< المَزامِير 70 >
لِقَائِدِ الْمُنْشِدِينَ مَزْمُورٌ لِدَاوُدَ. لِلتَّذْكِيرِ هَلُمَّ أَنْقِذْنِي يَا رَبُّ، وَأَسْرِعْ إِلَى مَعُونَتِي. | ١ 1 |
संगीत निर्देशक के लिये. दावीद की रचना. अभ्यर्थना. हे परमेश्वर, कृपा कर मुझे उद्धार प्रदान कीजिए; याहवेह, तुरंत मेरी सहायता कीजिए.
لِيَخْزَ وَيَخْجَلِ السَّاعُونَ إِلَى قَتْلِي. لِيَرْتَدَّ وَيَخْجَلِ السَّاعُونَ لأَذِيَّتِي. | ٢ 2 |
वे, जो मेरे प्राणों के प्यासे हैं, लज्जित और निराश किए जाएं; वे जिनका आनंद मेरी पीड़ा में है, पीठ दिखाकर भागें तथा अपमानित किए जाएं.
لِيَرْجِعِ السَّاخِرُونَ مِنِّي مُكَلَّلِينَ بِالْعَارِ. | ٣ 3 |
वे सभी, जो मेरी स्थिति को देख, “आहा! आहा!” करते हैं! लज्जा में अपना मुख छिपा लें.
لِيَفْرَحْ وَيَبْتَهِجْ بِكَ جَمِيعُ طَالِبِيكَ. وَلْيَقُلْ دَائِماً مُحِبُّو خَلاصِكَ: لِيَتَعَظَّمِ الرَّبُّ. | ٤ 4 |
किंतु वे सभी, जो आपकी खोज करते हैं हर्षोल्लास में मगन हों; वे सभी, जिन्हें आपके उद्धार की आकांक्षा है, यही कहें, “अति महान हैं परमेश्वर!”
إِنَّمَا أَنَا مُتَضَايِقٌ وَمُحْتَاجٌ، فَأَسْرِعِ الْلَهُمَّ إِلَيَّ. أَنْتَ عَوْنِي وَمُنْقِذِي. يَا رَبُّ لَا تَتَبَاطَأْ. | ٥ 5 |
मैं दरिद्र और दुःखी पुरुष हूं; परमेश्वर, मेरी सहायता के लिए विलंब न कीजिए. आप ही मेरे सहायक और छुड़ानेवाले हैं; याहवेह, विलंब न कीजिए.