< رُؤيا 7 >

وَرَأَيْتُ بَعْدَ ذَلِكَ أَرْبَعَةَ مَلائِكَةٍ وَاقِفِينَ عَلَى زَوَايَا الأَرْضِ الأَرْبَعِ، يَحْبِسُونَ رِيَاحَ الأَرْضِ الأَرْبَعَ، فَلا تَهُبُّ رِيحٌ عَلَى بَرٍّ أَوْ بَحْرٍ أَوْ شَجَرٍ. ١ 1
इसके बाद मैंने पृथ्वी के चारों कोनों पर चार स्वर्गदूत खड़े देखे, वे पृथ्वी की चारों हवाओं को थामे हुए थे ताकि पृथ्वी, या समुद्र, या किसी पेड़ पर, हवा न चले।
ثُمَّ رَأَيْتُ مَلاكاً آخَرَ قَادِماً مِنَ الشَّرْقِ يَحْمِلُ خَتْمَ اللهِ الْحَيِّ، فَنَادَى بِصَوْتٍ عَالٍ الْمَلائِكَةَ الأَرْبَعَةَ الَّذِينَ عُهِدَ إِلَيْهِمْ أَنْ يُنْزِلُوا الضَّرَرَ بِالْبَرِّ وَالْبَحْرِ: ٢ 2
फिर मैंने एक और स्वर्गदूत को जीविते परमेश्वर की मुहर लिए हुए पूरब से ऊपर की ओर आते देखा; उसने उन चारों स्वर्गदूतों से जिन्हें पृथ्वी और समुद्र की हानि करने का अधिकार दिया गया था, ऊँचे शब्द से पुकारकर कहा,
«انْتَظِرُوا! لَا تَضُرُّوا الْبَرَّ وَلا الْبَحْرَ وَلا الشَّجَرَ، إِلَى أَنْ نَضَعَ خَتْمَ إِلَهِنَا عَلَى جِبَاهِ عَبِيدِهِ». ٣ 3
“जब तक हम अपने परमेश्वर के दासों के माथे पर मुहर न लगा दें, तब तक पृथ्वी और समुद्र और पेड़ों को हानि न पहुँचाना।”
وَسَمِعْتُ أَنَّ عَدَدَ الْمَخْتُومِينَ، مِئَةُ وَأَرْبَعَةٌ وَأَرْبَعُونَ أَلْفاً، مِنْ جَمِيعِ أَسْبَاطِ بَنِي إِسْرَائِيلَ: ٤ 4
और जिन पर मुहर दी गई, मैंने उनकी गिनती सुनी, कि इस्राएल की सन्तानों के सब गोत्रों में से एक लाख चौवालीस हजार पर मुहर दी गई:
مِنْ سِبْطِ يَهُوذَا خُتِمَ اثْنَا عَشَرَ أَلْفاً؛ وَمِنْ سِبْطِ رَأُوبَيْنَ اثْنَا عَشَرَ أَلْفاً؛ وَمِنْ سِبْطِ جَادٍ اثْنَا عَشَرَ أَلْفاً؛ ٥ 5
यहूदा के गोत्र में से बारह हजार पर मुहर दी गई, रूबेन के गोत्र में से बारह हजार पर, गाद के गोत्र में से बारह हजार पर,
وَمِنْ سِبْطِ أَشِيرَ اثْنَا عَشَرَ أَلْفاً؛ وَمِنْ سِبْطِ نَفْتَالِي اثْنَا عَشَرَ أَلْفاً؛ وَمِنْ سِبْطِ مَنَسَّى اثْنَا عَشَرَ أَلْفاً ٦ 6
आशेर के गोत्र में से बारह हजार पर, नप्ताली के गोत्र में से बारह हजार पर; मनश्शे के गोत्र में से बारह हजार पर,
وَمِنْ سِبْطِ شِمْعُونَ اثْنَا عَشَرَ أَلْفاً؛ وَمِنْ سِبْطِ لاوِي اثْنَا عَشَرَ أَلْفاً؛ وَمِنْ سِبْطِ يَسَّاكَرَ اثْنَا عَشَرَ أَلْفاً؛ ٧ 7
शमौन के गोत्र में से बारह हजार पर, लेवी के गोत्र में से बारह हजार पर, इस्साकार के गोत्र में से बारह हजार पर,
وَمِنْ سِبْطِ زَبُولُونَ اثْنَا عَشَرَ أَلْفاً؛ وَمِنْ سِبْطِ يُوسُفَ اثْنَا عَشَرَ أَلْفاً؛ وَمِنْ سِبْطِ بِنْيَامِينَ خُتِمَ اثْنَا عَشَرَ أَلْفاً. ٨ 8
जबूलून के गोत्र में से बारह हजार पर, यूसुफ के गोत्र में से बारह हजार पर, और बिन्यामीन के गोत्र में से बारह हजार पर मुहर दी गई।
ثُمَّ نَظَرْتُ، فَرَأَيْتُ جَمْعاً كَثِيراً لَا يُحْصَى، مِنْ كُلِّ أُمَّةٍ وَقَبِيلَةٍ وَشَعْبٍ وَلُغَةٍ، وَاقِفِينَ أَمَامَ الْعَرْشِ وَأَمَامَ الْحَمَلِ، وَقَدِ ارْتَدَوْا ثِيَاباً بَيْضَاءَ، وَأَمْسَكُوا بِأَيْدِيهِمْ سَعَفَ النَّخْلِ، ٩ 9
इसके बाद मैंने दृष्टि की, और हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़, जिसे कोई गिन नहीं सकता था श्वेत वस्त्र पहने और अपने हाथों में खजूर की डालियाँ लिये हुए सिंहासन के सामने और मेम्ने के सामने खड़ी है;
وَهُمْ يَهْتِفُونَ بِصَوْتٍ عَالٍ: «الْخَلاصُ مِنْ عِنْدِ إِلَهِنَا الْجَالِسِ عَلَى الْعَرْشِ وَمِنْ عِنْدِ الْحَمَلِ!» ١٠ 10
१०और बड़े शब्द से पुकारकर कहती है, “उद्धार के लिये हमारे परमेश्वर का, जो सिंहासन पर बैठा है, और मेम्ने का जय जयकार हो।”
وَاجْتَمَعَ الْمَلائِكَةُ جَمِيعاً حَوْلَ الْعَرْشِ، وَمَعَهُمُ الشُّيُوخُ وَالْكَائِنَاتُ الْحَيَّةُ الأَرْبَعَةُ، وَخَرُّوا عَلَى وُجُوهِهِمْ أَمَامَ الْعَرْشِ سُجُوداً لِلهِ، ١١ 11
११और सारे स्वर्गदूत, उस सिंहासन और प्राचीनों और चारों प्राणियों के चारों ओर खड़े हैं, फिर वे सिंहासन के सामने मुँह के बल गिर पड़े और परमेश्वर को दण्डवत् करके कहा,
قَائِلِينَ: «آمِين! لإِلَهِنَا الْبَرَكَةُ وَالْمَجْدُ وَالْحِكْمَةُ وَالشُّكْرُ وَالإِجْلالُ وَالْقُدْرَةُ وَالْقُوَّةُ إِلَى أَبَدِ الآبِدِينَ. آمِين!» (aiōn g165) ١٢ 12
१२“आमीन, हमारे परमेश्वर की स्तुति, महिमा, ज्ञान, धन्यवाद, आदर, सामर्थ्य, और शक्ति युगानुयुग बनी रहें। आमीन।” (aiōn g165)
وَسَأَلَنِي أَحَدُ الشُّيُوخِ: «أَتَعْلَمُ مَنْ هُمْ هؤُلاءِ الَّذِينَ يَرْتَدُونَ الثِّيَابَ الْبَيْضَاءَ، وَهَلْ تَعْرِفُ مِنْ أَيْنَ أَتَوْا؟» ١٣ 13
१३इस पर प्राचीनों में से एक ने मुझसे कहा, “ये श्वेत वस्त्र पहने हुए कौन हैं? और कहाँ से आए हैं?”
فَأَجَبْتُهُ: «أَنْتَ أَعْلَمُ يَا سَيِّدِي!» فَقَالَ: «هؤُلاءِ هُمُ الَّذِينَ أَتَوْا مِنَ الضِّيقَةِ الْعَظِيمَةِ، وَقَدْ غَسَّلُوا ثِيَابَهُمْ وَبَيَّضُوهَا بِدَمِ الْحَمَلِ. ١٤ 14
१४मैंने उससे कहा, “हे स्वामी, तू ही जानता है।” उसने मुझसे कहा, “ये वे हैं, जो उस महाक्लेश में से निकलकर आए हैं; इन्होंने अपने-अपने वस्त्र मेम्ने के लहू में धोकर श्वेत किए हैं।
لِهَذَا هُمْ أَمَامَ عَرْشِ اللهِ يَخْدِمُونَهُ فِي هَيْكَلِهِ لَيْلاً وَنَهَاراً وَالْجَالِسُ عَلَى الْعَرْشِ يَبْسُطُ خَيْمَتَهُ عَلَيْهِمْ، ١٥ 15
१५“इसी कारण वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने हैं, और उसके मन्दिर में दिन-रात उसकी सेवा करते हैं; और जो सिंहासन पर बैठा है, वह उनके ऊपर अपना तम्बू तानेगा।
فَلَنْ يَجُوعُوا وَلَنْ يَعْطَشُوا، وَلَنْ تَضْرِبَهُمُ الشَّمْسُ وَلا أَيُّ حَرٍّ، ١٦ 16
१६“वे फिर भूखे और प्यासे न होंगे; और न उन पर धूप, न कोई तपन पड़ेगी।
لأَنَّ الْحَمَلَ الَّذِي فِي وَسَطِ الْعَرْشِ يَرْعَاهُمْ وَيَقُودُهُمْ إِلَى يَنَابِيعِ مَاءِ الْحَيَاةِ، وَيَمْسَحُ اللهُ كُلَّ دَمْعَةٍ مِنْ عُيُونِهِمْ». ١٧ 17
१७क्योंकि मेम्ना जो सिंहासन के बीच में है, उनकी रखवाली करेगा; और उन्हें जीवनरूपी जल के सोतों के पास ले जाया करेगा, और परमेश्वर उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा।”

< رُؤيا 7 >