< نَشِيد الأنشاد 2 >
(الْمَحْبُوبَةُ): أَنَا وَرْدَةُ شَارُونَ، سُوسَنَةُ الأَوْدِيَةِ. | ١ 1 |
मैं शारोन का गुलाब हूं, घाटियों की कुमुदिनी.
(المُحِبُّ): كَسُوسَنَةٍ بَيْنَ أَشْوَاكٍ، هَكَذَا حَبِيبَتِي بَيْنَ الْبَنَاتِ. | ٢ 2 |
कन्याओं के बीच मेरी प्रिया कांटों के बीच कुमुदिनी के समान है.
(الْمَحْبُوبَةُ): حَبِيبِي بَيْنَ الْفِتْيَانِ كَشَجَرَةِ تُفَّاحٍ بَيْنَ أَشْجَارِ الْوَعْرِ، تَحْتَ ظِلِّهِ اشْتَهَيْتُ أَنْ أَجْلِسَ، وَثَمَرُهُ حُلْوٌ لِحَلْقِي. | ٣ 3 |
मेरा प्रियतम जवानों के बीच वैसा ही लगता है, जैसा जंगली पेड़ों के बीच एक सेब का पेड़. उसकी छाया में मेरा बैठना सुखद अनुभव था, मीठा था उसके फल का स्वाद.
أَتَى بِي إِلَى قَاعَةِ احْتِفَالِهِ، وَرَايَتُهُ فَوْقِي مَحَبَّةٌ. | ٤ 4 |
वह मुझे अपने महाभोज के कमरे में ले आया, तथा प्रेम ही मुझ पर उसका झंडा है.
أَسْنِدُونِي بِأَقْرَاصِ الزَّبِيبِ، أَنْعِشُونِي بِالتُّفَّاحِ، فَإِنِّي مَرِيضَةٌ حُبّاً. | ٥ 5 |
अंगूर की टिकियों से मुझमें बल भर दो, सेब खिलाकर मुझमें नई ताज़गी भर दो, क्योंकि मुझे प्रेम रोग हो गया है.
شِمَالُهُ تَحْتَ رَأْسِي، وَيَمِينُهُ تُعَانِقُنِي. | ٦ 6 |
उसका बायां हाथ मेरे सिर के नीचे हो, तथा दाएं हाथ से वह मेरा आलिंगन करे.
أَسْتَحْلِفُكُنَّ يَا بَنَاتِ أُورُشَلِيمَ بِظِبَاءِ الصَّحْرَاءِ وَأَيَائِلِهَا أَلّا تُوْقِظْنَ أَوْ تُنَبِّهْنَ حَبِيبِي حَتَّى يَشَاءَ. | ٧ 7 |
येरूशलेम की कन्याओ, तुम्हें मैदान के हिरणों तथा हिरणियों की शपथ, मुझको वचन दो, जब तक सही समय न आए, मेरे प्रेम को न जगाना.
هَذَا صَوْتُ حَبِيبِي! هَا هُوَ آتٍ طَافِراً عَلَى الْجِبَالِ وَاثِباً فَوْقَ التِّلالِ. | ٨ 8 |
सुनो-सुनो! मेरा प्रियतम आ रहा है, पर्वतों को पार कर, पहाड़ियों पर उछलते हुए.
حَبِيبِي كَظَبْيٍ أَوْ كَالأُيَّلِ الْفَتِيِّ. هَا هُوَ وَاقِفٌ وَرَاءَ جِدَارِنَا يَرْنُو مِنَ الْكُوَى وَيَسْتَرِقُ النَّظَرَ مِنْ خِلالِ النَّوَافِذِ الْمُشَبَّكَةِ. | ٩ 9 |
मेरा प्रियतम एक चिंकारे अथवा एक हिरण के समान है. वह देखो, वह हमारी दीवार के पीछे ही खड़ा है, वह खिड़कियों में से देख रहा है, वह जाली में से झांक रहा है.
خَاطَبَنِي حَبِيبِي وَقَالَ: انْهَضِي يَا حَبِيبَتِي يَا جَمِيلَتِي وَتَعَالَيْ مَعِي، | ١٠ 10 |
इसके उत्तर में मेरे प्रियतम ने मुझसे कहा, “उठो, मेरी प्रियतमा, मेरी सुंदरी, मेरे साथ चलो.
فَهَا الشِّتَاءُ قَدِ انْقَضَى، وَكَفَّ الْمَطَرُ وَزَالَ. | ١١ 11 |
क्योंकि देख लो! जाड़ा जा रहा है; वर्षा ऋतु भी हो चुकी है.
وَأَزْهَرَتِ الأَرْضُ، وَحَلَّ مَوْسِمُ التَّغْريِدِ، وَتَرَدَّدَ هَدِيلُ الْيَمَامِ فِي أَرْضِنَا. | ١٢ 12 |
देश में फूल खिल चुके हैं; गुनगुनाने का समय आ चुका है, हमारे देश में कबूतरों का गीत सुनाई देने लगा है.
قَدْ أَنْبَتَتِ التِّينَةُ فِجَّهَا، وَنَشَرَتِ الْكُرُومُ الْمُزْهِرَةُ عَبِيرَهَا، فَانْهَضِي يَا حَبِيبَتِيِ يَا جَمِيلَتِي وَتَعَالَيْ. | ١٣ 13 |
अंजीर के पेड़ में अंजीर पक चुके हैं; लताओं पर खिले फूल सुगंध फैला रहे हैं. उठो, मेरी प्रियतमा; मेरी सुंदरी, मेरे साथ चलो.”
(المُحِبُّ): يَا حَمَامَتِي الْمُحْتَمِيَةَ بِشُقُوقِ الصَّخْرِ وَمَخَابِئِ الْجِبَالِ، أَرِينِي وَجْهَكِ وَأَسْمِعِينِي صَوْتَكِ، لأَنَّ صَوْتَكِ عَذْبٌ وَمُحَيَّاكِ رَائِعٌ. | ١٤ 14 |
चट्टान की दरारों में, चढ़ाई के रास्ते के गुप्त स्थानों में बैठी मेरी कबूतरी, मैं तुम्हारा मुख देखना चाहता हूं, मैं तुम्हारी आवाज सुनना चाहता हूं; क्योंकि मीठी है तुम्हारी आवाज, सुंदर है तुम्हारा मुखमंडल.
اقْتَنِصُوا لَنَا الثَّعَالِبَ الصِّغَارَ الَّتِي تُتْلِفُ الْكُرُومَ، فَإِنَّ كُرُومَنَا قَدْ أَزْهَرَتْ. | ١٥ 15 |
हमारे लिए उन लोमड़ियों को पकड़ लो, उन छोटी लोमड़ियों को, जो हमारे अंगूर के बगीचों को नष्ट कर रही हैं, जब हमारे अंगूर के बगीचों में फूल खिल रहे हैं.
(الْمَحْبُوبَةُ): حَبِيبِي لِي وَأَنَا لَهُ، هُوَ يَرْعَى قَطِيعَهُ بَيْنَ السَّوْسَنِ. | ١٦ 16 |
मेरा प्रियतम सिर्फ मेरा ही है और मैं उसकी; वह अपनी भेड़-बकरियों को सोसन के फूलों के बीच में चरा रहा है.
إِلَى أَنْ يَطْلَعَ النَّهَارُ وَتَنْهَزِمَ الظِّلالُ، ارْجِعْ يَا حَبِيبِي وَكُنْ كَالظَّبْيِ أَوِ الأُيَّلِ الْفَتِيِّ عَلَى جِبَالِ الأَطْيَابِ. | ١٧ 17 |
शाम के आने तक जब छाया मिटने लगती है, मेरे प्रिय, बतेर पहाड़ों पर के हिरण के समान, हां, हिरण के बच्चे के समान लौट आओ.