< رُؤيا 14 >
ثُمَّ رَأَيْتُ حَمَلاً وَاقِفاً عَلَى جَبَلِ صِهْيَوْنَ وَمَعَهُ مِئَةٌ وَأَرْبَعَةٌ وَأَرْبَعُونَ أَلْفاً كُتِبَ عَلَى جِبَاهِهِمْ اسْمُهُ وَاسْمُ أَبِيهِ. | ١ 1 |
पर उसकै बाद मन्नै कुछ और भी देख्या, वो मेम्ना सिय्योन पहाड़ पै खड्या सै, अर उसकै गेल्या एक लाख चवाळीस हजार माणस सै, जिनकै माथ्थै पै उसका अर उसकै पिता का नाम लिख्या होड़ सै।
وَسَمِعْتُ مِنَ السَّمَاءِ صَوْتاً أَشْبَهَ بِصَوْتِ الشَّلّالِ الْغَزِيرِ أَوْ دَوِيِّ الرَّعْدِ الشَّدِيدِ. وَكَانَ الصَّوْتُ الَّذِي سَمِعْتُهُ كَأَنَّهُ صَوْتُ مُنْشِدِينَ عَلَى الْقِيثَارَاتِ يَضْرِبُونَ بِقِيثَارَاتِهِمْ | ٢ 2 |
अर सुर्ग तै मन्नै एक इसा शब्द सुणाई दिया, जो पाणी की घणी धारा अर बड़े गरजण जिसा शब्द था, अर जो शब्द मन्नै सुण्या, वो इसा था, मान्नो वीणा बजाण आळे वीणा बजान्दे हों।
وَكَانُوا يُنْشِدُونَ تَرْتِيلَةً جَدِيدَةً أَمَامَ عَرْشِ اللهِ، وَأَمَامَ الْكَائِنَاتِ الْحَيَّةِ الأَرْبَعَةِ وَالشُّيُوخِ. وَلَمْ يَسْتَطِعْ أَحَدٌ أَنْ يَتَعَلَّمَ هذِهِ التَّرْتِيلَةَ إِلّا الْمِئَةُ وَالأَرْبَعَةُ وَالأَرْبَعُونَ أَلْفاً الْمُشْتَرَوْنَ مِنَ الأَرْضِ، | ٣ 3 |
अर वे सिंहासन कै स्याम्ही अर च्यारु प्राणियाँ अर बुजुर्गां कै स्याम्ही मान्नो, एक नया गीत गाण लागरे थे, अर उन एक लाख चवाळीस हजार माणसां ताहीं छोड़ जो धरती पै तै छुड़ाए गये थे, कोए वो गीत न्ही सीख सकै था।
فَهَؤُلاءِ لَمْ يُنَجِّسُوا أَنْفُسَهُمْ مَعَ النِّسَاءِ لأَنَّهُمْ أَطْهَارٌ، وَهُمْ يَتْبَعُونَ الْحَمَلَ حَيْثُمَا ذَهَبَ، وَقَدْ تَمَّ شِرَاؤُهُمْ مِنْ بَيْنِ النَّاسِ بَاكُورَةً لِلهِ، وَلِلْحَمَلِ، | ٤ 4 |
ये वे सै, जो जनानियाँ कै गेल्या अशुद्ध न्ही होए, पर कुवांरे सै। ये वैए सै, के जित्त किते मेम्ना जावै सै, वे उसकै पाच्छै हो लेवैं सै। जिस तरियां लोग अपणी फसल म्ह तै पैहला फळ परमेसवर ताहीं चढ़ावै सै, उस्से तरियां वो भी परमेसवर अर मेम्ने खात्तर पैहले फळ के रूप म्ह चढ़ाए गए सै।
لَمْ تَنْطِقْ أَفْوَاهُهُمْ بِالْكَذِبِ، وَلا عَيْبَ فِيهِمْ. | ٥ 5 |
अर उनके मुँह तै झूठ न्ही लिकड़या था, वे बेकसूर सै।
ثُمَّ رَأَيْتُ مَلاكاً آخَرَ يَطِيرُ فِي وَسَطِ السَّمَاءِ، مَعَهُ بِشَارَةٌ أَبَدِيَّةٌ يُبَشِّرُ بِها أَهْلَ الأَرْضِ وَكُلَّ أُمَّةٍ وَقَبِيلَةٍ وَلُغَةٍ وَشَعْبٍ، (aiōnios ) | ٦ 6 |
फेर मन्नै एक और सुर्गदूत ताहीं अकास कै बिचाळै उड़दे होड़ देख्या जिसकै धोरै धरती पै के बासिन्दयां की हरेक जात, अर कुल, अर भाषा, अर माणसां ताहीं सुणाण कै खात्तर घणा सनातन सुसमाचार था। (aiōnios )
وَهُوَ يُنَادِي عَالِياً: «اتَّقُوا اللهَ وَمَجِّدُوهُ، فَقَدْ حَانَتْ سَاعَةُ دَيْنُونَتِهِ. اسْجُدُوا لِمَنْ خَلَقَ السَّمَاءَ وَالأَرْضَ وَالْبَحْرَ وَالْيَنَابِيعَ». | ٧ 7 |
अर उसनै ऊँच्ची आवाज म्ह कह्या, “परमेसवर तै डरो, अर उसकी महिमा करो, क्यूँके उसकै न्याय करण का बखत आण पोंहच्या सै, अर उसकी आराधना करो, जिसनै सुर्ग अर धरती अर समुन्दर अर पाणी के सोते बणाए।”
وَتَبِعَهُ مَلاكٌ ثَانٍ يَقُولُ: «سَقَطَتْ، سَقَطَتْ بَابِلُ الْعُظْمَى الَّتِي سَقَتْ أُمَمَ الْعَالَمِ مِنْ خَمْرِ زِنَاهَا الْجَالِبَةِ لِلْغَضَبِ!» | ٨ 8 |
फेर इसकै पाच्छै एक और दुसरा सुर्गदूत न्यू कहन्दा होड़ आया, के पड़ग्या, वो बड्ड़ा बेबीलोन नगर पड़ग्या जिसनै अपणी जारी की कोपमय मदिरा सारी जात्तां ताहीं पिलाई सै।
ثُمَّ تَبِعَهُمَا مَلاكٌ ثَالِثٌ يُنَادِي بِصَوْتٍ عَالٍ: «جَمِيعُ الَّذِينَ سَجَدُوا لِلْوَحْشِ وَلِتِمْثَالِهِ، وَقَبِلُوا عَلامَتَهُ عَلَى أَيْدِيهِمْ أَوْ عَلَى جِبَاهِهِمْ، | ٩ 9 |
फेर इनकै पाच्छै एक और सुर्गदूत जोर तै न्यू कहन्दा होड़ आया, के जो कोए उस पशु अर उसकी मूर्ति की पूजा करै, अर अपणे माथ्थै या अपणे हाथ पै उसकी छाप ले।
لابُدَّ لَهُمْ، فِي حَضْرَةِ الْمَلائِكَةِ الْقِدِّيسِينَ وَفِي حَضْرَةِ الْحَمَلِ، أَنْ يَشْرَبُوا مِنْ خَمْرِ الْغَضَبِ غَيْرِ الْمُخَفَّفَةِ، الْمَسْكُوبَةِ فِي كَأْسِ غَضَبِ اللهِ، فَيُكَابِدُوا عَذَابَ النَّارِ وَالْكِبْرِيتِ الْمُتَّقِدِ، | ١٠ 10 |
तो वो परमेसवर के प्रकोप की निरी मदिरा जो उसकै खुन्दक कै कटोरे म्ह घाल्ली गई सै, पीवैगा अर पवित्र सुर्गदूत्तां कै स्याम्ही, अर मेम्ने कै स्याम्ही आग अर गन्धक की पीड़ा म्ह पड़ैगा।
وَيَتَصَاعَدُ دُخَانُ عَذَابِهِمْ إِلَى أَبَدِ الآبِدِينَ. لَا رَاحَةَ فِي النَّهَارِ وَلا فِي اللَّيْلِ لِلَّذِينَ عَبَدُوا الْوَحْشَ وَسَجَدُوا لِتِمْثَالِهِ وَقَبِلُوا عَلامَةَ اسْمِهِ. (aiōn ) | ١١ 11 |
अर उनकी पीड़ा का धुम्मा युगानुयुग उठदा रहवैगा, अर जो उस पशु अर उसकी मूर्ति की पूजा करै सै, अर जो उसकै नाम की छाप लेवैं सै, उन ताहीं दिन-रात चैन न्ही मिलैगा। (aiōn )
وَهُنَا يَظْهَرُ صَبْرُ الْقِدِّيسِينَ الَّذِينَ يُحَافِظُونَ عَلَى وَصَايَا اللهِ وَالإِيمَانِ بِيَسُوعَ!» | ١٢ 12 |
पवित्र माणसां का धीरज इस्से म्ह सै, के धीरज तै दुख सहन्दे रहवै अर अन्त ताहीं मजबूत बणकै परमेसवर के हुकमां नै मान्नै, अर यीशु पै बिश्वास राक्खैं।
وَسَمِعْتُ صَوْتاً مِنَ السَّمَاءِ يَقُولُ: «اُكْتُبْ: طُوبَى لِلأَمْوَاتِ الَّذِينَ يَمُوتُونَ مُنْذُ الآنَ وَهُمْ فِي الرَّبِّ! يَقُولُ الرُّوحُ: نَعَمْ! فَلْيَسْتَرِيحُوا مِنْ مَتَاعِبِهِمْ، لأَنَّ أَعْمَالَهُمْ تُرَافِقُهُمْ». | ١٣ 13 |
फेर मन्नै सुर्ग तै यो शब्द सुण्या, के लिख, जो मुर्दे प्रभु म्ह मरै सै, वे इब तै धन्य सै, आत्मा कहवै सै, हाँ, क्यूँके वे अपणी मैहनतां तै आराम पावैंगें, अर उनकै काम उनकै गेल्या हो लेवैगें।
ثُمَّ نَظَرْتُ، فَرَأَيْتُ سَحَابَةً بَيْضَاءَ، يَجْلِسُ عَلَيْهَا كَائِنٌ يُشْبِهُ ابْنَ الإِنْسَانِ، عَلَى رَأْسِهِ إِكْلِيلٌ مِنْ ذَهَبٍ، وَفِي يَدِهِ مِنْجَلٌ حَادٌّ. | ١٤ 14 |
अर मन्नै निगांह करी, अर देक्खो, एक धोळा बाद्दळ सै, अर उस बाद्दळ पै माणस कै बेट्टे बरगा कोए बेठ्या सै, जिसकै सिर पै सोन्ने का ताज अर हाथ म्ह तेज दराती सै।
وَخَرَجَ مَلاكٌ آخَرُ مِنَ الْهَيْكَلِ يُنَادِيهِ بِصَوْتٍ عَالٍ: «أَرْسِلْ مِنْجَلَكَ لِيَحْصِدَ، فَقَدْ حَلَّتْ سَاعَةُ الْحَصَادِ وَنَضَجَ حَصَادُ الأَرْضِ». | ١٥ 15 |
फेर एक और सुर्गदूत नै मन्दर म्ह तै लिकड़कै, उसतै जो बाद्दळ पै बेठ्या था, जोर तै रुक्का मारकै कह्या, “के अपणी दराती ल्याकै लामणी कर, क्यूँके लामणी का बखत आण पोंहच्या सै, ज्यांतै के धरती की खेत्ती पक ली सै।”
فَأَلْقَى الْجَالِسُ عَلَى السَّحَابَةِ مِنْجَلَهُ عَلَى الأَرْضِ فَحُصِدَتِ الأَرْضُ. | ١٦ 16 |
इस करकै जो बाद्दळ पै बेठ्या था, उसनै धरती पै अपणी दराती लाई, अर धरती की लामणी करी गई।
ثُمَّ خَرَجَ مَلاكٌ آخَرُ مِنَ الْهَيْكَلِ الَّذِي فِي السَّمَاءِ، وَمَعَهُ أَيْضاً مِنْجَلٌ حَادٌّ. | ١٧ 17 |
फेर एक और सुर्गदूत उस मन्दर म्ह तै लिकड़या, जो सुर्ग म्ह सै, अर उसकै धोरै भी तेज दराती थी।
وَمِنَ الْمَذْبَحِ خَرَجَ مَلاكٌ آخَرُ لَهُ السُّلْطَةُ عَلَى النَّارِ، وَنَادَى بِصَوْتٍ عَظِيمٍ الْمَلاكَ الَّذِي يُمْسِكُ الْمِنْجَلَ الْحَادَّ: «أَرْسِلْ مِنْجَلَكَ الْحَادَّ وَاقْطِفْ عَنَاقِيدَ كَرْمِ الأَرْضِ لأَنَّ عِنَبَهَا قَدْ نَضَجَ». | ١٨ 18 |
फेर एक और सुर्गदूत जिस ताहीं आग पै हक था, वेदी म्ह तै लिकड़या, अर जिसकै धोरै तेज दराती थी, उसतै जोर तै बोल्या, “अपणी तेज दराती ल्याकै धरती की दाखलता के गुच्छे काट ले, क्यूँके उसकी दाख पक ली सै।”
فَأَلْقَى الْمَلاكُ مِنْجَلَهُ إِلَى الأَرْضِ وَقَطَفَ الْعَنَاقِيدَ وَأَلْقَاهَا فِي مِعْصَرَةِ غَضَبِ اللهِ الْعُظْمَى، | ١٩ 19 |
अर उस सुर्गदूत नै धरती पै अपणी दराती लाई, अर धरती की दाखलता का फळ काटकै, अपणे परमेसवर के प्रकोप के बड़े रस के कुण्ड म्ह घाल दिया।
فَدِيسَتِ الْمَعْصَرَةُ بِالأَرْجُلِ خَارِجَ الْمَدِينَةِ، فَانْبَثَقَ مِنْهَا الدَّمُ وَجَرَى أَنْهَاراً حَتَّى إِلَى لُجُمِ الْخَيْلِ، مَسَافَةَ أَلْفٍ وَسِتُّمَائَةِ غَلْوَةً (ثُلْثُمَائةٍ وَعِشْرِينَ كيلُومِتْراً). | ٢٠ 20 |
अर नगर कै बाहरणै उस रसकुण्ड म्ह अंगूर रौंदे गये, अर रसकुण्ड म्ह तै इतणा लहू लिकड़या के वो नदी म्ह तबदील होग्या, जो के तीन सौ किलो मीटर लम्बी अर इतनी गहरी थी, के उस म्ह घोड़े भी समा जावै।