< ইষ্রা 3 >
1 ১ পরে সপ্তম মাস উপস্থিত হল, আর ইস্রায়েলের লোকেরা নির্বাসন থেকে ওই সব নগরে ছিল; তখন লোকেরা একজন ব্যক্তির মত যিরূশালেমে জড়ো হল৷
इस समय सारा इस्राएल अपने-अपने ठहराए गए नगर में बस चुका था. सातवें महीने वे सभी येरूशलेम इकट्ठे हो गए.
2 ২ আর যোষাদকের ছেলে যেশূয় ও তাঁর যাজক ভাইয়েরা এবং শল্টীয়েলের ছেলে সরুব্বাবিল ও তাঁর ভাইয়েরা উঠে ঈশ্বরের লোক মোশির ব্যবস্থাতে লিখিত বিধি অনুসারে হোমীয় বলি উত্সর্গ করার জন্য ইস্রায়েলের ঈশ্বরের যজ্ঞবেদি তৈরী করলেন৷
तब योज़ादक के पुत्र येशुआ तथा उसके भाइयों ने, जो पुरोहित थे, शिअलतिएल के पुत्र ज़ेरुब्बाबेल तथा उसके भाइयों ने मिलकर इस्राएल के परमेश्वर के लिए उस वेदी को बनाया, जिस पर होमबलि चढ़ाई जानी थी, जैसा की परमेश्वर के जन मोशेह की व्यवस्था में लिखा है.
3 ৩ তাঁরা যজ্ঞবেদি নিজের জায়গায় স্থাপন করলেন, কারণ সেই সব দেশের লোককে তাঁরা ভয় পেলেন আর সদাপ্রভুর উদ্দেশ্যে তার উপরে হোমবলি অর্থাৎ সকালে ও সন্ধ্যাবেলায় হোমবলি দিলেন৷
उन्होंने उसी की नींव पर इस वेदी को बनाया, क्योंकि उन्हें पास वाले देशों के लोगों का बहुत डर था. उन्होंने इस वेदी पर याहवेह को होमबलि चढ़ाई-सुबह को होमबलि और शाम को होमबलि.
4 ৪ আর তাঁরা লিখিত বিধি অনুসারে কুটীর উত্সব পালন করলেন এবং প্রত্যেক দিনের র উপযুক্ত সংখ্যা অনুসারে বিধিমতে প্রতি দিন হোমার্থক বলি উত্সর্গ করলেন৷
उन्होंने झोंपड़ियों का उत्सव लिखी हुई विधि के अनुसार मनाया तथा हर रोज़ उन्होंने ठहराई गई संख्या में होमबलियां चढ़ाईं, जैसा की हर रोज़ के लिए इस संबंध में नियम था.
5 ৫ তারপর থেকে তাঁরা নিয়মিত হোম, অমাবস্যায় এবং সদাপ্রভুর সমস্ত পবিত্র পর্বের উপহার এবং যারা ইচ্ছা করে সদাপ্রভুর উদ্দেশ্যে নিজের ইচ্ছায় দেওয়া উপহার আনতো, তাদের সবার উপহার উত্সর্গ করতে লাগলেন৷
इसके बाद, होमबलि नित्य चढ़ाए जाने लगे; उसी प्रकार नए चांद के उत्सवों में तथा याहवेह के लिए ठहराए गए पवित्र उत्सवों में तथा हर एक के लिए याहवेह को स्वेच्छा बलि चढ़ाने में भी. नए चांद के उत्सवों में, याहवेह के लिए ठहराए गए उत्सवों में, जो पवित्र किए गए थे, तथा हर एक के लिए, जो याहवेह को स्वेच्छा बलि चढ़ाना चाहता था, नित्यत आ गए.
6 ৬ সপ্তম মাসের প্রথম দিনের তাঁরা সদাপ্রভুর উদ্দেশ্যে হোম করতে আরম্ভ করলেন, কিন্তু তখনও সদাপ্রভুর বাড়ির ভীত তৈরী হয়নি৷
सातवें महीने के पहले दिन से ही उन्होंने याहवेह के लिए होमबलि चढ़ाना शुरू कर दिया था, किंतु याहवेह के भवन की नींव नहीं रखी गई थी.
7 ৭ আর পারস্যের রাজা কোরস তাঁদেরকে যে অনুমতি দিয়েছিলেন, সেই অনুযায়ী তাঁরা রাজমিস্ত্রী ও ছুতোরদেরকে রূপা দিলেন এবং লিবানোন থেকে যাফোর সমুদ্র তীরে এরস কাঠ আনবার জন্য সীদোনীয় ও সোরীয়দেরকে খাদ্য, পানীয় দ্রব্য ও তেল দিলেন৷
इसलिये उन्होंने राजमिस्त्रियों एवं कारीगरों को सिक्के, सीदोनियों एवं सोरियों को खाने-पीने की वस्तुएं और तेल दिया, कि वे फारस के राजा कोरेश की अनुमति के अनुसार लबानोन के समुद्रतट पर स्थित योप्पा तक लकड़ी पहुंचा दें.
8 ৮ আর যিরূশালেমে ঈশ্বরের বাড়ির জায়গায় আসার পর দ্বিতীয় বছরের দ্বিতীয় মাসে শল্টীয়েলের ছেলে সরুব্বাবিল ও যোষাদকের ছেলে যেশূয় এবং তাঁদের অবশিষ্ট ভাইয়েরা, অর্থাৎ যাজকেরা ও লেবীয়েরা এবং বন্দীদশা থেকে যিরূশালেমে আসা সমস্ত লোক কাজ শুরু করলেন এবং সদাপ্রভুর বাড়ির কাজের দেখাশোনা করার জন্য কুড়ি বছর ও তার থেকে বেশি বয়সের লেবীয়দেরকে নিযুক্ত করলেন৷
उनके येरूशलेम में परमेश्वर के भवन को पहुंचने के दूसरे वर्ष के दूसरे महीने में शिअलतिएल के पुत्र ज़ेरुब्बाबेल तथा योज़ादक के पुत्र येशुआ ने तथा उनके सारे पुरोहित भाइयों तथा लेवियों ने तथा उन सभी ने, जो बंधुआई से येरूशलेम आ चुके थे, काम शुरू कर दिया. उन्होंने याहवेह के भवन को दोबारा बनाने के काम के लिए ऐसे लेवियों को चुना, जिनकी आयु बीस वर्ष से अधिक थी.
9 ৯ তখন যেশূয়, তাঁর ছেলেরা ও ভাইয়েরা, যিহূদার সন্তান কদমীয়েল ও তাঁর ছেলেরা যিহুদা ঈশ্বরের বাড়ির কর্মচারীদের কাজের দেখাশোনার জন্য জড়ো হয়ে দাঁড়ালেন; লেবীয় হেনাদনের সন্তানরা ও তাদের ছেলে ও ভাইয়েরা সেই রকম করলো৷
इसके बाद येशुआ ने अपने पुत्रों तथा रिश्तेदारों के साथ मिलकर कदमिएल तथा उसके पुत्र के साथ, यहूदाह के पुत्रों के साथ तथा हेनादाद, उसके पुत्रों तथा रिश्तेदारों के साथ मिलकर, जो लेवी थे, परमेश्वर के भवन के कारीगरों की निगरानी की जवाबदारी ले ली.
10 ১০ আর রাজমিস্ত্রিরা যখন সদাপ্রভুর মন্দিরের ভীত স্থাপন করলো, তখন ইস্রায়েলের রাজা দায়ূদের আদেশ অনুসারে সদাপ্রভুর প্রশংসা করার জন্য নিজেদের পোশাক পরা যাজকেরা তূরী নিয়ে ও আসফের সন্তান লেবীয়েরা করতাল নিয়ে দাঁড়িয়ে থাকলো৷
जब राजमिस्त्रियों ने याहवेह के भवन की नींव डाल दी, तब पुरोहित अपने कपड़ों में शोफ़ार नरसिंगे लेकर खड़े हो गए, लेवी तथा आसफ के पुत्र झांझें लेकर इस्राएल के राजा दावीद द्वारा बताई गई विधि के अनुसार याहवेह की स्तुति करने के लिए तैयार हो गए.
11 ১১ তারা সদাপ্রভুর প্রশংসা ও স্তব করে পালা অনুসারে এই গান করলো; “তিনি মঙ্গলময়, ইস্রায়েলের প্রতি তাঁ র দয়া অনন্তকালস্থায়ী৷” আর সদাপ্রভুর বাড়ির ভীত স্থাপনের দিনের সদাপ্রভুর প্রশংসা করতে করতে সমস্ত লোক খুব জোরে জয়ধ্বনি করল৷
जब याहवेह के भवन की नींव रखी गई तब उनकी स्तुति का विषय था, “याहवेह भले हैं; तथा इस्राएल पर उनका अपार प्रेम सदाकाल का है.” उन्होंने अपने गीतों में स्तुति और आभार प्रकट किए. उपस्थित सारे समुदाय ने उनके गीतों पर बहुत ही ऊंचे शब्द में याहवेह का जय जयकार किया.
12 ১২ কিন্তু যাজকদের, লেবীয়দের ও বাবার বংশের প্রধানদের মধ্যে অনেক লোক, অর্থাৎ যে বয়স্করা আগেকার বাড়ি দেখেছিলেন, তাঁদের চোখের সামনে যখন এই বাড়ির ভীত স্থাপন হল, তাঁরা চিত্কার করে কাঁদতে লাগলেন, আবার অনেকে আনন্দে চিত্কার করে জয়ধ্বনি করল৷
जबकि वे बूढ़े व्यक्ति, जिन्होंने पहले के भवन को देखा था, अनेक पुरोहित, लेवी एवं मुख्य प्रधान, इस भवन की नींव के रखे जाने पर उसे देखकर ऊंची आवाज में रो रहे थे जबकि कुछ खुशी से जय जयकार कर रहे थे.
13 ১৩ তখন লোকেরা আনন্দের জন্য জয়ধ্বনির শব্দ ও জনতার কান্নার শব্দের মধ্যে পার্থক্য করতে পারল না, যেহেতু লোকেরা খুব জোরে জয়ধ্বনি করল এবং তার শব্দ দূর পর্যন্ত শোনা গেল৷
परिणामस्वरूप रोने की आवाज और खुशी की आवाज में अंतर पहचानना असंभव हो गया; क्योंकि लोग बहुत ही ऊंची आवाज में जय जयकार कर रहे थे. यह आवाज दूर तक सुनाई दे रही थी.