< راعُوث 1 >

وَعَمَّتْ مَجَاعَةٌ فِي الْبِلادِ فِي أَيَّامِ حُكْمِ الْقُضَاةِ، فَتَغَرَّبَ رَجُلٌ مِنْ بَيْتِ لَحْمِ يَهُوذَا فِي أَرْضِ مُوآبَ مَعَ امْرَأَتِهِ وَابْنَيْهِ. ١ 1
जिन दिनों में न्यायी लोग राज्य करते थे उन दिनों में देश में अकाल पड़ा, तब यहूदा के बैतलहम का एक पुरुष अपनी स्त्री और दोनों पुत्रों को संग लेकर मोआब के देश में परदेशी होकर रहने के लिए चला।
وَكَانَ اسْمُ الرَّجُلِ أَلِيمَالِكَ وَاسْمُ امْرَأَتِهِ نُعْمِي، وَاسْمَا وَلَدَيْهِ مَحْلُونَ وَكِلْيُونَ، وَهُمْ أَفْرَاتِيُّونَ مِنْ بَيْتِ لَحْمِ يَهُوذَا، فَارْتَحَلُوا إِلَى بِلادِ مُوآبَ وَأَقَامُوا فِيهَا. ٢ 2
उस पुरुष का नाम एलीमेलेक, और उसकी पत्नी का नाम नाओमी, और उसके दो बेटों के नाम महलोन और किल्योन थे; ये एप्राती अर्थात् यहूदा के बैतलहम के रहनेवाले थे। वे मोआब के देश में आकर वहाँ रहे।
وَمَاتَ أَلِيمَالِكُ زَوْجُ نُعْمِي تَارِكاً زَوْجَتَهُ وَوَلَدَيْهِ ٣ 3
और नाओमी का पति एलीमेलेक मर गया, और नाओमी और उसके दोनों पुत्र रह गए।
اللَّذَيْنِ تَزَوَّجَا مِنِ امْرَأَتَيْنِ مُوآبِيَّتَيْنِ، اسْمُ إِحْدَاهُمَا عُرْفَةُ وَالأُخْرَى رَاعُوثُ. وَأَقَامَا هُنَاكَ نَحْوَ عَشْرِ سَنَوَاتٍ. ٤ 4
और उन्होंने एक-एक मोआबिन स्त्री ब्याह ली; एक स्त्री का नाम ओर्पा और दूसरी का नाम रूत था। फिर वे वहाँ कोई दस वर्ष रहे।
ثُمَّ مَاتَ مَحْلُونُ وَكِلْيُونُ، وَهَكَذَا فَقَدَتِ الْمَرْأَةُ زَوْجَهَا وَابْنَيْهَا وَأَصْبَحَتْ وَحِيدَةً. ٥ 5
जब महलोन और किल्योन दोनों मर गए, तब नाओमी अपने दोनों पुत्रों और पति से वंचित हो गई।
وَسَمِعَتْ نُعْمِي وَهِيَ مَازَالَتْ فِي أَرْضِ مُوآبَ أَنَّ الرَّبَّ قَدْ بَارَكَ شَعْبَهُ وَأَخْصَبَ أَرْضَهُمْ، ٦ 6
तब वह मोआब के देश में यह सुनकर, कि यहोवा ने अपनी प्रजा के लोगों की सुधि ले के उन्हें भोजनवस्तु दी है, उस देश से अपनी दोनों बहुओं समेत लौट जाने को चली।
فَقَامَتْ هِيَ وَكَنَّتَاهَا وَانْطَلَقَتْ مِنْ مُوآبَ نَحْوَ بِلادِهَا، وَرَافَقَتْهَا كَنَّتَاهَا فِي طَرِيقِ الْعَوْدَةِ إِلَى أَرْضِ يَهُوذَا. ٧ 7
अतः वह अपनी दोनों बहुओं समेत उस स्थान से जहाँ रहती थी निकली, और उन्होंने यहूदा देश को लौट जाने का मार्ग लिया।
فَقَالَتْ نُعْمِي لِكَنَّتَيْهَا: «هَيَّا لِتَرْجِعْ كُلٌّ مِنْكُمَا إِلَى بَيْتِ أُمِّهَا، وَلْيُبَارِكْكُمَا الرَّبُّ كَمَا أَحْسَنْتُمَا إِلَيَّ وَإِلَى زَوْجَيْكُمَا الْمُتَوَفَّيَيْنِ. ٨ 8
तब नाओमी ने अपनी दोनों बहुओं से कहा, “तुम अपने-अपने मायके लौट जाओ। और जैसे तुम ने उनसे जो मर गए हैं और मुझसे भी प्रीति की है, वैसे ही यहोवा तुम पर कृपा करे।
وَلْيُنْعِمِ الرَّبُّ عَلَى كُلِّ وَاحِدَةٍ مِنْكُمَا بِزِيجَةٍ أُخْرَى سَعِيدَةٍ». وَقَبَّلَتْهُمَا وَانْخَرَطْنَ جَمِيعاً فِي الْبُكَاءِ بِصَوْتٍ مُرْتَفِعٍ. ٩ 9
यहोवा ऐसा करे कि तुम फिर अपने-अपने पति के घर में विश्राम पाओ।” तब नाओमी ने उनको चूमा, और वे चिल्ला चिल्लाकर रोने लगीं,
وَلَكِنَّهُمَا قَالَتَا لَهَا: «لا، سَنَمْضِي مَعَكِ إِلَى شَعْبِكِ». ١٠ 10
१०और उससे कहा, “निश्चय हम तेरे संग तेरे लोगों के पास चलेंगी।”
فَأَجَابَتْ نُعْمِي: «ارْجِعَا يَا ابْنَتَيَّ. لِمَاذَا تَأْتِيَانِ مَعِي؟ هَلْ أَنَا قَادِرَةٌ بَعْدُ عَلَى إِنْجَابِ بَنِينَ حَتَّى يَكْبُرُوا فَيَكُونُوا لَكُمَا زَوْجَيْنِ؟ ١١ 11
११पर नाओमी ने कहा, “हे मेरी बेटियों, लौट जाओ, तुम क्यों मेरे संग चलोगी? क्या मेरी कोख में और पुत्र हैं जो तुम्हारे पति हों?
عُودَا يَا ابْنَتَيَّ، وَاذْهَبَا، فَأَنَا قَدْ شِخْتُ، وَلَمْ أَعُدْ صَالِحَةً لأَكُونَ زَوْجَةَ رَجُلٍ. وَحَتَّى لَوْ أَمَّلْتُ أَنْ أَتَزَوَّجَ اللَّيْلَةَ وَأُنْجِبَ بَنِينَ أَيْضاً، ١٢ 12
१२हे मेरी बेटियों, लौटकर चली जाओ, क्योंकि मैं पति करने को बूढ़ी हो चुकी हूँ। और चाहे मैं कहती भी, कि मुझे आशा है, और आज की रात मेरा पति होता भी, और मेरे पुत्र भी होते,
فَهَلْ تَنْتَظِرَانِ حَتَّى يَكْبُرُوا؟ وَهَلْ تَمْتَنِعَانِ عَنِ الزَّوَاجِ مِنْ أَجْلِهِمْ؟ لَا يَا ابْنَتَيَّ، فَإِنَّنِي حَزِينَةٌ جِدّاً مِنْ أَجْلِكُمَا لأَنَّ يَدَ الرَّبِّ قَدْ عَاقَبَتْنِي فَأَصَابَكُمَا الضَّرَرُ أَيْضاً». ١٣ 13
१३तो भी क्या तुम उनके सयाने होने तक आशा लगाए ठहरी रहतीं? और उनके निमित्त पति करने से रुकी रहतीं? हे मेरी बेटियों, ऐसा न हो, क्योंकि मेरा दुःख तुम्हारे दुःख से बहुत बढ़कर है; देखो, यहोवा का हाथ मेरे विरुद्ध उठा है।”
ثُمَّ أَجْهَشْنَ ثَانِيَةً فِي الْبُكَاءِ بِصَوْتٍ مُرْتَفِعٍ. وَقَبَّلَتْ عُرْفَةُ حَمَاتَهَا وَفَارَقَتْهَا، أَمَّا رَاعُوثُ فَالْتَصَقَتْ بِها. ١٤ 14
१४तब वे चिल्ला चिल्लाकर फिर से रोने लगीं; और ओर्पा ने तो अपनी सास को चूमा, परन्तु रूत उससे अलग न हुई।
فَقَالَتْ نُعْمِي لَهَا: «هَا سِلْفَتُكِ قَدْ رَجَعَتْ إِلَى قَوْمِهَا وَآلِهَتِهَا، فَافْعَلِي أَنْتِ مِثْلَهَا». ١٥ 15
१५तब नाओमी ने कहा, “देख, तेरी जिठानी तो अपने लोगों और अपने देवता के पास लौट गई है; इसलिए तू अपनी जिठानी के पीछे लौट जा।”
فَأَجَابَتْهَا رَاعُوثُ: «لا تُلِحِّي عَلَيَّ كَيْ أَتْرُكَكِ وَأُفَارِقَكِ، لأَنَّهُ حَيْثُمَا ذَهَبْتِ أَذْهَبُ، وَحَيْثُمَا مَكَثْتِ أَمْكُثُ. شَعْبُكِ شَعْبِي، وَإِلَهُكِ إِلَهِي. ١٦ 16
१६पर रूत बोली, “तू मुझसे यह विनती न कर, कि मुझे त्याग या छोड़कर लौट जा; क्योंकि जिधर तू जाएगी उधर मैं भी जाऊँगी; जहाँ तू टिके वहाँ मैं भी टिकूँगी; तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा;
حَيْثُمَا مُتِّ أَمُوتُ وَأُدْفَنُ. وَلْيُعَاقِبْنِي الرَّبُّ أَشَدَّ عِقَابٍ إِنْ تَخَلَّيْتُ عَنْكِ، وَلَنْ يُفَرِّقَنِي عَنْكِ سِوَى الْمَوْتِ». ١٧ 17
१७जहाँ तू मरेगी वहाँ मैं भी मरूँगी, और वहीं मुझे मिट्टी दी जाएगी। यदि मृत्यु छोड़ और किसी कारण मैं तुझ से अलग होऊँ, तो यहोवा मुझसे वैसा ही वरन् उससे भी अधिक करे।”
فَلَمَّا رَأَتْ أَنَّهَا مُصِرَّةٌ عَلَى الذَّهَابِ مَعَهَا، كَفَّتْ عَنْ مُحَاوَلَةِ إِقْنَاعِهَا بِالرُّجُوعِ. ١٨ 18
१८जब नाओमी ने यह देखा कि वह मेरे संग चलने को तैयार है, तब उसने उससे और बात न कही।
وَتَابَعَتَا سَيْرَهُمَا حَتَّى دَخَلَتَا بَيْتَ لَحْمٍ، وَمَا إِنْ بَلَغَتَا الْمَدِينَةَ حَتَّى أَثَارَ رُجُوعُهُمَا أَهْلَهَا وَتَسَاءَلُوا: «أَهَذِهِ هِيَ نُعْمِي؟» ١٩ 19
१९अतः वे दोनों चल पड़ी और बैतलहम को पहुँचीं। उनके बैतलहम में पहुँचने पर सारे नगर में उनके कारण हलचल मच गई; और स्त्रियाँ कहने लगीं, “क्या यह नाओमी है?”
فَقَالَتْ لَهُمْ: «لا تَدْعُونِي نُعْمِي بَلْ مُرَّةَ، لأَنَّ اللهَ الْقَدِيرَ قَدْ مَرَّرَ حَيَاتِي. ٢٠ 20
२०उसने उनसे कहा, “मुझे नाओमी न कहो, मुझे मारा कहो, क्योंकि सर्वशक्तिमान ने मुझ को बड़ा दुःख दिया है।
لَقَدْ خَرَجْتُ مُمْتَلِئَةً وَأَرْجَعَنِي الرَّبُّ فَارِغَةَ الْيَدَيْنِ. فَلِمَاذَا تَدْعُونَنِي نُعْمِيَ وَالرَّبُّ قَدْ أَذَلَّنِي وَالْقَدِيرُ قَدْ فَجَعَنِي؟». ٢١ 21
२१मैं भरी पूरी चली गई थी, परन्तु यहोवा ने मुझे खाली हाथ लौटाया है। इसलिए जबकि यहोवा ही ने मेरे विरुद्ध साक्षी दी, और सर्वशक्तिमान ने मुझे दुःख दिया है, फिर तुम मुझे क्यों नाओमी कहती हो?”
وَهَكَذَا رَجَعَتْ نُعْمِي وَكَنَّتُهَا رَاعُوثُ الْمُوآبِيَّةُ مِنْ بِلادِ مُوآبَ، فَكَانَ وُصُولُهُمَا إِلَى بَيْتِ لَحْمٍ فِي مُسْتَهَلِّ مَوْسِمِ حَصَادِ الشَّعِيرِ. ٢٢ 22
२२इस प्रकार नाओमी अपनी मोआबिन बहू रूत के साथ लौटी, जो मोआब देश से आई थी। और वे जौ कटने के आरम्भ में बैतलहम पहुँचीं।

< راعُوث 1 >