< ইয়োবের বিবরণ 39 >

1 “তুমি কি জানো পাহাড়ি ছাগলেরা কখন শাবকের জন্ম দেয়? তুমি কি দেখেছ হরিণী কখন তার হরিণশিশু প্রসব করে?
क्या तू जनता है कि पहाड़ पर की जंगली बकरियाँ कब बच्चे देती हैं? या जब हिरनीयाँ बियाती हैं, तो क्या तू देख सकता है?
2 তুমি কি গুনে দেখেছ কয় মাস ধরে তারা গর্ভধারণ করে? তুমি কি তাদের প্রসবকাল জান?
क्या तू उन महीनों को जिन्हें वह पूरा करती हैं, गिन सकता है? या तुझे वह वक़्त मा'लूम है जब वह बच्चे देती हैं?
3 তারা হেঁট হয় ও শাবকের জন্ম দেয়; তাদের প্রসববেদনার অবসান হয়।
वह झुक जाती हैं; वह अपने बच्चे देती हैं, और अपने दर्द से रिहाई पाती हैं।
4 তাদের শাবকেরা বেড়ে ওঠে ও ঊষর মরুভূমিতে বলবান হয়ে উঠতে থাকে; তারা সেখান থেকে চলে যায় ও আর ফিরে আসে না।
उनके बच्चे मोटे ताज़े होते हैं; वह खुले मैदान में बढ़ते हैं। वह निकल जाते हैं और फिर नहीं लौटते।
5 “বুনো গাধাকে কে স্বাধীন হয়ে যেতে দিয়েছে? কে তাদের দড়ি খুলে দিয়েছে?
गधे को किसने आज़ाद किया? जंगली गधे के बंद किसने खोले?
6 পতিত জমিকে আমি তার ঘর বানিয়েছি, লবণাক্ত সমতল ভূমিকে তার আবাস করেছি।
वीरान को मैंने उसका मकान बनाया, और ज़मीन — ए — शोर को उसका घर।
7 সে নগরের গোলমাল দেখে উপহাস করে; সে চালকের শব্দ শোনে না।
वह शहर के शोर — ओ — गु़ल को हेच समझता है, और हाँकने वाले की डॉट को नहीं सुनता।
8 সে পাহাড়-পর্বতকে চারণভূমি করে সেখানে চরে ও সবুজ ঘাসপাতা খুঁজে বেড়ায়।
पहाड़ों का सिलसिला उसकी चरागाह है, और वह हरियाली की तलाश में रहता है।
9 “বুনো বলদ কি তোমার সেবা করতে রাজি হবে? সে কি রাতের বেলায় তোমার জাবপাত্রের পাশে থাকবে?
“क्या जंगली साँड तेरी ख़िदमत पर राज़ी होगा? क्या वह तेरी चरनी के पास रहेगा?
10 তুমি কি জিন পরিয়ে তাকে সীতায় আটকে রাখতে পারবে? সে কি তোমার পিছু পিছু উপত্যকায় চাষ করবে?
क्या तू जंगली साँड को रस्से से बाँधकर रेघारी में चला सकता है? या वह तेरे पीछे — पीछे वादियों में हेंगा फेरेगा?
11 তুমি কি তার মহাশক্তির উপর নির্ভর করবে? তুমি কি তোমার কাজের ভার তার উপর চাপিয়ে দেবে?
क्या तू उसकी बड़ी ताक़त की वजह से उस पर भरोसा करेगा? या क्या तू अपना काम उस पर छोड़ देगा?
12 তুমি কি তোমার শস্য টেনে আনার ও তা খামারে একত্রিত করার জন্য তার উপরে ভরসা রাখতে পারবে?
क्या तू उस पर भरोसा करेगा कि वह तेरा ग़ल्ला घर ले आए, और तेरे खलीहान का अनाज इकट्ठा करे?
13 “উটপাখি আনন্দের সঙ্গে তার ডানা ঝাপটায়, যদিও সারসের ডানা ও পালকের সাথে সেগুলির তুলনা করা যায় না।
“शुतरमुर्ग़ के बाज़ू आसूदा हैं, लेकिन क्या उसके पर — ओ — बाल से शफ़क़त ज़ाहिर होती है?
14 সে মাটিতে ডিম পাড়ে ও বালির তলায় সেগুলি গরম হতে দেয়।
क्यूँकि वह तो अपने अंडे ज़मीन पर छोड़ देती है, और रेत से उनको गर्मी पहुँचाती है;
15 তার মনে থাকে না যে পায়ের চাপে হয়তো সেগুলি ভেঙে যাবে, বা কোনো বুনো পশু সেগুলি পদদলিত করে ফেলবে।
और भूल जाती है कि वह पाँव से कुचले जाएँगे, या कोई जंगली जानवर उनको रौंद डालेगा।
16 সে তার শাবকদের সঙ্গে এমন রূঢ় ব্যবহার করে, যেন সেগুলি তার আপন নয়; তার পরিশ্রম ব্যর্থ হলেও তার কিছু যায় আসে না,
वह अपने बच्चों से ऐसी सख़्तदिली करती है कि जैसे वह उसके नहीं। चाहे उसकी मेहनत रायगाँ जाए उसे कुछ ख़ौफ़ नहीं।
17 কারণ ঈশ্বর তাকে বিজ্ঞতা দ্বারা ভূষিত করেননি বা তাকে এক ফোঁটা সৎ জ্ঞানও দেননি।
क्यूँकि ख़ुदा ने उसे 'अक़्ल से महरूम रखा, और उसे समझ नहीं दी।
18 তাও সে যখন দৌড়ানোর জন্য পাখা মেলে দেয়, তখন ঘোড়া ও সওয়ারকেও উপহাস করে।
जब वह तनकर सीधी खड़ी हो जाती है, तो घोड़े और उसके सवार दोनों को नाचीज़ समझती हैं।
19 “তুমি কি ঘোড়াকে বল দান করেছ বা তার ঘাড়ে সাবলীল কেশর বিছিয়েছ?
“क्या घोड़े को उसका ताक़त तू ने दी है? क्या उसकी गर्दन की लहराती अयाल से तूने मुलब्बस किया?
20 তুমি কি তাকে পঙ্গপালের মতো লাফানোর, সদর্প হ্রেষাধ্বনি সমেত আকর্ষণীয় সন্ত্রাস উৎপন্ন করার ক্ষমতা দিয়েছ?
क्या उसे टिड्डी की तरह तूने कुदाया है? उसके फ़राने की शान मुहीब है।
21 সে হিংস্রভাবে মাটিতে ক্ষুর ঘষে, নিজের শক্তিতে আনন্দ প্রকাশ করে, ও সংঘর্ষে ঝাঁপিয়ে পড়ে।
वह वादी में टाप मारता है और अपने ज़ोर में ख़ुश है। वह हथियारबंद आदमियों का सामना करने को निकलता है।
22 সে ভয়কে উপহাস করে, কিছুতেই ভয় পায় না; সে তরোয়ালের সামনে থেকে পালিয়ে যায় না।
वह ख़ौफ़ को नाचीज़ जानता है और घबराता नहीं, और वह तलवार से मुँह नहीं मोड़ता।
23 তূণীর তার বিরুদ্ধে ঝংকার তোলে, বর্শা ও বল্লমও ঝলসে ওঠে।
तर्कश उस पर खड़खड़ाता है, चमकता हुआ भाला और साँग भी;
24 প্রমত্ত উত্তেজনায় সে মাটি খেয়ে ফেলে; যখন শিঙা বাজে তখন সে আর স্থির থাকতে পারে না।
वह तुन्दी और क़हर में ज़मीन पैमाई करता है, और उसे यक़ीन नहीं होता कि यह तुर ही की आवाज़ है।
25 শিঙার ঝঙ্কারে সে হ্রেষাধ্বনি করে, ‘আহা!’ সে দূর থেকে যুদ্ধের গন্ধ পায়, সেনাপতিদের ও যুদ্ধরবের হুঙ্কার শোনে।
जब जब तुरही बजती है, वह हिन हिन करता है, और लड़ाई को दूर से सूँघ लेता है; सरदारों की गरज़ और ललकार को भी।
26 “তোমার বিজ্ঞতা অনুসারেই কি বাজপাখি উড়ে যায় ও দক্ষিণ দিকে তার ডানা মেলে দেয়?
“क्या बा'ज़ तेरी हिकमत से उड़ता है, और दख्खिन की तरफ़ अपने बाज़ू फैलाता है?
27 তোমার আদেশানুসারেই কি ঈগল পাখি উঁচুতে ওড়ে ও উঁচুতে বাসা বাঁধে?
क्या 'उक़ाब तेरे हुक्म से ऊपर चढ़ता है, और बुलन्दी पर अपना घोंसला बनाता है?
28 সে খাড়া উঁচু পাহাড়ে বসবাস করে ও সেখানেই রাত কাটায়; পাথরে ভরা এবড়োখেবড়ো খাড়া এক পাহাড় তার সুরক্ষিত আশ্রয়।
वह चट्टान पर रहता और वहीं बसेरा करता है; या'नी चट्टान की चोटी पर और पनाह की जगह में।
29 সেখান থেকে সে খাবারের খোঁজ করে; তার চোখ বহুদূর থেকে তা খুঁজে নেয়।
वहीं से वह शिकार ताड़ लेता है, उसकी आँखें उसे दूर से देख लेती हैं।
30 তার শাবকেরা রক্ত পান করে তৃপ্ত হয়, ও যেখানে মৃতদেহ, সেও সেখানেই থাকে।”
उसके बच्चे भी खू़न चूसते हैं, और जहाँ मक़्तूल हैं वहाँ वह भी है।”

< ইয়োবের বিবরণ 39 >