< যাত্রাপুস্তক 25 >
2 “ইস্রায়েলীদের আমার কাছে এক নৈবেদ্য আনতে বলো। আমার জন্য তোমাকে সেই প্রত্যেকজনের কাছ থেকে নৈবেদ্য গ্রহণ করতে হবে যারা আন্তরিকভাবে দান দিতে ইচ্ছুক।
२“इस्राएलियों से यह कहना कि मेरे लिये भेंट लाएँ; जितने अपनी इच्छा से देना चाहें उन्हीं सभी से मेरी भेंट लेना।
3 “এই নৈবেদ্যগুলি তোমাকে তাদের কাছ থেকে গ্রহণ করতে হবে: “সোনা, রুপো ও ব্রোঞ্জ;
३और जिन वस्तुओं की भेंट उनसे लेनी हैं वे ये हैं; अर्थात् सोना, चाँदी, पीतल,
4 নীল, বেগুনি, ও টকটকে লাল রংয়ের সুতো এবং মিহি মসিনা; ছাগলের লোম;
४नीले, बैंगनी और लाल रंग का कपड़ा, सूक्ष्म सनी का कपड़ा, बकरी का बाल,
5 লাল রং করা মেষের ছাল এবং অন্য এক ধরনের টেকসই চামড়া; বাবলা কাঠ;
५लाल रंग से रंगी हुई मेढ़ों की खालें, सुइसों की खालें, बबूल की लकड़ी,
6 আলোর জন্য জলপাই তেল; অভিষেক করার উপযোগী তেলের জন্য ও সুগন্ধি ধূপের জন্য মশলাপাতি;
६उजियाले के लिये तेल, अभिषेक के तेल के लिये और सुगन्धित धूप के लिये सुगन्ध-द्रव्य,
7 এবং এফোদ ও বুকপাটার উপরে বসানোর জন্য স্ফটিকমণি ও অন্যান্য মণিরত্ন।
७एपोद और चपरास के लिये सुलैमानी पत्थर, और जड़ने के लिये मणि।
8 “পরে আমার জন্য এক পবিত্রস্থান তৈরি করতে তাদের দিয়ো, এবং আমি তাদের মধ্যে বসবাস করব।
८और वे मेरे लिये एक पवित्रस्थान बनाएँ, कि मैं उनके बीच निवास करूँ।
9 আমি তোমাদের যে নমুনাটি দেখিয়ে দেব ঠিক সেই অনুসারেই এই সমাগম তাঁবু ও সেটির সব আসবাবপত্র তৈরি কোরো।
९जो कुछ मैं तुझे दिखाता हूँ, अर्थात् निवास-स्थान और उसके सब सामान का नमूना, उसी के अनुसार तुम लोग उसे बनाना।
10 “প্রায় 1.1 মিটার লম্বা এবং 68 সেন্টিমিটার করে চওড়া ও উঁচু বাবলা কাঠের একটি সিন্দুক তাদের তৈরি করতে দিয়ো।
१०“बबूल की लकड़ी का एक सन्दूक बनाया जाए; उसकी लम्बाई ढाई हाथ, और चौड़ाई और ऊँचाई डेढ़-डेढ़ हाथ की हो।
11 ভিতরে ও বাইরে, দুই দিকেই এটি খাঁটি সোনা দিয়ে মুড়ে দিয়ো, এবং এটির চারপাশে সোনার এক ছাঁচ তৈরি কোরো।
११और उसको शुद्ध सोने से भीतर और बाहर मढ़वाना, और सन्दूक के ऊपर चारों ओर सोने की बाड़ बनवाना।
12 এটির জন্য সোনার চারটি কড়া ঢালাই কোরো এবং সেগুলি এটির চারটি পায়াতে আটকে দিয়ো, দুটি কড়া একদিকে ও দুটি কড়া অন্যদিকে।
१२और सोने के चार कड़े ढलवा कर उसके चारों पायों पर, एक ओर दो कड़े और दूसरी ओर भी दो कड़े लगवाना।
13 পরে বাবলা কাঠের খুঁটিগুলি তৈরি কোরো এবং সেগুলি সোনা দিয়ে মুড়ে দিয়ো।
१३फिर बबूल की लकड़ी के डंडे बनवाना, और उन्हें भी सोने से मढ़वाना।
14 সিন্দুকটি বহন করার জন্য সেটির দুই পাশে থাকা কড়াগুলিতে সেই খুঁটিগুলি ঢুকিয়ে দিয়ো।
१४और डंडों को सन्दूक की दोनों ओर के कड़ों में डालना जिससे उनके बल सन्दूक उठाया जाए।
15 এই সিন্দুকের কড়ার মধ্যে যেন সেই খুঁটিগুলি থাকে; সেগুলি সরানো যাবে না।
१५वे डंडे सन्दूक के कड़ों में लगे रहें; और उससे अलग न किए जाएँ।
16 পরে সেই সিন্দুকটিতে বিধিনিয়মের সেই ফলকগুলি রেখো, যেগুলি আমি তোমাদের দেব।
१६और जो साक्षीपत्र मैं तुझे दूँगा उसे उसी सन्दूक में रखना।
17 “খাঁটি সোনা দিয়ে প্রায় 1.1 মিটার লম্বা এবং 68 সেন্টিমিটার চওড়া একটি প্রায়শ্চিত্ত-আচ্ছাদন তৈরি কোরো।
१७“फिर शुद्ध सोने का एक प्रायश्चित का ढकना बनवाना; उसकी लम्बाई ढाई हाथ, और चौड़ाई डेढ़ हाथ की हो।
18 আর সেই আচ্ছাদনের শেষ প্রান্তের দিকে পিটানো সোনা দিয়ে দুটি করূব তৈরি কোরো।
१८और सोना ढालकर दो करूब बनवाकर प्रायश्चित के ढकने के दोनों सिरों पर लगवाना।
19 একটি করূব এক প্রান্তে এবং দ্বিতীয়টি অন্য প্রান্তে তৈরি কোরো; দুই প্রান্তেই আবরণসহ একটি করে করূব তৈরি কোরো।
१९एक करूब तो एक सिरे पर और दूसरा करूब दूसरे सिरे पर लगवाना; और करूबों को और प्रायश्चित के ढकने को उसके ही टुकड़े से बनाकर उसके दोनों सिरों पर लगवाना।
20 করূবেরা তাদের ডানা উপর দিকে ছড়িয়ে রেখে, সেই আবরণটির উপরে নিজেদের দেহ দিয়ে ছায়া ফেলবে। করূবেরা পরস্পরের দিকে মুখ করে, সেই আবরণের দিকে তাকিয়ে থাকবে।
२०और उन करूबों के पंख ऊपर से ऐसे फैले हुए बनें कि प्रायश्चित का ढकना उनसे ढँपा रहे, और उनके मुख आमने-सामने और प्रायश्चित के ढकने की ओर रहें।
21 আবরণটি সিন্দুকের চূড়ায় রাখবে এবং সিন্দুকে সেই বিধিনিয়মের ফলকগুলি রাখবে, যেগুলি আমি তোমাদের দেব।
२१और प्रायश्चित के ढकने को सन्दूक के ऊपर लगवाना; और जो साक्षीपत्र मैं तुझे दूँगा उसे सन्दूक के भीतर रखना।
22 সেখানে, সেই দুই করূবের মাঝখানে বিধিনিয়মের সিন্দুকের উপরে রাখা সেই আবরণের উপরেই আমি তোমার সঙ্গে দেখা করব ও ইস্রায়েলীদের জন্য তোমাকে আমার সমস্ত আজ্ঞা দেব।
२२और मैं उसके ऊपर रहकर तुझ से मिला करूँगा; और इस्राएलियों के लिये जितनी आज्ञाएँ मुझ को तुझे देनी होंगी, उन सभी के विषय मैं प्रायश्चित के ढकने के ऊपर से और उन करूबों के बीच में से, जो साक्षीपत्र के सन्दूक पर होंगे, तुझ से वार्तालाप किया करूँगा।
23 “বাবলা কাঠ দিয়ে প্রায় 90 সেন্টিমিটার লম্বা, 45 সেন্টিমিটার চওড়া ও 68 সেন্টিমিটার উঁচু একটি টেবিল তৈরি কোরো।
२३“फिर बबूल की लकड़ी की एक मेज बनवाना; उसकी लम्बाई दो हाथ, चौड़ाई एक हाथ, और ऊँचाई डेढ़ हाथ की हो।
24 খাঁটি সোনা দিয়ে সেটি মুড়ে দিয়ো এবং সেটির চারপাশে সোনার এক ছাঁচ তৈরি কোরো।
२४उसे शुद्ध सोने से मढ़वाना, और उसके चारों ओर सोने की एक बाड़ बनवाना।
25 এছাড়াও সেটির চারপাশে প্রায় 7.5 সেন্টিমিটার চওড়া চক্রবেড় তৈরি করে সেই চক্রবেড়ের উপর সোনার এক ছাঁচ রেখো।
२५और उसके चारों ओर चार अंगुल चौड़ी एक पटरी बनवाना, और इस पटरी के चारों ओर सोने की एक बाड़ बनवाना।
26 টেবিলের জন্য সোনার চারটি কড়া তৈরি কোরো ও যেখানে সেই চারটি পায়া আছে, সেই চার প্রান্তে সেগুলি বেঁধে দিয়ো।
२६और सोने के चार कड़े बनवाकर मेज के उन चारों कोनों में लगवाना जो उसके चारों पायों में होंगे।
27 কড়াগুলি যেন সেই চক্রবেড়গুলির কাছাকাছি থাকে ও সেই টেবিলটি বহন করার উপযোগী খুঁটিগুলি যেন সেগুলি ধরে রাখতে পারে।
२७वे कड़े पटरी के पास ही हों, और डंडों के घरों का काम दें कि मेज उन्हीं के बल उठाई जाए।
28 বাবলা কাঠ দিয়ে খুঁটিগুলি তৈরি কোরো, সেগুলি সোনা দিয়ে মুড়ে দিয়ো এবং সেগুলির সাথে সাথে টেবিলটিও বহন কোরো।
२८और डंडों को बबूल की लकड़ी के बनवाकर सोने से मढ़वाना, और मेज उन्हीं से उठाई जाए।
29 আর খাঁটি সোনা দিয়ে এটির থালা ও বাসন, এছাড়াও নৈবেদ্য ঢেলে দেওয়ার জন্য এটির কলশি ও গামলাও তৈরি কোরো।
२९और उसके परात और धूपदान, और चमचे और उण्डेलने के कटोरे, सब शुद्ध सोने के बनवाना।
30 সবসময় আমার সামনে রাখার জন্য এই টেবিলে দর্শন-রুটি সাজিয়ে রেখো।
३०और मेज पर मेरे आगे भेंट की रोटियाँ नित्य रखा करना।
31 “খাঁটি সোনার এক দীপাধার তৈরি কোরো। এটির ভিত ও দণ্ড পিটিয়ে নিতে হবে, এবং সেগুলির সাথে সাথে এতে একই টুকরো দিয়ে ফুলের মতো দেখতে পানপাত্র, কুঁড়ি ও মুকুলগুলিও তৈরি কোরো।
३१“फिर शुद्ध सोने की एक दीवट बनवाना। सोना ढलवा कर वह दीवट, पाये और डण्डी सहित बनाया जाए; उसके पुष्पकोष, गाँठ और फूल, सब एक ही टुकड़े के बनें;
32 সেই দীপাধারের পাশ থেকে ছয়টি শাখা বেরিয়ে আসবে—একদিকে তিনটি এবং অন্যদিকে তিনটি।
३२और उसके किनारों से छः डालियाँ निकलें, तीन डालियाँ तो दीवट की एक ओर से और तीन डालियाँ उसकी दूसरी ओर से निकली हुई हों;
33 একটি শাখায় কুঁড়ি ও মুকুল সহ কাগজি বাদামের আকৃতিবিশিষ্ট তিনটি পানপাত্র থাকবে, পরবর্তী শাখাতে তিনটি, এবং সেই দীপাধার থেকে বেরিয়ে আসা ছয়টি শাখার সবকটিতে একইরকম হবে।
३३एक-एक डाली में बादाम के फूल के समान तीन-तीन पुष्पकोष, एक-एक गाँठ, और एक-एक फूल हों; दीवट से निकली हुई छहों डालियों का यही आकार या रूप हो;
34 আর সেই দীপাধারে কুঁড়ি ও মুকুল সহ কাগজি বাদামফুলের মতো আকৃতিবিশিষ্ট চারটি পানপাত্র থাকবে।
३४और दीवट की डण्डी में बादाम के फूल के समान चार पुष्पकोष अपनी-अपनी गाँठ और फूल समेत हों;
35 সেই দীপাধার থেকে বেরিয়ে আসা মোট ছয়টি শাখার মধ্যে প্রথম জোড়া শাখার নিচে একটি কুঁড়ি থাকবে, দ্বিতীয় জোড়া শাখার নিচে দ্বিতীয় একটি কুঁড়ি থাকবে, এবং তৃতীয় জোড়ার নিচে তৃতীয় একটি কুঁড়ি থাকবে।
३५और दीवट से निकली हुई छहों डालियों में से दो-दो डालियों के नीचे एक-एक गाँठ हो, वे दीवट समेत एक ही टुकड़े के बने हुए हों।
36 সেই দীপাধারের সাথে একই টুকরো দিয়ে সেই কুঁড়ি ও শাখাগুলিও পিটানো খাঁটি সোনা দিয়ে তৈরি করতে হবে।
३६उनकी गाँठें और डालियाँ, सब दीवट समेत एक ही टुकड़े की हों, शुद्ध सोना ढलवा कर पूरा दीवट एक ही टुकड़े का बनवाना।
37 “পরে এর সাতটি প্রদীপ তৈরি কোরো ও সেগুলি সেটির উপর এমনভাবে সাজিয়ে রেখো যেন সেগুলি সেটির সামনের দিকের প্রাঙ্গণে আলো ফেলে।
३७और सात दीपक बनवाना; और दीपक जलाए जाएँ कि वे दीवट के सामने प्रकाश दें।
38 এর পলতে ছাঁটার যন্ত্র ও বারকোশগুলিও খাঁটি সোনার হবে।
३८और उसके गुलतराश और गुलदान सब शुद्ध सोने के हों।
39 দীপাধার ও এইসব আনুষঙ্গিক উপকরণের জন্য এক তালন্ত খাঁটি সোনা ব্যবহার করতে হবে।
३९वह सब इन समस्त सामान समेत किक्कार भर शुद्ध सोने का बने।
40 দেখো, পর্বতের উপরে তোমাকে যে নকশা দেখানো হয়েছিল, সেই অনুযায়ী সবকিছু নির্মাণ কোরো।
४०और सावधान रहकर इन सब वस्तुओं को उस नमूने के समान बनवाना, जो तुझे इस पर्वत पर दिखाया गया है।