< দ্বিতীয় বিবরণ 32 >

1 হে আকাশমণ্ডল, শোনো, আর আমি কথা বলব; হে পৃথিবী, আমার মুখের কথা শোনো।
आकाशमंडल, यहां ध्यान दो, मुझे सम्भाषण का अवसर प्रदान करो; पृथ्वी मेरे मुख से मुखरित शब्द सुने.
2 আমার শিক্ষা বৃষ্টির মতো করে ঝরে পড়ুক আর আমার কথা শিশিরের মতো করে নেমে আসুক, নতুন ঘাসের উপর পড়া বিন্দু বিন্দু বৃষ্টির মতো, কোমল চারাগাছের উপর পড়ুক ভারী বৃষ্টির মতো।
मेरी शिक्षा वृष्टि-समान टपके, मेरा सम्भाषण कोमल घास पर लघु बूंदों के समान, वनस्पति पर वृष्टि फुहार समान और ओस की बूंदों समान पड़े.
3 আমি সদাপ্রভুর নাম ঘোষণা করব, তোমরা আমাদের ঈশ্বরের মহিমাকীর্তন করো!
क्योंकि मेरी घोषणा है याहवेह के सम्मान; हमारे परमेश्वर की महानता की स्तुति करो!
4 তিনিই শৈল, তাঁর কাজ নিখুঁত, আর তাঁর সমস্ত পথ ন্যায্য। একজন বিশ্বস্ত ঈশ্বর যিনি কোনও অন্যায় করেন না, তিনি ন্যায়পরায়ণ ও সঠিক।
वह चट्टान! त्रुटिहीन है उनकी रचना, क्योंकि उनकी सारी युक्तियां नीतियुक्त ही हैं; विश्वासयोग्य परमेश्वर, अन्याय विहीन, न्यायपूर्ण और सत्यनिष्ठ हैं वह.
5 তারা অসৎ এবং তাঁর সন্তান নয়; তাদের লজ্জা হল তারা পক্ষপাতদুষ্ট এবং কুটিল বংশ।
याहवेह के प्रति उनका पालन विकृत रहा है, उनके दोष पूरा होने के कारण वे उनकी संतान नहीं रह गए, परंतु अब वे हैं पतनोन्मुख और कुटिल पीढ़ी!
6 এই কি তোমাদের সদাপ্রভুর ঋণ পরিশোধ করার পদ্ধতি, হে মূর্খ এবং অবিবেচক লোকসকল? তিনি কি তোমার বাবা, সৃষ্টিকর্তা নন, যিনি তোমাকে নির্মাণ ও গঠন করেছেন?
ओ मूर्खो, और मन्दमति लोगो, क्या तुम यही प्रतिफल दे रहे हो याहवेह को? क्या वह तुम्हारे पिता नहीं, जो तुम्हें यहां तक ले आए हैं? तुम उन्हीं की कृति हो और उन्हीं के द्वारा तुम प्रतिष्ठित किए गए हो?
7 পুরোনো দিনের কথা স্মরণ করো; বহুকাল আগের পূর্বপুরুষদের কথা বিবেচনা করো। তোমার বাবাকে জিজ্ঞাসা করো আর তিনি তোমাকে বলবেন, তোমার প্রবীণ নেতাদের করো, তারা তোমাকে বুঝিয়ে দেবেন।
अतीत के उन दिनों का स्मरण करो; सारी पीढ़ियों के सालों का विचार करो. अपने पिता से विवेचना करो, तो वह तुम्हें अवगत करा देंगे, तुम्हारे पुरनिए, और वे इसका उल्लेख करेंगे.
8 পরাৎপর যখন জাতিদের উত্তরাধিকার দিলেন, যখন তিনি সমস্ত মানুষকে তা ভাগ করে দিলেন, তিনি লোকদের জন্য সীমানা ঠিক করে দিলেন ইস্রায়েলের ছেলেদের সংখ্যা অনুসারে।
जब सर्वोच्च ने राष्ट्रों में उनकी मीरास आवंटित की, जब उन्होंने आदम के वंशजों को वर्गीकृत किया, उन्होंने राष्ट्रों की सीमाएं इस्राएलियों की गिनती के आधार पर तब तय कर दीं.
9 কেননা সদাপ্রভুর প্রাপ্য ভাগই হল তাঁর লোকেরা, যাকোবই তাঁর বরাদ্দ উত্তরাধিকার।
क्योंकि याहवेह की संपदा है उनकी प्रजा; याकोब उनकी मीरास का आवंटन है.
10 তিনি তাকে এক মরুএলাকায় পেলেন, অনুর্বর এবং গর্জন ভরা স্থানে। তিনি তাকে ঘিরে রাখলেন ও তার যত্ন নিলেন; তিনি তাকে চোখের মণির মতো পাহারা দিলেন,
एक मरुभूमि में उनकी उससे भेंट हुई, वस्तुतः वह सांय-सांय करता निर्जन क्षेत्र था. उन्होंने उसके आस-पास बाड़ खड़ी कर दी, वह उसकी देखभाल करते रहे; यहां तक कि उन्होंने उसकी सुरक्षा अपनी आंख की पुतली-समान की,
11 ঈগল যেমন তার বাসাকে জাগায় আর তার বাচ্চাদের উপর ওড়ে, যে তার ডানা মেলে তাদের ধরে এবং তাদের উপরে তুলে নেয়।
उस गरुड़-समान, जो अपने नीड़ को हिला कर अपने बच्चों को जगाता, उनके ऊपर मंडराता रहता है, वह अपने डैने फैलाकर उन्हें उठा लेता है, और अपने डैनों पर ही ले जाता है.
12 সদাপ্রভু একাই তাকে চালিয়ে নিয়ে আসলেন; কোনও বিজাতীয় দেবতা তার সঙ্গে ছিল না।
सिर्फ याहवेह ही उसके दिग्दर्शक थे; याहवेह को किसी परकीय देवता की ज़रूरत न थी.
13 তিনি দেশের এক পাহাড় থেকে অন্য পাহাড়ে তাকে নিয়ে গেলেন এবং তাকে ক্ষেতের ফসল খেতে দিলেন। তিনি পাহাড়ের ফাটল থেকে মধু দিয়ে তাকে পুষ্ট করলেন, এবং পাথুরে পাহাড় থেকে তেল দিয়ে,
याहवेह ने उसे अपने देश के ऊंचे क्षेत्रों में विचरण करने योग्य बना दिया था. उसके उपयोग के लिए भूमि की उपज उपलब्ध थी. याहवेह ने उसके लिए चट्टान में से मधु परोस दी, और वज्र चट्टान में से तेल भी!
14 পশুপাল থেকে দই ও দুধ দিয়ে এবং স্বাস্থ্যবান মেষ ও ছাগল দিয়ে, বাশনের বাছাই করা মেষ দিয়ে এবং পরিপুষ্ট গম দিয়ে। তোমরা গেঁজে ওঠা আঙুরের রস পান করলে।
गाय-दुग्ध-दही, भेड़-बकरियों का दूध, और मेमनों और बाशान प्रजाति के मेढ़ों, और बकरों का वसा, इसके अलावा सर्वोत्कृष्ट गेहूं! और तुमने लाल रंग के बेहतरीन दाखमधु का सेवन किया.
15 যিশুরূণ হৃষ্টপুষ্ট হয়ে লাথি মারল; অতিরিক্ত খেয়ে, তারা ভারী ও চকচকে হয়ে। যে ঈশ্বর তাদের নির্মাণ করেছেন তাঁকে পরিত্যাগ করেছে এবং তাদের পরিত্রাতা সেই শৈলকে প্রত্যাখ্যান করেছে।
मगर यशुरून स्वस्थ होकर उद्दंड हो गया; तुम तो हृष्ट-पुष्ट और आकर्षक हो गए थे. तब उसने अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर ही का परित्याग कर दिया, उसे अपने उद्धार की चट्टान से ही घृणा हो गई.
16 তাদের বিজাতীয় দেবতাদের দরুন তাঁকে ঈর্ষান্বিত করেছ এবং তাদের ঘৃণ্য মূর্তি দ্বারা তাঁকে অসন্তুষ্ট করেছ।
विदेशी देवताओं के द्वारा उन्होंने याहवेह को ईर्ष्यालु बना दिया, घृणित मूर्तियों के द्वारा उन्होंने याहवेह के कोप को उद्दीप्‍त कर दिया.
17 তারা মিথ্যা দেবতাদের কাছে বলিদান করেছে, যারা ঈশ্বর নয়, যে দেবতাদের তারা জানত না, যে দেবতারা কিছুদিন আগে সম্প্রতি হাজির হয়েছে, যে দেবতাদের তোমাদের পূর্বপুরুষেরা ভয় করত না।
उन्होंने प्रेत आत्माओं को बलि अर्पित की, जो परमेश्वर ही नहीं होती. उन परकीय देवताओं को, जो उनके लिए अज्ञात ही हैं, नए देवता, जिनका अस्तित्व हाल ही में प्रकट हुआ है, जिन्हें तुम्हारे पूर्वज जानते भी न थे.
18 তোমরা সেই শৈল, যিনি তোমাদের বাবা তাঁকে পরিত্যাগ করেছ; তোমরা সেই ঈশ্বরকে ভুলে গিয়েছ যিনি তোমাদের জন্ম দিয়েছেন।
तुमने उस चट्टान की उपेक्षा की, जिसने तुम्हें पाला पोसा.
19 তা দেখে সদাপ্রভু তাদের অগ্রাহ্য করেছেন কারণ তিনি তাঁর ছেলে ও তাঁর মেয়েদের দ্বারা অসন্তুষ্ট হয়েছিলেন।
यह सब याहवेह की दृष्टि में आ गया और उन्हें उनसे घृणा हो गई, क्योंकि यह उत्तेजना उन्हीं के पुत्र-पुत्रियों द्वारा की गई थी.
20 তিনি বললেন, “আমি তাদের থেকে আমার মুখ লুকাব, এবং তাদের শেষ দশা কী হয় তা দেখব; কেননা তারা এক বিপথগামী বংশ, সন্তানেরা যারা অবিশ্বস্ত।
तब याहवेह ने कहा, “मैं उनसे अपना मुख छिपा लूंगा, मैं देखना चाहूंगा कि कैसा होता है, उनका अंत; क्योंकि वे विकृत पीढ़ी हैं; ऐसी सन्तति हैं, जो विश्वासयोग्य हैं ही नहीं.
21 যারা ঈশ্বর নয় তাদের দ্বারা আমাকে ঈর্ষান্বিত করেছে এবং তাদের মূল্যহীন মূর্তি দ্বারা আমার ক্রোধ জাগিয়েছে। যারা প্রজা নয় তাদের দ্বারা আমি তাদের পরশ্রীকাতর করব; যে জাতি কিছু বোঝে না তাদের দ্বারা আমি তাদের অসন্তুষ্ট করব।
उन्होंने मुझे उसके द्वारा ईर्ष्यालु बना दिया, जो ईश्वर है ही नहीं; उन्होंने अपनी मूर्तियों द्वारा मुझे उत्तेजित किया है. तब अब मैं उन्हें उनके द्वारा ईर्ष्या पैदा करूंगा जिन्हें राष्ट्र ही नहीं माना जा सकता; एक मूर्ख राष्ट्र के द्वारा मैं उन्हें क्रोध के लिए उकसाऊंगा.
22 কেননা আমার ক্রোধের আগুন জ্বলে উঠবে, যা পাতাল পর্যন্ত পুড়িয়ে দেবে। যা পৃথিবী ও তার ফসল গ্রাস করবে এবং পাহাড়ের ভিতে আগুন জ্বালাবে। (Sheol h7585)
क्योंकि मेरी क्रोध की अग्नि प्रज्वलित हो चुकी है, वह अधोलोक के निम्नतम स्तर तक प्रज्वलित है. पृथ्वी की उपज इसने भस्म कर दी है, और पर्वतों की नींव तक इसने ज्वलित कर दी है. (Sheol h7585)
23 “আমি তাদের উপরে বিপর্যয় স্তূপাকার করব এবং তাদের উপরে আমার সব তির ছুঁড়ব।
“उन पर तो मैं विपत्तियों के ढेर लगा दूंगा उन पर मैं अपने बाणों का प्रहार करूंगा.
24 আমি তাদের বিরুদ্ধে দেহ ক্ষয় করা দুর্ভিক্ষ আনব, ধ্বংসকারী মহামারি ও কষ্ট ভরা রোগ পাঠিয়ে দেব; আমি তাদের বিরুদ্ধে বন্য দাঁতাল পশুদের আর বুকে ভর দিয়ে চলা বিষাক্ত সাপ পাঠাব।
वे दुर्भिक्ष के प्रभाव से नाश हो जाएंगे, महामारी उन्हें चट कर जाएगी और बड़ा दयनीय होगा उनका विनाश; मैं उन पर वन्य पशुओं के दांत प्रभावी कर दूंगा, धूलि में रेंगते जंतुओं का विष भी.
25 রাস্তায় তরোয়াল দ্বারা তারা সন্তানহীন হবে; বাড়ির ভিতরে ভয়ের রাজত্ব চলবে। তাদের যুবক ও যুবতীরা, শিশুরা ও বৃদ্ধরা ধ্বংস হবে।
घर के बाहर तलवार द्वारा निर्वंश किए जाएंगे; वे घर के भीतर भयाक्रान्त होंगे. युवक और युवतियां, दूध पीते शिशु और वृद्ध.
26 আমি বলেছিলাম আমি তাদের ছড়িয়ে দেব এবং মানুষের স্মৃতি থেকে তাদের নাম মুছে দেব,
मैं कह सकता था, मैं उन्हें काटकर टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा, मैं मनुष्यों के बीच से उनकी स्मृति ही मिटा दूंगा,
27 কিন্তু আমি শত্রুদের বিদ্রুপ ভয় করেছিলাম, পাছে বিপক্ষেরা ভুল বোঝে আর বলে, ‘আমাদের শক্তি জয় করেছে; সদাপ্রভু এই সমস্ত করেননি।’”
यदि मुझे शत्रु की ओर से उत्तेजना का भय न होता, कि उनके विरोधी गलत अनुमान लगाकर यह कहें, ‘विजय तो हमारे बाहुबल का परिणाम है; इसमें याहवेह का कोई योग नहीं था.’”
28 তারা এক বোধশক্তিহীন জাতি, তাদের মধ্যে কোনও সূক্ষ্ম বুদ্ধি নেই।
क्योंकि वे ऐसे राष्ट्र हैं, जिसमें बुद्धि का नितांत अभाव है, कुछ भी समझ नहीं है उनमें.
29 তারা যদি জ্ঞানী হত ও এটি বুঝতে পারত আর উপলব্ধি করত যে তাদের শেষ পরিণতি কী হবে!
यदि उनमें बुद्धिमता होती वे यह समझ लेते, उन्हें अपने अंत का अंतर्बोध हो जाता!
30 একজন লোক কেমন করে হাজার জনকে তাড়াবে, কিংবা দুজনকে দেখে দশ হাজার পালাবে, যদি তাদের শৈল তাদের বিক্রি না করেন, যদি সদাপ্রভু তাদের তুলে না দেন?
भला यह कैसे संभव हो सकता है, कि सिर्फ एक व्यक्ति एक सहस्र को खदेड़ दे, और दो व्यक्ति दस सहस्र को, यदि उनकी उस चट्टान ने अपने हाथ उन्हें न सौंपे होते, और याहवेह ने उन्हें उनके अधीन न किया होता?
31 কেননা তাদের শৈল আমাদের শৈলের মতো নয়, যা আমাদের শত্রুও স্বীকার করে।
बात यह है कि उनकी चट्टान हमारी चट्टान के तुल्य नहीं है, यहां तक कि हमारे शत्रु तक यह मानते हैं.
32 তাদের দ্রাক্ষালতা সদোমের দ্রাক্ষালতা থেকে এবং ঘমোরার ক্ষেত থেকে এসেছে। তাদের আঙুর বিষে ভরা, এবং তাদের আঙুরের গোছা তেতো।
उनकी द्राक्षालता का मूल है सोदोम की द्राक्षालता और अमोराह के खेत. उनके द्राक्षा विषैली कोटि के द्राक्षा हैं, द्राक्षा पुंज कड़वे हैं.
33 তাদের দ্রাক্ষারস হল সাপের বিষ, কেউটের ভয়ংকর বিষ।
क्योंकि उनका द्राक्षारस सर्पों का विष है, नागों का घातक ज़हर.
34 “আমি কি এটি সঞ্চয় করে রাখিনি এবং আমার ভাণ্ডার ঘরে সিলমোহর দিইনি?
“क्या यह सब मेरे भंडार में संग्रहीत नहीं है; मेरे कोष में मोहर के द्वारा सुरक्षित?
35 প্রতিশোধ নেওয়া আমারই কাজ; আমি প্রতিফল দেব। সময় হলেই তাদের পা পিছলে যাবে; তাদের বিপর্যয়ের দিন নিকটবর্তী তাদের জন্য যা নিরূপিত তা তাড়াতাড়ি আসবে।”
प्रतिशोध मेरा दायित्व है; प्रतिदण्ड मैं दूंगा. वह अवसर आएगा, जब उनका पैर तो फिसलेगा ही; क्योंकि उनका विपदा दिवस आसन्‍न है, और द्रुत गति है उन पर आ रही नियति की.”
36 সদাপ্রভু তাঁর প্রজাদের বিচার করবেন এবং তাঁর দাসদের প্রতি সদয় হবেন যখন তিনি দেখবেন যে তাদের শক্তি চলে গিয়েছে এবং দাস অথবা মুক্ত, কেউ বাকি নেই।
क्योंकि जब याहवेह यह देखेंगे कि उनकी प्रजा की शक्ति का ह्रास हो चुका है, और दास अथवा स्वतंत्र कोई शेष न रहा है, याहवेह तब उनके सेवकों पर कृपा करेंगे और वह अपनी प्रजा का प्रतिशोध ज़रूर लेंगे.
37 তিনি বলবেন: “তাদের দেবতারা এখন কোথায়, সেই শৈল কোথায় যার কাছে তারা আশ্রয় নিয়েছিল,
याहवेह प्रश्न करेंगे: “कहां हैं उनके देवता; वह चट्टान, जिसमें उन्होंने आश्रय लिया था?
38 সেই দেবতারা যারা তাদের বলির মেদ খেয়েছিল এবং তাদের পেয়-নৈবেদ্যের দ্রাক্ষারস পান করেছিল? তারা উঠে তোমাদের সাহায্য করুক! তারা তোমাদের আশ্রয় দিক!
वे देवता, जो उनकी बलियों की वसा का सेवन करते रहे थे, और उनकी भेंट से दाखमधु का पान किया था? वे तुम्हारी सहायता के लिए सक्रिय हो जाएं! हो जाएं वे तुम्हारा आश्रय-स्थल!
39 “এখন দেখো, আমি, আমিই তিনি! আমি ছাড়া আর কোনও ঈশ্বর নেই। আমি মৃত্যু দিই এবং আমিই জীবন দিই, আমি আঘাত করেছি এবং আমিই সুস্থ করব, আমার হাত থেকে কেউ উদ্ধার করতে পারবে না।
“ध्यान से देख लो कि मैं ही याहवेह हूं, कोई भी मेरे अलावा नहीं है—ये देवता भी नहीं; मेरे ही आदेश पर मृत्यु होती है और जीवन का प्रदाता भी मैं ही हूं, घाव मेरे द्वारा किए गए हैं, और मैं ही घाव भर भी देता हूं! कोई भी ऐसा नहीं है, जो मेरे हाथों से कुछ छीन सके.
40 আমি স্বর্গের দিকে আমার হাত তুলে শপথ করে বলছি: আর বলি, আমি অনন্তজীবী,
मैं ही हूं, जो स्वर्ग की ओर अपना हाथ बढ़ाकर यह कहता हूं: शपथ मेरे जीवन की,
41 যখন আমি আমার ঝকঝকে তরোয়ালে শান দিই এবং বিচারের জন্য আমার হাতে তা ধরি, আমার শত্রুদের আমি শাস্তি দেব এবং যারা আমাকে ঘৃণা করে আমি তার প্রতিফল দেব।
जब मैं अपने शत्रुओं से प्रतिशोध लूंगा, जब मैं अपने विरोधियों को उसका प्रतिफल दूंगा, मैं अपनी तलवार पर धार लगा उसे चमकाऊंगा और मेरा हाथ न्याय को पुष्ट करेगा.
42 নিহত আর বন্দিদের রক্ত খাইয়ে, আমার তিরগুলিকে মাতাল করে তুলব, আমার তরোয়াল মাংস খাবে, শত্রু সেনাদের মাথার মাংস খাবে।”
मैं अपने बाणों को रक्त से मदमस्त कर दूंगा, मेरी तलवार मारे गये लोगों और बंदियों के रक्त के साथ मांस को, शत्रुओं के लंबे-लंबे केशवाले अधिकारियों के सिरों को ग्रास लेगी.”
43 জাতিরা, তার লোকদের সঙ্গে আনন্দ করো, কেননা তিনি তাঁর দাসদের রক্তের প্রতিফল দেবেন; তাঁর শত্রুদের প্রতিশোধ নেবেন এবং নিজের দেশ ও লোকদের জন্য প্রায়শ্চিত্ত করবেন।
राष्ट्रों, याहवेह की प्रजा के साथ उल्लास मनाओ, क्योंकि वह अपने सेवकों की हत्या का प्रतिशोध लेंगे; अपने शत्रुओं से वह प्रतिशोध लेंगे, इससे वह अपने देश और अपनी प्रजा के लिए प्रायश्चित पूरा कर देंगे.
44 মোশি নূনের ছেলে যিহোশূয়কে সঙ্গে নিয়ে এই গানের সব কথা লোকদের শোনালেন।
इसके बाद मोशेह ने जाकर सारी इस्राएली प्रजा के सामने उन्हें सुनाते हुए इस गीत रचना का पठन किया; उन्होंने और उनके साथ नून के पुत्र होशिया (यहोशू) ने.
45 সমস্ত ইস্রায়েলীর কাছে মোশি যখন এসব কথা শেষ করলেন,
जब मोशेह सारी इस्राएलियों के सामने समग्र गीत का पाठन कर चुके,
46 তিনি তাদের বললেন, “আমি আজ তোমাদের কাছে সাক্ষ্য হিসেবে যা কিছু বললাম, তোমরা সেই সমস্ত কথায় মনোযোগ দাও, আর তোমাদের সন্তানেরা যেন এই বিধানের সব কথা যত্নের সঙ্গে পালন করে এজন্য তাদের সেই আদেশ দাও।
उन्होंने इस्राएलियों को आदेश दिया, “इन शब्दों को तुम हृदय में रख लो. ये मैं तुम्हें चेतावनी स्वरूप सौंप रहा हूं. तुम अपनी सन्तति को इन्हें सावधानीपूर्वक पालन करने का आदेश दोगे; इस विधान का पूरी तरह पालन करने का.
47 এগুলি নিরর্থক কথা নয়—এগুলি তোমাদের জীবন। তোমরা যে দেশ অধিকার করতে জর্ডন পার হয়ে যাচ্ছ, সেই দেশে এই কথাগুলি পালন করে বহুদিন বাঁচবে।”
क्योंकि यह कोई निरर्थक वक्तव्य नहीं है. वस्तुतः यही तुम्हारे जीवन है. इसी के मर्म के द्वारा उस देश में तुम अपने जीवन के दिनों का आवर्धन करोगे, जिसमें तुम यरदन पार करके प्रवेश करने पर हो, जिसका तुम अधिग्रहण करोगे.”
48 সেদিনই সদাপ্রভু মোশিকে বললেন,
उसी दिन याहवेह ने मोशेह को यह आदेश दिया,
49 “তুমি যিরীহোর উল্টোদিকে মোয়াব দেশের অবারীম পর্বতমালার মধ্যে নেবো পর্বতে গিয়ে ওঠো এবং অধিকার হিসেবে যে কনান দেশটি আমি ইস্রায়েলীদের দিচ্ছি তা একবার দেখে নাও।
“अब तुम अबारिम के नेबो पर्वत पर चढ़ जाओ, जो येरीख़ो के सम्मुख मोआब देश में है. वहां जाकर तुम कनान देश पर दृष्टिपात करो, जो मैं अभिग्रहण के लिए इस्राएल को प्रदान कर रहा हूं.
50 তোমার দাদা হারোণ যেমন হোর পাহাড়ে মারা গিয়ে তার পূর্বপুরুষদের সঙ্গে মিলিত হয়েছে তেমনি করে তুমিও যে পাহাড়ে উঠবে সেখানে তুমি মারা যাবে এবং তোমার পূর্বপুরুষদের সঙ্গে মিলিত হবে।
तब तुम जिस पर्वत पर चढ़ोगे, वहीं अपने प्राण विसर्जित कर देना और अपने पूर्वजों में सम्मिलित हो जाना, जिस प्रकार तुम्हारे भाई अहरोन ने होर पर्वत पर जा अपने प्राण विसर्जित किए थे, और वह अपने पूर्वजों में सम्मिलित हो गया.
51 এর কারণ হল, সীন মরুভূমিতে কাদেশের মরীবার জলের কাছে ইস্রায়েলীদের সামনে তোমরা দুজনেই আমার প্রতি অবিশ্বস্ততার কাজ করেছিলে এবং ইস্রায়েলীদের সামনে আমাকে পবিত্র বলে মান্য করোনি।
क्योंकि तुमने समस्त इस्राएलियों के बीच में मेरिबाह-कादेश के जल-स्रोतों पर ज़िन के निर्जन प्रदेश में मेरे साथ विश्वासघात किया, इस्राएलियों के बीच में मेरे लिए उपयुक्त पवित्रता का व्यवहार नहीं किया.
52 সেইজন্য যে দেশটি আমি ইস্রায়েলীদের দিতে যাচ্ছি তা তুমি কেবল দূর থেকে দেখতে পাবে কিন্তু সেখানে তোমার ঢোকা হবে না।”
तुम दूर ही से उस देश का दर्शन कर सकोगे; मगर उसमें प्रवेश नहीं करोगे, उस देश में, जो मैं इस्राएलियों को प्रदान कर रहा हूं.”

< দ্বিতীয় বিবরণ 32 >