< লুক 23 >
1 তখন সকলে দল বেঁধে উঠে তাঁকে পীলাতের কাছে নিয়ে গেল।
फिर पूरी मज्लिस उठी और 'ईसा को पीलातुस के पास ले आई।
2 তারা যীশুকে অভিযুক্ত করে বলল, “আমরা দেখেছি, এই লোকটি আমাদের জাতিকে বিপথে নিয়ে যাচ্ছে। সে কৈসরকে কর দিতে নিষেধ করে, আর নিজেকে খ্রীষ্ট, একজন রাজা বলে দাবি করে।”
और उन्होंने उस पर इल्ज़ाम लगा कर कहने लगे, “हम ने मालूम किया है कि यह आदमी हमारी क़ौम को गुमराह कर रहा है। यह क़ैसर को ख़िराज देने से मनह करता और दा'वा करता है कि मैं मसीह और बादशाह हूँ।”
3 পীলাত তাই যীশুকে জিজ্ঞাসা করলেন, “তুমি কি ইহুদিদের রাজা?” যীশু উত্তর দিলেন, “হ্যাঁ, ঠিক তাই, যেমন তুমি বললে।”
पीलातुस ने उस से पूछा, “अच्छा, तुम यहूदियों के बादशाह हो?” ईसा ने जवाब दिया, जी, “आप ख़ुद कहते हैं।”
4 পীলাত তখন প্রধান যাজকবর্গ ও লোকদের কাছে ঘোষণা করলেন, “এই মানুষটিকে অভিযুক্ত করার মতো কোনো দোষ আমি খুঁজে পেলাম না।”
फिर पीलातुस ने रहनुमा इमामों और हुजूम से कहा, “मुझे इस आदमी पर इल्ज़ाम लगाने की कोई वजह नज़र नहीं आती।”
5 কিন্তু তারা জোর দিয়ে বলল, “ও তার শিক্ষায় সমগ্র যিহূদিয়ার লোকদের উত্তেজিত করে তুলেছে। গালীল থেকে শুরু করে ও এখানেও এসে পৌঁছেছে।”
मगर वो और भी ज़ोर देकर कहने लगे कि ये तमाम यहूदिया में बल्कि गलील से लेकर यहाँ तक लोगों को सिखा सिखा कर उभारता है
6 একথা শুনে পীলাত জানতে চাইলেন, লোকটি গালীলীয় কি না।
यह सुन कर पीलातुस ने पूछा, “क्या यह शख़्स गलील का है?”
7 তিনি যখন জানতে পারলেন যে, যীশু হেরোদের শাসনাধীন, তিনি তাঁকে হেরোদের কাছে পাঠিয়ে দিলেন। সেই সময় হেরোদও জেরুশালেমে ছিলেন।
जब उसे मालूम हुआ कि ईसा गलील यानी उस इलाक़े से है, जिस पर हेरोदेस अनतिपास की हुकूमत है तो उस ने उसे हेरोदेस के पास भेज दिया, क्यूँकि वह भी उस वक़्त येरूशलेम में था।
8 যীশুকে দেখে হেরোদ অত্যন্ত খুশি হলেন, কারণ দীর্ঘকাল যাবৎ তিনি তাঁকে দেখতে চাইছিলেন। তিনি যীশুর সম্পর্কে যা শুনেছিলেন, সেইমতো আশা করছিলেন, তাঁকে কোনো অলৌকিক চিহ্নকাজ করতে দেখবেন।
हेरोदेस ईसा को देख कर बहुत ख़ुश हुआ, क्यूँकि उस ने उस के बारे में बहुत कुछ सुना था, और इस लिए काफ़ी दिनों से उस से मिलना चाहता था। अब उस की बड़ी ख़्वाहिश थी, कि ईसा को कोई मोजिज़ा करते हुए देख सके।
9 তিনি তাঁকে বহু প্রশ্ন করলেন, কিন্তু যীশু তাঁকে কোনও উত্তর দিলেন না।
उस ने उस से बहुत सारे सवाल किए, लेकिन ईसा ने एक का भी जवाब न दिया।
10 প্রধান যাজকবৃন্দ ও শাস্ত্রবিদরা সেখানে দাঁড়িয়ে প্রচণ্ডভাবে তাঁর বিরুদ্ধে দোষারোপ করতে লাগল।
रहनुमा इमाम और शरी'अत के उलमा साथ खड़े बड़े जोश से उस पर इल्ज़ाम लगाते रहे।
11 তখন হেরোদ ও তাঁর সেনারা তাঁকে তুচ্ছ ও ব্যঙ্গবিদ্রুপ করলেন। এক জমকালো পোশাক পরিয়ে যীশুকে তারা পীলাতের কাছে ফেরত পাঠালেন।
फिर हेरोदेस और उस के फ़ौजियों ने उसको ज़लील करते हुए उस का मज़ाक़ उड़ाया और उसे चमकदार लिबास पहना कर पीलातुस के पास वापस भेज दिया।
12 সেদিন হেরোদ ও পীলাত বন্ধু হয়ে উঠলেন; কারণ এর আগে তাঁরা পরস্পরের শত্রু ছিলেন।
उसी दिन हेरोदेस और पीलातुस दोस्त बन गए, क्यूँकि इस से पहले उन की दुश्मनी चल रही थी।
13 পীলাত প্রধান যাজকদের, সমাজভবনের অধ্যক্ষদের ও জনসাধারণকে একসঙ্গে ডেকে তাদের বললেন,
फिर पीलातुस ने रहनुमा इमामों, सरदारों और अवाम को जमा करके;
14 “বিদ্রোহের জন্য লোকদের উত্তেজিত করার অভিযোগে তোমরা এই লোকটিকে আমার কাছে নিয়ে এসেছ। তোমাদের সাক্ষাতে আমি তাকে পরীক্ষা করেছি, কিন্তু তাঁর বিরুদ্ধে তোমাদের অভিযোগের কোনো ভিত্তি আমি খুঁজে পাইনি।
उन से कहा, “तुम ने इस शख़्स को मेरे पास ला कर इस पर इल्ज़ाम लगाया है कि यह क़ौम को उकसा रहा है। मैं ने तुम्हारी मौजूदगी में इस का जायज़ा ले कर ऐसा कुछ नहीं पाया जो तुम्हारे इल्ज़ामात की तस्दीक़ करे।
15 আর হেরোদও কোনো দোষ পাননি, কারণ তিনি তাঁকে আমার কাছে ফেরত পাঠিয়েছেন। তোমরা দেখতেই পাচ্ছ, মৃত্যুদণ্ডের যোগ্য কোনো অপরাধই সে করেনি।
हेरोदेस भी कुछ नहीं मालूम कर सका, इस लिए उस ने इसे हमारे पास वापस भेज दिया है। इस आदमी से कोई भी ऐसा गुनाह नहीं हुआ कि यह सज़ा — ए — मौत के लायक़ है।
16 তাই, আমি তাকে শাস্তি দিয়ে ছেড়ে দেব।”
इस लिए मैं इसे कोड़ों की सज़ा दे कर रिहा कर देता हूँ।”
17 সেই পর্বের সময়ে একজন বন্দিকে মুক্তি দেওয়ার প্রথা ছিল।
[अस्ल में यह उस का फ़र्ज़ था कि वह ईद के मौक़े पर उन की ख़ातिर एक क़ैदी को रिहा कर दे]।
18 কিন্তু তারা সকলে চিৎকার করে উঠল, “এই লোকটিকে দূর করুন। আমরা বারাব্বার মুক্তি চাই।”
लेकिन सब मिल कर शोर मचा कर कहने लगे, “इसे ले जाएँ! इसे नहीं बल्कि बर — अब्बा को रिहा करके हमें दें।”
19 (নগরে বিদ্রোহের চেষ্টা ও হত্যার অপরাধে বারাব্বাকে কারারুদ্ধ করা হয়েছিল।)
(बर — अब्बा को इस लिए जेल में डाला गया था कि वह क़ातिल था और उस ने शहर में हुकूमत के ख़िलाफ़ बग़ावत की थी)।
20 যীশুকে মুক্ত করার অভিপ্রায়ে পীলাত তাদের কাছে আবার অনুরোধ করলেন।
पीलातुस ईसा को रिहा करना चाहता था, इस लिए वह दुबारा उन से मुख़ातिब हुआ।
21 কিন্তু তারা চিৎকার করতে লাগল, “ওকে ক্রুশে দিন! ওকে ক্রুশে দিন!”
लेकिन वह चिल्लाते रहे, “इसे मस्लूब करें, इसे मस्लूब करें।”
22 তিনি তৃতীয়বার তাদের কাছে বললেন, “কেন? এই মানুষটি কী অপরাধ করেছে? মৃত্যুদণ্ড দেওয়ার মতো কোনো কারণই আমি এর মধ্যে খুঁজে পাইনি। সেইজন্য আমি ওকে শাস্তি দিয়ে ছেড়ে দেব।”
फिर पीलातुस ने तीसरी दफ़ा उन से कहा, “क्यूँ? उस ने क्या जुर्म किया है? मुझे इसे सज़ा — ए — मौत देने की कोई वजह नज़र नहीं आती। इस लिए मैं इसे कोड़े लगवा कर रिहा कर देता हूँ।”
23 কিন্তু তাঁকে ক্রুশবিদ্ধ করার অনড় দাবিতে তারা উচ্চকণ্ঠে চিৎকার করতে লাগল। শেষ পর্যন্ত তাদের চিৎকারেরই জয় হল।
लेकिन वह बड़ा शोर मचा कर उसे मस्लूब करने का तक़ाज़ा करते रहे, और आख़िरकार उन की आवाज़ें ग़ालिब आ गईं।
24 তাই পীলাত তাদের দাবি মেনে নেওয়ার সিদ্ধান্ত নিলেন।
फिर पीलातुस ने फ़ैसला किया कि उन का मुतालबा पूरा किया जाए।
25 বিদ্রোহ ও হত্যার অভিযোগে যে লোকটি কারাগারে বন্দি ছিল ও যাকে তারা চেয়েছিল, তিনি তাকে মুক্তি দিলেন এবং তাদের ইচ্ছার কাছে তিনি যীশুকে সমর্পণ করলেন।
उस ने उस आदमी को रिहा कर दिया जो अपनी हुकूमत के ख़िलाफ़ हरकतों और क़त्ल की वजह से जेल में डाल दिया गया था जबकि ईसा को उस ने उन की मर्ज़ी के मुताबिक़ उन के हवाले कर दिया।
26 যীশুকে নিয়ে এগিয়ে চলার পথে কুরীণের অধিবাসী শিমোনকে তারা ধরল। সে গ্রাম থেকে শহরে আসছিল। তারা ক্রুশটি তার উপরে চাপিয়ে দিয়ে যীশুর পিছন পিছন সেটি বয়ে নিয়ে যেতে তাকে বাধ্য করল।
जब फ़ौजी ईसा को ले जा रहे थे तो उन्हों ने एक आदमी को पकड़ लिया जो लिबिया के शहर कुरेन का रहने वाला था। उस का नाम शमौन था। उस वक़्त वह देहात से शहर में दाख़िल हो रहा था। उन्हों ने सलीब को उस के कँधों पर रख कर उसे ईसा के पीछे चलने का हुक्म दिया।
27 বিস্তর লোক তাঁকে অনুসরণ করছিল। সেই সঙ্গে ছিল অনেক নারী, যারা তাঁর জন্য শোক ও বিলাপ করছিল।
एक बड़ा हुजूम उस के पीछे हो लिया जिस में कुछ ऐसी औरतें भी शामिल थीं जो सीना पीट पीट कर उस का मातम कर रही थीं।
28 যীশু ফিরে তাদের উদ্দেশে বললেন, “ওগো জেরুশালেমের কন্যারা, আমার জন্য তোমরা কেঁদো না, কিন্তু নিজেদের জন্য ও তোমাদের ছেলেমেয়েদের জন্য কাঁদো।
ईसा ने मुड़ कर उन से कहा, “येरूशलेम की बेटियो! मेरे वास्ते न रोओ बल्कि अपने और अपने बच्चों के वास्ते रोओ।
29 কারণ এমন সময় আসবে, যখন তোমরা বলবে, ‘ধন্য সেই বন্ধ্যা নারীরা, যাদের গর্ভ কোনোদিন সন্তানধারণ করেনি, যারা কোনোদিন বুকের দুধ পান করায়নি।’
क्यूँकि ऐसे दिन आएँगे जब लोग कहेंगे, मुबारिक़ हैं वह जो बाँझ हैं, जिन्हों ने न तो बच्चों को जन्म दिया, न दूध पिलाया।’
30 তখন “‘তারা পর্বতসকলের উদ্দেশে বলবে, “আমাদের উপরে পতিত হও!” আর পাহাড়গুলিকে বলবে, “আমাদের ঢেকে ফেলো!”’
फिर लोग पहाड़ों से कहने लगेंगे, हम पर गिर पड़ो, और पहाड़ियों से कि ‘हमें छुपा लो।”’
31 গাছ সতেজ থাকার সময়ই মানুষ যদি এরকম আচরণ করে, তাহলে গাছ যখন শুকিয়ে যাবে, তখন আরও কি না ঘটবে!”
“क्यूँकि अगर हरे दरख़्त से ऐसा सुलूक किया जाता है तो फिर सूखे के साथ क्या कुछ न किया जाएगा?”
32 আরও দুজন দুষ্কৃতীকে মৃত্যুদণ্ড দেওয়ার জন্য তাঁর সঙ্গে নিয়ে যাওয়া হচ্ছিল।
दो और मर्दों को भी मस्लूब करने के लिए बाहर ले जाया जा रहा था। दोनों मुजरिम थे।
33 মাথার খুলি নামক স্থানে উপস্থিত হয়ে তারা তাঁকে সেই দুষ্কৃতীদের সঙ্গে ক্রুশবিদ্ধ করল, একজনকে তাঁর ডানদিকে, অন্যজনকে তাঁর বাঁদিকে।
चलते चलते वह उस जगह पहुँचे जिस का नाम खोपड़ी था। वहाँ उन्हों ने ईसा को दोनों मुजरिमों समेत मस्लूब किया। एक मुजरिम को उस के दाएँ हाथ और दूसरे को उस के बाएँ हाथ लटका दिया गया।
34 তখন যীশু বললেন, “পিতা, এদের ক্ষমা করো, কারণ এরা জানে না, এরা কী করছে।” আর গুটিকাপাত করে তারা তাঁর পোশাকগুলি ভাগ করে নিল।
ईसा ने कहा, “ऐ बाप, इन्हें मुआफ़ कर, क्यूँकि यह जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं।” उन्हों ने पर्ची डाल कर उस के कपड़े आपस में बाँट लिए।
35 লোকেরা দাঁড়িয়ে সবকিছু লক্ষ্য করছিল। এমনকি, সমাজভবনের অধ্যক্ষরাও তাঁকে ব্যঙ্গবিদ্রুপ করল। তারা বলল, “ও অন্যদের বাঁচাত; ও যদি ঈশ্বরের সেই খ্রীষ্ট, সেই মনোনীত জন হয়, তাহলে এখন নিজেকে বাঁচাক!”
हुजूम वहाँ खड़ा तमाशा देखता रहा जबकि क़ौम के सरदारों ने उस का मज़ाक़ भी उड़ाया। उन्हों ने कहा, “उस ने औरों को बचाया है। अगर यह ख़ुदा का चुना हुआ और मसीह है तो अपने आप को बचाए।”
36 সৈন্যেরাও উঠে এসে তাঁকে বিদ্রুপ করল। তারা তাঁকে সিরকা দিয়ে বলল,
फ़ौजियों ने भी उसे लान — तान की। उस के पास आ कर उन्हों ने उसे मय का सिरका पेश किया
37 “তুমি যদি ইহুদিদের রাজা হও, তাহলে নিজেকে বাঁচাও।”
और कहा, “अगर तू यहूदियों का बादशाह है तो अपने आप को बचा ले।”
38 তাঁর মাথার উপরে একটি লিখিত বিজ্ঞপ্তি ছিল। তাতে লেখা ছিল, “এই ব্যক্তি ইহুদিদের রাজা।”
उस के सर के ऊपर एक तख़्ती लगाई गई थी जिस पर लिखा था, “यह यहूदियों का बादशाह है।”
39 ক্রুশার্পিত দুষ্কৃতীদের একজন তাঁকে কটূক্তি করে বলল, “তুমিই কি সেই খ্রীষ্ট নও? নিজেকে আর আমাদের বাঁচাও!”
जो मुजरिम उस के साथ मस्लूब हुए थे उन में से एक ने कुफ़्र बकते हुए कहा, “क्या तू मसीह नहीं है? तो फिर अपने आप को और हमें भी बचा ले।
40 কিন্তু অপর দুষ্কৃতী তাকে তিরস্কার করে বলল, “তুমি কি ঈশ্বরকেও ভয় করো না? তুমিও তো সেই একই দণ্ডভোগ করছ।
लेकिन दूसरे ने यह सुन कर उसे डाँटा, क्या तू ख़ुदा से भी नहीं डरता? जो सज़ा उसे दी गई है वह तुझे भी मिली है।
41 আমরা ন্যায়সংগত দণ্ডভোগ করছি, আমরা যা করেছি, তারই সমুচিত ফলভোগ করছি। কিন্তু এই মানুষটি কোনও অন্যায় করেননি।”
हमारी सज़ा तो वाजिबी है, क्यूँकि हमें अपने कामों का बदला मिल रहा है, लेकिन इस ने कोई बुरा काम नहीं किया।”
42 তারপর সে বলল, “যীশু, আপনি যখন নিজের রাজ্যে আসবেন, তখন আমাকে স্মরণ করবেন।”
फिर उस ने ईसा से कहा, “जब आप अपनी बादशाही में आएँ तो मुझे याद करें।”
43 যীশু তাকে উত্তর দিলেন, “আমি তোমাকে সত্যিই বলছি, আজই তুমি আমার সঙ্গে পরমদেশে উপস্থিত হবে।”
ईसा ने उस से कहा, “मैं तुझे सच बताता हूँ कि तू आज ही मेरे साथ फ़िरदोस में होगा।”
44 তখন দুপুর প্রায় বারোটা। সেই সময় থেকে বিকেল তিনটে পর্যন্ত সমস্ত দেশের উপরে অন্ধকার ছেয়ে রইল।
बारह बजे से दोपहर तीन बजे तक पूरा मुल्क अंधेरे में डूब गया।
45 সূর্যের আলো নিভে গেল। আর মন্দিরের পর্দাটি চিরে দু-টুকরো হল।
सूरज तारीक हो गया और बैत — उल — मुक़द्दस के पाकतरीन कमरे के सामने लटका हुआ पर्दा दो हिस्सों में फट गया।
46 যীশু উচ্চকণ্ঠে বলে উঠলেন, “পিতা, তোমার হাতে আমি আমার আত্মা সমর্পণ করি।” একথা বলে তিনি তাঁর শেষ নিশ্বাস ত্যাগ করলেন।
ईसा ऊँची आवाज़ से पुकार उठा, “ऐ बाप, मैं अपनी रूह तेरे हाथों में सौंपता हूँ।” यह कह कर उस ने दम तोड़ दिया।
47 এই সমস্ত ঘটনা প্রত্যক্ষ করে শত-সেনাপতি ঈশ্বরের প্রশংসা করে বললেন, “এই মানুষটি নিঃসন্দেহে ধার্মিক ছিলেন।”
यह देख कर वहाँ खड़े फ़ौजी अफ़्सर ने ख़ुदा की बड़ाई करके कहा, “यह आदमी वाक़'ई रास्तबाज़ था।”
48 এই দৃশ্য দেখার জন্য যারা সমবেত হয়েছিল, তারা তা দেখে বুকে আঘাত করতে করতে ফিরে গেল।
और हुजूम के तमाम लोग जो यह तमाशा देखने के लिए जमा हुए थे यह सब कुछ देख कर छाती पीटने लगे और शहर में वापस चले गए।
49 কিন্তু তাঁর পরিচিতজনেরা এবং গালীলের যে মহিলারা তাঁকে অনুসরণ করছিলেন, তাঁরা দূরে দাঁড়িয়ে এই সমস্ত ঘটনা লক্ষ্য করলেন।
लेकिन ईसा के जानने वाले कुछ फ़ासिले पर खड़े देखते रहे। उन में वह औरतें भी शामिल थीं जो गलील में उस के पीछे चल कर यहाँ तक उस के साथ आई थीं।
50 এখন যোষেফ নামে মহাসভার এক সদস্য সেখানে ছিলেন। তিনি ছিলেন সৎ ও ন্যায়পরায়ণ।
वहाँ एक नेक और रास्तबाज़ आदमी बनाम यूसुफ़ था। वह यहूदी अदालत — ए — अलिया का रुकन था
51 তিনি তাদের সিদ্ধান্তে ও কাজকর্মে সহমত ছিলেন না। তিনি ছিলেন যিহূদিয়ার আরিমাথিয়া নগরের অধিবাসী। তিনি ঈশ্বরের রাজ্যের আগমনের প্রতীক্ষায় ছিলেন।
लेकिन दूसरों के फ़ैसले और हरकतो पर रज़ामन्द नहीं हुआ था। यह आदमी यहूदिया के शहर अरिमतियाह का रहने वाला था और इस इन्तिज़ार में था कि ख़ुदा की बादशाही आए।
52 তিনি পীলাতের কাছে গিয়ে যীশুর দেহটি চেয়ে নিলেন।
अब उस ने पिलातुस के पास जा कर उस से ईसा की लाश ले जाने की इजाज़त माँगी।
53 তিনি তাঁর দেহটি ক্রুশ থেকে নামিয়ে একখণ্ড লিনেন কাপড়ে জড়িয়ে, পাহাড় কেটে তৈরি করা একটি সমাধিতে রাখলেন। আগে কখনও কাউকে সেখানে সমাধি দেওয়া হয়নি।
फिर लाश को उतार कर उस ने उसे कतान के कफ़न में लपेट कर चट्टान में तराशी हुई एक क़ब्र में रख दिया जिस में अब तक किसी को दफ़नाया नहीं गया था।
54 সেদিনটি ছিল প্রস্তুতির দিন, বিশ্রামদিন শুরু হতে অল্প কিছুক্ষণ বাকি ছিল।
यह तैयारी का दिन यानी जुमआ था, लेकिन सबत का दिन शुरू होने को था।
55 গালীল থেকে যীশুর সঙ্গে আগত মহিলারা যোষেফকে অনুসরণ করে সমাধি স্থানটি ও কীভাবে তাঁর দেহটি রাখা হল, তা দেখলেন।
जो औरतें ईसा के साथ गलील से आई थीं वह यूसुफ़ के पीछे हो लीं। उन्हों ने क़ब्र को देखा और यह भी कि ईसा की लाश किस तरह उस में रखी गई है।
56 তারপর তাঁরা বাড়ি ফিরে বিভিন্ন রকম মশলা ও সুগন্ধিদ্রব্য প্রস্তুত করলেন। কিন্তু বিধানের প্রতি বাধ্য হয়ে তাঁরা বিশ্রামদিনে বিশ্রাম করলেন।
फिर वह शहर में वापस चली गईं और उस की लाश के लिए ख़ुश्बूदार मसाले तैयार करने लगीं।