< যোনা ভাববাদীর বই 1 >
1 সদাপ্রভুর বাণী অমিত্তয়ের পুত্র যোনার কাছে এসে উপস্থিত হল:
याहवेह का यह वचन अमितै के पुत्र योनाह के पास पहुंचा:
2 “ওঠো ও নীনবী মহানগরে যাও এবং তাদের বিরুদ্ধে প্রচার করো, কারণ তাদের দুষ্টতার কথা আমার কান পর্যন্ত পৌঁছেছে।”
“उठो और उस महानगर नीनवेह को जाओ और उसके निवासियों के विरुद्ध घोषणा करो, क्योंकि उनकी दुष्टता मेरी दृष्टि में आ गई है.”
3 কিন্তু যোনা সদাপ্রভুর কাছ থেকে পালিয়ে গেলেন এবং তর্শীশের পথ ধরলেন। তিনি জোপ্পা বন্দর-নগরে গেলেন এবং সেখান থেকে তর্শীশে যাবে, এমন একটি জাহাজের সন্ধান পেলেন। তিনি জাহাজের ভাড়া দিয়ে তাতে চড়লেন এবং সদাপ্রভুর কাছ থেকে পালিয়ে যাওয়ার জন্য তর্শীশের পথে সমুদ্রযাত্রা করলেন।
पर योनाह याहवेह की उपस्थिति से भागने के उद्देश्य से तरशीश जाने के लिए योप्पा जा पहुंचा. वहां उसे एक पानी जहाज़ मिला, जो तरशीश जाने पर था. किराया देने के बाद, वह पानी जहाज़ में चढ़ गया कि वह याहवेह की उपस्थिति से भागकर वह दूसरे यात्रियों के साथ तर्शीश पहुंच सके.
4 তারপর সদাপ্রভু সমুদ্রে এক প্রচণ্ড বাতাস পাঠালেন, এমনই প্রবল এক ঝড় উঠল যে, জাহাজ ভেঙে যাওয়ার উপক্রম হল।
तब याहवेह ने समुद्र पर एक प्रचंड आंधी चलाई, और सतह पर ऐसा भयंकर तूफान उठा कि पानी जहाज़ के टूटने की स्थिति उत्पन्न हो गई.
5 সমস্ত নাবিক ভয়ভীত হয়ে উঠল ও নিজের নিজের দেবতার কাছে কাঁদতে লাগল। এবং জাহাজ হালকা করার জন্য তারা জাহাজের মালপত্র সমুদ্রে ফেলে দিল। কিন্তু যোনা জাহাজের খোলে নেমে গেলেন। সেখানে শুয়ে পড়ে তিনি গভীর ঘুমে আচ্ছন্ন হলেন।
सब नाविक भयभीत हो गए और हर एक अपने-अपने देवता को पुकारने लगा. और वे पानी जहाज़ में लदी हुई सामग्री को समुद्र में फेंकने लगे ताकि जहाज़ का बोझ कम हो जाए. किंतु इस समय योनाह जहाज़ के निचले भाग में जाकर गहरी नींद में पड़ा हुआ था.
6 তখন নাবিকদের কর্মকর্তা তার কাছে গিয়ে বললেন, “ওহে, তুমি কি করে ঘুমিয়ে আছ? উঠে পড়ো ও তোমার দেবতাকে ডাকো! হয়তো তিনি আমাদের প্রতি দৃষ্টি দেবেন এবং আমরা ধ্বংস হব না।”
जहाज़ का कप्तान उसके पास गया और उसे जगाकर कहा, “तुम ऐसी स्थिति में कैसे सो सकते हो? उठो और अपने ईश्वर को पुकारो! संभव है कि तुम्हारा ईश्वर हम पर कृपा करे और हम नाश होने से बच जाएं.”
7 এরপর নাবিকেরা পরস্পরকে বলল, “এসো, আমরা গুটিকাপাত করে দেখি, এই দুর্যোগের জন্য আমাদের মধ্যে কে দায়ী।” তারা যখন গুটিকাপাত করল, যোনার নামে গুটি উঠল।
तब नाविकों ने एक दूसरे को कहा, “ऐसा करें, हम चिट्ठी डालकर यह पता करें कि किसके कारण हम पर यह विपत्ति आई है.” तब उन्होंने चिट्ठी डाली और चिट्ठी योनाह के नाम पर निकली.
8 তাই তারা তাকে জিজ্ঞাসা করল, “আমাদের বলো, আমাদের উপর এই সমস্ত সংকট আনার জন্য কে দায়ী? তুমি কী করো? তুমি এসেছই বা কোথা থেকে? তোমার দেশের নাম কী? তোমার জাতি কী?”
इस पर उन्होंने योनाह से पूछा, “हमें बता कि हम पर यह विपत्ति किसके कारण आई है? तू क्या काम करता है? तू कहां से आ रहा है? तू किस देश और किस जाति का है?”
9 যোনা উত্তর দিলেন, “আমি একজন হিব্রু এবং আমি সদাপ্রভুর উপাসনা করি। তিনি স্বর্গের ঈশ্বর, যিনি সমুদ্র ও ভূমি নির্মাণ করেছেন।”
योनाह ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं एक इब्री हूं और मैं उस याहवेह, स्वर्ग के परमेश्वर की आराधना करता हूं, जिन्होंने समुद्र तथा भूमि की सृष्टि की है.”
10 এতে তারা আতঙ্কগ্রস্ত হল ও জিজ্ঞাসা করল, “তুমি কী করেছ?” কারণ তারা জানতে পেরেছিল যে তিনি সদাপ্রভুর কাছ থেকে পালিয়ে যাচ্ছেন এবং যোনা ইতিমধ্যে সেকথা তাদের বলেছিলেন।
यह सुनकर वे भयभीत हो गए और उन्होंने योनाह से कहा, “तुमने यह क्या कर डाला?” (क्योंकि योनाह उन्हें यह बता चुका था कि वह याहवेह की उपस्थिति से भाग रहा था.)
11 সমুদ্র ক্রমেই উত্তাল ও বিক্ষুব্ধ হয়ে উঠছিল। তাই, তারা তাকে জিজ্ঞাসা করল, “সমুদ্রকে শান্ত করার জন্য তোমার প্রতি আমাদের কী করা উচিত?”
इस पर उन्होंने योनाह से पूछा, “अब हम तुम्हारे साथ क्या करें कि हमारे लिये समुद्र शांत हो जाए?” क्योंकि समुद्र की लहरें और भी उग्र होती जा रही थी.
12 তিনি উত্তর দিলেন, “আমাকে তুলে তোমরা সমুদ্রে ফেলে দাও। তখন তা শান্ত হয়ে যাবে। আমি জানি যে, আমার দোষের জন্যই এই মহা ঝড় তোমাদের উপরে এসে পড়েছে।”
योनाह ने कहा, “मुझे उठाकर समुद्र में फेंक दें. तब समुद्र शांत हो जाएगा. क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हारे ऊपर यह बड़ा तूफान मेरे ही कारण आया है.”
13 তা না করে সেই লোকেরা প্রাণপণ চেষ্টা করল, যেন তারা জাহাজটিকে ডাঙায় নিয়ে যেতে পারে। কিন্তু তারা পেরে উঠল না, বরং সমুদ্র আগের থেকেও বেশি বিক্ষুব্ধ হয়ে উঠল।
फिर भी, नाविकों ने जहाज़ को तट तक ले जाने की बहुत कोशिश की. पर वे सफल न हुए, क्योंकि समुद्र पहले से और उग्र होता जा रहा था.
14 তারা তখন সদাপ্রভুর কাছে কাঁদতে লাগল আর বলল, “হে সদাপ্রভু, এই লোকটির প্রাণ নেওয়ার জন্য তুমি আমাদের মরতে দিয়ো না। এক নির্দোষ মানুষকে হত্যা করার জন্য আমাদের দোষী সাব্যস্ত কোরো না। কারণ হে সদাপ্রভু, তোমার যেমন ইচ্ছা, তুমি তেমনই করেছ।”
तब उन्होंने ऊंचे स्वर में याहवेह को यह कहकर पुकारा, “हे याहवेह, इस व्यक्ति का प्राण लेने के कारण, कृपया हमें नाश न होने दें. हमें एक निर्दोष को मारने का दोषी न ठहराएं, क्योंकि आपने वही किया है, जो आपको अच्छा लगा.”
15 তারপর তারা যোনাকে ধরে সমুদ্রে ফেলে দিল; এতে উত্তাল সমুদ্র শান্ত হল।
तब उन्होंने योनाह को उठाकर समुद्र में फेंक दिया और उग्र समुद्र शांत हो गया.
16 এর ফলে জাহাজের লোকেরা সদাপ্রভুকে অত্যন্ত ভয় করল এবং তারা সদাপ্রভুর উদ্দেশে বলি উৎসর্গ ও বিভিন্ন প্রকার মানত করল।
इससे उन व्यक्तियों ने याहवेह का बहुत भय माना, और उन्होंने याहवेह के लिए एक बलि चढ़ाई और मन्नतें मानीं.
17 এদিকে সদাপ্রভু যোনাকে গিলে ফেলার জন্য একটি বিশাল মাছ পাঠালেন এবং যোনা তিন দিন ও তিনরাত সেই মাছের পেটে রইলেন।
याहवेह ने एक विशाल मछली ठहरायी थी, जिसने योनाह को निगल लिया, और योनाह उस मछली के पेट में तीन दिन और तीन रात रहा.