< ইয়োবের বিবরণ 18 >

1 পরে শূহীয় বিল্‌দদ উত্তর দিলেন:
इसके बाद शूही बिलदद ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की:
2 “তোমাদের এই বক্তৃতা কখন শেষ হবে? বিচক্ষণ হও, ও পরে আমরা কিছু বলব।
“कब तक तुम इसी प्रकार शब्दों में उलझे रहोगे? कुछ सार्थक विषय प्रस्तुत करो, कि कुछ परिणाम प्रकट हो सके.
3 আমাদের কেন গবাদি পশুর মতো মনে করা হচ্ছে ও তোমাদের নজরে নির্বুদ্ধি বলে গণ্য করা হচ্ছে?
हमें पशु क्यों समझा जा रहा है? क्या हम तुम्हारी दृष्टि में मूर्ख हैं?
4 রাগের বশে তুমি তো নিজেকে টুকরো টুকরো করে ছিঁড়ে ফেলছ, তোমার জন্য কি এই পৃথিবীকে পরিত্যক্ত হতে হবে? বা পাষাণ-পাথরগুলিকে কি স্বস্থান থেকে সরে যেতে হবে?
तुम, जो क्रोध में स्वयं को फाड़े जा रहे हो, क्या, तुम्हारे हित में तो पृथ्वी अब उजड़ हो जानी चाहिए? अथवा, क्या चट्टान को अपनी जगह से अलग किया जाये?
5 “দুষ্টদের প্রদীপ তো নিবে যায়; তার আগুনের শিখা নিস্তেজ হয়।
“सत्य तो यह है कि दुर्वृत्त का दीप वस्तुतः बुझ चुका है; उसके द्वारा प्रज्वलित अग्निशिखा में तो प्रकाश ही नहीं है.
6 তার তাঁবুর আলো অন্ধকার হয়ে যায়; তার পাশে থাকা প্রদীপ নিভে যায়।
उसका तंबू अंधकार में है; उसके ऊपर का दीपक बुझ गया है.
7 তার পদধ্বনির শব্দ দুর্বল হয়; তার নিজের ফন্দি তাকে পেড়ে ফেলে।
उसकी द्रुत चाल को रोक दिया गया है; तथा उसकी अपनी युक्ति उसे ले डूबी,
8 তার পা তাকে ধাক্কা মেরে জালে ফেলে দেয়; সে রাস্তা ভুলে গিয়ে নিজেই ফাঁদে পড়ে যায়।
क्योंकि वह तो अपने जाल में जा फंसा है; उसने अपने ही फंदे में पैर डाल दिया है.
9 গোড়ালি ধরে ফাঁদ তাকে আটক করে; পাশ তাকে জোর করে ধরে রাখে।
उसकी एड़ी पर वह फंदा जा पड़ा तथा संपूर्ण उपकरण उसी पर आ गिरा है,
10 মাটিতে তার জন্য ফাঁস লুকানো থাকে; তার পথে ফাঁদ পড়ে থাকে।
भूमि के नीचे उसके लिए वह गांठ छिपाई गई थी; उसके रास्ते में एक फंदा रखा गया था.
11 সবদিক থেকে আতঙ্ক তাকে ভয় দেখায় ও তার পায়ে পায়ে চলতে থাকে।
अब तो आतंक ने उसे चारों ओर से घेर रखा है तथा उसके पीछे पड़कर उसे सता रहे हैं.
12 চরম দুর্দশা তার জন্য বুভুক্ষিত হয়; সে কখন পড়বে তার জন্য বিপর্যয় ওৎ পেতে থাকে।
उसके बल का ठट्ठा हुआ जा रहा है; विपत्ति उसके निकट ठहरी हुई है.
13 তা তার ত্বকের অংশবিশেষে পচন ধরায়; মৃত্যুর প্রথমজাত সন্তান তার অঙ্গপ্রত্যঙ্গ গ্রাস করে।
उसकी खाल पर घोर व्याधि लगी हुई है; उसके अंगों को मृत्यु के पहलौठे ने खाना बना लिया है.
14 সে তার তাঁবুর নিরাপদ আশ্রয় থেকে বিচ্ছিন্ন হয় ও আতঙ্ক-রাজের দিকে তাকে মিছিল করে নিয়ে যাওয়া হয়।
उसके ही तंबू की सुरक्षा में से उसे झपट लिया गया है अब वे उसे आतंक के राजा के सामने प्रदर्शित हो रहे हैं.
15 তার তাঁবুতে আগুন বসবাস করে; তার বাসস্থানের উপরে জ্বলন্ত গন্ধক ছড়ানো হয়।
अब उसके तंबू में विदेशी जा बसे हैं; उसके घर पर गंधक छिड़क दिया गया है.
16 মাটির নিচে তার মূল শুকিয়ে যায় ও উপরে তার শাখাপ্রশাখা নির্জীব হয়।
भूमि के भीतर उसकी जड़ें अब शुष्क हो चुकी हैं तथा ऊपर उनकी शाखाएं काटी जा चुकी हैं.
17 পৃথিবী থেকে তার স্মৃতি বিলুপ্ত হয়; দেশে কেউ তার নাম করে না।
धरती के लोग उसको याद नहीं करेंगे; बस अब कोई भी उसको याद नहीं करेगा.
18 সে আলো থেকে অন্ধকারের রাজত্বে বিতাড়িত হয় ও জগৎ থেকেও নির্বাসিত হয়।
उसे तो प्रकाश में से अंधकार में धकेल दिया गया है तथा मनुष्यों के समाज से उसे खदेड़ दिया गया है.
19 তার স্বজাতীয়দের মধ্যে তার আর কোনও সন্তানসন্ততি বা বংশধর থাকবে না, ও এক সময় যেখানে সে বসবাস করত, সেখানেও কেউ অবশিষ্ট থাকবে না।
मनुष्यों के मध्य उसका कोई वंशज नहीं रह गया है, जहां-जहां वह प्रवास करता है, वहां उसका कोई उत्तरजीवी नहीं.
20 পাশ্চাত্যের মানুষজন তার এই পরিণতি দেখে হতভম্ব হয়ে যাবে; প্রাচ্যের লোকজনও ভয়গ্রস্ত হয়ে পড়বে।
पश्चिमी क्षेत्रों में उसकी स्थिति पर लोग चकित होंगे तथा पूर्वी क्षेत्रों में भय ने लोगों को जकड़ लिया है.
21 নিঃসন্দেহে এই হল দুষ্টলোকের বসতি; যারা ঈশ্বরকে জানে না, এই হল তাদের অবস্থানস্থল।”
निश्चयतः दुर्वृत्तों का निवास ऐसा ही होता है; उनका निवास, जिन्हें परमेश्वर का कोई ज्ञान नहीं है.”

< ইয়োবের বিবরণ 18 >