< زَكَريّا 9 >
وَحْيُ قَضَاءِ الرَّبِّ بِعِقَابِ أَرْضِ حَدْرَاخَ وَدِمَشْقَ، لأَنَّ أَعْيُنَ النَّاسِ وَسَائِرِ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ نَحْوَ الرَّبِّ. | ١ 1 |
बनी आदम और ख़ुसूसन कुल क़बाइल — ए — इस्राईल की आँखें ख़ुदावन्द पर लगी हैं। ख़ुदावन्द की तरफ़ से सर ज़मीन — ए — और दमिश्क़ के ख़िलाफ़ बार — ए — नबूव्वत;
وَكَذَلِكَ قَضَاءِ الرَّبِّ عَلَى حَمَاةَ الْمُتَاخِمَةِ لِدِمَشْقَ، وَعَلَى صُورَ وَصِيدُونَ الْمُتَّصِفَتَيْنِ بِالْحِكْمَةِ: | ٢ 2 |
हमात के खिलाफ़ जो उनसे सूर और सैदा के खिलाफ़ जो अपनी नज़र में बहुत 'अक़्लमन्द हैं।
«قَدْ بَنَتْ صُورُ حِصْناً لِنَفْسِهَا وَادَّخَرَتِ الْفِضَّةَ كَالتُّرَابِ وَالذَّهَبَ كَطِينِ الشَّوَارِعِ. | ٣ 3 |
सूर ने अपने लिए मज़बूत क़िला' मिट्टी की तरह चाँदी के तूदे लगाए और गलियों की कीच की तरह सोने के ढेर।
وَلَكِنْ هَا الرَّبُّ يُجَرِّدُهَا مِنْ مُمْتَلَكَاتِهَا، وَيَطْرَحُ عِزَّتَهَا إِلَى الْبَحْرِ، وَتَلْتَهِمُهَا النِّيرَانُ. | ٤ 4 |
देखो ख़ुदावन्द उसे ख़ारिज कर देगा, उसके ग़ुरूर को समुन्दर में डाल देगा: और आग उसको खा जाएगी।
فَتَشْهَدُ مَدِينَةُ أَشْقَلُونَ هَذَا فَتَفْزَعُ، وَتَتَلَوَّى غَزَّةُ أَلَماً. تَتَوَجَّعُ عَقْرُونُ أَيْضاً لأَنَّ رَجَاءَهَا قَدْ تَبَدَّدَ. يَهْلِكُ مَلِكُ غَزَّةَ وَتُصْبِحُ أَشْقَلُونُ مُوْحِشَةً. | ٥ 5 |
अस्क़लोन देखकर डर जाएगा ग़ज़्ज़ा भी सख़्त दर्द में मुब्तिला होगा, अक़रून भी क्यूँकि उसकी उम्मीद टूट गई और ग़ज़्ज़ा से बादशाही जाती रहेगी, अस्क़लोन बे चिराग़ हो जाएगा।
وَيَسْتَوْطِنُ الزَّنِيمُ فِي أَشْدُودَ، وَيَسْتَأْصِلُ الرَّبُّ كِبْرِيَاءَ الْفِلِسْطِينِيِّينَ. | ٦ 6 |
और एक अजनबी ज़ादा अशदूद में तख़्त नशीन होगा और मैं फ़िलिस्तियों का ग़ुरूर मिटाऊँगा।
لَا يَعُودُونَ يَأْكُلُونَ لَحْماً بِدَمِهِ أَوْ طَعَاماً نَجِساً وَيُصْبِحُونَ هُمْ أَيْضاً بَقِيَّةً نَاجِيَةً لِلرَّبِّ، يَصِيرُونَ كَعَشِيرَةٍ فِي سِبْطِ يَهُوذَا، وَتَغْدُو عَقْرُونُ نَظِيرَ الْيَبُوسِيِّينَ. | ٧ 7 |
और मैं उसके खू़न को उसके मुँह से और उसकी मकरूहात उसके दाँतों से निकाल डाललूँगा, और वह भी हमारे ख़ुदा के लिए बक़िया होगा और वह यहूदाह में सरदार होगा और अक़रून यबूसियों की तरह होंगे।
ثُمَّ أُعَسْكِرُ حَوْلَ شَعْبِي لأَحْفَظَهُ مِنْ غَزْوَاتِ الْجُيُوشِ فِي ذِهَابِهَا وَإِيَابِهَا، فَلا يُذِلُّهُمْ مُسْتَعْمِرٌ، لأَنِّي رَأَيْتُ الآنَ بِعَيْنَيَّ مُعَانَاتَهُمْ». | ٨ 8 |
और मैं मुख़ालिफ़ फ़ौज के मुक़ाबिल अपने घर की चारों तरफ़ खै़माज़न हूँगा ताकि कोई उसमें से आमद — ओ — रफ़्त न कर सके; फिर कोई ज़ालिम उनके बीच से न गुज़रेगा क्यूँकि अब मैंने अपनी आँखों से देख लिया है।
«ابْتَهِجِي جِدّاً يَا ابْنَةَ صِهْيَوْنَ وَاهْتُفِي يَا ابْنَةَ أُورُشَلِيمَ، لأَنَّ هُوَذَا مَلِكُكِ مُقْبِلٌ إِلَيْكِ. هُوَ عَادِلٌ ظَافِرٌ، وَلَكِنَّهُ وَدِيعٌ رَاكِبٌ عَلَى أَتَانٍ، عَلَى جَحْشٍ ابْنِ أَتَانٍ. | ٩ 9 |
ऐ बिन्त — ए — सिय्यून तू निहायत शादमान हो! ऐ दुख़्तर — ए — येरूशलेम, ख़ूब ललकार क्यूँकि देख तेरा बादशाह तेरे पास आता है; वह सादिक है, नजात उसके हाथ में है वह हलीम है और गधे पर बल्कि जवान गधे पर सवार है।
وَأَسْتَأْصِلُ الْمَرْكَبَاتِ الْحَرْبِيَّةَ مِنْ أَفْرَايِمَ، وَالْخَيْلَ مِنْ أُورُشَلِيمَ، وَتَبِيدُ أَقْوَاسُ الْقِتَالِ، وَيَشِيعُ السَّلامُ بَيْنَ الأُمَمِ، وَيَمْتَدُّ مُلْكُهُ مِنَ الْبَحْرِ إِلَى الْبَحْرِ، وَمِنْ نَهْرِ الْفُرَاتِ إِلَى أَقَاصِي الأَرْضِ. | ١٠ 10 |
और मैं इफ़्राईम से रथ, येरूशलेम से घोड़े काट डालूँगा और जंगी कमान तोड़ डाली जाएगी और वह क़ौमों को सुलह का मुज़दा देगा और उसकी सल्तनत समुन्दर से समन्दर तक और दरिया — ए — फ़ुरात से इन्तिहाए — ज़मीन तक होगी।
أَمَّا أَنْتُمْ فَبِفَضْلِ دَمِ عَهْدِي مَعَكُمْ أُطْلِقُ أَسْرَاكُمْ مِنَ الْجُبِّ الَّذِي لَا مَاءَ فِيهِ. | ١١ 11 |
और तेरे बारे में यूँ है कि तेरे 'अहद के खू़न की वजह से, तेरे ग़ुलामों को अंधे कुंए से निकाल लाया।
ارْجِعُوا إِلَى الْحِصْنِ يَا أَسْرَى الرَّجَاءِ، فَأَنَا أُعْلِنُ الْيَوْمَ أَنِّي أُضَاعِفُ لَكُمُ الأَجْرَ لِقَاءَ مَا عَانَيْتُمْ مِنْ وَيْلاتٍ. | ١٢ 12 |
मैं आज बताता हूँ कि तुझ को दो बदला दूँगा, “ऐ उम्मीदवार, ग़ुलामों क़िले' वापस आओ।”
هَا أَنَا أُوَتِّرُ يَهُوذَا كَقَوْسٍ وَأَجْعَلُ أَفْرَايِمَ كَسَهْمٍ وَأُثِيرُ رِجَالَ صِهْيَوْنَ عَلَى أَبْنَاءِ الْيُونَانِ فَتَكُونِينَ كَسَيْفِ جَبَّارٍ. | ١٣ 13 |
क्यूँकि मैंने यहूदाह को कमान की तरह झुकाया और इफ़्राईम को तीर की तरह लगाया, और ऐ सिय्यून, मैं तेरे फ़र्ज़न्दों को यूनान के फ़र्ज़न्दों के ख़िलाफ़ बरअन्गेख़ता करूँगा, तुझे पहलवान की तलवार की तरह बनाऊँगा।
ثُمَّ يَتَجَلَّى الرَّبُّ، وَيَنْفُذُ سَهْمُهُ كَالْبَرْقِ. يَنْفُخُ السَّيِّدُ الرَّبُّ بِالْبُوقِ وَيَقْتَحِمُ فِي زَوَابِعِ الْجَنُوبِ. | ١٤ 14 |
और ख़ुदावन्द उनके ऊपर दिखाई देगा उसके तीर बिजली की तरह निकलेंगे; हाँ ख़ुदावन्द ख़ुदा नरसिंगा फूँकेगा और दक्खिनी बगोलों के साथ खुरूज करेगा।
يَقِيهُمُ الرَّبُّ الْقَدِيرُ فَلا تَنَالُهُمْ حِجَارَةُ الْمِقْلاعِ، بَلْ تَقْصُرُ عَنْهُمْ وَيَطَأُونَهَا، وَيَشْرَبُونَ مِنْ دِمَاءِ أَعْدَائِهِمْ وَيَصْخَبُونَ كَالسُّكَارَى مِنَ الْخَمْرِ وَيَمْتَلِئُونَ كَمَنَاضِحِ الْمُحْرَقَاتِ وَزَوَايَا الْمَذْبَحِ. | ١٥ 15 |
और रब्ब — उल — अफ़वाज उनकी हिमायत करेगा और वह दुश्मनों को निगलेंगे, और फ़लाख़न के पत्थरों को पायमाल करेंगे और पीकर मतवालों की तरह शोर मचायेंगे और कटोरों और मज़बह के कोनों की तरह मा'मूर होंगे।
فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ يُخَلِّصُهُمُ الرَّبُّ إِلَهُهُمْ لأَنَّهُمْ شَعْبُهُ قَطِيعُهُ، وَيَتَأَلَّقُونَ فِي أَرْضِهِ كَحِجَارَةٍ كَرِيمَةٍ مُرَصَّعَةٍ فِي تَاجٍ. | ١٦ 16 |
और ख़ुदावन्द उनका ख़ुदा उस दिन उनको अपनी भेंड़ों की तरह बचा लेगा, क्यूँकि वह ताज के जवाहर की तरह होंगे, जो उसके मुल्क में सरफ़राज़
فَمَا أَجْمَلَهُمْ وَمَا أَبْهَاهُمْ! الْحِنْطَةُ تَجْعَلُ الْفِتْيَانَ أَكْثَرَ ازْدِهَاراً، وَالْخَمْرَةُ تَجْعَلُ الْفَتَيَاتِ أَكْثَرَ نُضْرَةً». | ١٧ 17 |
क्यूँकि उनकी खुशहाली 'अज़ीम और उनका जमाल खू़ब है, नौजवान ग़ल्ले से बढ़ेंगे और लड़कियाँ नई शराब से नश्व — ओ — नुमा पाएँगी।