< শমূয়েলের প্রথম বই 25 >
1 এদিকে হয়েছে কী, শমূয়েল মারা গেলেন ও সমস্ত ইস্রায়েল একত্রিত হয়ে তাঁর জন্য শোকপ্রকাশ করল; এবং তারা তাঁকে রামায় তাঁর ঘরেই কবর দিয়েছিল। পরে দাউদ পারণ মরুভূমির দিকে চলে গেলেন।
और समुएल मर गया और सब इस्राईली जमा' हुए और उन्होंने उस पर नौहा किया और उसे रामा में उसी के घर में दफ़न किया और दाऊद उठ कर फ़ारान के जंगल को चला गया।
2 মায়োনে কোনো একজন লোক ছিল, কর্মিলে তার কিছু বিষয়সম্পত্তি ছিল ও সে খুব ধনীও ছিল। তার কাছে 1,000 ছাগল ও 3,000 মেষ ছিল, সে তখন কর্মিলে সেগুলির লোম ছাঁটছিল।
और म'ऊन में एक शख़्स रहता था जिसकी जायदाद करमिल में थी यह शख़्स बहुत बड़ा था और उस के पास तीन हज़ार भेड़ें और एक हज़ार बकरियाँ थीं और यह कर्मिल में अपनी भेड़ों के बाल कतर रहा था।
3 তার নাম নাবল ও তার স্ত্রীর নাম অবীগল। অবীগল খুব বুদ্ধিমতী ও সুন্দরী ছিলেন, কিন্তু তাঁর স্বামী ছিল অভদ্র ও বেয়াদব—সে ছিল কালেব বংশীয় একজন লোক।
इस शख़्स का नाम नाबाल और उसकी बीवी का नाम अबीजेल था, यह 'औरत बड़ी समझदार और ख़ूबसूरत थी लेकिन वह आदमी बड़ा बे अदब और बदकार था और वह कालिब के ख़ानदान से था।
4 দাউদ মরুপ্রান্তরে থাকার সময় শুনতে পেয়েছিলেন যে নাবল মেষের লোম ছাঁটছে।
और दाऊद ने वीराने में सुना कि नाबाल अपनी भेड़ों के बाल कतर रहा, है।
5 তাই তিনি তার কাছে দশজন যুবককে পাঠিয়ে তাদের বলে দিলেন, “তোমরা কর্মিলে নাবলের কাছে গিয়ে তাকে আমার নামে শুভেচ্ছা জানাবে।
इसलिए दाऊद ने दस जवान रवाना किए और उसने उन जवानों से कहा, “कि तुम कर्मिल पर चढ़कर नाबाल के पास जाओ, और मेरा नाम लेकर उसे सलाम कहो।
6 তাকে গিয়ে বোলো: ‘আপনি দীর্ঘজীবী হোন! আপনি কুশলে থাকুন ও আপনার পরিবারও কুশলে থাকুক! এবং আপনার সর্বস্বের কুশল হোক!
और उस ख़ुश हाल आदमी से यूँ कहो कि तेरी और तेरे घर कि और तेरे माल असबाब की सलामती हो।
7 “‘আমি শুনতে পেয়েছি এখন নাকি মেষের লোম ছাঁটার সময়। আপনার রাখালরা যখন আমাদের সঙ্গে ছিল, আমরা তাদের সঙ্গে খারাপ ব্যবহার করিনি, আর যতদিন তারা কর্মিলে ছিল তাদের কোনো কিছুই হারায়নি।
मैंने अब सुना है कि तेरे यहाँ बाल कतरने वाले हैं और तेरे चरवाहे हमारे साथ रहे और हमने उनको नुक़्सान नहीं पहूँचाया और जब तक वह कर्मिल में हमारे साथ रहे उनकी कोई चीज़ खोई न गई।
8 আপনার দাসদের জিজ্ঞাসা করুন, তারাই আপনাকে বলে দেবে। অতএব আমার লোকজনের প্রতি একটু অনুগ্রহ দেখান, যেহেতু আমরা উৎসবের দিনে এলাম। আপনি যা পারেন, দয়া করে আপনার এই দাসদের ও আপনার ছেলে দাউদের হাতে তা তুলে দিন।’”
तू अपने जवानों से पूछ और वह तुझे बताएँगे, तब इन जवानों पर तेरे करम की नज़र हो इसलिए कि हम अच्छे दिन आए हैं, मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि जो कुछ तेरे क़ब्ज़े में आए अपने ख़ादिमों को और अपने बेटे दाऊद को 'अता कर।”
9 দাউদের লোকজন নাবলের কাছে পৌঁছে দাউদের নাম করে তাকে এসব কথা বলল। পরে তারা অপেক্ষা করল।
इसलिए दाऊद के जवानों ने जाकर नाबाल से दाऊद का नाम लेकर यह बातें कहीं और चुप हो रहे।
10 নাবল দাউদের দাসদের উত্তর দিয়েছিল, “কে এই দাউদ? কে এই যিশয়ের ছেলে? আজকাল বিস্তর দাস তাদের প্রভুদের ছেড়ে চলে যাচ্ছে।
नाबाल ने दाऊद के ख़ादिमों को जवाब दिया “कि दाऊद कौन है? और यस्सी का बेटा कौन है? इन दिनों बहुत से नौकर ऐसे हैं जो अपने आक़ा के पास से भाग जातें हैं।
11 আমি কেন আমার মেষের পশমকর্তকদের জন্য রাখা রুটি ও জল ও মাংস নিয়ে সেইসব লোকের হাতে তুলে দেব, যাদের বিষয়ে আমি জানিই না তারা কোথা থেকে এসেছে?”
क्या मैं अपनी रोटी और पानी और ज़बीहे जो मैंनें अपने कतरने वालों के लिए ज़बह किए हैं, लेकर उन लोगों को दूँ जिनको मैं नहीं जानता कि वह कहाँ के हैं?”
12 দাউদের লোকজন মুখ ফিরিয়ে চলে গেল। তাঁর কাছে ফিরে গিয়ে তারা প্রতিটি কথা বলে শুনিয়েছিল।
इसलिए दाऊद के जवान उलटे पाँव फिरे और लौट गए और आकर यह सब बातें उसे बताईं।
13 দাউদ তাঁর লোকজনকে বললেন, “তোমরা প্রত্যেকে কোমরে তরোয়াল বেঁধে নাও!” তারা তেমনটিই করল, ও দাউদও নিজের তরোয়ালটি বেঁধে নিয়েছিলেন। প্রায় 400 জন দাউদের সঙ্গে গেল, আর 200 জন মালপত্র দেখাশোনা করার জন্য থেকে গেল।
तब दाऊद ने अपने लोगों से कहा, अपनी अपनी तलवार बाँध लो, इसलिए हर एक ने अपनी तलवार बाँधी और दाऊद ने भी अपनी तलवार लटकाई, तब क़रीबन चार सौ जवान दाऊद के पीछे चले और दो सौ सामान के पास रहे।
14 দাসদের মধ্যে একজন নাবলের স্ত্রী অবীগলকে বলল, “দাউদ আমাদের প্রভুকে শুভেচ্ছা জানানোর জন্য মরুপ্রান্তর থেকে দূত পাঠিয়েছিলেন, কিন্তু তিনি তাদের চূড়ান্ত অপমান করেছেন।
और जवानों में से एक ने नाबाल की बीवी अबीजेल से कहा, “कि देख, दाऊद ने वीराने से हमारे आक़ा को मुबारकबाद देने को क़ासिद भेजे लेकिन वह उन पर झुंझलाया।
15 অথচ ওই লোকগুলি আমাদের পক্ষে বড়োই ভালো ছিল। তারা আমাদের সঙ্গে খারাপ ব্যবহার করেননি, আর যতদিন আমরা মাঠে তাদের কাছে ছিলাম, আমাদের কোনো কিছুই হারায়নি।
लेकिन इन लोगों ने हम से बड़ी नेकी की और हमारा नुक़्सान नहीं हुआ, और मैदानों में जब तक हम उनके साथ रहे हमारी कोई चीज़ गुम न हुई।
16 যতদিন আমরা তাদের কাছে থেকে আমাদের মেষগুলি চরাতাম, রাতদিন তারা আমাদের চারপাশে তখন এক দেওয়াল হয়েই ছিল।
बल्कि जब तक हम उनके साथ भेड़ बकरी चराते रहे वह रात दिन हमारे लिए गोया दीवार थे।
17 এখন ভেবে দেখুন আপনি কী করতে পারবেন, কারণ আমাদের প্রভুর ও তার সমগ্র পরিবারের উপর সর্বনাশ ঘনিয়ে এসেছে। তিনি এমনই বজ্জাত যে কেউই তাকে কিছু বলতে পারে না।”
इसलिए अब सोच समझ ले कि तू क्या करेगी क्यूँकि हमारे आक़ा और उसके सब घराने के ख़िलाफ़ बदी का मंसूबा बाँधा गया है, क्यूँकि यह ऐसा ख़बीस आदमी है कि कोई इस से बात नहीं कर सकता।”
18 অবীগল দ্রুত ব্যবস্থা নিয়েছিলেন। তিনি 200 টুকরো রুটি, চামড়ার দুই থলি দ্রাক্ষারস, রান্নার জন্য কেটেকুটে প্রস্তুত করা পাঁচটি মেষ, পাঁচ কাঠা সেঁকা শস্যদানা, 100 তাল কিশমিশ ও 200 তাল নিংড়ানো ডুমুর নিয়ে সেগুলি গাধার পিঠে চাপিয়ে দিয়েছিলেন।
तब अबीजेल ने जल्दी की और दो सौ रोटियाँ और मय के दो मश्कीज़े और पाँच पकी पकाई भेंडें और भुने हुए अनाज के पाँच पैमाने और किशमिश के एक सौ ख़ोशे और इन्जीर की दो सौ टिकियाँ साथ लीं और उनको गधों पर लाद लिया।
19 পরে তিনি তাঁর দাসদের বললেন, “তোমরা এগিয়ে যাও; আমি তোমাদের পিছু পিছু আসছি।” কিন্তু তিনি তাঁর স্বামীকে কিছু বলেননি।
और अपने चाकरों से कहा, “तुम मुझ से आगे जाओ, देखो मैं तुम्हारे पीछे पीछे आती हूँ” और उसने अपने शोहर नाबाल को ख़बर न की।
20 তিনি যখন গাধার পিঠে চেপে পাহাড়ের সরু গিরিখাত ধরে আসছিলেন, তখন দাউদও তাঁর লোকজন নিয়ে অবীগলের দিকে নেমে আসছিলেন, ও তাদের সঙ্গে তাঁর দেখা হল।
और ऐसा हुआ, कि जैसे ही वह गधे पर चढ़ कर पहाड़ की आड़ से उतरी दाऊद अपने लोगों के साथ उतरते हुए उसके सामने आया और वह उनको मिली।
21 দাউদ অল্প কিছুক্ষণ আগেই বলেছিলেন, “কোনও লাভ হয়নি—আমি অনর্থক এই লোকটির সম্পত্তি মরুপ্রান্তরে পাহারা দিয়েছি আর তার কোনো কিছুই হারায়নি। সে ভালোর বদলে আমাকে মন্দ উপহার দিয়েছে।
और दाऊद ने कहा, था “कि मैं इस पाजी के सब माल की जो वीराने में था बे फ़ाइदा इस तरह निगहबानी की कि उसकी चीज़ों में से कोई चीज़ गुम न हुई क्यूँकि उसने नेकी के बदले मुझ से बदी की।
22 যদি কাল সকাল পর্যন্ত আমি তার পরিবারের একটিও পুরুষ সদস্যকে জীবিত রাখি, তবে যেন ঈশ্বর দাউদকে আরও কঠোর শাস্তি দেন!”
इसलिए अगर मैं सुबह की रोशनी होने तक उसके लोगों में से एक लड़का भी बाक़ी छोडूँ तो ख़ुदावन्द दाऊद के दुशमनों से ऐसा ही बल्कि इससे ज़्यादा ही करे।”
23 অবীগল দাউদকে দেখে চট করে গাধার পিঠ থেকে নেমে মাটিতে উবুড় হয়ে তাঁকে প্রণাম করলেন।
और अबीजेल ने जो दाऊद को देखा, तो जल्दी की और गधे से उतरी और दाऊद के आगे औंधी गिरीं और ज़मीन पर सरनगूँ हो गई।
24 তিনি দাউদের পায়ে পড়ে বললেন: “হে আমার প্রভু, আপনার দাসীকে ক্ষমা করুন, আমাকে বলতে দিন; আপনার দাসী যা বলতে চায় তা একটু শুনুন।
और वह उसके पाँव पर गिर कर कहने लगी, “मुझ पर ऐ मेरे मालिक मुझी पर यह गुनाह हो और ज़रा अपनी लौंडी को इजाज़त दे कि तेरे कान में कुछ कहे और तू अपनी लौंडी की दरख़्वास्त सुन।
25 হে আমার প্রভু, দয়া করে সেই বজ্জাত লোকটির কথায় মনোযোগ দেবেন না। তার যেমন নাম সেও ঠিক সেরকমই—তার নামের অর্থ মূর্খ, আর মূর্খতা তার সহবর্তী। আর আমার কথা যদি বলেন, আপনার এই দাসী, আমি আমার প্রভুর পাঠানো লোকদের দেখতে পাইনি।
मैं तेरी मिन्नत करती हूँ कि मेरा मालिक उस ख़बीस आदमी नाबाल का कुछ ख़याल न करे क्यूँकि जैसा उसका नाम है वैसा ही वह है उसका नाम नाबाल है और हिमाक़त उसके साथ है लेकिन मैंनें जो तेरी लौंडी हूँ अपने मालिक के जवानों को जिनको तूने भेजा था नहीं देखा।
26 আর এখন, হে আমার প্রভু, আপনার ঈশ্বর জীবন্ত সদাপ্রভুর দিব্যি ও আপনার প্রাণের দিব্যি, যেহেতু সদাপ্রভু আপনাকে রক্তপাত করা থেকে ও নিজের হাতে প্রতিশোধ নেওয়া থেকে বিরত রেখেছেন, তাই আপনার শত্রুদের ও যারা আমার প্রভুর ক্ষতি করতে চায়, তাদের দশা যেন নাবলের মতো হয়।
और अब ऐ मेरे मालिक! ख़ुदावन्द की हयात की क़सम और तेरी जान ही की क़सम कि ख़ुदावन्द ने जो तुझे ख़ूँरेज़ी से और अपने ही हाथो अपना इन्तक़ाम लेने से बाज़ रख्खा है इसलिए तेरे दुश्मन और मेरे मालिक के बुराई चाहने वाले नाबाल की तरह ठहरें।
27 আপনার দাসী আমার প্রভুর কাছে এই যেসব উপহার নিয়ে এসেছে, সেগুলি যেন আপনার অনুগামী লোকদের দেওয়া হয়।
अब यह हदिया जो तेरी लौंडी अपने मालिक के सामने लाई है, उन जवानों को जो मेरे ख़ुदावन्द की पैरवी करतें हैं दिया जाए।
28 “দয়া করে আপনার দাসীর বেয়াদবি ক্ষমা করবেন। আপনার ঈশ্বর সদাপ্রভু নিঃসন্দেহে আমার প্রভুর জন্য এক স্থায়ী সাম্রাজ্য প্রতিষ্ঠিত করবেন, কারণ আপনি সদাপ্রভুর হয়ে যুদ্ধ করছেন, এবং আপনি যতদিন বেঁচে থাকবেন ততদিন আপনার মধ্যে কোনও অন্যায় খুঁজে পাওয়া যাবে না।
तू अपनी लौंडी का गुनाह मु'आफ़ करदे क्यूँकि ख़ुदावन्द यक़ीनन मेरे मालिक का घर क़ाईम रख्खेगा इसलिए कि मेरे मालिक ख़ुदावन्द की लड़ाईयाँ लड़ता है और तुझ में तमाम उम्र बुराई नहीं पाई जाएगी।
29 যদি কেউ আপনার প্রাণহানি করার জন্য আপনার পশ্চাদ্ধাবনও করে, তবুও আমার প্রভুর প্রাণ আপনার ঈশ্বর সদাপ্রভুর দ্বারা জীবিতদের দলে সুরক্ষিত থাকবে, কিন্তু আপনার শত্রুদের প্রাণ গুলতির থলিতে রাখা পাথরের মতো তিনি ছুঁড়ে ফেলে দেবেন।
और जो इंसान तेरा पीछा करने और तेरी जान लेने को उठे तोभी मेरे मालिक की जान ज़िन्दगी के बूक़चे में ख़ुदावन्द तेरे ख़ुदा के साथ बंधी रहेगी लेकिन तेरे दुशमनों की जानें वह गोया गोफ़न में रखकर फेंक देगा।
30 সদাপ্রভু যখন আমার প্রভুর জন্য তাঁর করা প্রতিটি মঙ্গল-প্রতিজ্ঞা পূর্ণ করবেন ও ইস্রায়েলের উপর তাঁকে শাসনকর্তারূপে নিযুক্ত করবেন,
और जब ख़ुदावन्द मेरे मालिक से वह सब नेकियाँ जो उसने तेरे हक़ में फ़रमाई हैं कर चुकेगा और तुझ को इस्राईल का सरदार बना देगा।
31 তখন আমার প্রভুকে আর তাঁর বিবেকে অনর্থক রক্তপাতের বা নিজেরই নেওয়া প্রতিশোধের হতভম্বকারী বোঝা বয়ে বেড়াতে হবে না। আপনার ঈশ্বর সদাপ্রভু যখন আমার প্রভুকে সাফল্য দেবেন, আপনার এই দাসীকে তখন একটু স্মরণ করবেন।”
तो तुझे इसका ग़म और मेरे मालिक को यह दिली सदमा न होगा कि तूने बे वजह ख़ून बहाया या मेरे मालिक ने अपना बदला लिया और जब ख़ुदावन्द मेरे मालिक से भलाई करे तो तू अपनी लौंडी को याद करना।”
32 দাউদ অবীগলকে বললেন, “ইস্রায়েলের ঈশ্বর সেই সদাপ্রভুর গৌরব হোক, যিনি তোমাকে আজ আমার সঙ্গে দেখা করতে পাঠিয়েছেন।
दाऊद ने अबीजेल से कहा, “कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा मुबारक हो जिसने तुझे आज के दिन मुझ से मिलने को भेजा।
33 তোমার সুবিবেচনার জন্য এবং আমাকে আজ তুমি রক্তপাত করা থেকে ও নিজের হাতে প্রতিশোধ নেওয়া থেকে বিরত রেখেছ বলে তুমি ধন্যা।
और तेरी 'अक़ल्मंदी मुबारक तू ख़ुद भी मुबारक हो जिसने मुझको आज के दिन ख़ूँरेज़ीऔर अपने हाथों अपना बदला लेने से बाज़ रख्खा।
34 তা না হলে, যিনি আমাকে আজ তোমার ক্ষতি করা থেকে বিরত রেখেছেন সেই জীবন্ত সদাপ্রভুর দিব্যি, তুমি যদি তাড়াতাড়ি আমার সঙ্গে দেখা করতে না আসতে, তবে নাবলের পরিবারের একজন পুরুষ সদস্যও সকাল পর্যন্ত বেঁচে থাকত না।”
क्यूँकि ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा की हयात की क़सम जिसने मुझे तुझको नुक़्सान पहुचाने से रोका कि अगर तू जल्दी न करती और मुझ से मिलने को न आती तो सुबह की रोशनी तक नाबाल के लिए एक लड़का भी न रहता।”
35 পরে দাউদ অবীগলের আনা সবকিছু তাঁর হাত থেকে গ্রহণ করলেন ও তাঁকে বললেন, “শান্তিতে ঘরে ফিরে যাও। আমি তোমার কথা শুনেছি ও তোমার অনুরোধ রেখেছি।”
और दाऊद ने उसके हाथ से जो कुछ वह उसके लिए लाई थी क़ुबूल किया और उससे कहा, “अपने घर सलामत जा, देख मैंने तेरी बात मानी और तेरा लिहाज़ किया।”
36 অবীগল যখন নাবলের কাছে ফিরে গেলেন, সে তখন বাড়িতে ছিল ও সেখানে রাজকীয় এক ভোজসভা চলছিল। সে খোশমেজাজে ছিল ও পুরোপুরি মাতাল হয়ে পড়েছিল। তাই সকাল না হওয়া পর্যন্ত অবীগল তাকে কিছু বলেননি।
और अबीजेल नाबाल के पास आई और देखा कि उसने अपने घर में शाहाना ज़ियाफ़त की तरह दावत कर रख्खी है और नाबाल का दिल उसके पहलू में ख़ुश है इसलिए कि वह नशे में चूर था, इसलिए उसने उससे सुबह की रोशनी तक न थोड़ा न बहुत कुछ न कहा,
37 পরে সকালে নাবল যখন ভদ্রস্থ হল, তার স্ত্রী তাকে সব কথা বলে শুনিয়েছিলেন, ও সে মনমরা হয়ে পাথরের মতো স্তব্ধ হয়ে গেল।
सुबह को जब नाबाल का नशा उतर गया तो उसकी बीवी ने यह बातें उसे बताईं तब उसका दिल उसके पहलू में मुर्दा हो गया और वह पत्थर की तरह सुन पड़ गया।
38 প্রায় দশদিন পর, সদাপ্রভু নাবলকে আঘাত করলেন ও সে মারা গেল।
और दस दिन के बाद ऐसा हुआ कि ख़ुदावन्द ने नाबाल को मारा और वह मर गया।
39 নাবলের মৃত্যুর খবর পেয়ে দাউদ বললেন, “সদাপ্রভুর গৌরব হোক, আমার প্রতি নাবল অবজ্ঞামূলক আচরণ করেছিল বলেই তিনি আমার পক্ষে দাঁড়িয়েছেন। তিনি তাঁর দাসকে অন্যায় করা থেকে বিরত রেখেছেন ও নাবলের অন্যায় তারই মাথায় বর্ষণ করেছেন।” পরে দাউদ অবীগলকে খবর পাঠালেন, তাঁকে তাঁর স্ত্রী হওয়ার প্রস্তাব দিলেন
जब दाऊद ने सुना कि नाबाल मर गया तो वह कहने लगा, “कि ख़ुदावन्द मुबारक हो जो नाबाल से मेरी रुसवाई का मुक़द्दमा लड़ा और अपने बन्दे को बुराई से बाज़ रख्खा और ख़ुदावन्द ने नाबाल की शरारत को उसी के सिर पर लादा।” और दाऊद ने अबीजेल के बारे में पैग़ाम भेजा ताकि उससे शादी करे।
40 তাঁর দাসেরা কর্মিলে গিয়ে অবীগলকে বলল, “দাউদ তাঁর স্ত্রী করে নিয়ে যাওয়ার জন্য আপনার কাছে আমাদের পাঠিয়ে দিয়েছেন।”
और जब दाऊद के ख़ादिम करमिल में अबीजेल के पास आए तो उन्होंने उससे कहा, “कि दाऊद ने हमको तेरे पास भेजा है ताकि हम तुझे उससे शादी करने को लें जाएँ।”
41 তিনি মাটিতে উবুড় হয়ে পড়ে বললেন, “আমি আপনার দাসী এবং আমি আপনার সেবা করার ও আমার প্রভুর দাসদের পা ধুয়ে দেওয়ার জন্য প্রস্তুত।”
इसलिए वह उठी, और ज़मीन पर ओंधे मुँह गिरी और कहने लगी “कि देख, तेरी लौंडी तो नौकर है ताकि अपने मालिक के ख़ादिमों के पाँव धोए।”
42 অবীগল তাড়াতাড়ি একটি গাধার পিঠে চেপে, পাঁচজন দাসী সঙ্গে নিয়ে দাউদের পাঠানো দূতদের সঙ্গে চলে গেলেন ও তাঁর স্ত্রী হলেন।
और अबीजेल ने जल्दी की और उठकर गधे पर सवार हुई और अपनी पाँच लौंडियाँ जो उसके जिलौ में थीं साथ लेलीं और वह दाऊद के क़ासिदों के पीछे पीछे गईं और उसकी बीवी बनी।
43 দাউদ যিষ্রিয়েলীয় অহীনোয়মকেও বিয়ে করলেন, ও তারা দুজনেই তাঁর স্ত্রী হলেন।
और दाऊद ने यज़रएल की अख़नूअम को भी ब्याह लिया, इसलिए वह दोनों उसकी बीवियाँ बनीं।
44 কিন্তু শৌল তাঁর মেয়ে, দাউদের স্ত্রী মীখলকে গল্লীম নিবাসী লয়িশের ছেলে পল্টিয়েলের হাতে তুলে দিলেন।
और साऊल ने अपनी बेटी मीकल को जो दाऊद की बीवी थी लैस के बेटे जिल्लीमी फिल्ती को दे दिया था।