< المَزامِير 94 >

يَا رَبُّ أَنْتَ إِلَهُ الانْتِقَامِ، فَتَجَلَّ بِغَضَبِكَ. ١ 1
हे यहोवा, हे पलटा लेनेवाले परमेश्वर, हे पलटा लेनेवाले परमेश्वर, अपना तेज दिखा!
قُمْ يَا دَيَّانَ الأَرْضِ وَجَازِ الْمُتَكَبِّرِينَ عَلَى أَعْمَالِهِمْ. ٢ 2
हे पृथ्वी के न्यायी, उठ; और घमण्डियों को बदला दे!
إِلَى مَتَى يَا رَبُّ يَشْمَتُ الأَشْرَارُ فَرِحِينَ؟ ٣ 3
हे यहोवा, दुष्ट लोग कब तक, दुष्ट लोग कब तक डींग मारते रहेंगे?
إِلَى مَتَى يَهْذِرُ عُمَّالُ الإِثْمِ وَيَتَوَاقَحُونَ وَيَتَبَاهَوْنَ بِأَنْفُسِهِمْ؟ ٤ 4
वे बकते और ढिठाई की बातें बोलते हैं, सब अनर्थकारी बड़ाई मारते हैं।
يَسْحَقُونَ شَعْبَكَ يَا رَبُّ وَيَضْطَهِدُونَهُ، ٥ 5
हे यहोवा, वे तेरी प्रजा को पीस डालते हैं, वे तेरे निज भाग को दुःख देते हैं।
يَقْتُلُونَ الأَرْمَلَةَ وَالْغَرِيبَ وَيَذْبَحُونَ الْيَتِيمَ. ٦ 6
वे विधवा और परदेशी का घात करते, और अनाथों को मार डालते हैं;
وَيَقُولُونَ: «الرَّبُّ لَا يَرَى هَذَا، وَإِلَهُ إِسْرَائِيلَ لَا يُبَالِي». ٧ 7
और कहते हैं, “यहोवा न देखेगा, याकूब का परमेश्वर विचार न करेगा।”
افْهَمُوا يَا أَغْبِيَاءَ الشَّعْبِ! يَا جُهَّالُ مَتَى تَتَعَقَّلُونَ؟ ٨ 8
तुम जो प्रजा में पशु सरीखे हो, विचार करो; और हे मूर्खों तुम कब बुद्धिमान बनोगे?
صَانِعُ الأُذُنِ أَلَا يَسْمَعُ؟ جَابِلُ الْعَيْنِ أَلَا يُبْصِرُ؟ ٩ 9
जिसने कान दिया, क्या वह आप नहीं सुनता? जिसने आँख रची, क्या वह आप नहीं देखता?
مُؤَدِّبُ الأُمَمِ أَلَا يَزْجُرُ وَهُوَ الَّذِي يُعَلِّمُ الإِنْسَانَ الْحِكْمَةَ؟ ١٠ 10
१०जो जाति-जाति को ताड़ना देता, और मनुष्य को ज्ञान सिखाता है, क्या वह न सुधारेगा?
الرَّبُّ يَعْلَمُ أَفْكَارَ الإِنْسَانِ وَيَعْرِفُ أَنَّهَا بَاطِلَةٌ. ١١ 11
११यहोवा मनुष्य की कल्पनाओं को तो जानता है कि वे मिथ्या हैं।
طُوبَى لِلإِنْسَانِ الَّذِي تُؤَدِّبُهُ، وَتُعَلِّمُهُ مِنْ شَرِيعَتِكَ يَا رَبُّ! ١٢ 12
१२हे यहोवा, क्या ही धन्य है वह पुरुष जिसको तू ताड़ना देता है, और अपनी व्यवस्था सिखाता है,
لِتُرِيحَهُ مِنْ أَيَّامِ السُّوءِ، إِلَى أَنْ يَمُوتَ الشِّرِّيرُ وَيَتَوَارَى فِي مَثْواهُ. ١٣ 13
१३क्योंकि तू उसको विपत्ति के दिनों में उस समय तक चैन देता रहता है, जब तक दुष्टों के लिये गड्ढा नहीं खोदा जाता।
لَا يَرْفُضُ اللهُ شَعْبَهُ، وَلَا يَنْبِذُ خَاصَّتَهُ. ١٤ 14
१४क्योंकि यहोवा अपनी प्रजा को न तजेगा, वह अपने निज भाग को न छोड़ेगा;
لأَنَّ القَضَاءَ يُصْبِحُ عَدْلاً وَيُحِبُّهُ جَمِيعُ الْمُسْتَقِيمِي الْقُلُوبِ. ١٥ 15
१५परन्तु न्याय फिर धर्म के अनुसार किया जाएगा, और सारे सीधे मनवाले उसके पीछे-पीछे हो लेंगे।
مَنْ يَتَوَلَّى عَنِّي مُحَارَبَةَ الأَشْرَارِ؟ مَنْ يُجَابِهُ عَنِّي فَاعِلِي الإِثْمِ؟ ١٦ 16
१६कुकर्मियों के विरुद्ध मेरी ओर कौन खड़ा होगा? मेरी ओर से अनर्थकारियों का कौन सामना करेगा?
لَوْ لَمْ يَكُنِ الرَّبُّ مُعِينِي لَسَكَنَتْ نَفْسِي الْقَبْرَ. ١٧ 17
१७यदि यहोवा मेरा सहायक न होता, तो क्षण भर में मुझे चुपचाप होकर रहना पड़ता।
قُلْتُ: قَدْ زَلَّتْ قَدَمِي. وَلَكِنَّ رَحْمَتَكَ يَا رَبُّ صَارَتْ لِي سَنَداً. ١٨ 18
१८जब मैंने कहा, “मेरा पाँव फिसलने लगा है,” तब हे यहोवा, तेरी करुणा ने मुझे थाम लिया।
عِنْدَ كَثْرَةِ هُمُومِي فِي دَاخِلِي تَبْتَهِجُ نَفْسِي بِتَعْزِيَاتِكَ. ١٩ 19
१९जब मेरे मन में बहुत सी चिन्ताएँ होती हैं, तब हे यहोवा, तेरी दी हुई शान्ति से मुझ को सुख होता है।
أَيُحَالِفُكَ مَلِكُ الشَّرِّ الْمُخْتَلِقُ إثْماً لِيَجْعَلَ الظُّلْمَ شَرِيعَةً لِلْقَضَاءِ؟ ٢٠ 20
२०क्या तेरे और दुष्टों के सिंहासन के बीच संधि होगी, जो कानून की आड़ में उत्पात मचाते हैं?
يَجْتَمِعُونَ مَعاً لِلْقَضَاءِ عَلَى حَيَاةِ الصِّدِّيقِ، وَيَحْكُمُونَ عَلَى الْبَرِيءِ بِالْمَوْتِ. ٢١ 21
२१वे धर्मी का प्राण लेने को दल बाँधते हैं, और निर्दोष को प्राणदण्ड देते हैं।
وَلَكِنَّ الرَّبَّ هُوَ حِصْنِي الْمَنِيعُ؛ إِلَهِي هُوَ الصَّخْرَةُ الَّتِي بِها أَحْتَمِي. ٢٢ 22
२२परन्तु यहोवा मेरा गढ़, और मेरा परमेश्वर मेरी शरण की चट्टान ठहरा है।
غَيْرَ أَنَّ الرَّبَّ إِلَهَنَا يُعَاقِبُهُمْ عَلَى إِثْمِهِمْ، وَيُبِيدُهُمْ بِشَرِّهِمْ. ٢٣ 23
२३उसने उनका अनर्थ काम उन्हीं पर लौटाया है, और वह उन्हें उन्हीं की बुराई के द्वारा सत्यानाश करेगा। हमारा परमेश्वर यहोवा उनको सत्यानाश करेगा।

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