< শমূয়েলের দ্বিতীয় বই 19 >
1 যোয়াবকে বলা হল, “রাজামশাই অবশালোমের জন্য কাঁদছেন ও শোকপ্রকাশ করছেন।”
योआब को इसकी सूचना इस प्रकार दी गई, “अपने राजा रो-रोकर अबशालोम के लिए विलाप कर रहे हैं.”
2 আর সমস্ত সৈন্যদলের কাছে সেদিন সেই বিজয় শোকে পরিণত হল, কারণ সেদিন সৈন্যসামন্তরা শুনতে পেয়েছিল, “রাজামশাই তাঁর ছেলের জন্য খুব দুঃখ পেয়েছেন।”
तब उस दिन विजय का हर्ष सारी सेना के लिए विलाप में बदल गया; क्योंकि सेना को यह बताया गया था, “महाराज अपने पुत्र के लिए रो रहे है.” उस दिन की जीत की खुशी गहरी उदासी में बदल गई थी.
3 লোকজন সেদিন নিঃশব্দে এমনভাবে নগরে প্রবেশ করল, যে মনে হচ্ছিল একদল লোক যেন লজ্জিত হয়ে যুদ্ধক্ষেত্র ছেড়ে পালিয়ে চুপিচুপি নগরে প্রবেশ করছে।
फलस्वरूप, सैनिक नगर में चुपके-चुपके ऐसे प्रवेश कर रहे थे, मानो वे लज्जित होकर युद्ध में शत्रु को पीठ दिखाकर भाग आए हों.
4 রাজামশাই মুখ ঢেকে জোর গলায় কেঁদে কেঁদে বলছিলেন, “বাছা অবশালোম! হে অবশালোম, আমার ছেলে, আমার ছেলে!”
राजा अपना मुखमंडल ढांप कर ऊंची आवाज में रो रहे थे, “मेरे पुत्र अबशालोम, मेरे पुत्र, मेरे पुत्र!”
5 তখন যোয়াব প্রাসাদে রাজার কাছে গিয়ে বললেন, “আজ আপনি আপনার সেইসব লোকজনকে অপমান করেছেন, যারা এইমাত্র আপনার প্রাণ ও আপনার ছেলেমেয়েদের প্রাণ ও আপনার স্ত্রী ও উপপত্নীদের প্রাণরক্ষা করেছে।
तब योआब ने उस कमरे में जाकर राजा से कहा, “आज आपने अपने उन सभी अधिकारियों का मुख लज्जा से झुका दिया है, जिन्होंने आपकी और आपके पुत्र-पुत्रियों, पत्नियों और उपपत्नियों के जीवन की रक्षा की है.
6 আপনি তাদেরই ভালোবাসেন যারা আপনাকে ঘৃণা করে ও তাদেরই ঘৃণা করেন যারা আপনাকে ভালোবাসে। আজ আপনি স্পষ্ট করে দিয়েছেন যে আপনার কাছে সেনাপতি ও তাদের লোকজন কোনো কিছুই নয়। আমি দেখতে পাচ্ছি আজ যদি অবশালোম জীবিত থাকত ও আমরা সবাই মারা যেতাম, তবেই আপনি খুশি হতেন।
आप उनसे तो प्रेम करते हैं, जिन्हें आपसे प्रेम नहीं, और उनसे घृणा करते हैं, जो आपसे प्रेम करते हैं. आज आपने यह साफ़ कर दिया है कि आपकी दृष्टि में न तो अधिकारियों का कोई महत्व है, न सैनिकों का. आज मुझे यह मालूम हो गया है कि आज यदि अबशालोम जीवित होता और हम सभी मृत, तो आपको अत्यंत हर्ष होता.
7 এখন তাই বাইরে গিয়ে আপনার লোকজনকে উৎসাহিত করুন। আমি সদাপ্রভুর নামে শপথ করে বলছি, যদি আপনি বাইরে না যান, তবে সন্ধ্যা পর্যন্ত একজনও আপনার সঙ্গে থাকবে না। আপনার যৌবনকাল থেকে শুরু করে এখন পর্যন্ত আপনার উপর যত বিপর্যয় এসেছে, সেসবের তুলনায় এটি আরও মন্দ হবে।”
अब ऐसा कीजिए: उठिए, बाहर आइए और अपने सैनिकों से सांत्वनापूर्ण शब्दों में बातें कीजिए, नहीं तो जीवित याहवेह की शपथ, यदि आप यह न करेंगे, एक भी सैनिक आज रात आपके साथ देखा न जाएगा. यह आपके लिए ऐसी किसी भी विपदा से कहीं अधिक सोचने लायक होगा, जो आपके बाल्यकाल से आज तक आप पर न आन पड़ी है.”
8 তাই রাজামশাই উঠে সিংহদুয়ারের কাছে গিয়ে বসেছিলেন। লোকজনকে যখন বলা হল, “মহারাজ সিংহদুয়ারের কাছে বসে আছেন,” তখন তারা সবাই তাঁর সামনে এসেছিল। এদিকে, ইস্রায়েলীরা নিজের নিজের বাসায় পালিয়ে গেল।
तब राजा उठे और नगर द्वार पर जाकर बैठ गए, जब लोगों ने यह सुना, “सुनो, सुनो, राजा द्वार पर बैठे हुए है,” तो लोग राजा के निकट आने लगे. इस्राएली अपने-अपने घर भाग जा चुके थे.
9 ইস্রায়েলের গোষ্ঠীদের মধ্যে সর্বত্র, সব লোকজন নিজেদের মধ্যে তর্কাতর্কি করে বলাবলি করছিল, “মহারাজ শত্রুদের হাত থেকে আমাদের রক্ষা করলেন; তিনিই ফিলিস্তিনীদের হাত থেকে আমাদের উদ্ধার করলেন। কিন্তু এখন তিনি অবশালোমের হাত থেকে অব্যাহতি পাওয়ার জন্য দেশ ছেড়ে পালিয়েছেন;
इस्राएल के सारे गोत्रों में इस समय इस विषय पर उग्र विवाद छिड़ा हुआ था, “राजा ही हमें हमारे शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करते आए हैं, वही हमें फिलिस्तीनियों से मुक्त करते आए हैं, अब वह अबशालोम के कारण देश छोड़कर भाग गए हैं.
10 এবং যাকে আমরা আমাদের উপর শাসনকর্তারূপে অভিষিক্ত করলাম, সেই অবশালোমও যুদ্ধে মারা গিয়েছে। তবে তোমরা মহারাজকে ফিরিয়ে আনার বিষয়ে কোনও কথা বলছ না কেন?”
यहां हमने अबशालोम का राजाभिषेक किया और वह युद्ध में मारा गया. तब अब राजा को वापस लाने के बारे में कुछ क्यों नहीं किया जा रहा?”
11 রাজা দাউদ যাজকদ্বয় সাদোক ও অবিয়াথরের কাছে এই খবর পাঠালেন: “যিহূদার প্রাচীনদের জিজ্ঞাসা করো, ‘রাজাকে তাঁর প্রাসাদে ফিরিয়ে আনার ক্ষেত্রে আপনারা কেন সবার পিছনে পড়ে থাকবেন, যেহেতু ইস্রায়েলে সর্বত্র যা বলাবলি হচ্ছে তা রাজার সৈন্যশিবিরে তাঁর কানে গিয়েছে?
राजा दावीद ने पुरोहित सादोक और अबीयाथर के लिए यह संदेश भेजा: “आप यहूदिया के पुरनियों से इस विषय में विचार-विमर्श करें: ‘राजा को उसके आवास में लौटा लाने के विषय में आप सबसे पीछे क्यों हैं, जबकि सारे इस्राएल इस विषय में राजा तक अपने विचार भेज चुका है?
12 আপনারা তো আমার আত্মীয়স্বজন, আমার নিজের রক্তমাংস। তাই রাজাকে ফিরিয়ে আনার ক্ষেত্রে আপনারা কেন পিছিয়ে থাকবেন?’
आप मेरे रिश्तेदार हैं, आप में और मुझे में लहू-मांस का संबंध है. तब आप ही राजा की पुनःस्थापना में पीछे क्यों हैं?’
13 অমাসাকেও বোলো, ‘তুমি কি আমার নিজের রক্তমাংস নও? যদি যোয়াবের স্থানে তুমি সারা জীবনের জন্য আমার সৈন্যদলের সেনাপতি না হও, তবে ঈশ্বর যেন আমাকে কঠোর দণ্ড দেন।’”
अमासा से कहिये, ‘क्या तुम मेरा लहू-मांस नहीं हो? यदि योआब के स्थान पर तुम आज से ही स्थायी रूप से मेरी सेना के सेनापति का पद ग्रहण न करो, तो मैं परमेश्वर के सामने दंड के योग्य रहूंगा.’”
14 তিনি যিহূদার লোকজনের মন এমনভাবে জিতে নিয়েছিলেন যে তারা সকলে একমত হল। তারা রাজামশাইকে খবর দিয়ে পাঠিয়েছিল, “আপনি ও আপনার সব লোকজন ফিরে আসুন।”
इस बात ने यहूदिया की जनता का हृदय एक सूत्र में बांध दिया; तब उन्होंने राजा के लिए यह संदेश भेजा, “आप और आपके सारे सेवक यहां लौट आएं.”
15 তখন রাজামশাই ফিরে এলেন ও জর্ডন নদী পর্যন্ত চলে গেলেন। এদিকে যিহূদার লোকজন রাজার সঙ্গে দেখা করে তাঁকে জর্ডন নদী পার করিয়ে আনার জন্য গিল্গলে গেল।
तब राजा लौटकर यरदन नदी तक पहुंचे. तब यहूदियावासी गिलगाल नामक स्थान पर उनका स्वागत करते हुए प्रतीक्षा कर रहे थे, कि उन्हें यरदन नदी के पार ले आएं.
16 বহুরীমের অধিবাসী গেরার ছেলে বিন্যামীনীয় শিমিয়ি রাজা দাউদের সঙ্গে দেখা করার জন্য তড়িঘড়ি যিহূদার লোকজনের সাথে মিলে সেখানে এসেছিল।
बहुरीम नामक स्थान से बिन्यामिन के एक वंशज, गेरा के पुत्र शिमेई यहूदिया के व्यक्तियों को लेकर शीघ्रतापूर्वक राजा दावीद से भेंटकरने आ गए.
17 তার সঙ্গে ছিল এক হাজার জন বিন্যামীনীয় লোক, শৌলের পারিবারিক দাস সীব, এবং সীবের পনেরোজন ছেলে ও কুড়ি জন দাস। রাজামশাই যেখানে ছিলেন, তারা জর্ডন নদীর সেই পারে দৌড়ে গেল।
उनके साथ बिन्यामिन वंश के हज़ार व्यक्ति भी थे. उसी समय शाऊल का गृह प्रबंधक ज़ीबा भी अपने पन्द्रह पुत्रों और बीस सेवकों के साथ, ढलान पर यरदन नदी की ओर दौड़ता हुआ राजा से भेंटकरने आया.
18 রাজার পরিবারকে আনার ও তাঁর ইচ্ছামতো সবকিছু করার জন্য তারা নদীর অগভীর স্থানটি পার হয়ে গেল। গেরার ছেলে শিমিয়ি জর্ডন নদী পার করে উবুড় হয়ে রাজামশাইকে প্রণাম করল
उन्होंने राजा के परिवार को नदी पार करने में सहायता दी, और उनकी सुविधाओं के लिए प्रयास करते रहे. राजा नदी पार करने पर ही थे, कि गेरा का पुत्र शिमेई आकर राजा के चरणों में गिर पड़ा.
19 ও তাঁকে বলল, “মহারাজ যেন আমায় দোষী সাব্যস্ত না করলেন। আমার প্রভু মহারাজ যেদিন জেরুশালেম ছেড়ে গেলেন, সেদিন আপনার দাস যে অপরাধ করেছিল, তা মনে রাখবেন না। মহারাজ যেন তা মন থেকে বের করে ফেলেন।
उसने राजा से तेज आवाज में विनती की, “मेरे स्वामी, न तो मुझे दोषी ठहराएं और न ही मेरे उस गलत व्यवहार को याद रखें, जो मैंने मेरे स्वामी महाराज के येरूशलेम से जाने के अवसर में किया था. महाराज इसे अपने हृदय में न रखें.
20 কারণ আপনার দাস আমি জানি যে আমি পাপ করেছি, কিন্তু আজ আমিই যোষেফের বংশ থেকে প্রথমজন হয়ে এখানে আমার প্রভু মহারাজের সঙ্গে দেখা করার জন্য নেমে এসেছি।”
आपके सेवक को यह पता है, कि मैंने यह पाप किया है. इसलिये यह देखिए, आज मैं ही सारे योसेफ़ वंश में से पहला हूं, जो महाराज, मेरे स्वामी से भेंटकरने आया हूं.”
21 তখন সরূয়ার ছেলে অবীশয় বলল, “এজন্য কি শিমিয়িকে মেরে ফেলা হবে না? সে তো সদাপ্রভুর অভিষিক্ত ব্যক্তিকে অভিশাপ দিয়েছিল।”
ज़ेरुइयाह के पुत्र अबीशाई ने इसके लिए सुझाव दिया, “क्या सही नहीं कि जो कुछ शिमेई ने किया है, उसके लिए उसे मृत्यु दंड दिया जाए? उसने याहवेह के अभिषिक्त को शाप दिया था.”
22 দাউদ উত্তর দিলেন, “হে সরূয়ার ছেলেরা, এতে তোমাদের কী? তোমাদের কি অনধিকারচর্চা করার কোনও অধিকার আছে? আজ কি ইস্রায়েলে কাউকে মেরে ফেলা উচিত হবে? আমি কি জানি না যে আজ আমি ইস্রায়েলের রাজা?”
“तुम ज़ेरुइयाह के पुत्रो,” दावीद ने कहा, “क्या लेना देना है मेरा तुम्हारा? क्या कारण है तुम आज मेरे विपरीत ही जा रहे हो? क्या आज वह दिन है, जिसमें इस्राएल के किसी भी व्यक्ति को प्राण-दंड दिया जाना सही होगा? क्या मुझे यह मालूम नहीं कि मैं इस समय इस्राएल का राजा हूं?”
23 তাই রাজামশাই শিমিয়িকে বললেন, “তুমি মরবে না।” রাজামশাই শপথ করে তার কাছে প্রতিজ্ঞা করলেন।
तब शिमेई से उन्मुख हो राजा ने कहा, “तुम्हें मृत्यु दंड नहीं दिया जाएगा.” इसके लिए राजा ने उससे शपथ खाई.
24 শৌলের নাতি মফীবোশৎও রাজার সঙ্গে দেখা করতে নেমে গেলেন। যেদিন রাজামশাই চলে গেলেন, সেদিন থেকে শুরু করে নিরাপদে তাঁর ফিরে আসার দিন পর্যন্ত মফীবোশৎ তাঁর পায়ের যত্ন নেননি বা তাঁর দাড়ি-গোঁফ ছাঁটেননি বা তাঁর কাপড়চোপড়ও ধোয়াধুয়ি করেননি।
शाऊल का पुत्र मेफ़िबोशेथ भी राजा से भेंटकरने आया. जिस दिन से राजा ने पलायन किया था, उस दिन से राजा के सुरक्षित लौटने तक उसने पैरों का ध्यान न रखा था, न अपनी दाढ़ी का प्रसाधन किया था, और न ही उसने धुले हुए कपड़े पहने थे.
25 জেরুশালেম থেকে যখন তিনি রাজার সঙ্গে দেখা করতে এলেন, রাজামশাই তাঁকে জিজ্ঞাসা করলেন, “মফীবোশৎ, তুমি কেন আমার সঙ্গে যাওনি?”
जब वह राजा से भेंटकरने येरूशलेम में आया, राजा ने उससे कहा, “मेफ़िबोशेथ, पलायन करते समय तुम मेरे साथ क्यों नहीं थे?”
26 তিনি বললেন, “হে আমার প্রভু মহারাজ, যেহেতু আপনার দাস—আমি খঞ্জ, তাই আমি বললাম, ‘আমার গাধায় জিন চাপিয়ে, আমি তাতে চড়ে যাব, যেন আমি মহারাজের সঙ্গেই যেতে পারি।’ কিন্তু আমার দাস সীব আমার সঙ্গে বিশ্বাসঘাতকতা করেছে।
उसने उत्तर में कहा, “महाराज, मेरे स्वामी, मेरे सेवक ने मेरे साथ छल किया. आपके सेवक ने उससे कह रखा था, ‘मैं अपने लिए गधे की काठी कसूंगा कि मैं उस पर चढ़कर राजा के निकट जा सकूं,’ क्योंकि मैं ठहरा अपंग.
27 সে আমার প্রভু মহারাজের কাছে আমার বদনামও করেছে। আমার প্রভু মহারাজ এক স্বর্গদূতের মতো মানুষ; তাই আপনার যা ইচ্ছা তাই করুন।
इसके अलावा उसने महाराज, मेरे स्वामी से आपके सेवक के विरुद्ध झूठा आरोप भी प्रसारित कर दी; मगर महाराज, मेरे स्वामी, आप परमेश्वर के स्वर्गदूत तुल्य हैं; आपको जो कुछ सही लगे, आप वही करें.
28 আমার ঠাকুরদাদার সব বংশধরই আমার প্রভু মহারাজের কাছ থেকে মৃত্যু ছাড়া আর কিছুই পাওয়ার যোগ্য নয়, কিন্তু আপনি সেইসব লোকের মাঝখানে আপনার দাসকে এক স্থান করে দিয়েছেন, যারা আপনার টেবিলে বসে ভোজনপান করে। তাই মহারাজের কাছে আর কোনও আবেদন জানানোর অধিকার কি আমার আছে?”
महाराज मेरे स्वामी के सामने, मेरे पिता का वंश मृतकों के समान छोटा था, फिर भी आपने अपने सेवक को उनमें स्थान दिया, जो आपके साथ भोजन करने के लिए चुने गए थे. महाराज से इससे अधिक अपेक्षा करने का मेरा अधिकार ही नहीं रह जाता.”
29 রাজামশাই তাঁকে বললেন, “আর কিছু বলবেই বা কেন? আমি তো তোমাকে ও সীবকে জমি ভাগাভাগি করে নেওয়ার আদেশ দিয়েই দিয়েছি।”
राजा ने उससे कहा, “अब ज्यादा बोलने से क्या लाभ? मैंने यह निश्चय किया है कि तुम्हारे और ज़ीबा के बीच संपत्ति को बांट दिया जाएगा.”
30 মফীবোশৎ রাজাকে বললেন, “এখন যখন আমার প্রভু মহারাজ নিরাপদে বাসায় ফিরে এসেছেন, তখন সেই সবকিছু নিয়ে নিক।”
मेफ़िबोशेथ ने राजा से कहा, “आप उसे संपूर्ण संपत्ति ही ले लेने दें. मेरे लिए यही काफ़ी है कि महाराज, मेरे स्वामी सुरक्षित लौट आए हैं.”
31 গিলিয়দীয় বর্সিল্লয়ও রোগলীম থেকে রাজার সঙ্গী হয়ে জর্ডন নদী পার করে সেখান থেকে তাঁকে পাঠিয়ে দেওয়ার জন্য নেমে এলেন।
रोगेलिम नामक स्थान से गिलआदवासी बारज़िल्लई भी आए हुए थे. वह राजा के साथ साथ यरदन नदी तक गए थे, कि उन्हें यरदन नदी पार उतार दें.
32 বর্সিল্লয় বয়সে বৃদ্ধ ছিলেন, তাঁর বয়স তখন আশি বছর। রাজামশাই যখন মহনয়িমে ছিলেন, তখন বর্সিল্লয় তাঁর জন্য খাবারদাবারের ব্যবস্থা করলেন, কারণ তিনি খুব ধনী লোক ছিলেন।
बारज़िल्लई बहुत वृद्ध व्यक्ति थे, वह अस्सी वर्षीय थे. राजा के माहानाईम पड़ाव के अवसर पर उन्हीं ने राजा की सुरक्षा का प्रबंध किया था, क्योंकि वहां वह अत्यंत प्रतिष्ठित व्यक्ति थे.
33 রাজামশাই বর্সিল্লয়কে বললেন, “নদী পার হয়ে আমার সঙ্গে গিয়ে জেরুশালেমে থাকুন, আর আমি আপনার জন্য সব ব্যবস্থা করব।”
राजा ने बारज़िल्लई से कहा, “आप मेरे साथ नदी पार कर चलिए. येरूशलेम में आप मेरे साथ रहेंगे, मैं आपको आश्रय दूंगा.”
34 কিন্তু বর্সিল্লয় রাজাকে উত্তর দিলেন, “আর কয়বছরই বা আমি বাঁচব যে মহারাজের সঙ্গে আমি জেরুশালেমে গিয়ে থাকব?
मगर बारज़िल्लई ने राजा को उत्तर दिया, “और कितने दिन बाकी हैं मेरे जीवन के, कि मैं महाराज के साथ येरूशलेम चलूं?
35 আমার বয়স এখন আশি বছর। কী উপভোগ্য আর কী নয়, তার পার্থক্য কি এখন আমি করতে পারি? আপনার এই দাস কি খাদ্য বা পানীয়র স্বাদ বুঝতে পারে? আমি কি এখন আর গায়ক ও গায়িকার সুর শুনতে পারি? আপনার এই দাস কেনই বা আমার প্রভু মহারাজের কাছে অতিরিক্ত এক বোঝা হয়ে থাকবে?
इस समय मेरी आयु अस्सी वर्ष की है. क्या मुझमें अब यह बोध रह गया है कि सुखद क्या है, और क्या नहीं? क्या आपके सेवक में अब भोजन और पेय से संबंधित स्वाद बोध शेष रह गया है? अथवा क्या में अब भी स्त्री-पुरुष गायक-वृन्द की प्रस्तुति सुनने में समर्थ रह गया हूं? तब क्या लाभ है कि आपका सेवक महाराज मेरे स्वामी पर अतिरिक्त बोझ बनकर रहे?
36 আপনার এই দাস জর্ডন নদী পার হয়ে অল্প কিছু দূর মহারাজের সঙ্গে যাবে, কিন্তু কেনই বা মহারাজ এভাবে আমাকে পুরস্কৃত করবেন?
आपका सेवक महाराज के साथ मात्र यरदन नदी पार ही करेगा, पर क्या आवश्यकता है कि महाराज प्रतिफल में यह पुरस्कार दें.
37 আপনার দাসকে ফিরে যেতে দিন, যেন আমি আমার নিজের নগরে আমার মা-বাবার কবরের কাছেই মরতে পারি। কিন্তু এই দেখুন আপনার দাস কিম্হম। একেই আমার প্রভু মহারাজের সঙ্গে নদী পার হয়ে যেতে দিন। আপনার যা ইচ্ছা, আপনি এর জন্য তাই করুন।”
कृपा कर अपने सेवक को लौटने की अनुमति प्रदान करें, कि मेरा देहांत मेरे ही गृहनगर में, मेरी माता-पिता की कब्र के निकट ही हो. हां, यह किमहाम है, मेरा पुत्र, आपका सेवक. उसे ही आज्ञा दें कि वह महाराज मेरे स्वामी के साथ जाए, और आपकी उपयुक्त इच्छा पूर्ण करता रहे.”
38 রাজামশাই বললেন, “কিম্হম তো আমার সঙ্গে নদী পার হয়ে যাবে, এবং আপনি আমার কাছে যা চান, আমি আপনার জন্য তাই করব।”
राजा ने सहमति प्रदान की: “किमहाम मेरे साथ अवश्य जाएगा, और मैं उसके लिए वही करूंगा, जो आपकी अभिलाषा है, साथ ही मैं आपके लिए भी वहीं करूंगा, जो मुझसे आपकी इच्छा है.”
39 অতএব সব লোকজন জর্ডন নদী পার হয়ে গেল, এবং পরে রাজা নিজে পার হলেন। রাজা বর্সিল্লয়কে চুম্বন করলেন ও তাঁকে বিদায় জানিয়েছিলেন, এবং বর্সিল্লয় নিজের ঘরে ফিরে গেলেন।
इसके बाद सभी यरदन नदी के पार चले गए, राजा ने भी नदी पार की. तब राजा ने बारज़िल्लई का चुंबन लेते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया. इसके बाद बारज़िल्लई अपने घर लौट गए.
40 রাজামশাই যখন নদী পার হয়ে গিল্গলে গেলেন, কিমহমও তাঁর সঙ্গে নদী পার হল। যিহূদার সৈন্যদলের সমস্ত সৈন্যসামন্ত ও ইস্রায়েলের সৈন্যদলের অর্ধেক সৈন্যসামন্ত রাজামশাইকে নিয়ে এসেছিল।
राजा गिलगाल की ओर बढ़ते गए. किमहाम राजा के साथ था. राजा के साथ यहूदिया की सभी सेना और इस्राएल की आधी सेना थी.
41 অচিরেই ইস্রায়েলের সব লোকজন রাজার কাছে এসে তাঁকে বলল, “আমাদের ভাইরা, যিহূদার লোকজন কেন মহারাজকে চুরি করে নিয়ে গিয়ে আবার তাঁকে ও তাঁর পরিবার-পরিজনদের তাঁর সব লোকজন সমেত জর্ডন নদী পার করে নিয়ে এসেছে?”
तब इस्राएल के सभी व्यक्ति आकर राजा से कहने लगे, “ऐसा क्यों हुआ है कि हमारे भाई-बंधुओं, यहूदियावासियों ने चुपके-चुपके यरदन के उस पार जाकर, राजा और उनके परिवार को और उनके सारे साथियों को यहां ले आए है?”
42 যিহূদার সব লোকজন ইস্রায়েলের লোকজনকে বলল, “আমরা এরকম করেছি, কারণ মহারাজ আমাদের ঘনিষ্ঠ আত্মীয়। তোমরা এতে রাগ করছ কেন? আমরা কি মহারাজের কিছু খেয়েছি? আমরা কি নিজেদের জন্য কিছু নিয়েছি?”
यहूदिया के सभी निवासियों ने इस्राएल के निवासियों को उत्तर दिया, “इसलिये, कि राजा हमारे निकट संबंधी हैं. इस पर क्रुद्ध होने का क्या कारण है? क्या हमने अपने भोजन के लिए राजा की धनराशि में से खर्च किया है? अथवा क्या उन्होंने हमें उपहार में कुछ दिया है?”
43 তখন ইস্রায়েলের লোকজন যিহূদার লোকজনকে উত্তর দিয়েছিল, “মহারাজের উপর আমাদের দশ ভাগ অধিকার আছে; তাই দাউদের উপর তোমাদের তুলনায় আমাদের বেশি দাবি আছে। তোমরা কেন তবে আমাদের অবজ্ঞার চোখে দেখছ? আমরাই কি প্রথমে আমাদের মহারাজকে ফিরিয়ে আনার কথা বলিনি?” কিন্তু যিহূদার লোকজন তাদের দাবিটি ইস্রায়েলের লোকজনের তুলনায় বেশি জোরালোভাবে পেশ করল।
यह सुन इस्राएलियों ने यहूदियावासियों को उत्तर दिया, “राजा में हमारे दस अंश निहित है. तब दावीद पर हमारा अधिकार तुमसे अधिक होता ही है. तब तुमने हमें तुच्छ क्यों समझा? क्या राजा को दोबारा प्रतिष्ठित करने का प्रस्ताव सबसे पहले हमारी ओर से ही नहीं आया था?” इसमें यहूदियावासियों के वचन इस्राएलियों के उद्गारों से अधिक प्रभावी रहे.