< ܡܬܝ 7 >
“दोष मत लगावो कि तुम्हरो पर भी दोष नहीं लगायो जाये,
ܒܕܝܢܐ ܓܝܪ ܕܕܝܢܝܢ ܐܢܬܘܢ ܬܬܕܝܢܘܢ ܘܒܟܝܠܬܐ ܕܡܟܝܠܝܢ ܐܢܬܘܢ ܡܬܬܟܝܠ ܠܟܘܢ | 2 |
कहालीकि जो तरह तुम दोष लगावय हय, उच तरह सी तुम पर भी दोष लगायो जायेंन; अऊर जो नाप सी तुम नापय हय, उच नाप सी तुम्हरो लायी भी नाप्यो जायेंन।”
ܡܢܐ ܕܝܢ ܚܙܐ ܐܢܬ ܓܠܐ ܕܒܥܝܢܗ ܕܐܚܘܟ ܘܩܪܝܬܐ ܕܒܥܝܢܟ ܠܐ ܒܚܪ ܐܢܬ | 3 |
“तय कहाली अपनो भाऊ की आंखी को तिनका ख देखय हय, अऊर अपनी आंखी को लट्ठा तोख नहीं सूझय?
ܐܘ ܐܝܟܢܐ ܐܡܪ ܐܢܬ ܠܐܚܘܟ ܫܒܘܩ ܐܦܩ ܓܠܐ ܡܢ ܥܝܢܟ ܘܗܐ ܩܪܝܬܐ ܒܥܝܢܟ | 4 |
जब तोरीच आंखी म लट्ठा हय, त तय अपनो भाऊ सी कसो कह्य सकय हय, ‘लाव मय तोरी आंखी सी तिनका निकाल देऊ?’
ܢܤܒ ܒܐܦܐ ܐܦܩ ܠܘܩܕܡ ܩܪܝܬܐ ܡܢ ܥܝܢܟ ܘܗܝܕܝܢ ܢܬܒܚܪ ܠܟ ܠܡܦܩܘ ܓܠܐ ܡܢ ܥܝܢܗ ܕܐܚܘܟ | 5 |
हे कपटी, पहिले अपनी आंखी म सी लट्ठा निकाल ले, तब तय अपनो भाऊ की आंखी को तिनका अच्छो सी देख क निकाल सकजो।”
ܠܐ ܬܬܠܘܢ ܩܘܕܫܐ ܠܟܠܒܐ ܘܠܐ ܬܪܡܘܢ ܡܪܓܢܝܬܟܘܢ ܩܕܡ ܚܙܝܪܐ ܕܠܡܐ ܢܕܘܫܘܢ ܐܢܝܢ ܒܪܓܠܝܗܘܢ ܘܢܗܦܟܘܢ ܢܒܙܥܘܢܟܘܢ | 6 |
“पवित्र चिज कुत्ता ख मत दे, अऊर अपनो मोती डुक्करों को आगु मत डालो; असो न होय कि हि उन्ख पाय खल्लो खुंदेन अऊर पलट क तुम ख फाड़ डालेंन।
ܫܐܠܘ ܘܢܬܝܗܒ ܠܟܘܢ ܒܥܘ ܘܬܫܟܚܘܢ ܩܘܫܘ ܘܢܬܦܬܚ ܠܟܘܢ | 7 |
“मांगो, त तुम्ख दियो जायेंन; ढूंढो त तुम पावों; खटखटावों, त तुम्हरो लायी खोल्यो जायेंन।
ܟܠ ܓܝܪ ܕܫܐܠ ܢܤܒ ܘܕܒܥܐ ܡܫܟܚ ܘܠܐܝܢܐ ܕܢܩܫ ܡܬܦܬܚ ܠܗ | 8 |
कहालीकि जो कोयी मांगय हय, ओख मिलय हय; अऊर जो ढूंढय हय, ऊ पावय हय; अऊर जो खटखटावय हय, ओको लायी खोल्यो जायेंन।
ܐܘ ܡܢܘ ܡܢܟܘܢ ܓܒܪܐ ܕܢܫܐܠܝܘܗܝ ܒܪܗ ܠܚܡܐ ܠܡܐ ܟܐܦܐ ܡܘܫܛ ܠܗ | 9 |
तुम म सी असो कौन आदमी हय, कि यदि ओको बेटा ओको सी रोटी मांगेंन, त ऊ ओख गोटा देयेंन?
ܘܐܢ ܢܘܢܐ ܢܫܐܠܝܘܗܝ ܠܡܐ ܚܘܝܐ ܡܘܫܛ ܠܗ | 10 |
यां मच्छी मांगेंन, त ओख सांप देयेंन?
ܘܐܢ ܗܟܝܠ ܐܢܬܘܢ ܕܒܝܫܐ ܐܢܬܘܢ ܝܕܥܝܢ ܐܢܬܘܢ ܡܘܗܒܬܐ ܛܒܬܐ ܠܡܬܠ ܠܒܢܝܟܘܢ ܟܡܐ ܝܬܝܪܐܝܬ ܐܒܘܟܘܢ ܕܒܫܡܝܐ ܢܬܠ ܛܒܬܐ ܠܐܝܠܝܢ ܕܫܐܠܝܢ ܠܗ | 11 |
येकोलायी जब तुम बुरो होय क, अपनो बच्चां ख अच्छी चिजे देनो जानय हय, त तुम्हरो स्वर्गीय पिता अपनो मांगन वालो ख अच्छी चिजे कहाली नहीं देयेंन?
ܟܠ ܡܐ ܕܨܒܝܢ ܐܢܬܘܢ ܕܢܥܒܕܘܢ ܠܟܘܢ ܒܢܝ ܐܢܫܐ ܗܟܢܐ ܐܦ ܐܢܬܘܢ ܥܒܕܘ ܠܗܘܢ ܗܢܘ ܓܝܪ ܢܡܘܤܐ ܘܢܒܝܐ | 12 |
“यो वजह जो कुछ तुम चाहवय हय कि लोग तुम्हरो संग करे, तुम भी उन्को संग वसोच करो; कहालीकि मूसा की व्यवस्था अऊर भविष्यवक्तावों की शिक्षा याच आय।
ܥܘܠܘ ܒܬܪܥܐ ܐܠܝܨܐ ܕܦܬܐ ܗܘ ܬܪܥܐ ܘܐܪܘܝܚܐ ܐܘܪܚܐ ܐܝܕܐ ܕܡܘܒܠܐ ܠܐܒܕܢܐ ܘܤܓܝܐܐ ܐܢܘܢ ܐܝܠܝܢ ܕܐܙܠܝܢ ܒܗ | 13 |
“निरून्द द्वार सी सिरो, कहालीकि चौड़ो हय ऊ फाटक अऊर सरल हय ऊ रस्ता जो नाश को तरफ लिजावय हय; अऊर बहुत सो हंय जो ओको सी सिरय हंय।
ܡܐ ܩܛܝܢ ܬܪܥܐ ܘܐܠܝܨܐ ܐܘܪܚܐ ܕܡܘܒܠܐ ܠܚܝܐ ܘܙܥܘܪܐ ܐܢܘܢ ܐܝܠܝܢ ܕܡܫܟܚܝܢ ܠܗ | 14 |
कहालीकि निरून्द हय ऊ फाटक अऊर कठिन हय ऊ रस्ता जो जीवन को तरफ लिजावय हय; अऊर थोड़ो हंय जो ओख पावय हंय।
ܐܙܕܗܪܘ ܡܢ ܢܒܝܐ ܕܓܠܐ ܕܐܬܝܢ ܠܘܬܟܘܢ ܒܠܒܘܫܐ ܕܐܡܪܐ ܡܢ ܠܓܘ ܕܝܢ ܐܝܬܝܗܘܢ ܕܐܒܐ ܚܛܘܦܐ | 15 |
“झूठो भविष्यवक्तावों सी चौकस रहो, जो मेंढीं को रूप म तुम्हरो जवर आवय हंय, पर आखरी म हि फाड़न वालो भेड़िया आय।
ܡܢ ܦܐܪܝܗܘܢ ܕܝܢ ܬܕܥܘܢ ܐܢܘܢ ܠܡܐ ܠܩܛܝܢ ܡܢ ܟܘܒܐ ܥܢܒܐ ܐܘ ܡܢ ܩܘܪܛܒܐ ܬܐܢܐ | 16 |
उन्को फर सी तुम उन्ख जान जावो। का लोग झाड़ियों सी अंगूर, यां काटा को झुड़ूपो सी अंजीर तोड़य हंय?
ܗܟܢܐ ܟܠ ܐܝܠܢܐ ܛܒܐ ܦܐܪܐ ܫܦܝܪܐ ܥܒܕ ܐܝܠܢܐ ܕܝܢ ܒܝܫܐ ܦܐܪܐ ܒܝܫܐ ܥܒܕ | 17 |
असो तरह हर एक अच्छो झाड़ अच्छो फर लावय हय अऊर बुरो झाड़ बुरो फर लावय हय।
ܠܐ ܡܫܟܚ ܐܝܠܢܐ ܛܒܐ ܦܐܪܐ ܒܝܫܐ ܠܡܥܒܕ ܘܠܐ ܐܝܠܢܐ ܒܝܫܐ ܦܐܪܐ ܛܒܐ ܠܡܥܒܕ | 18 |
अच्छो झाड़ बुरो फर नहीं लाय सकय, अऊर न बुरो झाड़ अच्छो फर लाय सकय हय।
ܟܠ ܐܝܠܢܐ ܕܠܐ ܥܒܕ ܦܐܪܐ ܛܒܐ ܡܬܦܤܩ ܘܒܢܘܪܐ ܢܦܠ | 19 |
जो जो झाड़ अच्छो फर नहीं लावय, ऊ काट क आगी म डाल दियो जावय हय।
ܡܕܝܢ ܡܢ ܦܐܪܝܗܘܢ ܬܕܥܘܢ ܐܢܘܢ | 20 |
यो तरह उन्को फर सी तुम भविष्यवक्तावों ख जान लेवो।
ܠܐ ܗܘܐ ܟܠ ܕܐܡܪ ܠܝ ܡܪܝ ܡܪܝ ܥܐܠ ܠܡܠܟܘܬܐ ܕܫܡܝܐ ܐܠܐ ܡܢ ܕܥܒܕ ܨܒܝܢܗ ܕܐܒܝ ܕܒܫܡܝܐ | 21 |
“जो मोरो सी, ‘हे प्रभु! हे प्रभु!’ कह्य हय, उन्म सी हर एक स्वर्ग को राज्य म सिर नहीं सकेंन, पर उच जो मोरो स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलय हय।
ܤܓܝܐܐ ܢܐܡܪܘܢ ܠܝ ܒܗܘ ܝܘܡܐ ܡܪܝ ܡܪܝ ܠܐ ܒܫܡܟ ܐܬܢܒܝܢ ܘܒܫܡܟ ܫܐܕܐ ܐܦܩܢ ܘܒܫܡܟ ܚܝܠܐ ܤܓܝܐܐ ܥܒܕܢ | 22 |
न्याय को दिन बहुत सो लोग मोरो सी कहेंन, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, का हम्न तोरो नाम सी भविष्यवानी नहीं करी, अऊर तोरो नाम सी दुष्ट आत्मावों ख नहीं निकाल्यो, अऊर तोरो नाम सी सामर्थ को काम नहीं करयो?’
ܘܗܝܕܝܢ ܐܘܕܐ ܠܗܘܢ ܕܡܢ ܡܬܘܡ ܠܐ ܝܕܥܬܟܘܢ ܐܪܚܩܘ ܠܟܘܢ ܡܢܝ ܦܠܚܝ ܥܘܠܐ | 23 |
तब मय उन्को सी खुल क कह्य देऊं, ‘मय न तुम्ख कभी नहीं जान्यो। हे कुकर्मियों मोरो जवर सी चली जावो।’
ܟܠ ܗܟܝܠ ܕܫܡܥ ܡܠܝ ܗܠܝܢ ܘܥܒܕ ܠܗܝܢ ܢܬܕܡܐ ܠܓܒܪܐ ܚܟܝܡܐ ܗܘ ܕܒܢܐ ܒܝܬܗ ܥܠ ܫܘܥܐ | 24 |
“येकोलायी जो कोयी मोरी या बाते सुन क उन्ख मानय हय, ऊ उन बुद्धिमान आदमी को जसो ठहरेंन जेन अपनो घर चट्टान पर बनायो।
ܘܢܚܬ ܡܛܪܐ ܘܐܬܘ ܢܗܪܘܬܐ ܘܢܫܒ ܪܘܚܐ ܘܐܬܛܪܝܘ ܒܗ ܒܒܝܬܐ ܗܘ ܘܠܐ ܢܦܠ ܫܬܐܤܘܗܝ ܓܝܪ ܥܠ ܫܘܥܐ ܤܝܡܢ ܗܘܝ | 25 |
अऊर पानी बरस्यो, अऊर बाढ़ आयी, अऊर आन्धिया चली, अऊर यो सब ऊ घर सी टकरायी, तब भी ऊ नहीं गिरयो, कहालीकि ओको नींव चट्टान पर डाल्यो गयो होतो।
ܘܟܠ ܡܢ ܕܫܡܥ ܡܠܝ ܗܠܝܢ ܘܠܐ ܥܒܕ ܠܗܝܢ ܢܬܕܡܐ ܠܓܒܪܐ ܤܟܠܐ ܕܒܢܐ ܒܝܬܗ ܥܠ ܚܠܐ | 26 |
“पर जो कोयी मोरी या बाते सुनय हय अऊर उन पर नहीं चलय, यो ऊ मूर्ख आदमी को जसो ठहरेंन जेन अपनो घर रेतु पर बनायो।
ܘܢܚܬ ܡܛܪܐ ܘܐܬܘ ܢܗܪܘܬܐ ܘܢܫܒ ܪܘܚܐ ܘܐܬܛܪܝܘ ܒܒܝܬܐ ܗܘ ܘܢܦܠ ܘܗܘܬ ܡܦܘܠܬܗ ܪܒܐ | 27 |
अऊर पानी बरस्यो, अऊर बाढ़ आयी, अऊर आन्धिया चली, अऊर ऊ घर सी टकरायी अऊर ऊ गिर क नाश भय गयो।”
ܘܗܘܐ ܕܟܕ ܫܠܡ ܝܫܘܥ ܡܠܐ ܗܠܝܢ ܬܗܝܪܝܢ ܗܘܘ ܟܢܫܐ ܥܠ ܝܘܠܦܢܗ | 28 |
जब यीशु या बाते कह्य चुक्यो, त असो भयो कि भीड़ ओको उपदेश सी चकित भयी,
ܡܠܦ ܗܘܐ ܠܗܘܢ ܓܝܪ ܐܝܟ ܡܫܠܛܐ ܘܠܐ ܐܝܟ ܤܦܪܝܗܘܢ ܘܦܪܝܫܐ | 29 |
कहालीकि ऊ उन्को धर्मशास्त्रियों को जसो नहीं पर अधिकार को जसो उन्ख उपदेश देत होतो।