परमेश्वर के राज्य का भेद जानने की क्षमता प्रदान की गई है किंतु अन्यों के लिए मुझे दृष्टान्तों का प्रयोग करना पड़ता हैं जिससे कि, “‘वे देखते हुए भी न देखें; और सुनते हुए भी न समझें.’
11 “এই রূপকের অর্থ হল এরকম: সেই বীজ ঈশ্বরের বাক্য।
“इस दृष्टांत का अर्थ यह है: बीज परमेश्वर का वचन है.
12 পথের উপর পতিত বীজ হল এমন কিছু লোক, যারা বাক্য শোনে, আর পরে দিয়াবল এসে তাদের অন্তর থেকে বাক্য হরণ করে, যেন তারা বিশ্বাস করতে না পারে ও পরিত্রাণ না পায়।
मार्ग के किनारे की भूमि वे लोग हैं, जो वचन सुनते तो हैं किंतु शैतान आता है और उनके मन से वचन उठा ले जाता है कि वे विश्वास करके उद्धार प्राप्त न कर सकें
13 পাথুরে জমির উপরে পতিত বীজ হল তারাই, যারা ঈশ্বরের বাক্য শোনামাত্র সানন্দে গ্রহণ করে, কিন্তু মূল না থাকায় তাদের বিশ্বাস ক্ষণস্থায়ী হয়, কিন্তু পরীক্ষার সময় তারা বিপথগামী হয়।
पथरीली भूमि वे लोग हैं, जो परमेश्वर के वचन को सुनने पर खुशी से स्वीकारते हैं किंतु उनमें जड़ न होने के कारण वे विश्वास में थोड़े समय के लिए ही स्थिर रह पाते हैं. कठिन परिस्थितियों में घिरने पर वे विश्वास से दूर हो जाते हैं.
14 কাঁটাঝোপের মধ্যে পতিত বীজ তারা, যারা বাক্য শোনে, কিন্তু জীবনে চলার পথে বিভিন্ন দুশ্চিন্তা, ধনসম্পত্তি ও বিলাসিতায় ব্যাহত হয়ে পরিপক্ব হতে পারে না।
वह भूमि जहां बीज कंटीली झाड़ियों के मध्य गिरा, वे लोग हैं, जो सुनते तो हैं किंतु जब वे जीवनपथ पर आगे बढ़ते हैं, जीवन की चिंताएं, धन तथा विलासिता उनका दमन कर देती हैं और वे मजबूत हो ही नहीं पाते.
15 কিন্তু উৎকৃষ্ট জমিতে পতিত বীজ তারাই, যারা উদার ও শুদ্ধচিত্ত, তারা বাক্য শুনে তা আঁকড়ে থাকে এবং নিষ্ঠার সঙ্গে প্রচুর শস্য উৎপন্ন করে।
इसके विपरीत उत्तम भूमि वे लोग हैं, जो भले और निष्कपट हृदय से वचन सुनते हैं और उसे दृढतापूर्वक थामे रहते हैं तथा निरंतर फल लाते हैं.
16 “প্রদীপ জ্বেলে কেউ পাত্রের মধ্যে লুকিয়ে রাখে না, বা খাটের নিচেও রেখে দেয় না। বরং প্রদীপটিকে সে একটি বাতিদানের উপরেই রেখে দেয়, যেন যারা ভিতরে প্রবেশ করে, তারা আলো দেখতে পায়।
“कोई भी दीपक को जलाकर न तो उसे बर्तन से ढांकता है और न ही उसे पलंग के नीचे रखता है परंतु उसे दीवट पर रखता है कि कमरे में प्रवेश करने पर लोग देख सकें.
17 কারণ গুপ্ত এমন কিছুই নেই, যা জানা যাবে না, বা প্রকাশ্যে উদ্ঘাটিত হবে না।
ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है जिसे प्रकट न किया जाएगा तथा ऐसा कोई रहस्य नहीं जिसे उजागर कर सामने न लाया जाएगा.
18 কাজেই কীভাবে শুনছ, সে বিষয়ে সতর্ক থেকো। যার আছে, তাকে আরও দেওয়া হবে; যার নেই, এমনকি, কিছু আছে বলে যদি সে মনে করে, তাও তার কাছ থেকে কেড়ে নেওয়া হবে।”
इसलिये इसका विशेष ध्यान रखो कि तुम कैसे सुनते हो. जिस किसी के पास है, उसे और भी दिया जाएगा तथा जिस किसी के पास नहीं है, उसके पास से वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके विचार से उसका है.”
19 এরপর যীশুর মা ও ভাইয়েরা তাঁর সঙ্গে সাক্ষাৎ করতে এলেন, কিন্তু ভিড়ের জন্য তাঁরা তাঁর কাছে পৌঁছাতে পারলেন না।
तब प्रभु येशु की माता और उनके भाई उनसे भेंट करने वहां आए किंतु लोगों की भीड़ के कारण वे उनके पास पहुंचने में असमर्थ रहे.
20 এক ব্যক্তি তাঁকে বলল, “আপনার মা ও ভাইয়েরা বাইরে দাঁড়িয়ে আছেন, আপনার সঙ্গে দেখা করতে চান।”
किसी ने प्रभु येशु को सूचना दी, “आपकी माता तथा भाई बाहर खड़े हैं—वे आपसे भेंट करना चाह रहे हैं.”
21 তিনি উত্তর দিলেন, “যারা ঈশ্বরের বাক্য শুনে সেইমতো কাজ করে, তারাই আমার মা ও ভাই।”
प्रभु येशु ने कहा, “मेरी माता और भाई वे हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते तथा उसका पालन करते हैं.”
22 একদিন যীশু তাঁর শিষ্যদের বললেন, “চলো আমরা সাগরের ওপারে যাই।” এতে তারা একটি নৌকায় উঠে বসে যাত্রা করলেন।
एक दिन प्रभु येशु ने शिष्यों से कहा, “आओ, हम झील की दूसरी ओर चलें.” इसलिये वे सब नाव में बैठकर चल दिए.
23 তাঁরা নৌকা চালানো শুরু করলে তিনি ঘুমিয়ে পড়লেন। এমন সময় সাগরে প্রচণ্ড ঝড় উঠল, নৌকা জলে ভর্তি হতে লাগল। তাঁরা এক ভয়ংকর বিপদের সম্মুখীন হলেন।
जब वे नाव खे रहे थे प्रभु येशु सो गए. उसी समय झील पर प्रचंड बवंडर उठा, यहां तक कि नाव में जल भरने लगा और उनका जीवन खतरे में पड़ गया.
24 শিষ্যেরা কাছে গিয়ে তাঁকে জাগালেন, “প্রভু, প্রভু, আমরা যে ডুবতে বসেছি!” তিনি উঠে বাতাস ও উত্তাল জলরাশিকে ধমক দিলেন, ঝড় থেমে গেল। সবকিছু শান্ত হল।
शिष्यों ने जाकर प्रभु येशु को जगाते हुए कहा, “स्वामी! स्वामी! हम नाश हुए जा रहे हैं!” प्रभु येशु उठे. और बवंडर और तेज लहरों को डांटा; बवंडर थम गया तथा तेज लहरें शांत हो गईं.
25 তিনি তাঁর শিষ্যদের বললেন, “তোমাদের বিশ্বাস কোথায় গেল?” ভয়ে ও বিস্ময়ে তাঁরা পরস্পর বলাবলি করলেন, “ইনি তাহলে কে, যিনি বাতাস ও জলকে আদেশ দেন, ও তারা তাঁর কথা মেনে চলে?”
“कहां है तुम्हारा विश्वास?” प्रभु येशु ने अपने शिष्यों से प्रश्न किया. भय और अचंभे में वे एक दूसरे से पूछने लगे, “कौन हैं यह, जो बवंडर और लहरों तक को आदेश देते हैं और वे भी उनके आदेशों का पालन करती हैं!”
26 পরে তাঁরা গেরাসেনী অঞ্চলে পৌঁছালেন। সেই স্থানটি গালীল সাগরের অপর পারে অবস্থিত।
इसके बाद वे गिरासेन प्रदेश में आए, जो गलील झील के दूसरी ओर है.
27 যীশু তীরে নামবার সঙ্গে সঙ্গেই নগরের এক মন্দ-আত্মাগ্রস্ত ব্যক্তির সাক্ষাৎ পেলেন। বহুদিন ধরে এই লোকটি বিনা কাপড়ে উলঙ্গ হয়ে থাকত, বাড়িতে বসবাস করত না। সে থাকত কবরস্থানে।
जब प्रभु येशु तट पर उतरे, उनकी भेंट एक ऐसे व्यक्ति से हो गई, जिसमें अनेक दुष्टात्मा समाये हुए थे. दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति उनके पास आ गया. यह व्यक्ति लंबे समय से कपड़े न पहनता था. वह मकान में नहीं परंतु कब्रों की गुफाओं में रहता था.
28 সে যীশুকে দেখে চিৎকার করে উঠল এবং তাঁর পায়ে লুটিয়ে পড়ে উচ্চস্বরে বলল, “পরাৎপর ঈশ্বরের পুত্র যীশু, আপনি আমাকে নিয়ে কী করতে চান? আমি আপনার কাছে মিনতি করি, আমাকে যন্ত্রণা দেবেন না!”
प्रभु येशु पर दृष्टि पड़ते ही वह चिल्लाता हुआ उनके चरणों में जा गिरा और अत्यंत ऊंचे शब्द में चिल्लाया, “येशु! परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र! मेरा और आपका एक दूसरे से क्या लेना देना? आपसे मेरी विनती है कि आप मुझे कष्ट न दें,”
29 কারণ লোকটির মধ্য থেকে বেরিয়ে আসার জন্য যীশু সেই অশুচি আত্মাকে আদেশ দিয়েছিলেন। বারবার সে তার উপর ভর করত। লোকটির হাতে-পায়ে শিকল দিয়ে সতর্ক পাহারা রাখা হলেও, সে তার শিকল ছিঁড়ে ফেলত, আর ভূত তাকে তাড়িয়ে নির্জন স্থানে নিয়ে যেত।
क्योंकि प्रभु येशु दुष्टात्मा को उस व्यक्ति में से निकल जाने की आज्ञा दे चुके थे. समय समय पर दुष्टात्मा उस व्यक्ति पर प्रबल हो जाया करता था तथा लोग उसे सांकलों और बेड़ियों में बांधकर पहरे में रखते थे, फिर भी वह दुष्टात्मा बेड़ियां तोड़ उसे सुनसान स्थान में ले जाता था.
30 যীশু তাকে জিজ্ঞাসা করলেন, “তোমার নাম কী?” “বাহিনী,” সে উত্তর দিল, কারণ বহু ভূত তার মধ্যে প্রবেশ করেছিল।
प्रभु येशु ने उससे प्रश्न किया, “क्या नाम है तुम्हारा?” “विशाल सेना,” उसने उत्तर दिया क्योंकि अनेक दुष्टात्मा उसमें समाए हुए थे.
31 তারা তাঁর কাছে বারবার অনুরোধ করতে লাগল, তিনি যেন তাদের রসাতলে না পাঠান। (Abyssos )
दुष्टात्मा-गण प्रभु येशु से निरंतर विनती कर रहे थे कि वह उन्हें पाताल में न भेजें. (Abyssos )
32 সেখানে পাহাড়ের গায়ে বিশাল একপাল শূকর চরে বেড়াচ্ছিল। ভূতেরা শূকরদের মধ্যে প্রবেশ করার অনুমতি প্রার্থনা করে যীশুকে অনুনয় করল। তিনি তাদের অনুমতি দিলেন।
वहीं पहाड़ी के ढाल पर सूअरों का एक विशाल समूह चर रहा था. दुष्टात्माओं ने प्रभु येशु से विनती की कि वह उन्हें सूअरों में जाने की अनुमति दे दें. प्रभु येशु ने उन्हें अनुमति दे दी.
33 ভূতেরা লোকটির ভিতর থেকে বেরিয়ে এসে সেই শূকরপালের মধ্যে প্রবেশ করল। শূকরের পাল পাহাড়ের খাড়া ঢাল বেয়ে ছুটে গিয়ে হ্রদে পড়ে ডুবে গেল।
जब दुष्टात्मा उस व्यक्ति में से बाहर आए, उन्होंने तुरंत जाकर सूअरों में प्रवेश किया और सूअर ढाल से झपटकर दौड़ते हुए झील में जा डूबे.
34 যারা শূকর চরাচ্ছিল, তারা এই ঘটনাটি দেখে দৌড়ে পালিয়ে গেল ও নগরে ও গ্রামাঞ্চলে গিয়ে এই সংবাদ দিল।
इन सूअरों के चरवाहे यह देख दौड़कर गए और नगर तथा उस प्रदेश में सब जगह इस घटना के विषय में बताने लगे.
35 কী ঘটেছে দেখবার জন্য লোকেরা বাইরে এল। যীশুর কাছে উপস্থিত হয়ে তারা দেখতে পেল, সেই লোকটি ভূতের কবলমুক্ত হয়ে পোশাক পরে সুস্থ মনে যীশুর পায়ের কাছে বসে আছে। এই দেখে তারা ভয় পেয়ে গেল।
लोग वहां यह देखने आने लगे कि क्या हुआ है. तब वे प्रभु येशु के पास आए. वहां उन्होंने देखा कि वह व्यक्ति, जो पहले दुष्टात्मा से पीड़ित था, वस्त्र धारण किए हुए, पूरी तरह स्वस्थ और सचेत प्रभु येशु के चरणों में बैठा हुआ है. यह देख वे हैरान रह गए.
36 প্রত্যক্ষদর্শীরা সেই ভূতগ্রস্ত ব্যক্তিটি কীভাবে সুস্থ হয়েছে, তা সকলকে বলতে লাগল।
जिन्होंने यह सब देखा, उन्होंने जाकर अन्यों को सूचित किया कि यह दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति किस प्रकार दुष्टात्मा से मुक्त हुआ है.
37 তখন গেরাসেনী অঞ্চলের লোকেরা ভয় পেয়ে তাদের ছেড়ে চলে যাওয়ার জন্য যীশুকে অনুরোধ করল। যীশু তখন নৌকায় উঠে চলে গেলেন।
तब गिरासेन प्रदेश तथा पास के क्षेत्रों के सभी निवासियों ने प्रभु येशु को वहां से दूर चले जाने को कहा क्योंकि वे अत्यंत भयभीत हो गए थे. इसलिये प्रभु येशु नाव द्वारा वहां से चले गए.
38 যে লোকটির মধ্য থেকে ভূতেরা বেরিয়ে এসেছিল, সে তাঁর সঙ্গী হওয়ার জন্য যীশুকে অনুনয় করতে লাগল। কিন্তু যীশু তাকে ফিরিয়ে দিলেন,
वह व्यक्ति जिसमें से दुष्टात्मा निकाला गया था उसने प्रभु येशु से विनती की कि वह उसे अपने साथ ले लें किंतु प्रभु येशु ने उसे यह कहते हुए विदा किया,
39 বললেন, “তুমি বাড়ি ফিরে যাও, আর লোকদের গিয়ে বলো, ঈশ্বর তোমার জন্য কী করেছেন।” তাই লোকটি চলে গেল, আর যীশু তার জন্য যা করেছেন, সেকথা নগরের সর্বত্র বলে বেড়াতে লাগল।
“अपने परिजनों में लौट जाओ तथा इन बड़े-बड़े कामों का वर्णन करो, जो परमेश्वर ने तुम्हारे लिए किए हैं.” इसलिये वह लौटकर सभी नगर में यह वर्णन करने लगा कि प्रभु येशु ने उसके लिए कैसे बड़े-बड़े काम किए हैं.
40 যীশু ফিরে আসার পর লোকেরা তাঁকে স্বাগত জানাল, কারণ তারা তাঁর জন্য অপেক্ষা করছিল।
जब प्रभु येशु झील की दूसरी ओर पहुंचे, वहां इंतजार करती भीड़ ने उनका स्वागत किया.
41 সেই সময়, যায়ীর নামে এক ব্যক্তি এসে যীশুর পায়ে লুটিয়ে পড়লেন; তিনি ছিলেন সমাজভবনের একজন অধ্যক্ষ। তাঁর বাড়িতে আসার জন্য তিনি তাঁকে মিনতি করলেন।
जाइरूस नामक एक व्यक्ति, जो यहूदी सभागृह का प्रधान था, उनसे भेंट करने आया. उसने प्रभु येशु के चरणों पर गिरकर उनसे विनती की कि वह उसके साथ उसके घर जाएं
42 কারণ তাঁর একমাত্র মেয়ে তখন ছিল মৃত্যুশয্যায়, যার বয়স ছিল প্রায় বারো বছর। যীশু যখন পথ চলছিলেন, মানুষের ভিড়ে তাঁর চাপা পড়ার উপক্রম হল।
क्योंकि उसकी एकमात्र बेटी, जो लगभग बारह वर्ष की थी, मरने पर थी. जब प्रभु येशु वहां जा रहे थे, मार्ग में वह भीड़ में दबे जा रहे थे.
43 সেখানে এক নারী ছিল, যে বারো বছর ধরে রক্তস্রাবের ব্যাধিতে ভুগছিল। সে চিকিৎসকদের পিছনে তার সর্বস্ব ব্যয় করেছিল, কিন্তু কেউ তাকে সুস্থ করতে পারেনি।
वहां बारह वर्ष से लहूस्राव-पीड़ित एक स्त्री थी. उसने अपनी सारी जीविका वैद्यों पर खर्च कर दी थी, पर वह किसी भी इलाज से स्वस्थ न हो पाई थी.
44 নারী ভিড়ের মধ্যে যীশুর পিছনে এসে তাঁর পোশাকের আঁচল স্পর্শ করল এবং সঙ্গে সঙ্গে তার রক্তক্ষরণ বন্ধ হয়ে গেল।
इस स्त्री ने पीछे से आकर येशु के वस्त्र के छोर को छुआ, और उसी क्षण उसका लहू बहना बंद हो गया.
45 যীশু জিজ্ঞাসা করলেন, “কে আমাকে স্পর্শ করল?” তারা সবাই অস্বীকার করলে, পিতর বললেন, “প্রভু, লোকেরা ভিড় করে যে আপনার উপরে চেপে পড়ছে!”
“किसने मुझे छुआ है?” प्रभु येशु ने पूछा. जब सभी इससे इनकार कर रहे थे, पेतरॉस ने उनसे कहा, “स्वामी! यह बढ़ती हुई भीड़ आप पर गिरी जा रही है.”
46 কিন্তু যীশু বললেন, “কেউ একজন আমাকে স্পর্শ করেছে, কারণ আমি বুঝতে পেরেছি যে, আমার ভিতর থেকে শক্তি নির্গত হয়েছে।”
किंतु प्रभु येशु ने उनसे कहा, “किसी ने तो मुझे छुआ है क्योंकि मुझे यह पता चला है कि मुझमें से सामर्थ्य निकली है.”
47 সেই নারী যখন দেখল যে এই বিষয়টি গোপন রাখা সম্ভব নয়, তখন সে কাঁপতে কাঁপতে এগিয়ে এসে যীশুর পায়ে লুটিয়ে পড়ল। সে সমস্ত লোকের সাক্ষাতে বলল, কেন সে তাঁকে স্পর্শ করেছিল এবং কীভাবে, সেই মুহূর্তেই সে সুস্থ হয়েছিল।
जब उस स्त्री ने यह समझ लिया कि उसका छुपा रहना असंभव है, भय से कांपती हुई सामने आई और प्रभु येशु के चरणों में गिर पड़ी. उसने सभी उपस्थित भीड़ के सामने यह स्वीकार किया कि उसने प्रभु येशु को क्यों छुआ था तथा कैसे वह तत्काल रोग से चंगी हो गई.
48 তখন তিনি তাকে বললেন, “কন্যা, তোমার বিশ্বাসই তোমাকে সুস্থ করেছে। শান্তিতে ফিরে যাও।”
इस पर प्रभु येशु ने उससे कहा, “बेटी! तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ किया है. परमेश्वर की शांति में लौट जाओ.”
49 যীশু তখনও কথা বলছেন, এমন সময় সমাজভবনের অধ্যক্ষ যায়ীরের বাড়ি থেকে একজন এসে উপস্থিত হল। সে বলল, “আপনার মেয়ের মৃত্যু হয়েছে। আর গুরুমহাশয়কে বিব্রত করবেন না।”
जब प्रभु येशु यह कह ही रहे थे, यहूदी सभागृह प्रधान जाइरूस के घर से किसी व्यक्ति ने आकर सूचना दी, “आपकी पुत्री की मृत्यु हो चुकी है, अब गुरुवर को कष्ट न दीजिए.”
50 একথা শুনে যীশু যায়ীরকে বললেন, “ভয় পেয়ো না, শুধু বিশ্বাস করো, সে সুস্থ হয়ে যাবে।”
यह सुन प्रभु येशु ने जाइरूस को संबोधित कर कहा, “डरो मत! केवल विश्वास करो और वह स्वस्थ हो जाएगी.”
51 তিনি যায়ীরের বাড়িতে উপস্থিত হয়ে পিতর, যোহন ও যাকোব এবং মেয়েটির বাবা-মা ছাড়া আর কাউকে তাঁর সঙ্গে ভিতরে প্রবেশ করতে দিলেন না।
जब वे जाइरूस के घर पर पहुंचे, प्रभु येशु ने पेतरॉस, योहन और याकोब तथा कन्या के माता-पिता के अतिरिक्त अन्य किसी को अपने साथ भीतर आने की अनुमति नहीं दी.
52 সেই সময়, সমস্ত লোক মেয়েটির জন্য শোক ও বিলাপ করছিল। যীশু বললেন, “তোমাদের বিলাপ বন্ধ করো। সে মারা যায়নি, ঘুমিয়ে আছে মাত্র।”
उस समय सभी उस बालिका के लिए रो-रोकर शोक प्रकट कर रहे थे. “बंद करो यह रोना-चिल्लाना!” प्रभु येशु ने आज्ञा दी, “उसकी मृत्यु नहीं हुई है—वह सिर्फ सो रही है.”
53 তারা জানত, মেয়েটি মারা গেছে, তাই তারা যীশুকে উপহাস করল।
इस पर वे प्रभु येशु पर हंसने लगे क्योंकि वे जानते थे कि बालिका की मृत्यु हो चुकी है.
54 কিন্তু যীশু মেয়েটির হাত ধরে বললেন, “খুকুমণি, ওঠো!”
प्रभु येशु ने बालिका का हाथ पकड़कर कहा, “बेटी, उठो!”
55 তখন তার আত্মা ফিরে এল এবং সে তখনই উঠে দাঁড়াল। তখন যীশু তাদের বললেন মেয়েটিকে কিছু খেতে দিতে।
उसके प्राण उसमें लौट आए और वह तुरंत खड़ी हो गई. प्रभु येशु ने उनसे कहा कि बालिका को खाने के लिए कुछ दिया जाए.
56 তার বাবা-মা ভীষণ অবাক হয়ে গেল। কিন্তু তিনি এই ঘটনার বিষয়ে কাউকে কিছু বলতে তাদের নিষেধ করে দিলেন।
उसके माता-पिता चकित रह गए किंतु प्रभु येशु ने उन्हें निर्देश दिया कि जो कुछ हुआ है, उसकी चर्चा किसी से न करें.