< প্রথম রাজাবলি 8 >
1 ১ তখন রাজা শলোমন দায়ূদ শহর, অর্থাৎ সিয়োন থেকে সদাপ্রভুর নিয়ম সিন্দুকটি নিয়ে আসবার জন্য ইস্রায়েলের প্রাচীনেরা, গোষ্ঠী সর্দারদের ও ইস্রায়েলীয় বংশের প্রধান লোকদের যিরূশালেমে তাঁর কাছে উপস্থিত করলেন।
तब सुलेमान ने इस्राईल के बुज़ुगों और क़बीलों के सब सरदारों को, जो बनी इस्राईल के आबाई ख़ान्दानों के रईस थे, अपने पास येरूशलेम में जमा' किया ताकि वह दाऊद के शहर से, जो सिय्यून है, ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ को ले आएँ।
2 ২ তাতে এথানীম মাসে, অর্থাৎ সপ্তম মাসে পর্বের দিনের ইস্রায়েলের ঐ সমস্ত লোক রাজা শলোমনের কাছে জড়ো হলেন।
इसलिए उस 'ईद में इस्राईल के सब लोग माह — ए — ऐतानीम में, जो सातवाँ महीना है, सुलेमान बादशाह के पास जमा' हुए।
3 ৩ ইস্রায়েলের সমস্ত প্রাচীনেরা উপস্থিত হলে পর যাজকরা সিন্দুকটি তুলে নিলেন।
और इस्राईल के सब बुज़ुर्ग आए, और काहिनों ने सन्दूक़ उठाया।
4 ৪ তাঁরা এবং লেবীয়েরা সদাপ্রভুর সিন্দুক, মিলন তাঁবু এবং সমস্ত পবিত্র পাত্র বয়ে নিয়ে আসলেন।
और वह ख़ुदावन्द के सन्दूक़ को, और ख़ेमा — ए — इजितमा'अ को, और उन सब मुक़द्दस बर्तनों को जो ख़ेमे के अन्दर थे ले आए; उनको काहिन और लावी लाए थे।
5 ৫ রাজা শলোমন ও তাঁর কাছে জড়ো হওয়া সমস্ত ইস্রায়েলীয়েরা সিন্দুকটির সামনে এত ভেড়া ও গরু উৎসর্গ করলেন যে, সেগুলোর সংখ্যা গোনা গেল না।
और सुलेमान बादशाह ने और उसके साथ इस्राईल की सारी जमा'अत ने, जो उसके पास जमा' थी, सन्दूक़ के सामने खड़े होकर इतनी भेड़ — बकरियाँ और बैल ज़बह किए कि उनको कसरत की वजह से उनकी गिनती या हिसाब न हो सका।
6 ৬ তারপর যাজকেরা সদাপ্রভুর নিয়ম সিন্দুকটি নির্দিষ্ট জায়গায়, উপাসনা ঘরের ভিতরের কামরায়, অর্থাৎ মহাপবিত্র স্থানে করূবদের ডানার নীচে নিয়ে রাখলেন।
और काहिन ख़ुदावन्द के 'अहद के सन्दूक़ को उसकी जगह पर, उस घर की इल्हामगाह में, या'नी पाकतरीन मकान में 'ऐन करूबियों के बाज़ुओं के नीचे ले आए।
7 ৭ তাতে করূবদের মেলে দেওয়া ডানায় সিন্দুক ও তা বহন করবার ডাণ্ডাগুলো ঢাকা পড়ল।
क्यूँकि करूबी अपने बाज़ुओं को सन्दूक़ की जगह के ऊपर फैलाए हुए थे, और वह करूबी सन्दूक़ को और उसकी चोबों को ऊपर से ढाँके हुए थे।
8 ৮ এই ডাণ্ডাগুলো এত লম্বা ছিল যে, সেগুলোর মাথা ভিতরের কামরার সামনের প্রধান কামরা, অর্থাৎ পবিত্র স্থান থেকে দেখা যেত, কিন্তু পবিত্র স্থানের বাইরে থেকে দেখা যেত না। সেগুলো আজও সেখানে রয়েছে।
और वह चोबें ऐसी लम्बी थीं के उन चोंबों के सिरे पाक मकान से इल्हामगाह के सामने दिखाई देते थे, लेकिन बाहर से नहीं दिखाई देते थे। और वह आज तक वहीं हैं।
9 ৯ ইস্রায়েলীয়েরা মিশর দেশ থেকে বের হয়ে আসবার পর সদাপ্রভু হোরেব পাহাড়ে তাদের জন্য যখন ব্যবস্থা স্থাপন করেছিলেন তখন মোশি সিন্দুকের মধ্যে যে পাথরের ফলক দুটি রেখেছিলেন সেই দুটি ছাড়া আর কিছুই তার মধ্যে ছিল না।
उस सन्दूक़ में कुछ न था सिवा पत्थर की उन दो लौहों के जिनको वहाँ मूसा ने होरिब में रख दिया था, जिस वक़्त के ख़ुदावन्द ने बनी इस्राईल से जब वह मुल्क — ए — मिस्र से निकल आए, 'अहद बाँधा था।
10 ১০ পবিত্র স্থান থেকে যাজকেরা বের হয়ে আসবার পরেই সদাপ্রভুর ঘরের ভিতরটা মেঘে ভরে গেল।
फिर ऐसा हुआ कि जब काहिन पाक मकान से बाहर निकल आए, तो ख़ुदावन्द का घर अब्र से भर गया:
11 ১১ সেই মেঘের জন্য যাজকেরা সেবা কাজ করতে পারলেন না, কারণ সদাপ্রভুর মহিমায় তাঁর ঘরটা পরিপূর্ণ হয়ে গিয়েছিল।
इसलिए काहिन उस अब्र की वजह से ख़िदमत के लिए खड़े न हो सके, इसलिए कि ख़ुदावन्द का घर उसके जलाल से भर गया था।
12 ১২ তখন শলোমন বললেন, “সদাপ্রভু, তুমি বলেছিলে তুমি ঘন অন্ধকারে বাস করবে।
तब सुलेमान ने कहा कि “ख़ुदावन्द ने फ़रमाया था कि वह गहरी तारीकी में रहेगा।
13 ১৩ কিন্তু আমি এখন তোমার জন্য একটা উঁচু বাসস্থান তৈরী করেছি; এটা হবে তোমার চিরকালের বাসস্থান।”
मैंने हक़ीक़त में एक घर तेरे रहने के लिए, बल्कि तेरी हमेशा की सुकूनत के वास्ते एक जगह बनाई है।”
14 ১৪ এই বলে রাজা জড়ো হওয়া সমস্ত ইস্রায়েলীয়দের দিকে ঘুরে তাদের আশীর্বাদ করলেন। তখন লোকেরা দাঁড়িয়ে ছিল।
और बादशाह ने अपना मुँह फेरा और इस्राईल की सारी जमा'अत को बरकत दी, और इस्राईल की सारी जमा'अत खड़ी रही;
15 ১৫ তারপর তিনি বললেন, “ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুর গৌরব হোক। তিনি আমার বাবা দায়ূদের কাছে নিজের মুখে যা প্রতিজ্ঞা করেছিলেন তা নিজেই পূর্ণ করলেন। তিনি বলেছিলেন,
और उसने कहा कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा मुबारक हो! जिसने अपने मुँह से मेरे बाप दाऊद से कलाम किया, और उसे अपने हाथ से यह कह कर पूरा किया कि।
16 ১৬ ‘আমার লোক ইস্রায়েলীয়দের মিশর থেকে বের করে আনবার পর আমি ইস্রায়েলীয়দের কোনো গোষ্ঠীর শহর বেছে নিই নি যেখানে নিজেকে প্রকাশ করবার জন্য বাসস্থান হিসাবে একটা ঘর তৈরী করা যায়। কিন্তু আমার লোক ইস্রায়েলীয়দের শাসন করবার জন্য আমি দায়ূদকে বেছে নিয়েছি।’
“जिस दिन से मैं अपनी क़ौम इस्राईल को मिस्र से निकाल लाया, मैंने इस्राईल के सब क़बीलों में से भी किसी शहर को नहीं चुना कि एक घर बनाया जाए, ताकि मेरा नाम वहाँ हो; लेकिन मैंने दाऊद को चुन लिया कि वह मेरी क़ौम इस्राईल पर हाकिम हो।
17 ১৭ ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুর নাম একটা ঘর তৈরী করবার ইচ্ছা আমার বাবা দায়ূদের অন্তরে ছিল।
और मेरे बाप दाऊद के दिल में था कि ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के नाम के लिए एक घर बनाए।
18 ১৮ কিন্তু সদাপ্রভু আমার বাবা দায়ূদকে বলেছিলেন, ‘আমার নামের একটা ঘর তৈরী করবার ইচ্ছা যে তোমার অন্তরে আছে তা ভাল।
लेकिन ख़ुदावन्द ने मेरे बाप दाऊद से कहा, 'चूँकि मेरे नाम के लिए एक घर बनाने का ख़्याल तेरे दिल में था, तब तू ने अच्छा किया कि अपने दिल में ऐसा ठाना;
19 ১৯ তবে ঘরটি তুমি তৈরী করবে না, করবে তোমার ছেলে, যে তোমার নিজের সন্তান। সেই আমার জন্য সেই ঘর তৈরী করবে।’
तोभी तू उस घर को न बनाना, बल्कि तेरा बेटा जो तेरे सुल्ब से निकलेगा वह मेरे नाम के लिए घर बनाएगा।
20 ২০ সদাপ্রভু তাঁর প্রতিজ্ঞা রক্ষা করেছেন। আমার বাবা যে পদে ছিলেন আমি সেই পদ পেয়েছি। সদাপ্রভুর প্রতিজ্ঞা অনুসারে আমি ইস্রায়েলের সিংহাসনে বসেছি এবং ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভুর নামের জন্য আমি এই ঘরটি তৈরী করেছি।
और ख़ुदावन्द ने अपनी बात, जो उसने कही थी, क़ाईम की है; क्यूँकि मैं अपने बाप दाऊद की जगह उठा हूँ, और जैसा ख़ुदावन्द ने वा'दा किया था, मैं इस्राईल के तख़्त पर बैठा हूँ और मैंने ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा के नाम के लिए उस घर को बनाया है।
21 ২১ আমি সেখানে সেই নিয়ম সিন্দুকটি রাখবার জায়গা ঠিক করেছি যার মধ্যে রয়েছে সদাপ্রভুর দেওয়া ব্যবস্থা, যা তিনি মিশর থেকে আমাদের পূর্বপুরুষদের বের করে আনবার পর তাঁদের জন্য স্থাপন করেছিলেন।”
और मैंने वहाँ एक जगह उस सन्दूक़ के लिए मुक़र्रर कर दी है, जिसमें ख़ुदावन्द का वह 'अहद है जो उसने हमारे बाप — दादा से, जब वह उनको मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाया, बाँधा था।”
22 ২২ তারপর শলোমন সেখানে জড়ো হওয়া ইস্রায়েলীয়দের সামনে সদাপ্রভুর বেদির কাছে দাঁড়িয়ে স্বর্গের দিকে হাত তুললেন।
और सुलेमान ने इस्राईल की सारी जमा'अत के सामने ख़ुदावन्द के मज़बह के आगे खड़े होकर अपने हाथ आसमान की तरफ़ फ़ैलाए
23 ২৩ তিনি বললেন, “হে সদাপ্রভু ইস্রায়েলের ঈশ্বর, উপরে স্বর্গে কিম্বা নীচে পৃথিবীতে তোমার মত ঈশ্বর আর কেউ নেই। তোমার যে দাসেরা মনে প্রাণে তোমার পথে চলে তুমি তাদের পক্ষে তোমার অটল ভালবাসার ব্যবস্থা রক্ষা করে থাক।
और कहा, ऐ ख़ुदावन्द, इस्राईल के ख़ुदा! तेरी तरह न तो ऊपर आसमान में, न नीचे ज़मीन पर कोई ख़ुदा है; तू अपने उन बन्दों के लिए जो तेरे सामने अपने सारे दिल से चलते हैं, 'अहद और रहमत को निगाह रखता है।
24 ২৪ তোমার দাস আমার বাবা দায়ূদের কাছে তুমি যে প্রতিজ্ঞা করেছিলে তা তুমি রক্ষা করেছ। তুমি মুখে যা বলেছ কাজেও তা করেছ, আর আজকে আমরা তা দেখতে পাচ্ছি।
तू ने अपने बन्दा मेरे बाप दाऊद के हक़ में वह बात क़ाईम रख्खी, जिसका तू ने उससे वा'दा किया था; तू ने अपने मुँह से फ़रमाया और अपने हाथ से उसे पूरा किया, जैसा आज के दिन है।
25 ২৫ এখন হে ইস্রায়েলের ঈশ্বর সদাপ্রভু, তোমার দাস আমার বাবা দায়ূদের কাছে তুমি যে প্রতিজ্ঞা করেছিলে তা রক্ষা কর। তুমি বলেছিলে যদি কেবলমাত্র আমার সামনে তুমি যেমন চলেছ তেমনি তোমার বংশধরেরা আমার সামনে চলবার জন্য নিজের নিজের পথে সচেতন থাকে;
इसलिए अब ऐ ख़ुदावन्द इस्राईल के ख़ुदा! तू अपने बन्दा मेरे बाप दाऊद के साथ उस क़ौल को भी पूरा कर जो तूने उससे किया था कि 'तेरे आदमियों से मेरे सामने इस्राईल के तख़्त पर बैठने वाले की कमी न होगी; बशर्ते कि तेरी औलाद, जैसे तू मेरे सामने चलता रहा वैसे ही मेरे सामने चलने के लिए, अपने रास्ते की एहतियात रखखे।
26 ২৬ তবে এখন, হে ইস্রায়েলের ঈশ্বর, যে প্রতিজ্ঞা তুমি তোমার দাস আমার বাবা দায়ূদের কাছে করেছিলে তা সফল হোক।
इसलिए अब ऐ इस्राईल के खुदा, तेरा वह क़ौल सच्चा साबित किया जाए, जो तू ने अपने बन्दे मेरे बाप दाऊद से किया।
27 ২৭ কিন্তু সত্যিই কি ঈশ্বর পৃথিবীতে বাস করবেন? মহাকাশে, এমন কি, মহাকাশের সমস্ত জায়গা জুড়েও যখন তোমার জায়গা কম হয় তখন আমার তৈরী এই ঘরে কি তোমার জায়গা হবে?
लेकिन क्या ख़ुदा हक़ीक़त में ज़मीन पर सुकूनत करेगा? देख, आसमान बल्कि आसमानों के आसमान में भी तू समा नहीं सकता, तो यह घर तो कुछ भी नहीं जिसे मैंने बनाया।
28 ২৮ তবুও হে আমার ঈশ্বর সদাপ্রভু, তোমার দাসের প্রার্থনা ও অনুরোধে তুমি কান দাও। তোমার দাস আজ তোমার কাছে কাকুতি মিনতি ও প্রার্থনা করছে তা তুমি শোন।
तोभी, ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा, अपने बन्दा की दुआ और मुनाजात का लिहाज़ करके, उस फ़रियाद और दुआ को सुन ले जो तेरा बन्दा आज के दिन तेरे सामने करता है,
29 ২৯ যে জায়গার বিষয় তুমি বলেছ, ‘এই জায়গায় আমার বাসস্থান হবে,’ সেই জায়গার দিকে, অর্থাৎ এই উপাসনা ঘরের দিকে তোমার চোখ দিন রাত খোলা থাকুক; আর এই জায়গার দিকে ফিরে তোমার দাস যখন প্রার্থনা করবে তখন তুমি তা শুনো।
ताकि तेरी आँखें इस घर की तरफ़, या'नी उसी जगह की तरफ़ जिसकी ज़रिए' तू ने फ़रमाया कि 'मैं अपना नाम वहाँ रखूँगा,' दिन और रात खुली रहें; ताकि तू उस दुआ को सुने जो तेरा बन्दा इस मक़ाम की तरफ़ रुख़ करके तुझ से करेगा।
30 ৩০ এই জায়গার দিকে ফিরে তোমার দাস ও তোমার লোক ইস্রায়েলীয়েরা যখন অনুরোধ করবে তখন তাতে তুমি কান দিয়ো। তোমার বাসস্থান স্বর্গ থেকে তা তুমি শুনো এবং তাদের ক্ষমা কোরো।
और तू अपने बन्दा और अपनी क़ौम इस्राईल की मुनाजात को, जब वह इस जगह की तरफ रुख करके करें सुन लेना, बल्कि तू आसमान पर से जो तेरी सुकूनत गाह है सुन लेना, और सुनकर मु'आफ़ कर देना।
31 ৩১ কোনো লোককে প্রতিবেশীর বিরুদ্ধে পাপ করলে তার নিজের উপর অভিশাপ ডেকে আনবার জন্য যদি তাকে শপথ করতে বাধ্য করা হয় এবং সে গিয়ে তোমার এই ঘরের বেদির সামনে সেই শপথ করে,
“अगर कोई शख़्स अपने पड़ौसी का गुनाह करे, और उसे क़सम खिलाने के लिए उसको हल्फ़ दिया जाए, और वह आकर इस घर में तेरे मज़बह के आगे क़सम खाए:
32 ৩২ তবে তুমি স্বর্গ থেকে সেই কথা শুনো এবং সাড়া দাও। তখন তোমার দাসদের তুমি বিচার করে দোষীর কাজের ফল তার মাথায় চাপিয়ে দিয়ে তাকে দোষী বলে প্রমাণ কোরো আর ধার্ম্মিককে তার কাজ অনুসারে ফল দিয়ে তাকে ধার্মিক বলে প্রমাণ কোরো।
तो तू आसमान पर से सुनकर 'अमल करना और अपने बन्दों का इन्साफ़ करना, और बदकार पर फ़तवा लगाकर उसके 'आमाल को उसी के सिर डालना, और सादिक़ को सच्चा ठहराकर उसकी सदाक़त के मुताबिक उसे बदला देना।
33 ৩৩ তোমার বিরুদ্ধে পাপ করবার দরুন যখন তোমার লোক ইস্রায়েলীয়েরা শত্রুর কাছে হেরে গিয়ে যদি আবার তোমার কাছে ফিরে আসে এবং এই উপাসনা ঘরে তোমার নাম স্বীকার করে তোমার কাছে প্রার্থনা ও অনুরোধ করবে,
जब तेरी क़ौम इस्राईल तेरा गुनाह करने के ज़रिए' अपने दुश्मनों से शिकस्त खाए और फिर तेरी तरफ़ रुजू' लाये और तेरे नाम का इकरार करके इस घर में तुझ से दुआ और मुनाजात करे;
34 ৩৪ তখন স্বর্গ থেকে তুমি তা শুনো এবং নিজের লোক ইস্রায়েলীয়দের পাপ ক্ষমা করে যে দেশ তুমি তাদের পূর্বপুরুষদের দিয়েছ সেখানে আবার তাদের ফিরিয়ে নিয়ে এসো।
तो तू आसमान पर से सुनकर अपनी क़ौम इस्राईल का गुनाह मु'आफ़ करना, और उनको इस मुल्क में जो तूने उनके बाप दादा को दिया फिर ले आना।
35 ৩৫ তোমার বিরুদ্ধে তোমার লোকদের পাপ করবার দরুন যখন আকাশ বন্ধ হয়ে বৃষ্টি পড়বে না, তখন তারা যদি এই জায়গার দিকে ফিরে তোমার গৌরব করে ও তোমার কাছে প্রার্থনা করে এবং তোমার কাছ থেকে কষ্ট পেয়ে পাপ থেকে ফেরে,
“जब इस वजह से कि उन्होंने तेरा गुनाह किया हो, आसमान बन्द हो जाए और बारिश न हो, और वह इस मक़ाम की तरफ़ रुख़ करके दुआ करें और तेरे नाम का इक़रार करें, और अपने गुनाह से बाज़ आएँ जब तू उनको दुख दे;
36 ৩৬ তবে তুমি স্বর্গ থেকে তা শুনো এবং তোমার দাসদের, অর্থাৎ তোমার লোক ইস্রায়েলীয়দের পাপ ক্ষমা করে দিয়ো। জীবনে ঠিক ভাবে সৎ পথে চলতে তাদের শিক্ষা দিয়ো এবং সম্পত্তি হিসাবে যে দেশ তুমি তাদের দিয়েছ সেই দেশের উপর বৃষ্টি দিয়ো।
तो तू आसमान पर से सुन कर अपने बन्दों और अपनी क़ौम इस्राईल का गुनाह मु'आफ़ कर देना, क्यूँकि तू उनको उस अच्छी रास्ते की ता'लीम देता है जिस पर उनको चलना फ़र्ज़ है, और अपने मुल्क पर जिसे तू ने अपनी क़ौम को मीरास के लिए दिया है, पानी बरसाना।
37 ৩৭ যদি দেশে দূর্ভিক্ষ কিম্বা মহামারী দেখা দেয়, যদি ফসল শুকিয়ে যাওয়া রোগ কিম্বা ছাতাপড়া রোগ হয়, যদি ফসলে শুঁয়াপোকা বা পঙ্গপাল লাগে, যদি শত্রু তাদের কোনো শহর ঘেরাও করে, যে কোনো রকম মহামারী কিম্বা রোগ দেখা দিক না কেন,
“अगर मुल्क में काल हो, अगर वबा हो, अगर बाद — ऐ — समूम या गेरूई या टिड्डी या कमला हो, अगर उनके दुश्मन उनके शहरों के मुल्क में उनको घेर लें, ग़रज़ कैसी ही बला कैसा ही रोग हो;
38 ৩৮ তখন যদি তোমার লোক ইস্রায়েলীয়দের কেউ অনুতপ্ত হয়ে মনের কষ্টে এই উপাসনা ঘরের দিকে হাত বাড়িয়ে কোনো প্রার্থনা বা অনুরোধ করে,
तो जो दुआ और मुनाजात किसी एक शख़्स या तेरी क़ौम इस्राईल की तरफ़ से ही, जिनमें से हर शख़्स अपने दिल का दुख जानकर अपने हाथ इस घर की तरफ़ फैलाए;
39 ৩৯ তবে তোমার বাসস্থান স্বর্গ থেকে তুমি তা শুনো। তুমি তাকে ক্ষমা কোরো ও সাড়া দিও; তার সব কাজ অনুসারে বিচার কোরো, কারণ তুমি তো তার হৃদয়ের অবস্থা জান, কেবল তুমিই সমস্ত মানুষের হৃদয় জান।
तो तू आसमान पर से जो तेरी सुकुनतगाह है सुनकर मु'आफ़ कर देना, और ऐसा करना कि हर आदमी को, जिसके दिल को तू जानता है, उसी की सारे चाल चलन के मुताबिक़ बदला देना; क्यूँकि सिर्फ़ तू ही सब बनी — आदम के दिलों को जानता है;
40 ৪০ তুমি এটাই কোরো যাতে আমাদের পূর্বপুরুষদের তুমি যে দেশ দিয়েছ সেখানে সারা জীবন তোমার লোকেরা তোমাকে ভয় করে চলে।
ताकि जितनी मुद्दत तक वह उस मुल्क में जिसे तू ने हमारे बाप — दादा को दिया ज़िन्दा रहें, तेरा ख़ौफ़ माने।
41 ৪১ এছাড়া তোমার লোক ইস্রায়েলীয় নয় এমন কোনো বিদেশী তোমার মহান নাম এবং তোমার শক্তিশালী হাত
'अब रहा वह परदेसी जो तेरी क़ौम इस्राईल में से नहीं है, वह जब दूर मुल्क से तेरे नाम की ख़ातिर आए,
42 ৪২ ও বাড়িয়ে দেওয়া হাতের কথা শুনে তোমার উপাসনার জন্য যখন দূর দেশ থেকে এসে এই উপাসনা ঘরের দিকে ফিরে প্রার্থনা করবে,
क्यूँकि वह तेरे बुज़ुर्ग नाम और क़वी हाथ और बुलन्द बाज़ू का हाल सुनेंगे इसलिए जब वह आए और इस घर की तरफ़ रुख़ करके दुआ करे,
43 ৪৩ তখন তোমার বাসস্থান স্বর্গ থেকে তুমি তা শুনো। সে যা চায় তার জন্য তা কোরো যেন পৃথিবীর সমস্ত লোক তোমাকে জানতে পারে এবং তোমার নিজের লোক ইস্রায়েলীয়দের মত তারাও তোমাকে ভয় করতে পারে আর জানতে পারে যে, আমার তৈরী এই ঘর তোমারই ঘর।
तो तू आसमान पर से जो तेरी सुकूनत गाह है सुन लेना, और जिस — जिस बात के लिए वह परदेसी तुझ से फ़रयाद करे तू उसके मुताबिक़ करना, ताकि ज़मीन की सब क़ौमें बनी इस्राईल की मानिन्द तेरे नाम को पहचाने मानें, और जान लें कि यह घर जिसे मैंने बनाया है तेरे नाम का कहलाता है।
44 ৪৪ তুমি যখন তোমার লোকদের তাদের শত্রুদের বিরুদ্ধে যুদ্ধ করতে পাঠাবে তখন তারা যেখানেই থাকুক না কেন সেখান থেকে যদি তোমার বেছে নেওয়া এই শহরের দিকে ও তোমার জন্য আমার তৈরী এই ঘরের দিকে ফিরে প্রার্থনা করে,
'अगर तेरे लोग चाहे किसी रास्ते से तू उनको भेजे, अपने दुश्मनों से लड़ने को निकलें, और वह ख़ुदावन्द से उस शहर की तरफ़ जिसे तू ने चुना है, और उस घर की तरफ़ जिसे मैंने तेरे नाम के लिए बनाया है, रुख़ करके दुआ करें,
45 ৪৫ তবে স্বর্গ থেকে তুমি তাদের প্রার্থনা ও অনুরোধ শুনো এবং তাদের বিষয়ে সাহায্য কর।
तो तू आसमान पर से उनकी दुआ और मुनाजात सुनकर उनकी हिमायत करना।
46 ৪৬ তারা যখন তোমার বিরুদ্ধে পাপ করবে অবশ্য পাপ করে না এমন লোক নেই আর তুমি তাদের উপর অসন্তুষ্ট হয়ে শত্রুর হাতে তাদের তুলে দেবে ও শত্রুরা তাদের বন্দী করে কাছে বা দূরে তাদের নিজেদের দেশে নিয়ে যাবে,
'अगर वह तेरा गुनाह करें क्यूँकि कोई ऐसा आदमी नहीं जो गुनाह न करता हो और तू उनसे नाराज़ होकर उनको दुश्मन के हवाले कर दे, ऐसा कि वह दुश्मन उनको ग़ुलाम करके अपने मुल्क में ले जाए, ख़्वाह वह दूर हो या नज़दीक,
47 ৪৭ তখন বন্দী হয়ে থাকা সেই দেশে যদি তারা মন ফেরায় এবং অনুতপ্ত হয়ে তোমাকে অনুরোধ করে বলে, ‘আমরা পাপ করেছি, অন্যায় করেছি এবং মন্দভাবে চলেছি,’ তবে তুমি তাদের প্রার্থনা শুনো।
तोभी अगर वह उस मुल्क में जहाँ वह ग़ुलाम होकर पहुँचाए गए, होश में आयें और रुजू' लायें और अपने ग़ुलाम करने वालों के मुल्क में तुझसे मुनाजात करें और कहें कि हम ने गुनाह किया, हम टेढ़ी चाल चले, और हम ने शरारत की;
48 ৪৮ ঐ দেশে যদি তারা মনে প্রাণে তোমার দিকে ফেরে এবং তাদের পূর্বপুরুষদের যে দেশ তুমি দিয়েছ সেই দেশের দিকে, তোমার বেছে নেওয়া শহরের দিকে, তোমার জন্য আমার তৈরী এই ঘরের দিকে ফিরে তোমার কাছে প্রার্থনা করে,
इसलिए अगर वह अपने दुश्मनों के मुल्क में जो उनको क़ैद करके ले गए, अपने सारे दिल और अपनी सारी जान से तेरी तरफ़ फिरें और अपने मुल्क की तरफ़, जो तू ने उनके बाप — दादा को दिया, और इस शहर की तरफ़, जिसे तू ने चुन लिया, और इस घर की तरफ़, जो मैंने तेरे नाम के लिए बनाया है, रुख़ करके तुझ से दुआ करें,
49 ৪৯ তবে তুমি তোমার বাসস্থান স্বর্গ থেকে তাদের প্রার্থনা ও অনুরোধ শুনো এবং তাদের বিষয়ে সাহায্য কর।
तो तू आसमान पर से, जो तेरी सुकूनत गाह है, उनकी दुआ और मुनाजात सुनकर उनकी हिमायत करना,
50 ৫০ আর তোমার যে লোকেরা তোমার বিরুদ্ধে পাপ করেছে সেই লোকদের তুমি ক্ষমা কোরো এবং তোমার বিরুদ্ধে করা তাদের সমস্ত দোষও ক্ষমা করো। তাদের যারা বন্দী করে নিয়ে গেছে সেই লোকদের মন এমন করো যাতে তারা তাদের প্রতি দয়া করে;
और अपनी क़ौम को, जिसने तेरा गुनाह किया, और उनकी सब ख़ताओं को, जो उनसे तेरे ख़िलाफ़ सरज़द हों, मु'आफ़ कर देना, और उनके ग़ुलाम करने वालों के आगे उन पर रहम करना ताकि वह उन पर रहम करें।
51 ৫১ কারণ ইস্রায়েলীয়েরা তো তোমারই লোক, তোমারই সম্পত্তি যাদের তুমি মিশর থেকে উদ্ধার করে এনেছ, লোহা গলানো চুল্লীর ভিতর থেকে বের করে এনেছ।
क्यूँकि वह तेरी क़ौम और तेरी मीरास हैं, जिसे तू मिस्र से लोहे के भट्टे के बीच में से निकाल लाया।
52 ৫২ তোমার দাসের ও তোমার লোক ইস্রায়েলীয়দের অনুরোধের প্রতি তুমি মনোযোগ দিয়ো, আর যখন তারা তোমাকে ডাকবে তখন তুমি তাদের কথা শুনো।
सो तेरी आँखें तेरे बन्दा की मुनाजात और तेरी क़ौम इस्राईल की मुनाजात की तरफ़ खुली रहें, ताकि जब कभी वह तुझ से फ़रियाद करें, तू उनकी सुने;
53 ৫৩ হে প্রভু সদাপ্রভু, আমাদের পূর্বপুরুষদের মিশর থেকে বের করে আনবার দিন তোমার দাস মোশির মধ্য দিয়ে তোমার ঘোষণা অনুসারে তোমার নিজের সম্পত্তি হবার জন্য জগতের সমস্ত জাতির মধ্য থেকে তুমি ইস্রায়েলীয়দের আলাদা করে নিয়েছ।”
क्यूँकि तू ने ज़मीन की सब क़ौमों में से उनको अलग किया कि वह तेरी मीरास हों, जैसा ऐ मालिक ख़ुदावन्द, तू ने अपने बन्दे मूसा की ज़रिए' फ़रमाया, जिस वक़्त तू हमारे बाप — दादा को मिस्र से निकाल लाया।”
54 ৫৪ সদাপ্রভুর কাছে এই সব প্রার্থনা ও মিনতি শেষ করবার পর শলোমন সদাপ্রভুর যজ্ঞবেদীর সামনে থেকে উঠলেন; এতক্ষণ তিনি হাঁটু পেতে স্বর্গের দিকে হাত বাড়িয়ে ছিলেন।
और ऐसा हुआ कि जब सुलेमान ख़ुदावन्द से यह सब मुनाजात कर चुका, तो वह ख़ुदावन्द के मज़बह के सामने से, जहाँ वह अपने हाथ आसमान की तरफ़ फैलाए हुए घुटने टेके था, उठा।
55 ৫৫ তিনি উঠে দাঁড়িয়ে জড়ো হওয়া সমস্ত ইস্রায়েলীয়দের জোর গলায় এই বলে আশীর্বাদ করলেন,
और खड़े होकर इस्राईल की सारी जमा'अत को ऊँची आवाज़ से बरकत दी और कहा,
56 ৫৬ “ধন্য সদাপ্রভু, যিনি তাঁর নিজের প্রতিজ্ঞা অনুসারে তাঁর লোক ইস্রায়েলীয়দের বিশ্রাম দিয়েছেন। তাঁর দাস মোশির মধ্য দিয়ে তিনি যে সব মঙ্গল করবার প্রতিজ্ঞা করেছিলেন তার একটা কথাও পতিত হয়নি।
“ख़ुदावन्द, जिसने अपने सब वा'दों के मुताबिक़ अपनी क़ौम इस्राईल को आराम बख़्शा मुबारक हो; क्यूँकि जो सारा अच्छा वा'दा उसने अपने बन्दे मूसा की ज़रिए' किया, उसमें से एक बात भी ख़ाली न गई।
57 ৫৭ আমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভু যেমন আমাদের পূর্বপুরুষদের সঙ্গে ছিলেন তেমনি তিনি আমাদের সঙ্গেও থাকুন। তিনি যেন কখনও আমাদের ছেড়ে না যান কিম্বা ছেড়ে না দেন।
ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा हमारे साथ रहे जैसे वह हमारे बाप — दादा के साथ रहा, और न हम को तर्क करे न छोड़े।
58 ৫৮ আমরা তাঁর সব পথে চলবার জন্য এবং আমাদের পূর্বপুরুষদের কাছে তিনি যে সব আদেশ, নিয়ম ও নির্দেশ দিয়েছিলেন তা মেনে চলবার জন্য তিনি আমাদের হৃদয় তাঁর প্রতি বিশ্বস্ত রাখুন।
ताकि वह हमारे दिलों को अपनी तरफ़ माइल करे कि हम उसकी सब रास्तों पर चलें, और उसके फ़रमानों और क़ानून और अहकाम को, जो उसने हमारे बाप — दादा को दिए मानें।
59 ৫৯ আমি যে সব কথা বলে সদাপ্রভুর কাছে প্রার্থনা করেছি তা দিন রাত আমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর সামনে থাকুক যাতে তিনি তাঁর নিজের দাসের ও তাঁর লোক ইস্রায়েলীয়দের প্রতিদিনের র প্রয়োজন অনুসারে ব্যবস্থা করেন।
और यह मेरी बातें जिनको मैंने ख़ुदावन्द के सामने मुनाजात में पेश किया है, दिन और रात ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के नज़दीक रहें, ताकि वह अपने बन्दा की दाद और अपनी क़ौम इस्राईल की दाद हर दिन की ज़रूरत के मुताबिक़ दे;
60 ৬০ এতে পৃথিবীর সমস্ত জাতিই জানতে পারবে যে, সদাপ্রভুই ঈশ্বর এবং তিনি ছাড়া ঈশ্বর আর কেউ নেই।
जिससे ज़मीन की सब क़ौमें जान लें कि ख़ुदावन्द ही ख़ुदा है और उसके सिवा और कोई नहीं।
61 ৬১ অতএব আজকে যেমন সদাপ্রভুর নিয়ম ও আদেশ মেনে চলবার জন্য তোমাদের হৃদয় সম্পূর্ণভাবে আমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর দিকে আছে তেমনি সব দিন থাকুক।”
इसलिए तुम्हारा दिल आज की तरह ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के साथ उसके क़ानून पर चलने, और उसके हुक्मों को मानने के लिए कामिल रहे।”
62 ৬২ তারপর রাজা ও তাঁর সঙ্গে সমস্ত ইস্রায়েলীয়েরা সদাপ্রভুর প্রতি বলিদান উৎসর্গ করলেন।
और बादशाह ने और उसके साथ सारे इस्राईल ने ख़ुदावन्द के सामने क़ुर्बानी पेश की।
63 ৬৩ সদাপ্রভুর জন্য শলোমন বাইশ হাজার গরু ও এক লক্ষ কুড়ি হাজার ভেড়া দিয়ে মঙ্গলার্থক বলিদান করলেন। এই ভাবে রাজা ও সমস্ত ইস্রায়েলীয় সদাপ্রভুর ঘর প্রতিষ্ঠা করলেন।
सुलेमान ने जो सलामती के ज़बीहों की क़ुर्बानी ख़ुदावन्द के सामने पेशकीं उसमें उसने बाईस हज़ार बैल और एक लाख बीस हज़ार भेड़ें पेश कीं। ऐसे बादशाह ने और सब बनी — इस्राईल ने ख़ुदावन्द का घर मख़्सूस किया।
64 ৬৪ সেই একই দিনের রাজা সদাপ্রভুর ঘরের সামনের উঠানের মাঝখানের অংশ সদাপ্রভুর উদ্দেশ্যে আলাদা করলেন। সেখানে তিনি হোমবলি ও শস্য উৎসর্গের বলিদান দিলেন এবং মঙ্গলার্থক বলির চর্বি উৎসর্গ করলেন, কারণ সদাপ্রভুর সামনে থাকা পিতলের বেদীটা এই সব উৎসর্গের অনুষ্ঠান করবার জন্য ছোট ছিল।
उसी दिन बादशाह ने सहन के दर्मियानी हिस्से को जो ख़ुदावन्द के घर के सामने था मुक़द्दस किया, क्यूँकि उसने वहीं सोख़्तनी क़ुर्बानी और नज़र की क़ुर्बानी और सलामती के ज़बीहों की चर्बी पेश की, इसलिए कि पीतल का मज़बह जो ख़ुदावन्द के सामने था, इतना छोटा था कि उस पर सोख़्तनी क़ुर्बानी और नज़र की क़ुर्बानी और सलामती के ज़बोहों की चर्बी के लिए गुन्जाइश न थी।
65 ৬৫ এই ভাবে শলোমন ও তাঁর সঙ্গে সমস্ত ইস্রায়েলীয়েরা সেই দিন আমাদের ঈশ্বর সদাপ্রভুর সামনে সাত দিন ও আরও সাত দিন, মোট চৌদ্দ দিন ধরে একটা উৎসব করলেন। তারা ছিল এক বিরাট জনসংখ্যা; তারা হমাতের শহরে ঢোকার জায়গা থেকে মিশরের ছোট নদী পর্যন্ত সমস্ত এলাকা থেকে এসে যোগ দিয়েছিল।
इसलिए सुलेमान ने और उसके साथ सारे इस्राईल, या'नी एक बड़ी जमा'अत, ने जो हमात के मदख़ल से लेकर मिस्र की नहर तक की हुदूद से आई थी, ख़ुदावन्द हमारे ख़ुदा के सामने सात दिन और फिर सात दिन और, या'नी चौदह दिन, 'ईद मनाई।
66 ৬৬ অষ্টম দিনের তিনি লোকদের বিদায় দিলেন। সদাপ্রভু তাঁর দাস দায়ূদ ও তাঁর লোক ইস্রায়েলীয়দের প্রতি যে সব মঙ্গল করেছেন তার জন্য আনন্দিত ও খুশী হয়ে লোকেরা রাজাকে ধন্যবাদ দিয়ে নিজের নিজের বাড়ি চলে গেল।
और आठवें दिन उसने उन लोगों को रुख़सत कर दिया। तब उन्होंने बादशाह को मुबारकबाद दी, और उस सारी नेकी के ज़रिए' जो ख़ुदावन्द ने अपने बन्दा दाऊद और अपनी क़ौम इस्राईल से की थी, अपने डेरों को दिल में ख़ुश और ख़ुश होकर लौट गए।