< লুক 11 >
1 একদিন যীশু কোনো এক স্থানে প্রার্থনা করছিলেন। যখন শেষ করলেন, তাঁর একজন শিষ্য তাঁকে বললেন, “প্রভু, যোহন যেমন তাঁর শিষ্যদের শিক্ষা দিয়েছিলেন, তেমন আপনিও আমাদের প্রার্থনা করতে শিখিয়ে দিন।”
फिर ऐसा हुआ कि वो किसी जगह दुआ कर रहा था; जब कर चुका तो उसके शागिर्दों में से एक ने उससे कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! जैसा युहन्ना ने अपने शागिर्दों को दुआ करना सिखाया, तू भी हमें सिखा।”
2 তিনি তাঁদের বললেন, “প্রার্থনা করার সময়, তোমরা বোলো: “‘হে পিতা, তোমার নাম পবিত্র বলে মান্য হোক, তোমার রাজ্য আসুক।
उसने उनसे कहा, “जब तुम दुआ करो तो कहो, ऐ बाप! तेरा नाम पाक माना जाए, तेरी बादशाही आए।
3 প্রতিদিন আমাদের দৈনিক আহার আমাদের দাও।
'हमारी रोज़ की रोटी हर रोज़ हमें दिया कर।
4 আর আমাদের সব পাপ ক্ষমা করো, যেমন আমরাও নিজেদের সব অপরাধীকে ক্ষমা করি। আর আমাদের প্রলোভনে পড়তে দিয়ো না।’”
और हमारे गुनाह मु'आफ़ कर, क्यूँकि हम भी अपने हर क़र्ज़दार को मु'आफ़ करते हैं, और हमें आज़माइश में न ला'।”
5 তারপর তিনি তাঁদের বললেন, “মনে করো, তোমাদের কোনও একজনের বন্ধু যদি মাঝরাতে তার কাছে গিয়ে বলে,
फिर उसने उनसे कहा, “तुम में से कौन है जिसका एक दोस्त हो, और वो आधी रात को उसके पास जाकर उससे कहे, 'ऐ दोस्त, मुझे तीन रोटियाँ दे।
6 ‘বন্ধু, আমাকে তিনটি রুটি ধার দাও। আমার এক বন্ধু এক জায়গায় যাওয়ার পথে আমার কাছে এসেছে। কিন্তু তাকে খেতে দেওয়ার মতো আমার কিছুই নেই।’
क्यूँकि मेरा एक दोस्त सफ़र करके मेरे पास आया है, और मेरे पास कुछ नहीं कि उसके आगे रख्खूँ।
7 তখন ভিতর থেকে সে উত্তর দিল, ‘আমাকে বিরক্ত কোরো না। দরজা বন্ধ করা হয়েছে, ছেলেমেয়েরা আমার সঙ্গে শুয়ে আছে। আমি উঠে তোমাকে কিছু দিতে পারছি না।’
और वो अन्दर से जवाब में कहे, 'मुझे तकलीफ़ न दे, अब दरवाज़ा बंद है और मेरे लड़के मेरे पास बिछोने पर हैं, मैं उठकर तुझे दे नहीं सकता।
8 আমি তোমাদের বলছি, যদিও তার বন্ধু বলে সে উঠে তাকে রুটি দিতে পারবে না, কিন্তু লোকটির আকুলতার জন্য সে উঠে তার চাহিদামতো রুটি তাকে দেবে।
मैं तुम से कहता हूँ, कि अगरचे वो इस वजह से कि उसका दोस्त है उठकर उसे न दे, तोभी उसकी बेशर्मी की वजह से उठकर जितनी दरकार है उसे देगा।
9 “তাই আমি তোমাদের বলছি, চাও, তোমাদের দেওয়া হবে; খোঁজ করো, তোমরা পাবে; কড়া নাড়ো, তোমাদের জন্য দ্বার খুলে দেওয়া হবে।
पस मैं तुम से कहता हूँ, माँगो तो तुम्हें दिया जाएगा, ढूँडो तो पाओगे, दरवाज़ा खटखटाओ तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा।
10 কারণ যে চায়, সে গ্রহণ করে; যে খোঁজ করে, সে সন্ধান পায়; আর যে কড়া নাড়ে, তার জন্য দ্বার খুলে দেওয়া হয়।
क्यूँकि जो कोई माँगता है उसे मिलता है, और जो ढूँडता है वो पाता है, और जो खटखटाता है उसके लिए खोला जाएगा।
11 “তোমাদের মধ্যে এমন বাবা কে আছে, ছেলে রুটি চাইলে যে তাকে পাথর দেবে, অথবা মাছ চাইলে তার পরিবর্তে সাপ দেবে?
तुम में से ऐसा कौन सा बाप है, कि जब उसका बेटा रोटी माँगे तो उसे पत्थर दे; या मछली माँगे तो मछली के बदले उसे साँप दे?
12 অথবা সে ডিম চাইলে তাকে কাঁকড়াবিছে দেবে?
या अंडा माँगे तो उसे बिच्छू दे?
13 তোমরা মন্দ প্রকৃতির হয়েও যদি নিজেদের সন্তানদের ভালো ভালো উপহার দিতে জানো, তাহলে যারা তোমাদের স্বর্গস্থ পিতার কাছে চায়, তাদের তিনি আরও কত না নিশ্চিতরূপে পবিত্র আত্মা দান করবেন!”
पस जब तुम बुरे होकर अपने बच्चों को अच्छी चीज़ें देना जानते हो, तो आसमानी बाप अपने माँगने वालों को रूह — उल — क़ुद्दूस क्यूँ न देगा।”
14 যীশু ভূতগ্রস্ত এক বোবা ব্যক্তির মধ্য থেকে ভূত তাড়ালেন। ভূতটি চলে গেলে বোবা মানুষটি কথা বলতে লাগল। এ দেখে লোকেরা ভীষণ চমৎকৃত হয়ে গেল।
फिर वो एक गूँगी बदरूह को निकाल रहा था, और जब वो बदरूह निकल गई तो ऐसा हुआ कि गूँगा बोला और लोगों ने ता'ज्जुब किया।
15 কিন্তু তাদের মধ্যে কয়েকজন বলল, “ও ভূতদের অধিপতি বেলসবুলের সহায়তায় ভূতদের দূর করে।”
लेकिन उनमें से कुछ ने कहा, “ये तो बदरूहों के सरदार बा'लज़बूल की मदद से बदरूहों को निकालता है।”
16 অন্যেরা তাঁকে পরীক্ষা করার জন্য কোনও স্বর্গীয় চিহ্ন দেখতে চাইল।
कुछ और लोग आज़माइश के लिए उससे एक आसमानी निशान तलब करने लगे।
17 যীশু তাদের মনের কথা জানতে পেরে তাদের বললেন, “কোনো রাজ্য যদি নিজেরই বিরুদ্ধে বিভাজিত হয়, তাহলে তার পতন হবে। কোনো পরিবার যদি নিজের বিরুদ্ধে বিভাজিত হয়, তাহলে তার পতন হবে।
मगर उसने उनके ख़यालात को जानकर उनसे कहा, “जिस सल्तनत में फ़ूट पड़े, वो वीरान हो जाती है; और जिस घर में फ़ूट पड़े, वो बरबाद हो जाता है।
18 শয়তান যদি নিজের বিরুদ্ধে বিভাজিত হয়ে পড়ে, কেমনভাবে তার সাম্রাজ্য টিকে থাকতে পারে? আমার একথা বলার কারণ, তোমরা বলে থাকো যে, আমি বেলসবুলের সহায়তায় ভূতদের তাড়িয়ে থাকি।
और अगर शैतान भी अपना मुख़ालिफ़ हो जाए, तो उसकी सल्तनत किस तरह क़ाईम रहेगी? क्यूँकि तुम मेरे बारे में कहते हो, कि ये बदरूहों को बा'लज़बूल की मदद से निकालता है।
19 আমি যদি বেলসবুলের দ্বারা ভূত তাড়িয়ে থাকি, তাহলে তোমাদের অনুগামীরা কার সাহায্যে তাদের তাড়ায়? সেই কারণে, তারাই তোমাদের বিচারক হবে।
और अगर में बदरूहों को बा'लज़बूल की मदद से निकलता हूँ, तो तुम्हारे बेटे किसकी मदद से निकालते हैं? पस वही तुम्हारा फ़ैसला करेंगे।
20 কিন্তু যদি আমি ঈশ্বরের শক্তির দ্বারা ভূত তাড়াই, তাহলে ঈশ্বরের রাজ্য তোমাদের উপরে এসে পড়েছে।
लेकिन अगर मैं बदरूहों को ख़ुदा की क़ुदरत से निकालता हूँ, तो ख़ुदा की बादशाही तुम्हारे पास आ पहुँची।
21 “কোনো শক্তিশালী ব্যক্তি যখন অস্ত্রশস্ত্রে সজ্জিত হয়ে নিজের প্রাসাদ পাহারা দেয়, তখন তার সম্পত্তি সুরক্ষিত থাকে।
जब ताक़तवर आदमी हथियार बाँधे हुए अपनी हवेली की रखवाली करता है, तो उसका माल महफ़ूज़ रहता है।
22 কিন্তু তার চেয়েও বলিষ্ঠ কেউ যখন আক্রমণ করে তাকে পরাস্ত করেন, পরাজিত লোকটি যে অস্ত্রশস্ত্রের উপর নির্ভর করেছিল, সেসব তিনি কেড়ে নেন এবং সমস্ত লুন্ঠিত দ্রব্য নিয়ে চলে যান।
लेकिन जब उससे कोई ताक़तवर हमला करके उस पर ग़ालिब आता है, तो उसके सब हथियार जिन पर उसका भरोसा था छीन लेता और उसका माल लूट कर बाँट देता है।
23 “যে আমার পক্ষে নয়, সে আমার বিপক্ষে, আর যে আমার সঙ্গে সংগ্রহ করে না, সে ছড়িয়ে ফেলে।
जो मेरी तरफ़ नहीं वो मेरे ख़िलाफ़ है, और जो मेरे साथ जमा नहीं करता वो बिखेरता है।”
24 “কোনো মানুষের ভিতর থেকে যখন কোনও দুষ্ট-আত্মা বের হয়ে যায় সে তখন বিশ্রামের খোঁজে শুষ্ক-ভূমিতে ঘুরে বেড়ায় কিন্তু তার সন্ধান পায় না। তখন সে বলে, ‘আমি যে বাড়ি ছেড়ে এসেছি সেখানেই ফিরে যাব।’
“जब नापाक रूह आदमी में से निकलती है तो सूखे मुक़ामों में आराम ढूँडती फिरती है, और जब नहीं पाती तो कहती है, 'मैं अपने उसी घर में लौट जाऊँगी जिससे निकली हूँ।
25 যখন সে ফিরে আসে, তখন সেই বাড়ি পরিচ্ছন্ন ও সুশৃঙ্খল দেখতে পায়।
और आकर उसे झड़ा हुआ और आरास्ता पाती है।
26 তখন সে গিয়ে তার থেকেও দুষ্ট আরও সাতটি আত্মাকে নিয়ে আসে, আর তারা ভিতরে প্রবেশ করে সেখানে বাস করতে থাকে। তখন সেই মানুষটির অন্তিমদশা আগের থেকে আরও বেশি শোচনীয় হয়ে পড়ে।”
फिर जाकर और सात रूहें अपने से बुरी अपने साथ ले आती है और वो उसमें दाख़िल होकर वहाँ बसती हैं, और उस आदमी का पिछला हाल पहले से भी ख़राब हो जाता है।”
27 যীশু যখন এসব কথা বলছিলেন, লোকদের মধ্য থেকে একজন স্ত্রীলোক চিৎকার করে বলে উঠল, “ধন্য সেই গর্ভ, যা আপনাকে ধারণ করেছিল এবং সেই স্তন, যার দুধ আপনি পান করেছিলেন।”
जब वो ये बातें कह रहा था तो ऐसा हुआ कि भीड़ में से एक 'औरत ने पुकार कर उससे कहा, मुबारिक़ है वो पेट जिसमें तू रहा और वो आंचल जो तू ने पिए।”
28 তিনি উত্তর দিলেন, “বরং তারাই ধন্য, যারা ঈশ্বরের বাক্য শোনে ও তা পালন করে।”
उसने कहा, “हाँ; मगर ज़्यादा मुबारिक़ वो है जो ख़ुदा का कलाम सुनते और उस पर 'अमल करते हैं।”
29 লোকের সংখ্যা ক্রমশ বাড়তে লাগল। যীশু বললেন, “বর্তমান প্রজন্মের লোকেরা দুষ্ট প্রকৃতির। তারা অলৌকিক নিদর্শন দেখতে চায়, কিন্তু যোনার নিদর্শন ছাড়া আর কিছুই তাদের দেওয়া হবে না।
जब बड़ी भीड़ जमा होती जाती थी तो वो कहने लगा, “इस ज़माने के लोग बुरे हैं, वो निशान तलब करते हैं; मगर यहून्ना के निशान के सिवा कोई और निशान उनको न दिया जाएगा।”
30 যোনা নীনবীবাসীদের কাছে যেমন নিদর্শনস্বরূপ ছিলেন, মনুষ্যপুত্রও তেমনই এই প্রজন্মের কাছে নিদর্শনস্বরূপ হবেন।
क्यूँकि जिस तरह यहून्ना निनवे के लोगों के लिए निशान ठहरा, उसी तरह इब्न — ए — आदम भी इस ज़माने के लोगों के लिए ठहरेगा।
31 বিচারের দিনে দক্ষিণ দেশের রানি এই প্রজন্মের লোকেদের সঙ্গে উঠে দাঁড়িয়ে তাদের অভিযুক্ত করবেন, কারণ শলোমনের প্রজ্ঞার বাণী শোনার জন্য তিনি পৃথিবীর সুদূর প্রান্ত থেকে এসেছিলেন। কিন্তু শলোমনের চেয়েও মহান একজন এখানে উপস্থিত আছেন।
दक्खिन की मलिका इस ज़माने के आदमियों के साथ 'अदालत के दिन उठकर उनको मुजरिम ठहराएगी, क्यूँकि वो दुनिया के किनारे से सुलैमान की हिक्मत सुनने को आई, और देखो, यहाँ वो है जो सुलैमान से भी बड़ा है।
32 বিচারের দিনে নীনবী নগরের লোকেরা এই প্রজন্মের লোকদের সঙ্গে উঠে দাঁড়াবে ও এদের অভিযুক্ত করবে, কারণ তারা যোনার প্রচারে মন পরিবর্তন করেছিল; আর এখন যোনার চেয়েও মহান একজন এখানে উপস্থিত আছেন।
निनवे के लोग इस ज़माने के लोगों के साथ, 'अदालत के दिन खड़े होकर उनको मुजरिम ठहराएँगे; क्यूँकि उन्होंने यहून्ना के एलान पर तौबा कर ली, और देखो, यहाँ वो है जो यहून्ना से भी बड़ा है।
33 “প্রদীপ জ্বেলে কেউ গোপন স্থানে, বা পাত্রের নিচে রাখে না, বরং সে দীপাধারের উপরে রাখে, যেন যারা ঘরের ভিতরে প্রবেশ করে, তারা আলো দেখতে পায়।
“कोई शख़्स चराग़ जला कर तहखाने में या पैमाने के नीचे नहीं रखता, बल्कि चराग़दान पर रखता है ताकि अन्दर जाने वालों को रोशनी दिखाई दे।
34 তোমার চোখই তোমার শরীরের প্রদীপ। তোমার চোখ যদি সরল হয়, তাহলে তোমার সমস্ত শরীর আলোকময় হয়ে উঠবে। কিন্তু চোখদুটি যদি মন্দ হয়, তোমার শরীরও হয়ে উঠবে অন্ধকারময়।
तेरे बदन का चराग़ तेरी आँख है, जब तेरी आँख दुरुस्त है तो तेरा सारा बदन भी रोशन है, और जब ख़राब है तो तेरा बदन भी तारीक है।
35 সেই কারণে দেখো, তোমার মধ্যে যে আলো রয়েছে বলে তুমি মনে করছ, তা আসলে অন্ধকার যেন না হয়।
पस देख, जो रोशनी तुझ में है तारीकी तो नहीं!
36 তাই তোমার সারা শরীর যদি আলোকময় হয়ে ওঠে ও তার কোনো অংশ যদি অন্ধকারময় না হয়, প্রদীপের আলো যেমন তোমার উপরে আলো দেয় তেমনই তোমার শরীরও সম্পূর্ণ আলোময় হয়ে উঠবে।”
पस अगर तेरा सारा बदन रोशन हो और कोई हिस्सा तारीक न रहे, तो वो तमाम ऐसा रोशन होगा जैसा उस वक़्त होता है जब चराग़ अपने चमक से रोशन करता है।”
37 যীশুর কথা বলা শেষ হওয়ার পর একজন ফরিশী তাঁকে তার সঙ্গে খাবারের জন্য নিমন্ত্রণ করল। তাই তিনি ভিতরে গিয়ে খেতে বসলেন।
जो वो बात कर रहा था तो किसी फ़रीसी ने उसकी दा'वत की। पस वो अन्दर जाकर खाना खाने बैठा।
38 কিন্তু খাওয়ার আগে যীশুকে প্রথামতো হাত পা ধুতে না দেখে, সেই ফরিশী অবাক হয়ে গেল।
फ़रीसी ने ये देखकर ता'अज्जुब किया कि उसने खाने से पहले ग़ुस्ल नहीं किया।
39 তখন প্রভু তাকে বললেন, “তোমরা ফরিশীরা, থালাবাটির বাইরের অংশ পরিষ্কার করে থাকো, কিন্তু তোমাদের অন্তর লালসা ও দুষ্টতায় ভর্তি থাকে।
ख़ुदावन्द ने उससे कहा, “ऐ फ़रीसियों! तुम प्याले और तश्तरी को ऊपर से तो साफ़ करते हो, लेकिन तुम्हारे अन्दर लूट और बदी भरी है।”
40 মূর্খের দল! বাইরের দিক যিনি তৈরি করেছেন, তিনি কি ভিতরের দিকও তৈরি করেননি?
ऐ नादानों! जिसने बाहर को बनाया क्या उसने अन्दर को नहीं बनाया?
41 কিন্তু পাত্রের ভিতরে যা আছে, তা দরিদ্রদের বিলিয়ে দাও, দেখবে, তোমাদের কাছে সবকিছুই শুচিশুদ্ধ হয়ে উঠবে।
हाँ! अन्दर की चीज़ें ख़ैरात कर दो, तो देखो, सब कुछ तुम्हारे लिए पाक होगा।
42 “ফরিশীরা, ধিক্ তোমাদের! কারণ তোমরা খেতের পুদিনা, তেজপাতা ও অন্যান্য শাকের এক-দশমাংশ ঈশ্বরকে দিয়ে থাকো, কিন্তু ন্যায়বিচার ও ঈশ্বরের প্রেম অবহেলা করে থাকো। এক-দশমাংশ দান করেও, আরও গুরুত্বপূর্ণ এই বিষয়গুলি তোমাদের পালন করা উচিত ছিল।
“लेकिन ऐ फ़रीसियों! तुम पर अफ़सोस, कि पुदीने और सुदाब और हर एक तरकारी पर दसवाँ हिस्सा देते हो, और इन्साफ़ और ख़ुदा की मुहब्बत से ग़ाफ़िल रहते हो; लाज़िम था कि ये भी करते और वो भी न छोड़ते।
43 “ফরিশীরা, ধিক্ তোমাদের! কারণ তোমরা সমাজভবনে সবচেয়ে গুরুত্বপূর্ণ আসনে বসতে এবং হাটেবাজারে লোকদের অভিবাদন পেতে ভালোবাসো।
ऐ फ़रीसियों! तुम पर अफ़सोस, कि तुम 'इबादतख़ानों में आ'ला दर्जे की कुर्सियाँ और और बाज़ारों में सलाम चाहते हो।
44 “ধিক্ তোমাদের! কারণ তোমরা চিহ্নহীন কবরের মতো, যার উপর দিয়ে মানুষ অজান্তে হেঁটে যায়।”
तुम पर अफ़सोस! क्यूँकि तुम उन छिपी हुई क़ब्रों की तरह हो जिन पर आदमी चलते है, और उनको इस बात की ख़बर नहीं।”
45 একজন শাস্ত্রবিদ তাঁকে উত্তর দিল, “গুরুমহাশয়, এ সমস্ত কথায় আপনি আমাদেরও অপমান করছেন।”
फिर शरा' के 'आलिमों में से एक ने जवाब में उससे कहा, “ऐ उस्ताद! इन बातों के कहने से तू हमें भी बे'इज़्ज़त करता है।”
46 যীশু প্রত্যুত্তরে বললেন, “শাস্ত্রবিদরা, ধিক্ তোমাদের! তোমরা সব মানুষের উপর এমন বোঝা চাপিয়ে দাও, যা তারা বইতে অক্ষম, কিন্তু তোমরা নিজেরা একটি আঙুল তুলেও তাদের সাহায্য করো না।
उसने कहा, “ऐ शरा' के 'आलिमों! तुम पर भी अफ़सोस, कि तुम ऐसे बोझ जिनको उठाना मुश्किल है, आदमियों पर लादते हो और तुम एक उंगली भी उन बोझों को नहीं लगाते।
47 “ধিক্ তোমাদের! কারণ তোমরা ভাববাদীদের সমাধি নির্মাণ করে থাকো, কিন্তু তোমাদের পূর্বপুরুষেরাই তাদের হত্যা করেছিল।
तुम पर अफ़सोस, कि तुम तो नबियों की क़ब्रों को बनाते हो और तुम्हारे बाप — दादा ने उनको क़त्ल किया था।
48 তোমাদের পূর্বপুরুষদের কাজ যে তোমরা সমর্থন করছ, তোমাদের কাজই তার প্রমাণ। তারা হত্যা করেছিল সেই ভাববাদীদের, আর তোমরা তাদের সমাধি নির্মাণ করছ!
पस तुम गवाह हो और अपने बाप — दादा के कामों को पसन्द करते हो, क्यूँकि उन्होंने तो उनको क़त्ल किया था और तुम उनकी क़ब्रें बनाते हो।
49 এজন্য ঈশ্বর তাঁর প্রজ্ঞায় বলেন, ‘আমি তাদের কাছে ভাববাদীদের ও প্রেরিতশিষ্যদের পাঠাব; তাদের কয়েকজনকে তারা হত্যা করবে এবং অন্যদের নিপীড়ন করবে।’
इसी लिए ख़ुदा की हिक्मत ने कहा है, मैं नबियों और रसूलों को उनके पास भेजूँगी, वो उनमें से कुछ को क़त्ल करेंगे और कुछ को सताएँगे।
50 তাই জগতের উৎপত্তিকাল থেকে সব ভাববাদীর রক্তপাতের জন্য এই প্রজন্মের মানুষেরাই দায়ী হবে।
ताकि सब नबियों के ख़ून का जो बिना — ए — 'आलम से बहाया गया, इस ज़माने के लोगों से हिसाब किताब लिया जाए।
51 হ্যাঁ, আমি তোমাদের বলছি, হেবল থেকে শুরু করে বেদি ও মন্দিরের মাঝখানে নিহত সখরিয় পর্যন্ত, সকলেরই রক্তপাতের জন্য বর্তমান প্রজন্ম দায়ী হবে।
हाबिल के ख़ून से लेकर उस ज़करियाह के ख़ून तक, जो क़ुर्बानगाह और मक़्दिस के बीच में हलाक हुआ। मैं तुम से सच कहता हूँ कि इसी ज़माने के लोगों से सब का हिसाब किताब लिया जाएगा।
52 “শাস্ত্রবিদরা, ধিক্ তোমাদের! কারণ তোমরা জ্ঞান-ভাণ্ডারের চাবি কেড়ে নিয়েছ। তোমরা নিজেরা তো প্রবেশ করোইনি, যারা প্রবেশ করতে চেয়েছে, তাদেরও বাধা দিয়েছ।”
ऐ शरा' के 'आलिमों! तुम पर अफ़सोस, कि तुम ने मा'रिफ़त की कुंजी छीन ली, तुम ख़ुद भी दाख़िल न हुए और दाख़िल होने वालों को भी रोका।”
53 যীশু সেই স্থান ছেড়ে যাওয়ার সময় ফরিশী ও শাস্ত্রবিদরা তাঁর তীব্র বিরোধিতা করতে লাগল এবং তাঁকে প্রশ্নবাণে জর্জরিত করে তুলল।
जब वो वहाँ से निकला, तो आलिम और फ़रीसी उसे बे — तरह चिपटने और छेड़ने लगे ताकि वो बहुत से बातों का ज़िक्र करे,
54 যীশুর কথা দিয়েই তাঁকে ফাঁদে ফেলার জন্য তারা সুযোগের অপেক্ষায় রইল।
और उसकी घात में रहे ताकि उसके मुँह की कोई बात पकड़े।