< ܫܠܝ̈ܚܐ 5 >
ܘܓܒܪܐ ܚܕ ܕܫܡܗ ܗܘܐ ܚܢܢܝܐ ܥܡ ܐܢܬܬܗ ܕܫܡܗ ܗܘܐ ܫܦܝܪܐ ܙܒܢ ܗܘܐ ܩܪܝܬܗ | 1 |
१तेव्हा हनन्या नावाचा कोणी एक मनुष्य व त्याची पत्नी सप्पीरा यांनी आपली मालमत्ता विकली,
ܘܫܩܠ ܡܢ ܛܝܡܝܗ ܘܛܫܝ ܟܕ ܪܓܝܫܐ ܗܘܬ ܒܗ ܐܢܬܬܗ ܘܐܝܬܝ ܡܢܗ ܡܢ ܟܤܦܐ ܘܤܡ ܩܕܡ ܪܓܠܝܗܘܢ ܕܫܠܝܚܐ | 2 |
२मग त्याने त्या किंमतीतून काही भाग पत्नीच्या संमतीने ठेवून घेतला, आणि काही भाग आणून प्रेषितांच्या पायाशी ठेवला.
ܘܐܡܪ ܠܗ ܫܡܥܘܢ ܚܢܢܝܐ ܡܢܘ ܕܗܟܢܐ ܡܠܐ ܤܛܢܐ ܠܒܟ ܕܬܕܓܠ ܒܪܘܚܐ ܕܩܘܕܫܐ ܘܬܛܫܐ ܡܢ ܟܤܦܐ ܕܕܡܝܗ ܕܩܪܝܬܐ | 3 |
३तेव्हा पेत्र म्हणाला, हनन्या, तू पवित्र आत्म्याशी लबाडी करावी आणि जमिनीच्या किंमतीतून काही ठेवून घ्यावे म्हणून सैतानाने तुझे मन का भरले आहे?
ܠܐ ܗܘܐ ܕܝܠܟ ܗܘܬ ܥܕܠܐ ܬܙܕܒܢ ܘܡܢ ܕܐܙܕܒܢܬ ܬܘܒ ܐܢܬ ܫܠܝܛ ܗܘܝܬ ܥܠ ܕܡܝܗ ܠܡܢܐ ܤܡܬ ܒܠܒܟ ܕܬܥܒܕ ܨܒܘܬܐ ܗܕܐ ܠܐ ܕܓܠܬ ܒܒܢܝ ܐܢܫܐ ܐܠܐ ܒܐܠܗܐ | 4 |
४ती होती तोपर्यंत तुझी स्वतःची नव्हती काय? आणि ती विकल्यानंतर त्याची आलेली किंमत तुझ्याच स्वाधीन नव्हते काय? ही गोष्ट तू आपल्या मनात का आणली? तू मनुष्याशी नाही, तर देवाशी लबाडी केली आहे.
ܘܟܕ ܫܡܥ ܚܢܢܝܐ ܗܠܝܢ ܡܠܐ ܢܦܠ ܘܡܝܬ ܘܗܘܬ ܕܚܠܬܐ ܪܒܬܐ ܒܟܠܗܘܢ ܗܠܝܢ ܕܫܡܥܘ | 5 |
५तेव्हा हनन्याने हे शब्द ऐकताच खाली पडून प्राण सोडला. आणि हे ऐकणाऱ्या सर्वांना मोठे भय प्राप्त झाले.
ܘܩܡܘ ܐܝܠܝܢ ܕܥܠܝܡܝܢ ܒܗܘܢ ܘܟܢܫܘܗܝ ܘܐܦܩܘ ܩܒܪܘܗܝ | 6 |
६तेव्हा काही तरूणांनी उठून त्यास गुंडाळले, व बाहेर नेऊन पुरले.
ܘܡܢ ܒܬܪ ܕܗܘܝ ܬܠܬ ܫܥܝܢ ܐܦ ܐܢܬܬܗ ܥܠܬ ܟܕ ܠܐ ܝܕܥܐ ܗܘܬ ܡܢܐ ܗܘܐ | 7 |
७त्यानंतर सुमारे तीन तासांनतर त्याची पत्नी आत आली, पण जे झाले होते ते तिला समजले नव्हते.
ܐܡܪ ܠܗ ܫܡܥܘܢ ܐܡܪ ܠܝ ܐܢ ܒܗܠܝܢ ܕܡܝܐ ܙܒܢܬܘܢ ܩܪܝܬܐ ܗܝ ܕܝܢ ܐܡܪܬ ܐܝܢ ܒܗܠܝܢ ܕܡܝܐ | 8 |
८तेव्हा पेत्राने तिला म्हटले, “मला सांग तुम्ही एवढ्यालाच जमीन विकली काय.” आणि तिने म्हटले, “होय, एवढ्यालाच.”
ܐܡܪ ܠܗ ܫܡܥܘܢ ܡܛܠ ܕܐܫܬܘܝܬܘܢ ܠܡܢܤܝܘ ܪܘܚܗ ܕܡܪܝܐ ܗܐ ܪܓܠܝܗܘܢ ܕܩܒܘܪܘܗܝ ܕܒܥܠܟܝ ܒܬܪܥܐ ܘܗܢܘܢ ܢܦܩܘܢܟܝ | 9 |
९पण पेत्र तिला म्हणाला, “प्रभूच्या आत्म्याची परीक्षा पाहण्यास तुम्ही एकोपा का केला? पाहा ज्यांनी तुझ्या पतीला पुरले त्यांचे पाय दारापाशी आहेत, ते तुलाही उचलून बाहेर नेतील.”
ܘܒܗ ܒܫܥܬܐ ܢܦܠܬ ܩܕܡ ܪܓܠܝܗܘܢ ܘܡܝܬܬ ܘܥܠܘ ܥܠܝܡܐ ܗܢܘܢ ܘܐܫܟܚܘܗ ܟܕ ܡܝܬܐ ܘܩܦܤܘ ܐܘܒܠܘ ܩܒܪܘܗ ܥܠ ܓܢܒ ܒܥܠܗ | 10 |
१०तेव्हा लागलेच तिने त्यांच्या पायाजवळ पडून प्राण सोडला, आणि तरूण आत आले तेव्हा ती मरण पावलेली; अशी आढळली आणि त्यांनी तिला बाहेर नेऊन तिच्या पतीजवळ पुरले.
ܘܗܘܬ ܕܚܠܬܐ ܪܒܬܐ ܒܟܠܗ ܥܕܬܐ ܘܒܟܠܗܘܢ ܗܢܘܢ ܕܫܡܥܘ | 11 |
११आणि सर्व मंडळीला व ज्यांनी या गोष्टी ऐकल्या त्या सर्वांना मोठे भय प्राप्त झाले.
ܘܗܘܝܢ ܗܘܝ ܒܝܕ ܫܠܝܚܐ ܐܬܘܬܐ ܘܓܒܪܘܬܐ ܤܓܝܐܬܐ ܒܥܡܐ ܘܟܠܗܘܢ ܟܢܝܫܝܢ ܗܘܘ ܐܟܚܕܐ ܒܐܤܛܘܐ ܕܫܠܝܡܘܢ | 12 |
१२तेव्हा प्रेषितांच्या हातून लोकांमध्ये पुष्कळ चमत्कार व अद्भूते घडत असत. आणि ते सर्व एकचित्ताने शलमोनाच्या द्वारमंडपात जमत असत.
ܘܡܢ ܐܢܫܐ ܐܚܪܢܐ ܐܢܫ ܠܐ ܡܡܪܚ ܗܘܐ ܕܢܬܩܪܒ ܠܘܬܗܘܢ ܐܠܐ ܡܘܪܒ ܗܘܐ ܠܗܘܢ ܥܡܐ | 13 |
१३आणि अविश्वासी लोकांतला कोणी त्यांच्याशी मिळण्यास धजत नसे; तरी लोक त्यांना थोर मानीत असत,
ܘܝܬܝܪ ܡܬܬܘܤܦܢ ܗܘܘ ܐܝܠܝܢ ܕܡܗܝܡܢܝܢ ܗܘܘ ܒܡܪܝܐ ܟܢܫܐ ܕܓܒܪܐ ܘܕܢܫܐ | 14 |
१४इतकेच नव्हे तर विश्वास धरणारे पुष्कळ पुरूष व स्त्रिया यांचे समुदाय प्रभूला मिळत असत.
ܐܝܟܢܐ ܕܒܫܘܩܐ ܡܦܩܝܢ ܗܘܘ ܠܟܪܝܗܐ ܟܕ ܪܡܝܢ ܗܘܘ ܒܥܪܤܬܐ ܕܐܡܬܝ ܕܢܗܘܐ ܐܬܐ ܫܡܥܘܢ ܐܦܢ ܛܠܢܝܬܗ ܬܓܢ ܥܠܝܗܘܢ | 15 |
१५इतके चमत्कार घडले की लोकांनी दुखणेकऱ्यास उचलुन रस्त्यामध्ये आणले, आणि पेत्र जवळून येत असता त्याची सावली तरी त्यांच्यातील कोणावर पडावी म्हणून त्यांना बाजांवर व पलंगावर ठेवले.
ܐܬܝܢ ܗܘܘ ܕܝܢ ܤܓܝܐܐ ܠܘܬܗܘܢ ܡܢ ܡܕܝܢܬܐ ܐܚܪܢܝܬܐ ܕܚܕܪܝ ܐܘܪܫܠܡ ܟܕ ܡܝܬܝܢ ܗܘܘ ܟܪܝܗܐ ܘܐܝܠܝܢ ܕܗܘܝܢ ܗܘܝ ܠܗܘܢ ܪܘܚܐ ܛܢܦܬܐ ܘܡܬܚܠܡܝܢ ܗܘܘ ܟܠܗܘܢ | 16 |
१६आणखी यरूशलेम शहराच्या, आसपासच्या चहूकडल्या गावांतील लोकांचे समुदाय रोग्यास व अशुद्ध आत्म्यांनी पिडलेल्यांस घेउन येत असत.
ܘܐܬܡܠܝ ܗܘܐ ܚܤܡܐ ܪܒ ܟܗܢܐ ܘܟܠܗܘܢ ܕܥܡܗ ܕܐܝܬܝܗܘܢ ܗܘܘ ܡܢ ܝܘܠܦܢܐ ܕܙܕܘܩܝܐ | 17 |
१७तेव्हा महायाजक उठले आणि तो व त्याच्याबरोबर असलेले सर्व सदूकी पंथाचे लोक हे आवेशाने भरले.
ܘܐܪܡܝܘ ܐܝܕܝܐ ܥܠ ܫܠܝܚܐ ܘܐܚܕܘ ܐܤܪܘ ܐܢܘܢ ܒܝܬ ܐܤܝܪܐ | 18 |
१८आणि त्यांनी आपले हात प्रेषितांवर टाकून त्यांना सार्वजनिक बंदिशाळेत ठेवले.
ܗܝܕܝܢ ܒܠܠܝܐ ܡܠܐܟܐ ܕܡܪܝܐ ܦܬܚ ܬܪܥܐ ܕܒܝܬ ܐܤܝܪܐ ܘܐܦܩ ܐܢܘܢ ܘܐܡܪ ܠܗܘܢ | 19 |
१९परंतु त्यारात्री प्रभूच्या दूताने तुरुंगाचे दरवाजे उघडले व त्यांना बाहेर आणून म्हटले,
ܙܠܘ ܩܘܡܘ ܒܗܝܟܠܐ ܘܡܠܠܘ ܠܥܡܐ ܟܠܗܝܢ ܡܠܐ ܗܠܝܢ ܕܚܝܐ | 20 |
२०“जा, आणि परमेश्वराच्या भवनात उभे राहून या जीवनाचा सर्व संदेश लोकांस सांगा.”
ܘܢܦܩܘ ܥܕܢ ܫܦܪܐ ܘܥܠܘ ܠܗܝܟܠܐ ܘܡܠܦܝܢ ܗܘܘ ܪܒ ܟܗܢܐ ܕܝܢ ܘܐܝܠܝܢ ܕܥܡܗ ܩܪܘ ܠܚܒܪܝܗܘܢ ܘܠܩܫܝܫܐ ܕܐܝܤܪܝܠ ܘܫܕܪܘ ܠܒܝܬ ܐܤܝܪܐ ܕܢܝܬܘܢ ܐܢܘܢ ܠܫܠܝܚܐ | 21 |
२१हे ऐकून उजाडताच ते परमेश्वराच्या भवनामध्ये जाऊन शिक्षण देऊ लागले, इकडे महायाजक व त्यांच्याबरोबर जे होते त्यांनी येऊन न्यायसभा व इस्राएल लोकांचे संपूर्ण वडीलमंडळ एकत्र बोलावले, आणि त्यांना आणण्यास बंदिशाळेकडे पाठवले.
ܘܟܕ ܐܙܠܘ ܐܝܠܝܢ ܕܐܫܬܕܪܘ ܡܢܗܘܢ ܠܐ ܐܫܟܚܘ ܐܢܘܢ ܒܝܬ ܐܤܝܪܐ ܘܗܦܟܘ ܐܬܘ | 22 |
२२पण तिकडे गेलेल्या शिपायांना ते तुरुंगात सापडले नाहीत, म्हणून त्यांनी परत येऊन सांगितले,
ܐܡܪܝܢ ܐܫܟܚܢ ܒܝܬ ܐܤܝܪܐ ܕܐܚܝܕ ܙܗܝܪܐܝܬ ܘܐܦ ܠܢܛܘܪܐ ܕܩܝܡܝܢ ܥܠ ܬܪܥܐ ܘܦܬܚܢ ܘܐܢܫ ܠܐ ܐܫܟܚܢ ܬܡܢ | 23 |
२३“बंदिशाळा चांगल्या व्यवस्थेने बंद केलेली आणि दरवाजांपाशी पहारेकरी उभे राहिलेले आम्हास आढळले, परंतु तुरुंग उघडल्यावर आम्हास आत कोणी सापडले नाही.”
ܘܟܕ ܫܡܥܘ ܗܠܝܢ ܡܠܐ ܪܒܝ ܟܗܢܐ ܘܐܪܟܘܢܐ ܕܗܝܟܠܐ ܬܘܝܪܝܢ ܗܘܘ ܥܠܝܗܘܢ ܘܡܬܚܫܒܝܢ ܗܘܘ ܕܡܢܐ ܗܝ ܗܕܐ | 24 |
२४हे वर्तमान ऐकून याचा काय परिणाम होईल, ह्याविषयी परमेश्वराच्या भवनाचा सरदार व मुख्य याजक लोक घोटाळ्यात पडले.
ܘܐܬܐ ܐܢܫ ܐܘܕܥ ܐܢܘܢ ܕܗܢܘܢ ܓܒܪܐ ܕܚܒܫܬܘܢ ܒܝܬ ܐܤܝܪܐ ܗܐ ܩܝܡܝܢ ܒܗܝܟܠܐ ܘܡܠܦܝܢ ܠܥܡܐ | 25 |
२५इतक्यात कोणीतरी येऊन त्यांना असे सांगितले, पाहा, “ज्या मनुष्यास तुम्ही तुरुंगात ठेवले होते ते तर परमेश्वराच्या भवनात उभे राहून लोकांस शिक्षण देत आहेत.”
ܗܝܕܝܢ ܐܙܠܘ ܐܪܟܘܢܐ ܥܡ ܕܚܫܐ ܕܢܝܬܘܢ ܐܢܘܢ ܠܐ ܒܩܛܝܪܐ ܕܚܠܝܢ ܗܘܘ ܓܝܪ ܕܠܡܐ ܢܪܓܘܡ ܐܢܘܢ ܥܡܐ | 26 |
२६तेव्हा सरदाराने शिपायांसह जाऊन त्यांना जुलूम न करता आणले, कारण लोक आपणाला दगडमार करतील, असे त्यांना भय वाटत होते.
ܘܟܕ ܐܝܬܝܘ ܐܢܘܢ ܐܩܝܡܘ ܐܢܘܢ ܩܕܡ ܟܠܗ ܟܢܫܐ ܘܐܩܦ ܗܘܐ ܪܒ ܟܗܢܐ ܠܡܐܡܪ ܠܗܘܢ | 27 |
२७त्यांनी त्यांना आणून न्यायसभेपुढे उभे केले, तेव्हा महायाजकाने त्यांना विचारले,
ܠܐ ܗܘܐ ܡܦܩܕ ܦܩܕܢ ܗܘܝܢ ܠܟܘܢ ܕܠܐܢܫ ܠܐ ܬܠܦܘܢ ܒܫܡܐ ܗܢܐ ܐܢܬܘܢ ܕܝܢ ܗܐ ܡܠܝܬܘܢܗ ܠܐܘܪܫܠܡ ܡܢ ܝܘܠܦܢܟܘܢ ܘܨܒܝܢ ܐܢܬܘܢ ܕܬܝܬܘܢ ܥܠܝܢ ܕܡܗ ܕܓܒܪܐ ܗܢܐ | 28 |
२८“या नावाने शिक्षण देऊ नका, असे आम्ही तुम्हास निक्षून सांगितले होते की नाही, तरी पाहा, तुम्ही आपल्या शिकवणीने यरूशलेम शहर भरून टाकले आहे आणि या मनुष्याच्या रक्तपाताचा दोष आमच्यावर आणू पाहत आहात.”
ܥܢܐ ܫܡܥܘܢ ܥܡ ܫܠܝܚܐ ܘܐܡܪ ܠܗܘܢ ܠܐܠܗܐ ܘܠܐ ܠܡܬܛܦܤܘ ܝܬܝܪ ܡܢ ܕܠܒܢܝܢܫܐ | 29 |
२९परंतु पेत्राने व इतर प्रेषितांनी उत्तर दिले, “आम्ही मनुष्यांपेक्षा देवाची आज्ञा मानली पाहिजे,
ܐܠܗܐ ܕܐܒܗܬܢ ܐܩܝܡ ܠܝܫܘܥ ܐܝܢܐ ܕܐܢܬܘܢ ܩܛܠܬܘܢ ܟܕ ܬܠܝܬܘܢܝܗܝ ܥܠ ܩܝܤܐ | 30 |
३०ज्या येशूला तुम्ही वधस्तंभावर टांगून मारले, त्यास आपल्या पूर्वजांच्या देवाने उठवले.
ܠܗ ܠܗܢܐ ܐܩܝܡ ܐܠܗܐ ܪܫܐ ܘܡܚܝܢܐ ܘܐܪܝܡܗ ܒܝܡܝܢܗ ܐܝܟ ܕܢܬܠ ܬܝܒܘܬܐ ܘܫܘܒܩܢ ܚܛܗܐ ܠܐܝܤܪܝܠ | 31 |
३१त्याने इस्राएलाला पश्चात्ताप व पापांची क्षमा ही देणगी देण्याकरता देवाने त्यास आपल्या उजव्या हाताशी अधिपती व तारणारा असे उच्चपद दिले.
ܘܚܢܢ ܤܗܕܐ ܚܢܢ ܕܡܠܐ ܗܠܝܢ ܘܪܘܚܐ ܕܩܘܕܫܐ ܗܘ ܕܝܗܒ ܐܠܗܐ ܠܐܝܠܝܢ ܕܡܗܝܡܢܝܢ ܒܗ | 32 |
३२या गोष्टीविषयी आम्ही साक्षी आहोत आणि देवाने आपल्या आज्ञा पाळणाऱ्यांना जो पवित्र आत्मा दिला, आहे तो सुध्दा साक्षी आहे.”
ܘܟܕ ܫܡܥܘ ܗܘܘ ܗܠܝܢ ܡܠܐ ܡܬܓܘܙܠܝܢ ܗܘܘ ܒܪܘܓܙܐ ܘܡܬܚܫܒܝܢ ܗܘܘ ܠܡܩܛܠ ܐܢܘܢ | 33 |
३३हे ऐकून ते चिडून गेले आणि त्यांना जिवे मारण्याचा विचार करू लागले.
ܘܩܡ ܗܘܐ ܚܕ ܡܢ ܦܪܝܫܐ ܕܫܡܗ ܗܘܐ ܓܡܠܝܐܝܠ ܡܠܦ ܢܡܘܤܐ ܘܡܝܩܪ ܡܢ ܟܠܗ ܥܡܐ ܘܦܩܕ ܕܢܦܩܘܢ ܐܢܘܢ ܠܫܠܝܚܐ ܠܒܪ ܥܕܢܐ ܙܥܘܪܐ | 34 |
३४परंतु सर्व लोकांनी प्रतिष्ठित मानलेला गमलियेल नावाचा एक परूशी शास्त्राध्यापक होता, त्याने न्यायसभेत उभे राहून त्या मनुष्यांना थोडा वेळ बाहेर पाठवण्यास सांगितले.
ܘܐܡܪ ܠܗܘܢ ܓܒܪܐ ܒܢܝ ܐܝܤܪܝܠ ܐܙܕܗܪܘ ܒܢܦܫܟܘܢ ܘܚܙܘ ܡܢܐ ܘܠܐ ܠܟܘܢ ܠܡܥܒܕ ܥܠ ܗܠܝܢ ܐܢܫܐ | 35 |
३५मग तो त्यांना म्हणाला, “अहो इस्राएल लोकांनो, तुम्ही या मनुष्यांचे काय करणार ह्याविषयी जपून असा.
ܡܢ ܩܕܡ ܓܝܪ ܗܢܐ ܙܒܢܐ ܩܡ ܗܘܐ ܬܘܕܐ ܘܐܡܪ ܥܠ ܢܦܫܗ ܕܡܕܡ ܗܘ ܪܒ ܘܐܙܠܘ ܒܬܪܗ ܐܝܟ ܐܪܒܥܡܐܐ ܓ ܒܪܝܢ ܘܗܘ ܐܬܩܛܠ ܘܐܝܠܝܢ ܕܐܙܠܝܢ ܗܘܘ ܒܬܪܗ ܐܬܒܕܪܘ ܘܗܘܘ ܐܝܟ ܠܐ ܡܕܡ | 36 |
३६कारण काही दिवसांपूर्वी, थुदास हा पुढे येऊन मी कोणीतरी आहे, असे म्हणू लागला, त्यास सुमारे चारशे माणसे मिळाली. तो मारला गेला आणि जितके त्यास मानत होते त्या सर्वाची दाणादाण होऊन ते नाहीसे झाले.
ܘܩܡ ܡܢ ܒܬܪܗ ܝܗܘܕܐ ܓܠܝܠܝܐ ܒܝܘܡܬܐ ܕܡܬܟܬܒܝܢ ܗܘܘ ܐܢܫܐ ܒܟܤܦ ܪܫܐ ܘܐܤܛܝ ܥܡܐ ܤܓܝܐܐ ܒܬܪܗ ܘܗܘ ܡܝܬ ܘܟܠܗܘܢ ܐܝܠܝܢ ܕܐܙܠܝܢ ܗܘܘ ܒܬܪܗ ܐܬܒܕܪܘ | 37 |
३७त्याच्यामागून गालीलकर यहूदा नावनिशी होण्याच्या दिवसात पुढे आला व त्याने पुष्कळ लोकांस फितवून आपल्या नादी लावले त्याचाही नाश झाला. व जितके त्यास मानत होते त्या सर्वांची पांगापांग झाली.
ܘܗܫܐ ܐܡܪ ܐܢܐ ܠܟܘܢ ܦܪܘܩܘ ܠܟܘܢ ܡܢ ܗܠܝܢ ܐܢܫܐ ܘܫܒܘܩܘ ܠܗܘܢ ܕܐܢ ܗܘ ܕܡܢ ܒܢܝܢܫܐ ܐܝܬܝܗ ܗܕܐ ܡܚܫܒܬܐ ܘܗܢܐ ܥܒܕܐ ܡܫܬܪܝܢ ܘܥܒܪܝܢ | 38 |
३८म्हणून मी तुम्हास आता सांगतो, या मनुष्यांपासून दूर राहा व त्याना जाऊ द्या कारण हा बेत किंवा हे कार्य मनुष्याचे असल्यास नष्ट होईल.
ܐܢ ܕܝܢ ܡܢ ܐܠܗܐ ܗܘ ܠܐ ܡܛܝܐ ܒܐܝܕܝܟܘܢ ܕܬܒܛܠܘܢܝܗܝ ܕܠܡܐ ܬܫܬܟܚܘܢ ܠܟܘܢ ܕܠܘܩܒܠ ܐܠܗܐ ܩܝܡܝܢ ܐܢܬܘܢ | 39 |
३९परंतु ते देवाचे असल्यास तुम्हास ते नष्ट करता यावयाचे नाही, तुम्ही मात्र देवाचे विरोधी ठराल.”
ܘܐܬܛܦܝܤܘ ܠܗ ܘܩܪܘ ܐܢܘܢ ܠܫܠܝܚܐ ܘܢܓܕܘ ܐܢܘܢ ܘܦܩܕܘ ܐܢܘܢ ܕܠܐ ܢܗܘܘܢ ܡܡܠܠܝܢ ܒܫܡܐ ܕܝܫܘܥ ܘܫܪܘ ܐܢܘܢ | 40 |
४०तेव्हा त्यांनी त्याचे सांगणे मान्य केले, त्यांनी प्रेषितांना बोलावून त्यांना मारहाण केली आणि येशूच्या नावाने बोलू नका असे निक्षून सांगून त्यांना सोडून दिले.
ܘܢܦܩܘ ܡܢ ܩܕܡܝܗܘܢ ܟܕ ܚܕܝܢ ܕܫܘܘ ܗܘܘ ܡܛܠ ܫܡܐ ܕܢܨܛܥܪܘܢ | 41 |
४१ते तर त्या नावासाठी आपण अपमानास पात्र ठरविण्यांत आलो म्हणून आनंद करीत न्यायसभेपुढून निघून गेले.
ܘܠܐ ܫܠܝܢ ܗܘܘ ܟܠܝܘܡ ܠܡܠܦܘ ܒܗܝܟܠܐ ܘܒܒܝܬܐ ܘܠܡܤܒܪܘ ܥܠ ܡܪܢ ܝܫܘܥ ܡܫܝܚܐ | 42 |
४२आणि दररोज, परमेश्वराच्या भवनात व घरोघर शिकवण्याचे, व येशू हाच ख्रिस्त आहे ही सुवार्ता गाजविण्याचे त्यांनी सोडले नाही.