< আদিপুস্তক 31 >
1 ১ পরে তিনি লাবনের ছেলেদের এই কথা শুনতে পেলেন, যাকোব আমাদের বাবার সব কিছু কেড়ে নিয়েছে, আমাদের বাবার সম্পত্তি থেকে তার এই সব ঐশ্বর্য্য হয়েছে।
१फिर लाबान के पुत्रों की ये बातें याकूब के सुनने में आईं, “याकूब ने हमारे पिता का सब कुछ छीन लिया है, और हमारे पिता के धन के कारण उसकी यह प्रतिष्ठा है।”
2 ২ আর যাকোব লাবনের মুখ দেখলেন, আর দেখ, তা আর তাঁর প্রতি আগের মত নয়।
२और याकूब ने लाबान के चेहरे पर दृष्टि की और ताड़ लिया, कि वह उसके प्रति पहले के समान नहीं है।
3 ৩ আর সদাপ্রভু যাকোবকে বললেন, “তুমি নিজের বাবার দেশে আত্মীয়দের কাছে ফিরে যাও, আমি তোমার সঙ্গী হব।
३तब यहोवा ने याकूब से कहा, “अपने पितरों के देश और अपनी जन्म-भूमि को लौट जा, और मैं तेरे संग रहूँगा।”
4 ৪ তাই যাকোব লোক পাঠিয়ে মাঠে পশুদের কাছে রাহেল ও লেয়াকে ডেকে বললেন,
४तब याकूब ने राहेल और लिआ को, मैदान में अपनी भेड़-बकरियों के पास बुलवाकर कहा,
5 ৫ আমি তোমাদের বাবার মুখ দেখে বুঝতে পারছি, তা আর আমার কাছে আগের মত নয়, কিন্তু আমার বাবার ঈশ্বর আমার সহবর্ত্তী রয়েছেন।
५“तुम्हारे पिता के चेहरे से मुझे समझ पड़ता है, कि वह तो मुझे पहले के समान अब नहीं देखता; पर मेरे पिता का परमेश्वर मेरे संग है।
6 ৬ আর তোমরা নিজেরা জান, আমি যথাশক্তি তোমাদের বাবার দাসত্ব করেছি।
६और तुम भी जानती हो, कि मैंने तुम्हारे पिता की सेवा शक्ति भर की है।
7 ৭ তোমার বাবা আমাকে প্রবঞ্চনা করে দশ বার আমার বেতন অন্যথা করেছেন; কিন্তু ঈশ্বর তাঁকে আমার ক্ষতি করতে দেননি।
७फिर भी तुम्हारे पिता ने मुझसे छल करके मेरी मजदूरी को दस बार बदल दिया; परन्तु परमेश्वर ने उसको मेरी हानि करने नहीं दिया।
8 ৮ কারণ যখন তিনি বলতেন, বিন্দুচিহ্নিত পশুরা তোমার বেতন স্বরূপ হবে, তখন সব পাল বিন্দু চিহ্নিত শাবক প্রসব করত এবং যখন বলতেন, দাগযুক্ত পশু সব তোমার বেতন স্বরূপ হবে, তখন মেষরা সব দাগযুক্ত শাবক প্রসব করত।
८जब उसने कहा, ‘चित्तीवाले बच्चे तेरी मजदूरी ठहरेंगे,’ तब सब भेड़-बकरियाँ चित्तीवाले ही जनने लगीं, और जब उसने कहा, ‘धारीवाले बच्चे तेरी मजदूरी ठहरेंगे,’ तब सब भेड़-बकरियाँ धारीवाले जनने लगीं।
9 ৯ এভাবে ঈশ্বর তোমাদের বাবার পশুধন নিয়ে আমাকে দিয়েছেন।”
९इस रीति से परमेश्वर ने तुम्हारे पिता के पशु लेकर मुझ को दे दिए।
10 ১০ পশুদের গর্ভধারনের দিনের আমি স্বপ্নে চোখ তুলে দেখলাম, আর দেখ, পালের মধ্যে স্ত্রী পশুদের উপরে যত পুরুষ পশু উঠছে, সকলেই দাগযুক্ত ও চিত্রবিচিত্র।
१०भेड़-बकरियों के गाभिन होने के समय मैंने स्वप्न में क्या देखा, कि जो बकरे बकरियों पर चढ़ रहे हैं, वे धारीवाले, चित्तीवाले, और धब्बेवाले हैं।
11 ১১ তখন ঈশ্বরের দূত স্বপ্নে আমাকে বললেন, “হে যাকোব;” আর আমি বললাম, “দেখুন, এই আমি।”
११तब परमेश्वर के दूत ने स्वप्न में मुझसे कहा, ‘हे याकूब,’ मैंने कहा, ‘क्या आज्ञा।’
12 ১২ তিনি বললেন, “তোমার চোখ তুলে দেখ, স্ত্রীপশুদের ওপরে যত পুরুষ পশু উঠছে, সকলেই রেখাঙ্কিত, দাগযুক্ত ও চিত্রবিচিত্র; কারণ, লাবন তোমার প্রতি যা যা করে, তা সবই আমি দেখলাম।
१२उसने कहा, ‘आँखें उठाकर उन सब बकरों को जो बकरियों पर चढ़ रहे हैं, देख, कि वे धारीवाले, चित्तीवाले, और धब्बेवाले हैं; क्योंकि जो कुछ लाबान तुझ से करता है, वह मैंने देखा है।
13 ১৩ যে জায়গায় তুমি স্তম্ভের অভিষেক ও আমার কাছে মানত করেছ, সেই বৈথেলের ঈশ্বর আমি; এখন উঠ, এই দেশ ত্যাগ করে নিজের জন্মভূমিতে ফিরে যাও।”
१३मैं उस बेतेल का परमेश्वर हूँ, जहाँ तूने एक खम्भे पर तेल डाल दिया था और मेरी मन्नत मानी थी। अब चल, इस देश से निकलकर अपनी जन्म-भूमि को लौट जा।’”
14 ১৪ তখন রাহেল ও লেয়া উত্তর করে তাঁকে বললেন, “বাবার বাড়িতে আমাদের কি আর কিছু অংশ ও অধিকার আছে?
१४तब राहेल और लिआ ने उससे कहा, “क्या हमारे पिता के घर में अब भी हमारा कुछ भाग या अंश बचा है?
15 ১৫ আমরা কি তাঁর কাছে বিদেশীদের মতো না? তিনি তো আমাদেরকে বিক্রি করেছেন এবং আমাদের রূপা নিজে ভোগ করেছেন।
१५क्या हम उसकी दृष्टि में पराए न ठहरीं? देख, उसने हमको तो बेच डाला, और हमारे रूपे को खा बैठा है।
16 ১৬ ঈশ্বর আমাদের বাবা থেকে যে সব সম্পত্তি কেড়ে নিয়েছেন, সে সবই আমাদের ও আমাদের ছেলে মেয়েদের। তাই ঈশ্বর তোমাকে যা কিছু বলেছেন, তুমি তাই কর।”
१६इसलिए परमेश्वर ने हमारे पिता का जितना धन ले लिया है, वह हमारा, और हमारे बच्चों का है; अब जो कुछ परमेश्वर ने तुझ से कहा है, वही कर।”
17 ১৭ তখন যাকোব উঠে আপন ছেলেদের ও স্ত্রীদেরকে উটে চড়িয়ে আপনার উপার্জিত সমস্ত পশুধন,
१७तब याकूब ने अपने बच्चों और स्त्रियों को ऊँटों पर चढ़ाया;
18 ১৮ অর্থাৎ পদ্দন অরামে যে পশু ও যে সম্পত্তি উপার্জন করেছিলেন, তা নিয়ে কনান দেশে নিজের বাবা ইসহাকের কাছে যাত্রা করলেন।
१८और जितने पशुओं को वह पद्दनराम में इकट्ठा करके धनाढ्य हो गया था, सब को कनान में अपने पिता इसहाक के पास जाने की मनसा से, साथ ले गया।
19 ১৯ সে দিন লাবন ভেড়ার লোম কাটতে গিয়েছিলেন; তখন রাহেল নিজের বাবার ঠাকুরগুলাকে চুরি করলেন।
१९लाबान तो अपनी भेड़ों का ऊन कतरने के लिये चला गया था, और राहेल अपने पिता के गृहदेवताओं को चुरा ले गई।
20 ২০ আর যাকোব নিজের পালানোর কোনো খবর না দিয়ে অরামীয় লাবণকে ঠকালেন।
२०अतः याकूब लाबान अरामी के पास से चोरी से चला गया, उसको न बताया कि मैं भागा जाता हूँ।
21 ২১ তিনি নিজের সর্বস্ব নিয়ে পালিয়ে গেলেন এবং উঠে [ফরাৎ] নদী পার হয়ে গিলিয়দ পর্বত সামনে রেখে চলতে লাগলেন।
२१वह अपना सब कुछ लेकर भागा, और महानद के पार उतरकर अपना मुँह गिलाद के पहाड़ी देश की ओर किया।
22 ২২ পরে তৃতীয় দিনের লাবন যাকোবের পালানোর খবর পেলেন
२२तीसरे दिन लाबान को समाचार मिला कि याकूब भाग गया है।
23 ২৩ এবং নিজের আত্মীয়দেরকে সঙ্গে নিয়ে সাত দিনের র পথ তাঁর পেছনে গেলেন ও গিলিয়দ পর্বতে তাঁর দেখা পেলেন।
२३इसलिए उसने अपने भाइयों को साथ लेकर उसका सात दिन तक पीछा किया, और गिलाद के पहाड़ी देश में उसको जा पकड़ा।
24 ২৪ কিন্তু ঈশ্বর রাতে স্বপ্নযোগে অরামীয় লাবনের কাছে উপস্থিত হয়ে তাঁকে বললেন, “সাবধান, যাকোবকে ভাল মন্দ কিছুই বোলো না।”
२४तब परमेश्वर ने रात के स्वप्न में अरामी लाबान के पास आकर कहा, “सावधान रह, तू याकूब से न तो भला कहना और न बुरा।”
25 ২৫ লাবন যখন যাকোবের দেখা পেলেন, তখন যাকোবের তাঁবু পর্বতের ওপরে স্থাপিত ছিল; তাতে লাবণও কুটুম্বদের সঙ্গে গিলিয়দ পর্বতের ওপরে তাঁবু স্থাপন করলেন।
२५और लाबान याकूब के पास पहुँच गया। याकूब अपना तम्बू गिलाद नामक पहाड़ी देश में खड़ा किए पड़ा था; और लाबान ने भी अपने भाइयों के साथ अपना तम्बू उसी पहाड़ी देश में खड़ा किया।
26 ২৬ পরে লাবন যাকোবকে বললেন, “তুমি কেন এমন কাজ করলে? আমাকে ঠকিয়ে আমার যেমন তরোয়াল দিয়ে বন্দী বানানো হয় সেই বন্দিদের মত কেন আমার মেয়েদেরকে নিয়ে আসলে?
२६तब लाबान याकूब से कहने लगा, “तूने यह क्या किया, कि मेरे पास से चोरी से चला आया, और मेरी बेटियों को ऐसा ले आया, जैसा कोई तलवार के बल से बन्दी बनाई गई हों?
27 ২৭ তুমি আমাকে বঞ্চনা করে কেন গোপনে পালালে? কেন আমাকে খবর দিলে না? দিলে আমি তোমাকে উদযাপন ও গান এবং খঞ্জনির ও বীণার বাজনা দিয়ে বিদায় করতাম।
२७तू क्यों चुपके से भाग आया, और मुझसे बिना कुछ कहे मेरे पास से चोरी से चला आया; नहीं तो मैं तुझे आनन्द के साथ मृदंग और वीणा बजवाते, और गीत गवाते विदा करता?
28 ২৮ তুমি আমার নাতি ও মেয়েদেরকে চুমু দিতে আমাকে দিলে না; এ মূর্খের কাজ করেছ।
२८तूने तो मुझे अपने बेटे-बेटियों को चूमने तक न दिया? तूने मूर्खता की है।
29 ২৯ তোমাদের ক্ষতি করতে আমার হাতে শক্তি আছে;” কিন্তু গত রাতে তোমাদের বাবার ঈশ্বর আমাকে বললেন, “সাবধান, যাকোবকে ভাল খারাপ কিছুই বল না।
२९तुम लोगों की हानि करने की शक्ति मेरे हाथ में तो है; पर तुम्हारे पिता के परमेश्वर ने मुझसे बीती हुई रात में कहा, ‘सावधान रह, याकूब से न तो भला कहना और न बुरा।’
30 ৩০ আর এখন, তুমি দূরে চলে গেছ কারণ তুমি তোমার বাবার বাড়ির জন্য অনেক প্রত্যাশিত; কিন্তু আমার দেবতাদেরকে কেন চুরি করলে?”
३०भला, अब तू अपने पिता के घर का बड़ा अभिलाषी होकर चला आया तो चला आया, पर मेरे देवताओं को तू क्यों चुरा ले आया है?”
31 ৩১ যাকোব লাবনকে উত্তরে বললেন, “আমি ভয় পেয়েছিলাম; কারণ ভেবেছিলাম, যদি আপনি আমার কাছ থেকে আপনার মেয়েদেরকে জোর করে কেড়ে নেন।
३१याकूब ने लाबान को उत्तर दिया, “मैं यह सोचकर डर गया था कि कहीं तू अपनी बेटियों को मुझसे छीन न ले।
32 ৩২ আপনি যার কাছে আপনার দেবতাদেরকে পাবেন, সে বাঁচবে না। আমাদের আত্মীদের কাছে খোঁজ নিয়ে আমার কাছে আপনার যা আছে, তা নিন।” আসলে যাকোব জানতেন না যে, রাহেল সেগুলো চুরি করেছেন৷
३२जिस किसी के पास तू अपने देवताओं को पाए, वह जीवित न बचेगा। मेरे पास तेरा जो कुछ निकले, उसे भाई-बन्धुओं के सामने पहचानकर ले ले।” क्योंकि याकूब न जानता था कि राहेल गृहदेवताओं को चुरा ले आई है।
33 ৩৩ তখন লাবন যাকোবের তাঁবুতে ও লেয়ার তাঁবুতে ও দুই দাসীর তাঁবুতে প্রবেশ করলেন, কিন্তু পেলেন না। পরে তিনি লেয়ার তাঁবু থেকে রাহেলের তাঁবুতে প্রবেশ করলেন।
३३यह सुनकर लाबान, याकूब और लिआ और दोनों दासियों के तम्बुओं में गया; और कुछ न मिला। तब लिआ के तम्बू में से निकलकर राहेल के तम्बू में गया।
34 ৩৪ কিন্তু রাহেল সেই ঠাকুরগুলাকে নিয়ে উটের গদীর ভেতরে রেখে তাদের ওপরে বসে ছিলেন; সে জন্য লাবন তাঁর তাঁবুর সব জায়গায় হাতড়ালেও তাদেরকে পেলেন না।
३४राहेल तो गृहदेवताओं को ऊँट की काठी में रखकर उन पर बैठी थी। लाबान ने उसके सारे तम्बू में टटोलने पर भी उन्हें न पाया।
35 ৩৫ তখন রাহেল বাবাকে বললেন, “প্রভু, আপনার সামনে আমি উঠতে পারলাম না, এতে বিরক্ত হবেন না, কারণ আমার ঋতুচক্র চলছে।” এভাবে তিনি খোঁজ করলেও সেই ঠাকুরগুলাকে পেলেন না।
३५राहेल ने अपने पिता से कहा, “हे मेरे प्रभु; इससे अप्रसन्न न हो, कि मैं तेरे सामने नहीं उठी; क्योंकि मैं मासिक धर्म से हूँ।” अतः उसके ढूँढ़-ढाँढ़ करने पर भी गृहदेवता उसको न मिले।
36 ৩৬ তখন যাকোব রেগে গিয়ে লাবনের সঙ্গে ঝগড়া করতে লাগলেন। যাকোব লাবনকে বললেন, “আমার অপরাধ কি, ও আমার পাপ কি যে, তুমি রেগে গিয়ে আমার পেছনে পেছনে দৌড়ে এসেছো?
३६तब याकूब क्रोधित होकर लाबान से झगड़ने लगा, और कहा, “मेरा क्या अपराध है? मेरा क्या पाप है, कि तूने इतना क्रोधित होकर मेरा पीछा किया है?
37 ৩৭ তুমি আমার সব জিনিসপত্র হাতড়িয়ে তোমার বাড়ির কোন জিনিস পেলে? আমার ও তোমার এই আত্মীয়দের সামনে তা রাখ, এরা উভয় পক্ষের বিচার করুন।
३७तूने जो मेरी सारी सामग्री को टटोलकर देखा, तो तुझको अपने घर की सारी सामग्री में से क्या मिला? कुछ मिला हो तो उसको यहाँ अपने और मेरे भाइयों के सामने रख दे, और वे हम दोनों के बीच न्याय करें।
38 ৩৮ এই কুড়ি বছর আমি তোমার কাছে আছি; তোমার ভেড়ীদের কি ছাগীদের গর্ভপাত হয়নি এবং আমি তোমার পালের ভেড়াদের খাইনি;
३८इन बीस वर्षों से मैं तेरे पास रहा; इनमें न तो तेरी भेड़-बकरियों के गर्भ गिरे, और न तेरे मेढ़ों का माँस मैंने कभी खाया।
39 ৩৯ পশুতে ছিন্নভিন্ন করা ভেড়া তোমার কাছে আনতাম না; সে ক্ষতি নিজে স্বীকার করতাম; দিনের কিম্বা রাতে যা চুরি হত, তার পরিবর্তে তুমি আমার কাছ থেকে নিতে
३९जिसे जंगली जन्तुओं ने फाड़ डाला उसको मैं तेरे पास न लाता था, उसकी हानि मैं ही उठाता था; चाहे दिन को चोरी जाता चाहे रात को, तू मुझ ही से उसको ले लेता था।
40 ৪০ আমার এরকম দশা হত, আমি দিনের র তাপ ও রাতে শীত ভোগ করতাম, ঘুম আমার চোখ থেকে দূরে পালিয়ে যেত।
४०मेरी तो यह दशा थी कि दिन को तो घाम और रात को पाला मुझे खा गया; और नींद मेरी आँखों से भाग जाती थी।
41 ৪১ এই কুড়ি বছর আমি তোমার বাড়িতে আছি; তোমার দুই মেয়ের জন্য চোদ্দ বছর, আর তোমার পশুদের জন্য ছয় বছর দাসবৃত্তি করেছি; এর মধ্যে তুমি দশ বার আমার বেতন অন্যথা করেছ।
४१बीस वर्ष तक मैं तेरे घर में रहा; चौदह वर्ष तो मैंने तेरी दोनों बेटियों के लिये, और छः वर्ष तेरी भेड़-बकरियों के लिये सेवा की; और तूने मेरी मजदूरी को दस बार बदल डाला।
42 ৪২ আমার বাবার ঈশ্বর, অব্রাহামের ঈশ্বর ও ইস্হাকের ভয়স্থান যদি আমার পক্ষ না হতেন, তবে অবশ্য এখন তুমি আমাকে খালি হাতে বিদায় করতে। ঈশ্বর আমার দুঃখ ও হাতের পরিশ্রম দেখেছেন, এ জন্য গত রাত্রে তোমাকে ধমকালেন।”
४२मेरे पिता का परमेश्वर अर्थात् अब्राहम का परमेश्वर, जिसका भय इसहाक भी मानता है, यदि मेरी ओर न होता, तो निश्चय तू अब मुझे खाली हाथ जाने देता। मेरे दुःख और मेरे हाथों के परिश्रम को देखकर परमेश्वर ने बीती हुई रात में तुझे डाँटा।”
43 ৪৩ তখন লাবন উত্তর করে যাকোবকে বললেন, “এই মেয়েরা আমারই মেয়ে, এই ছেলেরা আমারই ছেলে এবং এই পশুরা আমারই পশু; যা যা দেখছ, এ সবই আমার। এখন আমার এই মেয়েদেরকে ও এদের প্রস্তুত এই ছেলেদের কে আমি কি করব?
४३लाबान ने याकूब से कहा, “ये बेटियाँ तो मेरी ही हैं, और ये पुत्र भी मेरे ही हैं, और ये भेड़-बकरियाँ भी मेरे ही हैं, और जो कुछ तुझे देख पड़ता है वह सब मेरा ही है परन्तु अब मैं अपनी इन बेटियों और इनकी सन्तान से क्या कर सकता हूँ?
44 ৪৪ এস তোমাতে ও আমাতে নিয়ম স্থির করি, তা তোমার ও আমার সাক্ষী থাকবে।”
४४अब आ, मैं और तू दोनों आपस में वाचा बाँधें, और वह मेरे और तेरे बीच साक्षी ठहरी रहे।”
45 ৪৫ তখন যাকোব এক পাথর নিয়ে স্তম্ভরূপে স্থাপন করলেন।
४५तब याकूब ने एक पत्थर लेकर उसका खम्भा खड़ा किया।
46 ৪৬ আর যাকোব নিজের আত্মীয়দেরকে বললেন, আপনারাও পাথর সংগ্রহ করুন। তাতে তাঁরা পাথর এনে এক রাশি করলেন এবং সেই জায়গায় ঐ রাশির কাছে ভোজন করলেন।
४६तब याकूब ने अपने भाई-बन्धुओं से कहा, “पत्थर इकट्ठा करो,” यह सुनकर उन्होंने पत्थर इकट्ठा करके एक ढेर लगाया और वहीं ढेर के पास उन्होंने भोजन किया।
47 ৪৭ আর লাবন তার নাম যিগর-সাহদূখা [সাক্ষি-রাশি] রাখলেন, কিন্তু যাকোব তার নাম গল-এদ [সাক্ষি-রাশি] রাখলেন।
४७उस ढेर का नाम लाबान ने तो जैगर सहादुथा, पर याकूब ने गिलियाद रखा।
48 ৪৮ তখন লাবন বললেন, “এই রাশি আজ তোমার ও আমার সাক্ষী থাকল। এই জন্য তার নাম গিলিয়দ”
४८लाबान ने कहा, “यह ढेर आज से मेरे और तेरे बीच साक्षी रहेगा।” इस कारण उसका नाम गिलियाद रखा गया,
49 ৪৯ এছাড়া মিস্পা নামে [প্রহরী স্থান] রাখা গেল; কারণ তিনি বললেন, “আমরা পরস্পর অদৃশ্য হলে সদাপ্রভু আমার ও তোমার প্রহরী থাকবেন।
४९और मिस्पा भी; क्योंकि उसने कहा, “जब हम एक दूसरे से दूर रहें तब यहोवा मेरी और तेरी देख-भाल करता रहे।
50 ৫০ তুমি যদি আমার মেয়েদেরকে দুঃখ দাও আর যদি আমার মেয়ে ছাড়া অন্য স্ত্রীকে বিয়ে কর, তবে কোন মানুষ আমার কাছে থাকবে না বটে, কিন্তু দেখ, ঈশ্বর আমার ও তোমার সাক্ষী হবেন।”
५०यदि तू मेरी बेटियों को दुःख दे, या उनके सिवाय और स्त्रियाँ ब्याह ले, तो हमारे साथ कोई मनुष्य तो न रहेगा; पर देख मेरे तेरे बीच में परमेश्वर साक्षी रहेगा।”
51 ৫১ লাবন যাকোবকে আর ও বললেন, “এই রাশি দেখ ও এই স্তম্ভ দেখ, আমার ও তোমার মধ্যে আমি এটা স্থাপন করলাম।
५१फिर लाबान ने याकूब से कहा, “इस ढेर को देख और इस खम्भे को भी देख, जिनको मैंने अपने और तेरे बीच में खड़ा किया है।
52 ৫২ হিংসাভাবে আমিও এই রাশি পার হয়ে তোমার কাছে যাব না এবং তুমিও এই রাশি ও এই স্তম্ভ পার হয়ে আমার কাছে আসবে না, এর সাক্ষী এই রাশি ও এর সাক্ষী এই স্তম্ভ;
५२यह ढेर और यह खम्भा दोनों इस बात के साक्षी रहें कि हानि करने की मनसा से न तो मैं इस ढेर को लाँघकर तेरे पास जाऊँगा, न तू इस ढेर और इस खम्भे को लाँघकर मेरे पास आएगा।
53 ৫৩ অব্রাহামের ঈশ্বর, নাহোরের ঈশ্বর ও তাঁদের বাবার ঈশ্বর আমাদের মধ্যে বিচার করবেন।” তখন যাকোব নিজের বাবা ইসহাকের ভয়স্থানের শপথ করলেন।
५३अब्राहम और नाहोर और उनके पिता; तीनों का जो परमेश्वर है, वही हम दोनों के बीच न्याय करे।” तब याकूब ने उसकी शपथ खाई जिसका भय उसका पिता इसहाक मानता था।
54 ৫৪ পরে যাকোব সেই পর্বতে বলিদান করে আহার করতে নিজের আত্মীদের নিমন্ত্রণ করলেন, তাতে তারা ভোজন করে পর্বতে রাত্ কাটালেন।
५४और याकूब ने उस पहाड़ पर बलि चढ़ाया, और अपने भाई-बन्धुओं को भोजन करने के लिये बुलाया, तब उन्होंने भोजन करके पहाड़ पर रात बिताई।
55 ৫৫ পরে লাবন সকালে উঠে নিজের নাতি মেয়েদেরকে চুম্বনপূর্বক আশীর্বাদ করলেন। আর লাবন নিজের জায়গায় ফিরে গেলেন।
५५भोर को लाबान उठा, और अपने बेटे-बेटियों को चूमकर और आशीर्वाद देकर चल दिया, और अपने स्थान को लौट गया।