< যিশাইয় ভাববাদীর বই 22 >

1 দর্শন-উপত্যকা বিষয়ে ঘোষণা: তোমার এখন কি হয়েছে যে, তোমার সবাই ছাদের উপরে উঠেছ?
दर्शन की तराई के विषय में भारी वचन। तुम्हें क्या हुआ कि तुम सब के सब छतों पर चढ़ गए हो,
2 হে কোলাহলপূর্ণ শহর, হে আনন্দময় পূর্ণ শহর, তোমার মৃত লোকেরা তো তরোয়ালের আঘাতে মরেনি এবং তারা যুদ্ধেও মরেনি।
हे कोलाहल और ऊधम से भरी प्रसन्न नगरी? तुझ में जो मारे गए हैं वे न तो तलवार से और न लड़ाई में मारे गए हैं।
3 তোমার শাসনকর্তারা সব একসঙ্গে পালিয়ে গেছে; ধনুক ছাড়াই তারা ধরা পড়েছে। তোমার মধ্যে যাদের ধরা হয়েছিল এবং একসঙ্গে বন্দী করা হয়েছিল; তারা দূরে পালিয়ে গিয়েছিল।
तेरे सब शासक एक संग भाग गए और बिना धनुष के बन्दी बनाए गए हैं। तेरे जितने शेष पाए गए वे एक संग बाँधे गए, यद्यपि वे दूर भागे थे।
4 সেইজন্য আমি বললাম, “আমার দিকে তাকিও না; আমি খুব কাঁদব। আমার লোকের মেয়েদের সর্বনাশের বিষয়ে আমাকে সান্ত্বনা দেবার চেষ্টা করো না।”
इस कारण मैंने कहा, “मेरी ओर से मुँह फेर लो कि मैं बिलख-बिलख कर रोऊँ; मेरे नगर के सत्यानाश होने के शोक में मुझे शान्ति देने का यत्न मत करो।”
5 বাহিনীদের প্রভু সদাপ্রভুর কাছ থেকে দর্শন-উপত্যকায় কোলাহলের, পায়ে মাড়াবার এবং বিশৃঙ্খলার দিন এসেছে। দেয়াল ভেঙে যাচ্ছে ও লোকদের আর্তনাদ পর্বত পর্যন্ত যাচ্ছে।
क्योंकि सेनाओं के प्रभु यहोवा का ठहराया हुआ दिन होगा, जब दर्शन की तराई में कोलाहल और रौंदा जाना और बेचैनी होगी; शहरपनाह में सुरंग लगाई जाएगी और दुहाई का शब्द पहाड़ों तक पहुँचेगा।
6 এলমের লোকেরা তীর রাখবার পাত্র তুলে নিয়েছে; সঙ্গে লোকদের রথ ও অশ্বারোহীদের দল এবং কীরের লোকেরা ঢাল অনাবৃত করল।
एलाम पैदलों के दल और सवारों समेत तरकश बाँधे हुए है, और कीर ढाल खोले हुए है।
7 তোমার মনোনীত করা উপত্যকাগুলো রথে ভরে গেছে এবং প্রবেশ দ্বারে অশ্বারোহীরা তাদের অবস্থান নিয়ে থাকবে।
तेरी उत्तम-उत्तम तराइयाँ रथों से भरी हुई होंगी और सवार फाटक के सामने पाँति बाँधेंगे।
8 তিনি যিহূদার সুরক্ষা ব্যবস্থা দূর করলেন এবং সেই দিন তোমরা বনের প্রাসাদের অস্ত্রশস্ত্রের ওপর নির্ভর করেছিলে।
उसने यहूदा का घूँघट खोल दिया है। उस दिन तूने वन नामक भवन के अस्त्र-शस्त्र का स्मरण किया,
9 তোমরা দায়ূদ-শহরের দেয়ালগুলোর মধ্যে অনেক ফাটল দেখেছিলে, যে সেগুলো অনেক এবং নীচের পুকুরের জল জমা করেছিলে।
और तूने दाऊदपुर की शहरपनाह की दरारों को देखा कि वे बहुत हैं, और तूने निचले जलकुण्ड के जल को इकट्ठा किया।
10 ১০ তোমরা যিরূশালেমের ঘর-বাড়ী গুণেছিলে আর দেয়াল শক্ত করবার জন্য সেগুলো ভেঙে ফেললে।
१०और यरूशलेम के घरों को गिनकर शहरपनाह के दृढ़ करने के लिये घरों को ढा दिया।
11 ১১ পুরানো পুকুরের জলের জন্য তোমরা দুই দেয়ালের মাঝখানে একটা জায়গা তৈরী করেছিলে। কিন্তু তোমরা শহরটির সৃষ্টিকর্ত্তার ওপর নির্ভর করনি, যিনি দীর্ঘদিনের র পরিকল্পনা করেছিলেন।
११तूने दोनों दीवारों के बीच पुराने जलकुण्ड के जल के लिये एक कुण्ड खोदा। परन्तु तूने उसके कर्ता को स्मरण नहीं किया, जिसने प्राचीनकाल से उसको ठहरा रखा था, और न उसकी ओर तूने दृष्टि की।
12 ১২ সেই দিন বাহিনীদের প্রভু সদাপ্রভু কাঁদবার ও শোক করবার জন্য, মাথার চুল কামাবার জন্য ও চট পরার জন্য তোমাদের ডেকেছিলেন।
१२उस समय सेनाओं के प्रभु यहोवा ने रोने-पीटने, सिर मुँड़ाने और टाट पहनने के लिये कहा था;
13 ১৩ কিন্তু দেখ, পরিবর্তে, উদযাপন ও আনন্দ চলছে, গরু ও মেষ হত্যা করা এবং মাংস ও আঙ্গুর রস খাওয়া চলছে। এস, আমরা খাওয়া দাওয়া করি, কারণ কালকে আমরা মরে যাব।
१३परन्तु क्या देखा कि हर्ष और आनन्द मनाया जा रहा है, गाय-बैल का घात और भेड़-बकरी का वध किया जा रहा है, माँस खाया और दाखमधु पीया जा रहा है। और कहते हैं, “आओ खाएँ-पीएँ, क्योंकि कल तो हमें मरना है।”
14 ১৪ বাহিনীদের প্রভু সদাপ্রভু আমার কাছে এই কথা প্রকাশ করেছেন, “অবশ্যই তোমাদের এই অপরাধের ক্ষমা হবে না, এমনকি যখন তোমাদের মৃত্যুতেও না,” আমি বাহিনীদের প্রভু সদাপ্রভু এই কথা বলছি।
१४सेनाओं के यहोवा ने मेरे कान में कहा और अपने मन की बात प्रगट की, “निश्चय तुम लोगों के इस अधर्म का कुछ भी प्रायश्चित तुम्हारी मृत्यु तक न हो सकेगा,” सेनाओं के प्रभु यहोवा का यही कहना है।
15 ১৫ বাহিনীদের প্রভু সদাপ্রভু বলছেন, “যাও এই পরিচালকের কাছে, শিবনের কাছে যাও এবং বল,
१५सेनाओं का प्रभु यहोवा यह कहता है, “शेबना नामक उस भण्डारी के पास जो राजघराने के काम पर नियुक्त है जाकर कह,
16 ১৬ ‘তুমি এখানে কি করছ? এবং তুমি কে, যে এখানে নিজের কবর খুঁড়েছ? উঁচু জায়গায় তোমার কবর ঠিক করবার জন্য, পাহাড় কেটে বিশ্রাম-স্থান বানিয়েছ’!”
१६‘यहाँ तू क्या करता है? और यहाँ तेरा कौन है कि तूने अपनी कब्र यहाँ खुदवाई है? तू अपनी कब्र ऊँचे स्थान में खुदवाता और अपने रहने का स्थान चट्टान में खुदवाता है?
17 ১৭ দেখ, ওহে শক্তিশালী লোক, সদাপ্রভু তোমাকে শক্ত করে ধরে ছুঁড়ে ফেলতে যাচ্ছেন।
१७देख, यहोवा तुझको बड़ी शक्ति से पकड़कर बहुत दूर फेंक देगा।
18 ১৮ তিনি অবশ্যই তোমাকে বলের মত করে একটা বিরাট দেশে ফেলে দেবেন। সেখানে তুমি মারা যাবে, আর তোমার মহিমান্বিত রথগুলো সেখানে পড়ে থাকবে। তুমি তোমার প্রভুর গৃহের জন্য লজ্জিত হবে।
१८वह तुझे मरोड़कर गेन्द के समान लम्बे चौड़े देश में फेंक देगा; हे अपने स्वामी के घराने को लज्जित करनेवाले वहाँ तू मरेगा और तेरे वैभव के रथ वहीं रह जाएँगे।
19 ১৯ আমি তোমার পদ থেকে ঠেলে দেব; তোমার স্থান থেকে তোমাকে নীচে নামিয়ে দেওয়া হবে।
१९मैं तुझको तेरे स्थान पर से ढकेल दूँगा, और तू अपने पद से उतार दिया जाएगा।
20 ২০ “সেই দিন আমার দাস হিল্কিয়ের ছেলে ইলীয়াকীমকে আমি ডাকব।
२०उस समय मैं हिल्किय्याह के पुत्र अपने दास एलयाकीम को बुलाकर, उसे तेरा अंगरखा पहनाऊँगा,
21 ২১ তাকে আমি তোমার পোশাক পরাব ও তাকে কোমরবন্ধনী দেব এবং তোমার কাজের ভার তার হাতে তুলে দেব। সে যিরূশালেমের নিবাসীদের ও যিহূদা কুলের বাবা হবে।
२१और उसकी कमर में तेरी पेटी कसकर बाँधूँगा, और तेरी प्रभुता उसके हाथ में दूँगा। और वह यरूशलेम के रहनेवालों और यहूदा के घराने का पिता ठहरेगा।
22 ২২ তার কাঁধে আমি দায়ূদের বংশের চাবি দেব; সে যা খুলবে তা কেউ বন্ধ করতে পারবে না, আর যা বন্ধ করবে তা কেউ খুলতে পারবে না।
२२मैं दाऊद के घराने की कुँजी उसके कंधे पर रखूँगा, और वह खोलेगा और कोई बन्द न कर सकेगा; वह बन्द करेगा और कोई खोल न सकेगा।
23 ২৩ আমি একটি নিরাপদ জায়গায় একটি পেরেকের মত তাকে আবদ্ধ করব এবং তার বাবার বংশের জন্য সে হবে একটা মহিমার সিংহাসন।
२३और मैं उसको दृढ़ स्थान में खूँटी के समान गाड़ूँगा, और वह अपने पिता के घराने के लिये वैभव का कारण होगा।
24 ২৪ তার পিতৃকুলের সমস্ত গৌরব, বংশধর, পানপাত্র থেকে কলসি পর্যন্ত সমস্ত ছোট পাত্র তার ওপরেই ঝুলানো যাবে।
२४और उसके पिता से घराने का सारा वैभव, वंश और सन्तान, सब छोटे-छोटे पात्र, क्या कटोरे क्या सुराहियाँ, सब उस पर टाँगी जाएँगी।
25 ২৫ সেই দিন ই” সর্বশক্তিমান সদাপ্রভুর এই ঘোষণা “খুঁটি মজবুত জায়গা থেকে সরে যাবে, বিচ্ছিন্ন হবে এবং পড়ে যাবে এবং যে তার ওপরে ছিল তার উচ্ছিন্ন হবে” কারণ সদাপ্রভু তা বলেছেন।
२५सेनाओं के यहोवा की यह वाणी है कि उस समय वह खूँटी जो दृढ़ स्थान में गाड़ी गई थी, वह ढीली हो जाएगी, और काटकर गिराई जाएगी; और उस पर का बोझ गिर जाएगा, क्योंकि यहोवा ने यह कहा है।’”

< যিশাইয় ভাববাদীর বই 22 >