< المَزامِير 75 >
لِقَائِدِ الْمُنْشِدِينَ عَلَى لَا تُهْلِكْ. مَزْمُورٌ لآسَافَ تَسْبِيحَةٌ نَحْمَدُكَ يَا اللهُ نَحْمَدُكَ، لأَنَّ اسْمَكَ قَرِيبٌ مِنْ شَعْبِكَ الَّذِي يُخْبِرُ بِمَا صَنَعْتَ مِنْ عَجَائِبَ. | ١ 1 |
ऐ ख़ुदा, हम तेरा शुक्र करते हैं, हम तेरा शुक्र करते हैं; क्यूँकि तेरा नाम नज़दीक है, लोग तेरे 'अजीब कामों का ज़िक्र करते हैं।
يَقُولُ اللهُ: «أَنَا أَخْتَارُ مِيعَادِي وَبِالإِنْصَافِ أَنَا أَقْضِي. | ٢ 2 |
जब मेरा मु'अय्यन वक़्त आएगा, तो मैं रास्ती से 'अदालत करूँगा।
عِنْدَمَا تَهْتَزُّ الأَرْضُ وَمَا فِيهَا مِنْ أَحْيَاءَ، أَنَا مَنْ يُوَطِّدُ أَرْكَانَهَا. | ٣ 3 |
ज़मीन और उसके सब बाशिन्दे गुदाज़ हो गए हैं, मैंने उसके सुतूनों को क़ाईम कर दिया।
أَقُولُ لِلْمُتَغَطْرِسِينَ: لَا تَتَفَاخَرُوا فِيمَا بَعْدُ، | ٤ 4 |
मैंने मग़रूरों से कहा, गु़रूर न करो, और शरीरों से, कि सींग ऊँचा न करो।
وَللأَشْرَارِ: لَا تَتَشَامَخُوا بِرُؤُوسِكُمْ وَلَا تَتَكَلَّمُوا بِأَعْنَاقٍ مُتَصَلِّفَةٍ». | ٥ 5 |
अपना सींग ऊँचा न करो, बग़ावत से बात न करो।
فَإِنَّ الرِّفْعَةَ لَا تَأْتِي مِنَ الْمَشْرِقِ وَلَا مِنَ الْمَغْرِبِ. وَلَا مِنَ الشِّمَالِ وَلَا مِنَ الْجَنُوبِ. | ٦ 6 |
क्यूँकि सरफ़राज़ी न तो पूरब से न पश्चिम से, और न दख्खिन से आती है;
فَاللهُ هُوَ الدَّيَّانُ، يَرْفَعُ وَاحِداً وَيَخْفِضُ آخَرَ. | ٧ 7 |
बल्कि ख़ुदा ही 'अदालत करने वाला है; वह किसी को पस्त करता है और किसी को सरफ़राज़ी बख़्शता है।
فِي يَدِ الرَّبِّ كَأْسُ خَمْرٍ مُزْبِدَةٍ مَمْزُوجَةٍ. يَصُبُّهَا فَيَشْرَبُهَا كُلُّ الأَشْرَارِ حَتَّى ثُمَالَتِهَا. | ٨ 8 |
क्यूँकि ख़ुदावन्द के हाथ में प्याला है, और मय झाग वाली है; वह मिली हुई शराब से भरा है, और ख़ुदावन्द उसी में से उंडेलता है; बेशक उसकी तलछट ज़मीन के सब शरीर निचोड़ निचोड़ कर पिएँगे।
أَمَّا أَنَا فَلَنْ أَكُفَّ عَنِ الْحَدِيثِ عَنْ إِلَهِ يَعْقُوبَ. أُرَنِّمُ لَهُ دَائِماً. | ٩ 9 |
लेकिन मैं तो हमेशा ज़िक्र करता रहूँगा, मैं या'क़ूब के ख़ुदा की मदहसराई करूँगा।
يُحَطِّمُ قُوَّةَ الشِّرِّيرِ، أَمَّا قُوَّةُ الْبَارِّ فَتَعْظُمُ. | ١٠ 10 |
और मैं शरीरों के सब सींग काट डालूँगा लेकिन सादिकों के सींग ऊँचे किए जाएंगे।