< المَزامِير 78 >
مَزْمُورٌ تَعْلِيمِيٌّ لآسَافَ أَصْغِ يَا شَعْبِي إِلَى شَرِيعَتِي، أَرْهِفُوا آذَانَكُمْ إِلَى أَقْوَالِ فَمِي. | ١ 1 |
ऐ मेरे लोगों मेरी शरी'अत को सुनो मेरे मुँह की बातों पर कान लगाओ।
أَفْتَحُ فَمِي بِمَثَلٍ وَأَنْطِقُ بِأَلْغَازٍ قَدِيمَةٍ جِدّاً، | ٢ 2 |
मैं तम्सील में कलाम करूँगा, और पुराने पोशीदा राज़ कहूँगा,
سَمِعْنَاهَا وَعَرَفْنَاهَا وَحَدَّثَنَا بِها آبَاؤُنَا. | ٣ 3 |
जिनको हम ने सुना और जान लिया, और हमारे बाप — दादा ने हम को बताया।
لَا نَكْتُمُهَا عَنْ أَبْنَائِنَا بَلْ نُخْبِرُ الْجِيلَ الْقَادِمَ عَنْ قُوَّةِ الرَّبِّ وَعَجَائِبِهِ الَّتِي صَنَعَ. | ٤ 4 |
और जिनको हम उनकी औलाद से पोशीदा नहीं रख्खेंगे; बल्कि आइंदा नसल को भी ख़ुदावन्द की ता'रीफ़, और उसकी कु़दरत और 'अजाईब जो उसने किए बताएँगे।
أَعْطَى شَرَائِعَ لِبَنِي إِسْرَائِيلَ وَأَوَامِرَ لِذُرِّيَّةِ يَعْقُوبَ، أَوْصَى فِيهَا آبَاءَنَا أَنْ يُعَرِّفُوا بِها أَبْنَاءَهُمْ. | ٥ 5 |
क्यूँकि उसने या'कू़ब में एक शहादत क़ाईम की, और इस्राईल में शरी'अत मुक़र्रर की, जिनके बारे में उसने हमारे बाप दादा को हुक्म दिया, कि वह अपनी औलाद को उनकी ता'लीम दें,
لِكَيْ يَعْرِفَهَا الْجِيلُ الْقَادِمُ، الْبَنُونَ الَّذِينَ لَمْ يُوْلَدُوا بَعْدُ، فَيُعَلِّمُوهَا أَيْضاً لأَبْنَائِهِمْ، | ٦ 6 |
ताकि आइंदा नसल, या'नी वह फ़र्ज़न्द जो पैदा होंगे, उनको जान लें: और वह बड़े होकर अपनी औलाद को सिखाएँ,
فَيَضَعُوا عَلَى اللهِ اتِّكَالَهُمْ وَلَا يَنْسَوْا أَعْمَالَهُ، بَلْ يَحْفَظُوا وَصَايَاهُ، | ٧ 7 |
कि वह ख़ुदा पर उम्मीद रखें, और उसके कामों को भूल न जाएँ, बल्कि उसके हुक्मों पर 'अमल करें;
وَلَا يَكُونُوا مِثْلَ آبَائِهِمْ، جِيلاً عَنِيداً مُتَمَرِّداً، جِيلاً لَمْ يُثَبِّتْ قَلْبَهُ وَلَا كَانَتْ رُوحُهُ أَمِينَةً لِلهِ. | ٨ 8 |
और अपने बाप — दादा की तरह, सरकश और बाग़ी नसल न बनें: ऐसी नसल जिसने अपना दिल दुरुस्त न किया और जिसकी रूह ख़ुदा के सामने वफ़ादार न रही।
رُمَاةُ الْقَوْسِ، بَنُو أَفْرَايِمَ تَقَهْقَرُوا فِي يَوْمِ الْمَعْرَكَةِ. | ٩ 9 |
बनी इफ़्राईम हथियार बन्द होकर और कमाने रखते हुए लड़ाई के दिन फिर गए।
لأَنَّهُمْ لَمْ يُرَاعُوا عَهْدَ اللهِ، وَرَفَضُوا السُّلُوكَ فِي شَرِيعَتِهِ. | ١٠ 10 |
उन्होंने ख़ुदा के 'अहद को क़ाईम न रख्खा, और उसकी शरी'अत पर चलने से इन्कार किया।
نَسُوا أَفْعَالَهُ وَعَجَائِبَهُ الَّتِي أَظْهَرَهَا لَهُمُ، | ١١ 11 |
और उसके कामों को और उसके'अजायब को, जो उसने उनको दिखाए थे भूल गए।
الْعَجَائِبَ الَّتِي رَآهَا آبَاؤُهُمْ فِي سَهْلِ صُوعَنَ فِي أَرْضِ مِصْرَ. | ١٢ 12 |
उसने मुल्क — ए — मिस्र में जुअन के इलाके में, उनके बाप — दादा के सामने 'अजीब — ओ — ग़रीब काम किए।
شَقَّ الْبَحْرَ وَأَجَازَهُمْ، وَجَعَلَ الْمِيَاهَ تَقِفُ كَجِدَارٍ. | ١٣ 13 |
उसने समुन्दर के दो हिस्से करके उनको पार उतारा, और पानी को तूदे की तरह खड़ा कर दिया।
أَرْشَدَهُمْ بِالسَّحَابِ نَهَاراً وَبِنُورِ نَارٍ اللَّيْلَ كُلَّهُ. | ١٤ 14 |
उसने दिन को बादल से उनकी रहबरी की, और रात भर आग की रोशनी से।
شَقَّ صُخُوراً فِي الْبَرِّيَّةِ وَسَقَاهُمْ مَاءً غَزِيراً كَأَنَّهُ مِنَ اللُّجَجِ. | ١٥ 15 |
उसने वीरान में चट्टानों को चीरा, और उनको जैसे बहर से खू़ब पिलाया।
أَخْرَجَ مِنَ الصَّخْرَةِ سَوَاقِيَ، أَجْرَى مِيَاهَهَا كَأَنْهَارٍ. | ١٦ 16 |
उसने चट्टान में से नदियाँ जारी कीं, और दरियाओं की तरह पानी बहाया।
لَكِنَّهُمْ أَوْغَلُوا فِي غَيِّهِمْ مُسْتَثِيرِينَ غَضَبَ الْعَلِيِّ فِي الصَّحْرَاءِ. | ١٧ 17 |
तोभी वह उसके ख़िलाफ़ गुनाह करते ही गए, और वीरान में हक़ता'ला से सरकशी करते रहे।
وَجَرَّبُوا اللهَ فِي قُلُوبِهِمْ، طَالِبِينَ طَعَاماً اشْتَهَتْهُ نُفُوسُهُمْ | ١٨ 18 |
और उन्होंने अपनी ख़्वाहिश के मुताबिक़ खाना मांग कर अपने दिल में ख़ुदा को आज़माया।
وَتَذَمَّرُوا عَلَى اللهِ قَائِلِينَ: أَيَقْدِرُ اللهُ أَنْ يَبْسُطَ لَنَا مَائِدَةً فِي الْبَرِّيَّةِ؟ | ١٩ 19 |
बल्कि वह ख़ुदा के खि़लाफ़ बकने लगे, और कहा, “क्या ख़ुदा वीरान में दस्तरख़्वान बिछा सकता है?
هَا هُوَ قَدْ ضَرَبَ الصَّخْرَةَ فَتَفَجَّرَتْ مِنْهَا الْمِيَاهُ وَفَاضَتِ الأَنْهَارُ، فَهَلْ يَقْدِرُ أَيْضاً أَنْ يُقَدِّمَ الْخُبْزَ أَوْ يُوَفِّرَ اللَّحْمَ لِشَعْبِهِ؟ | ٢٠ 20 |
देखो, उसने चट्टान को मारा तो पानी फूट निकला, और नदियाँ बहने लगीं क्या वह रोटी भी दे सकता है? क्या वह अपने लोगों के लिए गोश्त मुहय्या कर देगा?”
فَلَمَّا سَمِعَ اللهُ ذَلِكَ ثَارَ غَضَبُهُ، وَانْدَلَعَتِ النَّارُ فِي يَعْقُوبَ، وَاشْتَدَّ السَّخَطُ عَلَى إِسْرَائِيلَ، | ٢١ 21 |
तब ख़ुदावन्द सुन कर गज़बनाक हुआ, और या'कू़ब के ख़िलाफ़ आग भड़क उठी, और इस्राईल पर क़हर टूट पड़ा;
لأَنَّهُمْ لَمْ يُؤْمِنُوا بِاللهِ وَلَمْ يَتَّكِلُوا عَلَى خَلاصِهِ. | ٢٢ 22 |
इसलिए कि वह ख़ुदा पर ईमान न लाए, और उसकी नजात पर भरोसा न किया।
وَمَعَ ذَلِكَ أَمَرَ السَّحَابَ وَفَتَحَ أَبْوَابَ السَّمَاوَاتِ، | ٢٣ 23 |
तोभी उसने आसमानों को हुक्म दिया, और आसमान के दरवाज़े खोले:
فَأَمْطَرَ عَلَيْهِمِ الْمَنَّ لِيَأْكُلُوا، وَأَنْزَلَ عَلَيْهِمْ حِنْطَةَ السَّمَاوَاتِ. | ٢٤ 24 |
और खाने के लिए उन पर मन्न बरसाया, और उनको आसमानी खू़राक बख़्शी।
فَأَكَلَ الإِنْسَانُ خُبْزَ الْمَلائِكَةِ، إِذْ أَرْسَلَ لَهُمْ زَاداً حَتَّى شَبِعُوا. | ٢٥ 25 |
इंसान ने फ़रिश्तों की गिज़ा खाई: उसने खाना भेजकर उनको आसूदा किया।
أَثَارَ رِيحاً شَرْقِيَّةً فِي السَّمَاوَاتِ، وَبِقُوَّتِهِ سَاقَ رِيحاً جَنُوبِيَّةً. | ٢٦ 26 |
उसने आसमान में पुर्वा चलाई, और अपनी कु़दरत से दखना बहाई।
فَأَمْطَرَ عَلَيْهِمْ لَحْماً كَثِيراً كَالتُّرَابِ، وَطُيُوراً كَرَمْلِ الْبَحْرِ، | ٢٧ 27 |
उसने उन पर गोश्त को ख़ाक की तरह बरसाया, और परिन्दों को समन्दर की रेत की तरह;
جَعَلَهَا تَتَسَاقَطُ فِي وَسَطِ خِيَامِهِمْ حَوْلَ مَسَاكِنِهِمْ. | ٢٨ 28 |
जिनको उसने उनकी खे़मागाह में, उनके घरों के आसपास गिराया।
فَأَكَلُوا حَتَّى شَبِعُوا جِدّاً، وَأَعْطَاهُمْ مُشْتَهَاهُمْ. | ٢٩ 29 |
तब वह खाकर खू़ब सेर हुए, और उसने उनकी ख़्वाहिश पूरी की।
وَقَبْلَ أَنْ يَفْرُغُوا مِنَ الطَّعَامِ الَّذِي اشْتَهَوْهُ، وَهُوَ بَعْدُ فِي أَفْوَاهِهِمْ، | ٣٠ 30 |
वह अपनी ख्वाहिश से बाज़ न आए, और उनका खाना उनके मुँह ही में था।
ثَارَ عَلَيْهِمْ غَضَبُ اللهِ، فَقَتَلَ أَسْمَنَهُمْ وَصَرَعَ نُخْبَتَهُمْ. | ٣١ 31 |
कि ख़ुदा का ग़ज़ब उन पर टूट पड़ा, और उनके सबसे मोटे ताज़े आदमी क़त्ल किए, और इस्राईली जवानों को मार गिराया।
وَمَعَ هَذَا ظَلُّوا يُخْطِئُونَ، وَبِالرَّغْمِ مِن عَجَائِبِهِ لَمْ يُؤْمِنُوا، | ٣٢ 32 |
बावुजूद इन सब बातों कि वह गुनाह करते ही रहे; और उसके 'अजीब — ओ — ग़रीब कामों पर ईमान न लाए।
فَأَفْنَى أَيَّامَهُمْ بِالْبَاطِلِ وَسِنِيهِمْ فِي الرُّعْبِ. | ٣٣ 33 |
इसलिए उसने उनके दिनों को बतालत से, और उनके बरसों को दहशत से तमाम कर दिया।
وَعِنْدَمَا قَتَلَ بَعْضَهُمْ، رَجَعُوا بِحَرَارَةٍ تَائِبِينَ يَلْتَمِسُونَ اللهَ. | ٣٤ 34 |
जब वह उनको कत्ल करने लगा, तो वह उसके तालिब हुए; और रुजू होकर दिल — ओ — जान से ख़ुदा को ढूंडने लगे।
تَذَكَّرُوا أَنَّ اللهَ صَخْرَتُهُمْ وَالإِلَهَ الْعَلِيَّ فَادِيهِمْ. | ٣٥ 35 |
और उनको याद आया कि ख़ुदा उनकी चट्टान, और ख़ुदा ता'ला उनका फ़िदिया देने वाला है।
وَلَكِنَّهُمْ خَادَعُوهُ بِأَفْوَاهِهِمْ، وَنَافَقُوهُ بِأَلْسِنَتِهِمْ. | ٣٦ 36 |
लेकिन उन्होंने अपने मुँह से उसकी ख़ुशामद की, और अपनी ज़बान से उससे झूट बोला।
لَمْ يَكُونُوا مُخْلِصِينَ لَهُ، وَلَا كَانُوا أَوْفِيَاءَ لِعَهْدِهِ. | ٣٧ 37 |
क्यूँकि उनका दिल उसके सामने दुरुस्त और वह उसके 'अहद में वफ़ादार न निकले।
لَكِنَّهُ كَانَ رَحِيماً، فَعَفَا عَنِ الإِثْمِ وَلَمْ يُهْلِكْهُمْ. وَكَثِيراً مَا كَبَحَ غَضَبَهُ عَنْهُمْ وَلَمْ يُضْرِمْ كُلَّ سَخَطِهِ. | ٣٨ 38 |
लेकिन वह रहीम होकर बदकारी मु'आफ़ करता है, और हलाक नहीं करता; बल्कि बारहा अपने क़हर को रोक लेता है, और अपने पूरे ग़ज़ब को भड़कने नहीं देता।
ذَكَرَ أَنَّهُمْ بَشَرٌ كَالرِّيحِ الَّتِي تَذْهَبُ وَلَا تَعُودُ. | ٣٩ 39 |
और उसे याद रहता है कि यह महज़ बशर है। या'नी हवा जो चली जाती है और फिर नहीं आती।
كَمْ تَمَرَّدُوا عَلَيْهِ فِي الْبَرِّيَّةِ وَأَحْزَنُوهُ فِي الصَّحْرَاءِ. | ٤٠ 40 |
कितनी बार उन्होंने वीरान में उससे सरकशी की और सेहरा में उसे दुख किया।
ثُمَّ عَادُوا يُجَرِّبُونَ اللهَ وَيُغِيظُونَ قُدُّوسَ إِسْرَائِيلَ. | ٤١ 41 |
और वह फिर ख़ुदा को आज़माने लगे और उन्होंने इस्राईल के ख़ुदा को नाराज़ किया।
لَمْ يَذْكُرُوا قُوَّتَهُ يَوْمَ أَنْقَذَهُمْ مِنْ طَالِبِيهِمْ، | ٤٢ 42 |
उन्होंने उसके हाथ को याद न रखा, न उस दिन की जब उसने फ़िदिया देकर उनको मुख़ालिफ़ से रिहाई बख़्शी।
كَيْفَ أَجْرَى آيَاتِهِ فِي مِصْرَ وَعَجَائِبَهُ فِي سُهُولِ صُوعَنَ. | ٤٣ 43 |
उसने मिस्र में अपने निशान दिखाए, और जुअन के 'इलाके में अपने अजायब।
إِذْ حَوَّلَ أَنْهَارَهُمْ وَسَوَاقِيَهُمْ دَماً حَتَّى لَا يَشْرَبُوا. | ٤٤ 44 |
और उनके दरियाओं को खू़न बना दिया और वह अपनी नदियों से पी न सके।
أَرْسَلَ عَلَيْهِمْ بَعُوضاً فَأَكَلَهُمْ، وَضَفَادِعَ فَأَهْلَكَتْهُمْ. | ٤٥ 45 |
उसने उन पर मच्छरों के ग़ोल भेजे जो उनको खा गए और मेंढ़क जिन्होंने उनको तबाह कर दिया।
أَسْلَمَ غَلَّتَهُمْ لِلْجَنَادِبِ وَمَحَاصِيلَهُمْ لِلْجَرَادِ لِيُدَمِّرَهَا. | ٤٦ 46 |
उसने उनकी पैदावार कीड़ों को और उनकी मेहनत का फल टिड्डियों को दे दिया।
أَتْلَفَ كُرُومَهُمْ بِالْبَرَدِ وَجُمَّيْزَهُمْ بِالصَّقِيعِ، | ٤٧ 47 |
उसने उनकी ताकों को ओलों से और उनके गूलर के दरख़्तों को पाले से मारा।
وَدَفَعَ بَهَائِمَهُمْ إِلَى الْبَرَدِ، وَمَوَاشِيَهُمْ إِلَى نَارِ الْبُرُوقِ. | ٤٨ 48 |
उसने उनके चौपायों को ओलों के हवाले किया, और उनकी भेड़ बकरियों को बिजली के।
أَرْسَلَ عَلَيْهِمْ حِمَمَ غَضَبِهِ، وَسَخَطِهِ وَغَيْظِهِ، وَأَطْلَقَ عَلَيْهِمْ حَمْلَةً مِنْ مَلائِكَةِ الْهَلاكِ. | ٤٩ 49 |
उसने 'ऐज़ाब के फ़रिश्तों की फ़ौज भेज कर अपनी क़हर की शिद्दत ग़ैज़ — ओ — ग़जब और बला को उन पर नाज़िल किया।
أَفْلَتَ عِنَانَ غَضَبِهِ، وَلَمْ يَحْفَظْهُمْ مِنَ الْمَوْتِ، بَلْ أَهْلَكَهُمْ بِالْوَبَإِ، | ٥٠ 50 |
उसने अपने क़हर के लिए रास्ता बनाया, और उनकी जान मौत से न बचाई, बल्कि उनकी ज़िन्दगी वबा के हवाले की।
وَأَبَادَ كُلَّ أَبْكَارِ مِصْرَ، طَلائِعَ ثِمَارِ الرُّجُولَةِ فِي خِيَامِ حَامٍ. | ٥١ 51 |
उसने मिस्र के सब पहलौठों को, या'नी हाम के घरों में उनकी ताक़त के पहले फल को मारा:
ثُمَّ سَاقَ شَعْبَهُ كَالْغَنَمِ وَاقْتَادَهُمْ مِثْلَ الْقَطِيعِ فِي الصَّحْرَاءِ. | ٥٢ 52 |
लेकिन वह अपने लोगों को भेड़ों की तरह ले चला, और वीरान में ग़ल्ले की तरह उनकी रहनुमाई की।
هَدَاهُمْ آمِنِينَ فَلَمْ يَفْزَعُوا. أَمَّا أَعْدَاؤُهُمْ فَطَغَى الْبَحْرُ عَلَيْهِمْ وَغَمَرَهُمْ. | ٥٣ 53 |
और वह उनको सलामत ले गया और वह न डरे, लेकिन उनके दुश्मनों को समन्दर ने छिपा लिया।
وَأَدْخَلَهُمْ إِلَى تُخُومِ أَرْضِهِ الْمُقَدَّسَةِ، إِلَى الْجَبَلِ الَّذِي امْتَلَكَتْهُ يَمِينُهُ. | ٥٤ 54 |
और वह उनको अपने मक़दिस की सरहद तक लाया, या'नी उस पहाड़ तक जिसे उसके दहने हाथ ने हासिल किया था।
ثُمَّ طَرَدَ الأُمَمَ مِنْ أَمَامِهِمْ وَقَسَمَ أَرْضَهُمْ بِالْحَبْلِ لِيَجْعَلَهَا مِيرَاثاً لِشَعْبِهِ، وَأَسْكَنَ فِي خِيَامِهِمْ أَسْبَاطَ إِسْرَائِيلَ. | ٥٥ 55 |
उसने और क़ौमों को उनके सामने से निकाल दिया; जिनकी मीरास जरीब डाल कर उनको बाँट दी; और जिनके खे़मों में इस्राईल के क़बीलों को बसाया।
غَيْرَ أَنَّهُمْ جَرَّبُوا اللهَ الْعَلِيَّ وَتَمَرَّدُوا عَلَيْهِ، وَلَمْ يُرَاعُوا شَهَادَاتِهِ. | ٥٦ 56 |
तोभी उन्होंने ख़ुदाता'ला को आज़मायाऔर उससे सरकशी की, और उसकी शहादतों को न माना;
بَلِ ارْتَدُّوا عَنْهُ وَغَدَرُوا كَمَا فَعَلَ آبَاؤُهُمْ، وَانْحَرَفُوا كَقَوْسٍ مُخْطِئَةٍ. | ٥٧ 57 |
बल्कि नाफ़रमान होकर अपने बाप दादा की तरह बेवफ़ाई की और धोका देने वाली कमान की तरह एक तरफ़ को झुक गए।
وَأَغَاظُوهُ بِمَعَابِدِ مُرْتَفَعَاتِهِمْ وَأَثَارُوا غَيْرَتَهُ بِأَصْنَامِهِمْ. | ٥٨ 58 |
क्यूँकि उन्होंने अपने ऊँचे मक़ामों के वजह से उसका क़हर भड़काया, और अपनी खोदी हुई मूरतों से उसे गै़रत दिलाई।
سَمِعَ اللهُ فَغَضِبَ، وَعَافَتْ نَفْسُهُ إِسْرَائِيلَ جِدّاً. | ٥٩ 59 |
ख़ुदा यह सुनकर गज़बनाक हुआ, और इस्राईल से सख़्त नफ़रत की।
هَجَرَ مَسْكَنَهُ فِي شِيلُوهَ، تِلْكَ الْخَيْمَةَ الَّتِي نَصَبَهَا مَسْكَناً لَهُ بَيْنَ النَّاسِ. | ٦٠ 60 |
फिर उसने शीलोह के घर को छोड़ दिया, या'नी उस खे़मे को जो बनी आदम के बीच खड़ा किया था।
وَأَسْلَمَ تَابُوتَ عَهْدِ عِزَّتِهِ إِلَى السَّبْيِ وَجَلالَهُ إِلَى يَدِ الْعَدُوِّ. | ٦١ 61 |
और उसने अपनी ताक़त को ग़ुलामी में, और अपनी हश्मत को मुख़ालिफ़ के हाथ में दे दिया।
وَدَفَعَ شَعْبَهُ إِلَى السَّيْفِ وَصَبَّ نِقْمَتَهُ عَلَى مِيْرَاثِهِ. | ٦٢ 62 |
उसने अपने लोगों को तलवार के हवाले कर दिया, और वह अपनी मीरास से ग़ज़बनाक हो गया।
فَالْتَهَمَتِ النَّارُ فِتْيَانَهُمْ، وَلَمْ تُنْشَدْ لِعَذَارَاهُمْ أُغْنِيَةُ زَوَاجٍ. | ٦٣ 63 |
आग उनके जवानों को खा गई, और उनकी कुँवारियों के सुहाग न गाए गए।
سَقَطَ كَهَنَتُهُمْ صَرْعَى السَّيْفِ، وَأَرَامِلُهُمْ لَمْ يَنْدُبْنَ عَلَيْهِمْ. | ٦٤ 64 |
उनके काहिन तलवार से मारे गए, और उनकी बेवाओं ने नौहा न किया।
ثُمَّ اسْتَيْقَظَ الرَّبُّ كَمَا يَسْتَيْقِظُ النَّائِمُ، مِثْلَ جَبَّارٍ يَصْرُخُ عَالِياً مِنَ الْخَمْرِ. | ٦٥ 65 |
तब ख़ुदावन्द जैसे नींद से जाग उठा, उस ज़बरदस्त आदमी की तरह जो मय की वजह से ललकारता हो।
فَضَرَبَ أَعْدَاءَهُ وَقَهَرَهُمْ، وَجَعَلَهُمْ عَاراً مَدَى الدَّهْرِ. | ٦٦ 66 |
और उसने अपने मुख़ालिफ़ों को मार कर पस्पा कर दिया; उसने उनको हमेशा के लिए रुस्वा किया।
رَفَضَ السُّكْنَى فِي خَيْمَةِ يُوسُفَ وَلَمْ يَخْتَرْ سِبْطَ أَفْرَايِمَ. | ٦٧ 67 |
और उसने यूसुफ़ के ख़मे को छोड़ दिया; और इफ़्राईम के क़बीले को न चुना;
بَلِ اصْطَفَى سِبْطَ يَهُوذَا، جَبَلَ صِهْيَوْنَ الَّذِي أَحَبَّهُ. | ٦٨ 68 |
बल्कि यहूदाह के क़बीले को चुना! उसी कोह — ए — सिय्यून को जिससे उसको मुहब्बत थी।
فَشَيَّدَ هَيْكَلَهُ، (كَمَسْكِنِهِ) فِي السَّمَاوَاتِ العُلَى. جَعَلَهُ (ثَابِتاً) مِثْلَ الأَرْضِ الَّتِي أَسَّسَهَا إِلَى الأَبَدِ. | ٦٩ 69 |
और अपने मक़दिस को पहाड़ों की तरह तामीर किया, और ज़मीन की तरह जिसे उसने हमेशा के लिए क़ाईम किया है।
وَاصْطَفَى دَاوُدَ عَبْدَهُ، وَأَخَذَهُ مِنْ بَيْنِ حَظَائِرِ الْغَنَمِ. | ٧٠ 70 |
उसने अपने बन्दे दाऊद को भी चुना, और भेड़सालों में से उसे ले लिया;
مِنْ خَلْفِ النِّعَاجِ الْمُرْضِعَةِ أَتَى بِهِ، لِيَرْعَى يَعْقُوبَ شَعْبَهُ وَإِسْرَائِيلَ مِيرَاثَهُ. | ٧١ 71 |
वह उसे बच्चे वाली भेड़ों की चौपानी से हटा लाया, ताकि उसकी क़ौम या'कू़ब और उसकी मीरास इस्राईल की ग़ल्लेबानी करे।
فَرَعَاهُمْ بِقَلْبٍ مُسْتَقِيمٍ، وَهَدَاهُمْ بِيَدَيْهِ الْمَاهِرَتَيْنِ. | ٧٢ 72 |
फिर उसने ख़ुलूस — ए — दिल से उनकी पासबानी की और अपने माहिर हाथों से उनकी रहनुमाई करता रहा।